Papa Beti Ki Real Chudai Kahani कहानी का पिछला भाग: पापा के लंड के लिये अपनी कुँवारी चूत तैयार की-1
मगर पापा ने मेरी एक न सुनी और बाथरूम के टाइल वाले फर्श पर लेटकर उन्होंने पकड़कर मुझे अपने मुंह पर बिठा लिया।
मेरी हालत ये थी कि एक तरफ मुझे फिर से चुदवाने की शदीद ख्वाहिश हो रही थी, और दूसरी तरफ मुझे बहुत जोर का पेशाब आ रहा था, और तीसरी तरफ मैं स्क्वाटिंग पोजिशन में पापा के मुंह के साथ अपनी चूत लगाए बैठी थी।
“पापा, प्लीज मुझे पी करने दें पहले… निकल जाएगी नहीं तो…”
“तो करो न पी,” पापा एक लम्हे के लिए मेरी चूत से मुंह हटाकर बोले। पापा की जीभ मेरी चूत के पेशाब वाली जगह को चाट रही थी।
मैं हैरान रह गई। मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा था कि पापा ऐसा भी सोच सकते हैं।
“छी पापा… आप के मुंह में चला जाएगा मेरी पी… पापा आप बहुत गंदे हैं…”
“जानू करो मेरे मुंह में… अपनी बेटी का पेशाब पीऊंगा… कर मेरी जान…”
पापा ये कहने के बाद मेरी गांड को जोर से पकड़कर मेरी चूत पूरी की पूरी अपने मुंह में भर ली, कि मैं अब कुछ भी नहीं कर सकती थी, सिवाय पापा के मुंह में पी करने के। पी को रोकना अब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था। ऐसा लगता था कि अगर मैंने अब और एक सेकंड भी देर की तो मेरा ब्लैडर फट जाएगा।
फिर मेरी पेशाब के सुराख से पहली गर्म-गर्म तेज धार मेरे पापा के मुंह में निकली। एक धार मारकर मेरा पेशाब रुक गया। मुझे लगा कि पापा का मुंह मेरी एक धार से पूरा भर गया होगा। मेरी चूत चूंकि पापा के मुंह में पूरी घुसी हुई थी, लिहाजा मुझे पापा के मुंह की मूवमेंट से पता चल गया कि पापा ने अपने मुंह में भरा हुआ मेरा यूरिन पी लिया है।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“जानू… अब खड़ी होकर अपने पापा पर पेशाब करो… लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता… जितना भी रुक-रुककर कर सकती हो… मेरे मुंह पर… मेरी बॉडी पर और पापा के लंड पर…”
मैं पापा के मुंह पर से उठकर खड़ी हो गई। मैंने अपनी गांड बिल्कुल आगे की तरफ करते हुए, अपनी चूत को अपनी उंगलियों से चीरते हुए पेशाब की एक सीधी धार पापा के चेहरे पर मारी। पापा मुंह को पूरा खोले हुए थे। मेरे गोल्डन कलर की गर्म पेशाब की फुल तेज धार पापा के चेहरे पर पड़ती हुई उनके मुंह में गई। मुझे पापा के हलक से “गर्र्र… गर्र्र…” की आवाज आई, और पापा का खुला हुआ मुंह मेरे पेशाब से पूरा भर गया, बल्कि उनके होंठों के किनारों से मेरा पेशाब झाग की शक्ल में बह रहा था। पापा के मुंह में अपनी पी देखकर मेरी जो मस्ती से हालत हो रही थी वो मैं बता नहीं सकती। जी चाहता था कि अपने पापा के मुंह से अपना मुंह लगाकर उन्हें खूब प्यार करूं और पापा के साथ अपनी पी शेयर करूं।
मेरी पी अब रुक नहीं रही थी। मेरी चूत से मेरी गोल्डन पी अब पापा की बॉडी पर गिर रही थी। फिर पीछे हटते हुए मैंने पापा के हाफ हार्ड लंड पर पेशाब करना शुरू किया। इसी तरह मैंने आगे-पीछे होते हुए पापा को पूरा का पूरा अपने यूरिन से नहला दिया। बाथरूम का पूरा व्हाइट टाइल्ड फ्लोर मेरे यूरिन से गोल्डन हो रहा था। पापा ने फिर मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर गिरा लिया। मेरा पेशाब अब भी मेरी चूत से निकल रहा था। इतना ज्यादा पेशाब मैं कर रही थी कि मैं हैरान रह गई। पापा के जिस्म से लिपटने की वजह से मैं भी अपने यूरिन में गीली हो गई। पापा ने अपने मजबूत बाजू में मुझे जकड़ा हुआ था और मेरे मुंह की चूमियां ले रहे थे। मुझे अपने पी की तेज स्मेल अपने और पापा के जिस्म से आ रही थी।
“अब खुश पापा? मजा आया आपको?” मैंने पापा से पूछा।
“उफ्फ जानू इतना मजा आया कि मैं बता नहीं सकता! मेरी बेटी को मजा आया?”
“पापा मुझे पता नहीं था इस तरह करने में इतना मजा आता है। बहुत जोर से पी आ रही थी, इसलिए मजा भी बहुत आया, बस अब चोदो मुझे…”
ये कहते हुए मैं पापा के लंड पर अपनी चिकनी हेयरलेस चूत को रगड़ने लगी। मेरी चूत रगड़ने की वजह से पापा का लंड पूरा तनकर सख्त हो गया, और मेरे पेट में घुसने लगा।
“जानू अभी मजा तुमने और मैंने पूरा कहां लिया है… मुझे भी तो पी करनी है। मैंने भी कल आफ्टरनून के बाद से पी नहीं की…”
ये सुनकर कि अब पापा पी करेंगे और वो भी मेरे ऊपर, मैं लज्जत और मस्ती में पूरी भर गई।
पापा ने मुझे बाथ टब के अंदर बैठने को कहा। फिर उन्होंने बाथ टब की ड्रेन को रबर प्लग से बंद कर दिया। मैं समझ गई कि पापा अपना यूरिन बाथ टब में से ड्रेन आउट नहीं करना चाहते थे।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मैं बाथ टब में अपनी घुटनों पर खड़ी हो गई, और पापा मेरे सामने खड़े होकर अपना लंड की टोपी मेरे मुंह में डाल दी।
“जानू, अब पापा की पी निकलने वाली है… तैयार हो?”
मैंने इशारे से सिर हिलाकर हां कहा। रात से मैं जिस सिचुएशन से गुजर रही थी, ये मेरी लाइफ की सबसे थ्रिलिंग सिचुएशन थी। मुझे कभी इन सब बातों का तसव्वुर भी नहीं आया था, और ऊपर से ये यूरिन वाली सिचुएशन ने तो मुझे मस्ती की इंतिहा पर पहुंचा दिया था।
अचानक पापा के लौड़े से पेशाब की गर्म-गर्म नमकीन धार मेरे मुंह में निकली, और मेरा मुंह भर गया। मैं बेकाबू होकर पापा का पेशाब पीने लगी। धार इतनी तेजी से निकल रही थी कि पापा का पेशाब मेरे मुंह के किनारों से निकलकर मेरे जिस्म पर बह रहा था।
फिर पापा ने लंड मेरे मुंह से बाहर निकाला और मेरे बालों, फेस और टिट्स पर अपने गोल्डन, गर्म पेशाब की तेज धार मारते रहे। मेरा बस नहीं चल रहा था कि मैं क्या करूं। मैं अपने दोनों पाम्स जोर से पापा का पेशाब उसमें भरती और अपने फेस को धोती और अपनी छातियों पर डालती रही।
जब मैं मजा और मस्ती की हाइट पर थी तो पापा का पेशाब एकदम रुक गया।
“पापा क्या हुआ?”
“अभी तो शुरू हुआ है जानू,” पापा ने ये कहकर मुझे टब में लेटने को कहा। मैं चित्त होकर लेट गई और अपनी टांगें खोल दीं।
पापा ने मेरे पैरों की तरफ खड़े होकर अपना लंड पकड़कर मेरी पूरी बॉडी पर अपने पेशाब की गोल्डन और गर्म-गर्म नमकीन धार मारनी शुरू कर दी। मैं सिर के बालों से लेकर पैरों तक पापा के गोल्डन पेशाब में डूब गई। पापा के पेशाब की धार मेरी आंखों पर, होंठों पर, मुंह में, छातियों पर, मेरे पेट और चूत पर गिर रही थी। मैं बुरी तरह से पापा का पेशाब अपने पूरे जिस्म पर माल रही थी और अपनी चूत को पापा के पी से नहला रही थी।
पापा के गर्म-गर्म पेशाब की तेज धार मेरी बॉडी पर अजीब सा मजा दे रही थी। बाथ टब का होल बंद होने की वजह से, बाथ टब में पापा का गोल्डन यूरिन भरा हुआ था, और मैं उस यूरिन में जैसे स्विम कर रही थी। पापा का जब पेशाब खत्म हुआ तो वो बाथ टब में मेरे पैरों के पास बैठ गए।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“पापा अब चोदना मुझे… मुझसे बर्दाश्त नहीं होता… मैं मार जाऊंगी पापा… अपना लंड डालो मेरी चूत में…” मेरी हालत चुदवाने की ख्वाहिश की वजह से बहुत बुरी हो रही थी।
बाथ टब की स्पेस टाइट होने की वजह से पापा को मेरी टांगें उठाकर मुझे चोदने में मुश्किल हो रही थी। पापा ने मुझे उल्टी हो जाने को कहा। मैं औंधी हो गई और अपनी गांड पूरी ऊपर उठा दी, ताकि पापा को अपना लंड मेरी चूत में डालने में मुश्किल न हो। मगर औंधी होने में मेरा चेहरा आधे से ज्यादा पापा के यूरिन में डूबा हुआ था। जनरली, यूरिन की स्मेल अच्छी नहीं लगती, मगर उस वक्त मुझे अपने पापा के पेशाब की स्मेल बहुत अच्छी लग रही थी। पापा का गोल्डन पेशाब मेरी नाक और मेरे मुंह में जा रहा था।
पापा ने झुककर अपना लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन जगह तंग होने की वजह से उन्हें मुश्किल हो रही थी।
“जानू, बाथ टब से बाहर जाकर तुम्हें चोदना पड़ेगा,” पापा ने कहा।
“नहीं पापा यहीं चोदो… आप के पेशाब में लिपटकर चुदवाऊंगी।”
पापा ने मुझे उठने को कहा, और खुद बाथ टब के फर्श पर हेड रेस्ट के साथ अपनी कमर टिकाकर और अपनी टांगें लंबी करके बैठ गए। पापा का लंड फुल तना हुआ खड़ा था और मेरी पी में भीगा हुआ था। मैं पापा की तरफ मुंह करके पापा के लंड पर इस तरह बैठी कि पापा के लंड की 3 इंच मोटी पर्पल टोपी मेरी चूत के छेद से लगी हुई थी। मैंने नीचे हाथ डालकर पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और लौड़े को अपनी खुली हुई चूत के बीच में ऊपर से नीचे की तरफ फेरने लगी। जब मैं पापा के लंड की टोपी को अपनी क्लिट पर फेरती तो मेरे पूरे जिस्म में गुदगुदी होने लगती। मैं फुल मस्त हो चुकी थी। मैं इन सब बातों को भूल चुकी थी कि मैं अपने सगे बाप के साथ ये कर रही हूं।
अब पापा से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
“जानू जल्दी से मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लेकर मुझे चोदो, वरना मेरी मनी बाहर ही निकल जाएगी।”
मैंने पापा का लंड अपनी चूत के होल से लगाते हुए पापा के लौड़े पर बैठती चली गई। पापा का लंड मेरी टाइट चूत को चीरता हुआ अंदर पूरा चला गया। इतना सख्त पत्थर की तरह लंड था पापा का कि मुझे ऐसे लगा कि पापा का लंड मेरे पेट में से होता हुआ मेरे मुंह से बाहर आ जाएगा।
मेरी छोटी सी चूत में पापा का लंड पूरा फंस गया था, यहां तक कि मैं अपनी गांड को ऊपर-नीचे कर रही थी कि पापा का लंड भी इसके साथ ही मेरी चूत में अंदर-बाहर होता रहे, लेकिन लंड इतनी बुरी तरह मेरी नन्ही सी टाइट चूत में फंस चुका था कि लंड अंदर-बाहर भी नहीं हो रहा था।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“पापा बहुत सख्त और मोटा लंड है आपका… कैसे चोदूं आपको।”
पापा को भी मुश्किल हो रही थी मुझे चोदने में, क्योंकि वो नीचे से कुछ नहीं कर सकते थे। आखिर उन्होंने मेरी गांड के नीचे हाथ डालकर और मुझे अपनी गोद में भरते हुए उठकर खड़े हो गए। मैं पापा के जिस्म के साथ लिपट गई। पापा इसी हालत में लेकर मुझे टब से बाहर आए, और फिर मुझे बाथरूम के फ्लोर पर लिटाकर मेरी टांग उठाकर मुझे चोदने लगे।
“उफ्फ मेरी बेटी की चूत वाकई बहुत टाइट है… बहुत मुश्किल हो रही है अपनी जानू को चोदने में।”
पापा अपना लंड जब मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगते तो उसके साथ ही मेरी चूत की अंदर की स्किन भी बाहर निकल आती। एक दफा जो पापा ने जोर लगाकर मेरी नाजुक चूत से अपने लंड को खींचकर बाहर निकाला तो झटके से पापा खुद भी पीछे चले गए, और मेरी चूत में से बहुत जोर की ऐसी आवाज आई जैसे बॉटल का कॉर्क निकलने से या पेप्सी के बॉटल का ढक्कन खोलने से आती है।
पापा ने हाथ बढ़ाकर आखिर कोकोनट ऑयल की बॉटल उठाई और मेरी चूत और अपने लंड पर खूब सारा ऑयल मला। फिर जो उन्होंने मेरी चूत से अपने लंड की टोपी को लगाया तो एक ही झटके में पापा का लंड फिसलता हुआ पूरा का पूरा मेरी चूत में चला गया। अब पापा आराम से मजा ले-लेकर मुझे चोदने लगे। चोदते हुए कभी मेरी एप्रिकॉट जैसी टिट्स को पकड़कर चूसते, कभी मुंह में अपनी जीभ डालकर मुझे प्यार करते। “फचक… थप… फचक…” की आवाजें, मेरी चूत ऑयल और पानी से चिकनी हो चुकी थी।
“उफ्फ जानू मजा आ रहा तुझे चोदने में… चोद रहा हूं तुझे जानू… चुद मेरे लंड से… पूरा लंड गया मेरी बेटी की चूत में… बेटी को चोद रहा हूं अपनी… उफ्फ तेरी टाइट चूत जानू…”
“पापा चोदो मुझे… चोदो… और जोर से चोदो अपनी बेटी को… मजा आ रहा है पापा… उफ्फ पापा कितना मोटा और लंबा लंड है मेरे पापा का… उफ्फ मार गई… पापा मेरे पेट में चला गया लंड आपका।”
एकदम से पापा के धक्कों में तेजी आ गई। उन्होंने मेरी गांड के नीचे हाथ डालकर इतनी शिद्दत से धक्के मारने शुरू किए कि मस्ती से मेरी सिसकारियां निकलने लगीं, और मैं चूत पानी छोड़ने लगी। उसके साथ ही पापा ने भी चीखते हुए मेरी चूत की गहराइयों में अपनी गर्म-गर्म मनी की धार छोड़ दी। मेरी चूत पापा की मनी से लबालब भर गई। पापा मेरे ऊपर गिर पड़े। हम दोनों बाप-बेटी जैसे नशे में टन हो चुके थे। हम दोनों के सिर बुरी तरह घूम रहे थे। हम दोनों गहरी-गहरी सांसें ले रहे थे, जैसे 5 किलोमीटर की रेस लगाकर आ रहे हों।
पहली ही दफा में हम दोनों बाप-बेटी चुदाई का इतना मजा ले चुके थे कि शायद सुहागरात को हसबैंड और वाइफ भी नहीं लेते होंगे। हम दोनों इतना थक चुके थे कि अब और हिम्मत नहीं थी। जितना मैं पहली दफा में चुदवा चुकी थी और मजा ले चुकी थी, उसके नशे में सिर से पांव तक डूबी रहना चाहती थी।
कोई 15 मिनट्स तक अपनी-अपनी सांस ठीक करने के बाद हम दोनों उठे और पापा ने बाथ टब का शावर खोल दिया। दुनिया में कितने बाप-बेटी ऐसे होंगे जो एक साथ नंगे बाथ टब में नहाए हों? ठंडा-ठंडा पानी जिस्म से लगते ही मजा आ गया। पापा ने मेरे सारे जिस्म पर लक्स सोप लगाकर और मेरे बालों में सनसिल्क शैंपू अच्छी तरह लगाकर और मेरे पूरे जिस्म हेड से लेकर फीट तक मल-मलके मुझे नहलाया। मैं पापा की तरफ बैक करके उनके जिस्म के साथ जुड़ी हुई थी। पापा ने मेरी गर्दन के बाद जब मेरी एप्रिकॉट जैसी टिट्स को सोप लगाकर हाथों से मलना शुरू किया तो मेरी टिट्स से लेकर मेरी चूत तक टिकलिंग शुरू हो गई।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
फिर पापा का हाथ जब अपनी छोटी सी बेटी की हेयरलेस चूत पर पहुंचा तो मैं एक बार फिर मस्त होने लगी। सोप की वजह से चूत मेरी और चिकनी हो गई थी, ऊपर से पापा की उंगलियां जब मेरे क्लिट को मसलतीं तो मैं बेकाबू गांड को आगे-पीछे करने लगती।
पापा के दोनों हाथ मेरी चूत से होते हुए पीछे मेरी गोरी और मोटी-मोटी गांड पर सोप मलने लगे। पापा ने अपना हाथ मेरी गोरी और वॉटरमेलन जैसी गांड पर फेरना शुरू किया, और फिर अपने हाथ से मेरी गांड के ग्लोब्स के बीच में सोप के सड्स मलने लगे।
मैं तो अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुई थी, और ना मुझे अभी तक पीरियड्स शुरू हुए थे। कच्ची जवानी में जब लड़की पहली दफा चुदवा लेती है तो उसका बस नहीं चलता कि वो हर पल चुदवाए। और यहां तो पर्दा ही कोई नहीं था। चुदवाने वाली बेटी थी तो चोदने वाला मेरे पापा थे। और पापा में पूरा ट्रस्ट कर सकती थी, क्योंकि पापा से मुझे मम्मी के वक्त से ही बहुत प्यार था। मगर वो पहले वाला प्यार रीयल बाप-बेटी वाला था। अब मेरे प्यार ने एक नया टर्न ले लिया था और मैं अब सेक्शुअली पापा को प्यार करने लगी थी। पापा पर मेरा ट्रस्ट और भी ज्यादा हो गया था। मैं शायद किसी अजनबी लड़के से कभी इतना नहीं खुल सकती थी। अगर किसी लड़के से प्यार हो भी जाता, तो भी मैं उसके साथ इतनी जल्दी सेक्स अफेयर में नहीं जाती।
पापा के साथ पिछली रात से मेरा सेक्स अफेयर शुरू हुआ। पापा ने जो भी मेरे साथ किया, मेरे एग्री होने पर किया। मेरी बॉडी को अब्यूज नहीं किया। मेरे जिस्म के एक-एक ऑर्गन को बहुत प्यार से हैंडल किया। यहां तक कि मेरी चूत को भी आराम से और मुझसे पूछ-पूछकर चोदा, ताकि मुझे दर्द न हो, तकलीफ न हो। ये सब इसलिए हुआ कि पापा भी मुझे बहुत प्यार करते थे (और करते हैं)। मैं हमेशा पापा से बहुत क्लोज रही हूं। और वो बाप-बेटी के अनमोल प्यार का रिलेशन था। और एक ही रात में इतनी सी उम्र में, मैं पापा की औरत बन चुकी थी।
ये सब सोचते-सोचते हम दोनों बाप-बेटी बाथ ले चुके थे कि अचानक मुझे पापा का तना हुआ सख्त लंड पीछे से अपनी गांड के बीच में घुसता हुआ लगा। पापा का 7 इंच का लंड मेरी गांड के ग्लोब्स के बीच में से होता हुआ मेरी चूत की तरफ से बाहर निकल आया। पापा ने ऐसा जानकर नहीं किया था। असल में पापा शावर को बंद करने के लिए जब आगे हुए तो आप ही आप ऐसा हो गया।
मैंने झट से पापा के लौड़े की टॉप को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी को लंड पर आगे-पीछे करने लगी।
“जानू क्या फिर चुदना चाहती हो,” पापा ने पूछा।
“नहीं पापा… बहुत ज्यादा हम दोनों थक नहीं गए… हां बेड पर आप के साथ सोने से पहले आपके इस प्यारे से लंड को चूसकर इसकी गर्म-गर्म मनी मुंह में निकालकर पीऊंगी… ठीक है ना पापा?”
बाथ लेने के बाद पापा मुझे अपनी गोद में उठाकर बेड पर ले गए। मैं नंगी पापा की गोद में अजीब सी लग रही थी। छोटी सी नन्ही बेबी की तरह मैं पापा की बाहों में थी।
बेड पर पापा की तरफ करवट लेकर लेटकर मैंने अपनी मुट्ठी में पापा का खड़ा हुआ सख्त लंड पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता पापा के लंड को सहलाती रही। मुझे अपने पापा पर बेहद प्यार आ रहा था, जिन्होंने एक ही रात में अपनी बेटी को कली से फूल बना दिया था। मैं लड़की और लड़के के सेक्स रिलेशंस से ना-आशना थी। पापा के साथ एक ही रात में, मैं सब कुछ सीख गई, समझ गई और वो भी भरपूर मजा के साथ।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
पापा का लंड पकड़े-पकड़े मैं पापा के ऊपर होकर अपने पापा को किस करने लगी। पापा आंखें बंद किए लेटे थे। मैंने पापा के लिप्स अपनी लिप्स मिलाकर खूब किस करने लगी। फिर पापा की आंखों, गालों और गर्दन पर किस करती रही। पापा ने अपने एक हाथ बगल के नीचे डालकर मुझे अपने साथ जोर से चिपटा लिया। किसिंग करते-करते मैंने पापा से पूछा:
“पापा मैं कैसी लगती हूं आपको?”
“बहुत प्यारी, बहुत खूबसूरत,” पापा ने जवाब दिया।
“आप कितना प्यार करते हैं मुझसे, पापा?”
“मेरी बेटी बहुत ही प्यारी है और मैं अपनी बेटी से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं।”
“पापा आप अब मुझे बेटी वाला प्यार ज्यादा करेंगे, या ये सेक्स वाला?”
“ये सब तुम क्यों पूछ रही हो जानू।”
“बताएं ना पापा…”
“मेरे और तुम्हारे दरमियान असल रिश्ता तो बाप-बेटी का ही है, जिस के नाते मैं अपनी बेटी को जान से भी ज्यादा प्यार करता हूं,” पापा कहते जा रहे थे… “तुम मेरी जिंदगी हो बेटी, बहुत ही प्यारी, और इतनी हसीन और मासूम कि बता नहीं सकता। बाप-बेटी होने की वजह से हमारे बीच जो कुछ भी हुआ, वो गलत हुआ। गुनाह हुआ। लेकिन जो कुछ भी सेक्शुअली हमारे बीच हुआ, वो सेक्स की भूख की वजह से हुआ। इंसान कमजोर होता है। मैं एक साल से सेक्स नहीं कर सका था। सेक्स की शिद्दत और डिमांड मेरे जिस्म के अंदर आग लगा रही थी। मैं सेकंड मैरिज कर सकता था, मगर इसलिए नहीं किया कि उसकी वजह से मेरी बेटी की लाइफ पर बुरा असर होता।” पापा थोड़ा सांस लेने को रुके, फिर कहने लगे…
“बेटी जो कुछ भी हमारे बीच हुआ, वो बिल्कुल अचानक और एक्सिडेंटली हो गया। ना मैं नंगा होके अपने लंड की मुट्ठी लगा रहा होता, ना तुम डरकर अचानक पापा के बेडरूम में एंटर होतीं, ना मुझे इस हालत में देखकर तुम्हारे जज्बात भड़कते। खैर अब तो जो होना था वो हो गया… मैं अपनी जानू को बेटी और सेक्स लवर दोनों तरह प्यार करता हूं। एक सेक्स लवर के तौर पर, तुम बेहद मजेदार चीज हो। मेरी बेटी का जिस्म बिल्कुल बटर जैसा चिकना और सॉफ्ट है। तुमसे ज्यादा मजा मुझे चोदने का कभी नहीं आया—तुम्हारी मम्मी के साथ भी नहीं।”
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“पापा अब आप ऐसे ही करते रहेंगे ना मेरे साथ? मैं आपसे प्रॉमिस करती हूं कि कभी भी किसी को हमारे इस रिलेशन के बारे में नहीं बताऊंगी। आपको एक अच्छी बेटी का प्यार भी दूंगी, और एक सेक्स-लविंग वाइफ का प्यार भी दूंगी।” मैं कहती गई— “पापा जब आपका दिल करे, मुझे चोदें। और जिस तरह भी आपका दिल करे, आप मुझे चोदें। मेरा पूरा जिस्म आपके लिए है पापा। मेरे मुंह में लंड डालकर चोदें, या मेरी चूत को चोदें, या मेरे जिस्म से खेलें। मैं आपको पूरा एंजॉय करवाऊंगी।”
ये कहते हुए मैंने पापा का लंड जोर से अपनी मुट्ठी में भींच लिया। पापा की सिसकारी निकल गई। पापा का लंड काउ की नली की तरह सख्त हो रहा था।
“पापा, बहुत सख्त और मोटा लंड है आपका, तभी तो मेरी चूत में जाकर फंस गया था। मैं तो डर गई थी कि अब कभी बाहर निकलेगा ही नहीं, और हमें इसी हालत में डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा।”
पापा मेरी बात सुनकर हंस पड़े।
“पापा चूसूं आपका लंड?”
“जानू, पापा का लंड तुम्हारे हाथ में है, जो जी चाहे करो!”
पापा बिल्कुल सीधे लेटे हुए थे और उनका लंड बिल्कुल स्ट्रेट सीलिंग की तरफ मुंह किए तना हुआ खड़ा था। मेरा दिल चाहा कि पापा के इतने हसीन लंड पर, के जिसकी पर्पल टोपी से चिकना-चिकना पानी निकल रहा था, मैं अपनी चूत रखके बैठ जाऊं। लेकिन थकान की वजह से हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने लेटे ही लेटे पापा के ऊपर आकर अपनी टांगें पापा के मुंह की तरफ करते हुए पापा के लंड की टोपी को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। पापा के लंड का चिकना-चिकना ट्रांसपैरेंट पानी मेरे मुंह के अंदर टपकने लगा।
पापा ने भी मेरी गांड को पकड़कर मेरी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, और साथ ही साथ मेरी गांड पर भी हाथ फेरते रहे। मुझे मस्ती चढ़ने लगी थी। लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ चोदने के बारे में सोचती, पापा एकदम अपनी हिप्स को ऊपर उठाकर लंड मेरे मुंह में देने लगे, और फ्यू सेकंड्स में ही पापा के लंड से गर्म-गर्म क्रीमी जैसी टेस्टी मनी मेरे मुंह में जेट की तरह निकलने लगी। मैं जल्दी-जल्दी अपने पापा की सारी मनी पी गई। एक ड्रॉप भी बाहर नहीं निकलने दिया। पापा अपनी हिप्स को उठा-उठाकर अपना लंड मेरे मुंह में डाल रहे थे।
पापा की मनी पीकर मैं फिर पापा के चिकने लंड के ऊपर ही सिर रखकर सो गई।
तो दोस्तो अब जान ही गए होंगे आप सब कि हम बाप-बेटी का जब भी चुदाई का मन करता हम जी भरकर चुदाई करते हैं।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
क्या आपको ये कहानी पसंद आई? कमेंट में बताएं कि अगला पार्ट कैसा चाहते हैं!