शराब के नशे में मुझे चोदने लगे भैया

मैं सोनी, उरई जालौन की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, और आज मैं अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी सच्चाई आपके सामने रखने जा रही हूँ, जिसने मेरे दिल और जिस्म को हिलाकर रख दिया। ये कहानी मेरे और मेरे भैया के बीच उस रात की है, जब मैं उनके मोटे लण्ड से चुद गई। पहले तो मेरा मन बिल्कुल नहीं था। मेरे दिमाग में बार-बार यही ख्याल आ रहा था कि ये इन्सेस्ट है, ये गलत है, समाज क्या कहेगा? लेकिन मेरी चूत में उठी वो आग, वो वासना की भूख इतनी तीव्र थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाई। मेरी साँसें तेज हो रही थीं, चूत में पानी बहने लगा था, और मैंने आखिरकार अपनी सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया। भैया का मोटा लण्ड मेरी चूत में समा गया, और मैं अपनी गांड उठा-उठाकर धक्के देने लगी। अब मैं आपको इस कहानी को हर एक पल, हर एक एहसास के साथ विस्तार से सुनाती हूँ, ताकि आप भी उस रात की गर्मी को महसूस कर सकें।

मेरे भैया की उम्र 27 साल है, और उनकी शादी इसी साल हुई थी। मेरी भाभी, सपना, इतनी हॉट और खूबसूरत हैं कि उन्हें देखकर किसी का भी दिल धड़क जाए। उनकी कमर का लचकना, उनकी भारी चूचियाँ, और वो हुस्न की मस्ती भरी आँखें—मानो वो कोई जिंदा पटाखा हों। कोई भी मर्द उन्हें देख ले, तो उसकी रात की नींद उड़ जाए। भैया तो जैसे उनके दीवाने थे। मैंने कई बार देखा, दिन में दो-दो बार वो भाभी को अपने कमरे में ले जाकर चोदते थे। उनकी चुदाई की आवाज़ें—फच-फच, भाभी की सिसकारियाँ—आह्ह… उफ्फ… और बिस्तर का चरमराना—मेरे दिमाग में गूँजता रहता था। मैं रात को अकेले में अपनी चूत को सहलाती, सोचती कि काश कोई मुझे भी ऐसे चोदे। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी ये ख्वाहिश मेरे अपने भैया से पूरी होगी।

उस रात करीब 11 बजे थे। भैया अपने दोस्त की शादी की पार्टी से लौटे थे। वो पूरी तरह नशे में धुत्त थे। उनकी आँखें लाल थीं, और वो लड़खड़ाते हुए चल रहे थे। भाभी को शाम से ही पेट में दर्द था। वो माँ के कमरे में थीं, जहाँ माँ उनके पेट पर गर्म पानी की थैली से सिकाई कर रही थीं। सिकाई के बाद भाभी को नींद आ गई थी। मैंने माँ से कहा, “माँ, भाभी को बोलो अपने कमरे में जाकर सोएँ।” माँ बोलीं, “रहने दे, बेटी। अभी उन्हें आराम मिल रहा है। सुबह चली जाएँगी।” मैंने भी सोचा, ठीक है। तभी अचानक लाइट चली गई। अंधेरा छा गया। मेरा नाइटी ढूंढने पर नहीं मिला, तो मैंने भाभी का लाल रंग का सिल्की नाइटी पहन लिया। वो इतना टाइट था कि मेरे चूच बाहर उभर रहे थे, और मेरी गांड उसमें और भी सेक्सी लग रही थी। मैं छत पर सोने चली गई, क्योंकि गर्मी बहुत थी। माँ और भाभी नीचे माँ के कमरे में सो रही थीं।

भैया जब आए, तो सीधे भाभी के कमरे में गए। वहाँ भाभी नहीं थीं। नशे में होने की वजह से उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर उन्हें ख्याल आया कि लाइट नहीं है, शायद भाभी छत पर हों। वो लड़खड़ाते हुए छत पर चढ़ आए। मैं उस वक्त हल्की नींद में थी। आसपास की छतों पर कुछ लोग थे, जो गर्मी की वजह से सोने आए थे। हल्की चाँदनी थी, और मेरे बदन पर भाभी का टाइट नाइटी मेरे जिस्म को और उभार रहा था। भैया मेरे पास आए और बोले, “सपना, मेरी डार्लिंग, तू यहाँ है? मेरा लण्ड नीचे तुझे ढूंढ रहा था। देख, ये कितना तन गया है, तुझे बुला रहा है!” उनकी आवाज़ भारी थी, और शब्द लड़खड़ा रहे थे। उन्होंने बहुत ज़्यादा शराब पी रखी थी। मैं चुप रही, सोचा कि शायद वो चले जाएँ। मैंने अपने चेहरे को तकिए में छिपा लिया, ताकि वो मुझे ना देख सकें।

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लेकिन भैया मेरे पास लड़खड़ाते हुए बैठ गए। मैंने धीरे से कहा, “भैया, मैं सोनी हूँ।” लेकिन वो नशे में इतने चूर थे कि मेरी बात उनके दिमाग में गई ही नहीं। वो हँसते हुए बोले, “साली, मुझसे मज़ाक कर रही है? आज तुझे मेरा मोटा लण्ड नहीं चाहिए? अरे, आज तो मैं तेरी चूत को ऐसा चोदूँगा कि तू बार-बार माँगेगी!” फिर वो बोले, “सपना, तू इस नाइटी में इतनी सेक्सी लग रही है। तेरा ये बदन… उफ्फ… मन करता है तुझे चूस-चूसकर खा जाऊँ।” उनकी बातें सुनकर मेरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ गई। मैं डर भी रही थी, और मेरे अंदर कुछ और भी जाग रहा था। मेरी चूत में हल्की-हल्की गीलापन महसूस होने लगा था।

मैं उठकर जाने की कोशिश करने लगी, लेकिन भैया ने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और धक्का देकर वापस बिस्तर पर गिरा दिया। मैं अपने तकिए पर लेट गई। फिर क्या, उन्होंने मेरे चूच को ज़ोर से पकड़ लिया और मसलने लगे। “आह्ह… भैया… नहीं…” मैंने हल्की आवाज़ में कहा, लेकिन वो रुके नहीं। वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे चूमने लगे। उनकी साँसों में शराब की गंध थी, लेकिन उनकी जीभ मेरे मुँह में घुस रही थी। मैं बचने की कोशिश कर रही थी, पर वो मुझे अपनी मज़बूत बाहों और टांगों में जकड़े हुए थे। मैं बिल्कुल असहाय थी।

उन्होंने मेरा नाइटी ऊपर सरका दिया। मैंने उस रात ब्रा नहीं पहनी थी। मेरे चूच आजाद थे, और भैया ने उन्हें अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे, और कह रहे थे, “साली, तेरे चूच आज इतने टाइट और रसीले क्यों लग रहे हैं? उफ्फ… क्या माल है तू!” मैं कुछ बोलने की सोच रही थी, पर उन्होंने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोले, “चुप रह, साली। पड़ोस की छत पर लोग हैं, आवाज़ सुन लेंगे।” मैं डर के मारे चुप हो गई। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं।

फिर भैया ने मेरा नाइटी मेरे गले से पूरी तरह निकाल दिया। मेरे हाथ ऊपर करके वो मेरी कांख के बालों को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी कांख पर फिसल रही थी, और वो मेरे चूच को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहे थे। “आह्ह… उफ्फ…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। मैं अब पूरी तरह मदहोश होने लगी थी। मेरे दिमाग में एक तरफ डर था कि ये गलत है, ये मेरा भैया है, लेकिन मेरी चूत में जल रही आग मुझे कुछ और कह रही थी। मैंने सोचा, जब मौका मिला है, तो क्यों ना इस आग को बुझा लिया जाए? मैंने अब भैया की मदद शुरू कर दी।

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मैंने अपनी टांगें फैला दीं। भैया मेरे बीच में आ गए। मैंने अपनी सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया। ऊपर तो मेरा जिस्म पहले ही नंगा था। भैया मेरे चूच को ऐसे दबा रहे थे, जैसे कोई बच्चा अपने पसंदीदा खिलौने को मसल रहा हो। मैं भी अब उनके होंठों को चूसने लगी। अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। उनकी जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी। फिर भैया ने मेरी सलवार नीचे खींच दी और मेरी पैंटी में हाथ डाल दिया। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत को सहला रही थीं। “आह्ह… भैया… उफ्फ…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मेरे चूच तन गए थे। मेरे होंठ सूख रहे थे, पर भैया बार-बार उन्हें चूसकर गीला कर रहे थे।

फिर उन्होंने मेरी पैंटी भी उतार दी। वो नीचे सरक गए और मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। “आह्ह… ओह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो…” मैं बौखला गई थी। आज तक किसी ने मेरी चूत को छुआ तक नहीं था, और आज मेरा भैया उसे चाट रहा था। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… उफ्फ… भैया… और… और…” मेरे जिस्म में आग लग चुकी थी। मैं अब पूरी तरह उनके हवाले थी।

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मैंने भैया को थोड़ा ऊपर खींचा। मैं चाहती थी कि वो अब मुझे चोदें। भैया नशे में थे, लेकिन उनका लण्ड तनकर मोटा और सख्त हो चुका था। उन्होंने अपना पैंट खोला और उनका मोटा लण्ड मेरी चूत पर रख दिया। वो गाली देते हुए बोले, “ले साली, मैंने कहा था ना, मेरा लण्ड तुझे ढूंढ रहा है!” फिर एक ज़ोरदार धक्के के साथ उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह… भैया… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैं फरफरा गई। दर्द इतना तेज था कि मेरी आँखों में आँसू आ गए। लेकिन मैं छत पर थी, चिल्ला नहीं सकती थी। मैंने होंठ काट लिए और चुप रहने की कोशिश की।

भैया ने मेरी टांगें ऊपर उठा दीं। मेरे चूच को दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर शुरू हुआ उनकी चुदाई का तूफान। हचहच… हचहच… फच-फच… मेरी चूत से गीली आवाज़ें आने लगीं। “आह्ह… भैया… उफ्फ… और ज़ोर से…” मैं सिसकार रही थी। दर्द अब मज़े में बदल रहा था। भैया गालियाँ दे रहे थे, “साली, तेरी चूत कितनी टाइट है… ले मेरा लण्ड… और ले… तेरी गांड को भी चोद दूँगा!” उनकी हर गाली मेरे जिस्म में और आग लगा रही थी। मेरी चौड़ी गांड उनका पूरा वज़न उठाए हुए थी। मेरी चूत से फच-फच की आवाज़ और तेज हो रही थी। मैं दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन भैया की रफ्तार कम नहीं हो रही थी।

वो मेरे चूच को मसल रहे थे, मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे, और हर धक्के के साथ गाली दे रहे थे, “ले साली… तुझे आज रात चोद-चोदकर तेरी चूत फाड़ दूँगा!” मैं पूरी तरह हिल रही थी। मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… ओह्ह… भैया… और ज़ोर से… उफ्फ…” मैं अब पूरी तरह उनकी चुदाई के मज़े में डूब चुकी थी। ये मेरी पहली चुदाई थी, और वो भी अपने भैया के साथ। मेरे दिमाग में एक तरफ ग्लानि थी, पर मेरी चूत की आग उस ग्लानि को दबा रही थी।

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करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद भैया की साँसें और तेज हो गईं। वो बोले, “ले साली, अब ले मेरा माल… तेरी चूत को भर दूँगा!” और फिर एक लंबी “आह्ह…” के साथ उन्होंने अपना सारा मलाई मेरी चूत के अंदर डाल दिया। मैं भी तीसरी बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत उनके मलाई से भर गई थी। वो शिथिल होकर मेरे बगल में लेट गए। मुझे डर था कि कहीं गर्भ ना रह जाए। मैं तुरंत पेट के बल लेट गई और उनकी मलाई को चूत से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।

फिर मैंने धीरे से उनका हाथ हटाया, जो मेरे चूच पर था। मैंने अपनी पैंटी और सलवार पहनी, नाइटी डाली, और नीचे चली गई। रात के करीब 12:30 बज चुके थे। नीचे माँ और भाभी एक साथ सो रही थीं। मैंने भाभी को जगाया। वो बोलीं, “भैया आ गए?” मैंने हल्की आवाज़ में कहा, “हाँ, वो छत पर हैं।” भाभी उठीं और छत पर चली गईं। मैं अपने कमरे में गई, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं उस रात को सोच रही थी—क्या हुआ, कैसे हुआ। मेरे जिस्म में अभी भी वो गर्मी थी, वो सिसकारियाँ मेरे कानों में गूँज रही थीं। करीब दो घंटे बाद मैं सो पाई।

सुबह जब मैं उठी, तो सब कुछ सामान्य था। भैया ड्यूटी के लिए तैयार हो रहे थे। भाभी नाश्ता बना रही थीं। माँ पूजा कर रही थीं। भैया को शायद कुछ याद नहीं था कि रात में उन्होंने मुझे चोदा था। मैं भी चुप रही। मेरे मन में एक उलझन थी, लेकिन साथ ही एक अजीब सा सुकून भी था। मेरी वासना की आग बुझ चुकी थी, पर अब मेरे दिमाग में बार-बार वही रात घूम रही थी।

क्या आपको मेरी ये कहानी पसंद आई? क्या आपने कभी ऐसी वासना की आग महसूस की है? अपने अनुभव और विचार कमेंट में ज़रूर शेयर करें। क्या मैं भैया के साथ फिर से ऐसा करूँ? आपकी राय मेरे लिए मायने रखती है!

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