मेरा नाम राहुल है। मैं 24 साल का हूँ और दिल्ली में रहता हूँ। एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ, और मेरी ज़िंदगी आम तौर पर काम और घर के बीच ही घूमती थी। लेकिन पिछले हफ्ते की एक घटना ने मेरी ज़िंदगी में आग लगा दी। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है, पारुल, उम्र 22 साल। उसका फिगर ऐसा है कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उसकी गांड इतनी भारी और गोल है कि जब वो चलती है, तो हर कदम पर उसका उछाल देखकर मन करता है कि बस अभी पकड़कर चोद दूँ। उसकी कमर पतली, चुचे सॉलिड और टाइट कपड़ों में वो किसी जन्नत की हूर से कम नहीं लगती। मैं अक्सर उसे चुपके से ताड़ता और सोचता कि काश, इसे बिस्तर पर लिटाकर चोद सकूँ।
लगभग दस दिन पहले की बात है। मैं ड्यूटी से थककर घर लौट रहा था, तभी रास्ते में पारुल की मम्मी, शीला आंटी, बाज़ार से सब्जी लेकर आ रही थीं। उनका बैग भारी था, और वो उसे उठाने में परेशान दिख रही थीं। मैं उनके पास गया और बोला, “आंटी, मैं बैग उठा लूँ?” मैंने उनका बैग लिया और उनके साथ घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में बातचीत शुरू हुई।
आंटी ने थकी आवाज़ में कहा, “राहुल, तेरा बहुत शुक्रिया। आजकल कमर में दर्द रहता है, भारी सामान उठाना मुश्किल हो गया है।”
मैंने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं आंटी, आप रमन को साथ ले जाया करो।”
आंटी ने हँसकर जवाब दिया, “वो तो एग्ज़ाम की तैयारी में बिज़ी रहता है। वैसे, राहुल, तू मेरी एक और मदद कर दे।”
मैंने तुरंत पूछा, “क्या बात है, आंटी?”
आंटी ने गंभीर होकर कहा, “पारुल जॉब ढूंढ रही है। तू अपनी कंपनी में या कहीं और उसकी जॉब लगवा दे।”
मैंने बिना हिचक कहा, “ठीक है आंटी, मैं जल्दी से कुछ करता हूँ।”
बात करते-करते हम उनके घर पहुँच गए। बाहर पारुल खड़ी थी। उसने टाइट कुर्ती और लेगिंग्स पहनी थी, जिसमें उसकी गांड और चुचे इतने उभरे हुए थे कि मेरा मन उसे वहीँ दबोचने का हुआ। मैंने आंटी को बैग दिया और अपने घर चला गया, लेकिन पारुल की वो मादक छवि मेरे दिमाग में छप गई।
अगले दिन सुबह 9 बजे के आसपास मैं बाहर निकला, तो पारुल फिर दिखी। वो मेरे पास आई और बोली, “राहुल, मम्मी ने बताया कि तू मेरी जॉब के लिए बात करेगा?” उसकी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन उसकी आँखों में एक कामुक चमक थी। मैंने उसका नंबर लिया और बोला, “हाँ, मैं बात करूँगा। अभी ड्यूटी के लिए लेट हो रहा हूँ, बाद में कॉल करता हूँ।” वो मुस्कुराई, और मैं चला गया।
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दिनभर काम में उलझा रहा, और मैं पारुल की बात भूल गया। रात 10 बजे उसका मैसेज आया, “हैलो!” मुझे तभी याद आया। मैंने जवाब दिया, “हैलो पारुल!”
वो बोली, “किसी से बात की?”
मैंने झूठ बोल दिया, “हाँ, दो जगह बात हुई है। एक-दो दिन में तेरा इंटरव्यू फिक्स हो जाएगा।”
पारुल ने खुशी से कहा, “थैंक्स राहुल!” फिर हमने इंटरव्यू की तैयारी और कुछ इधर-उधर की बातें की।
सोने से पहले मैंने उसकी डीपी देखी। उसने टाइट सूट और पजामी पहनी थी, जिसमें उसकी गांड और चुचे ऐसे उभर रहे थे कि मेरा 7 इंच का लंड तुरंत तन गया। मैंने अपने लंड को सहलाया, पारुल को चोदने की कल्पना की, और मुठ मारकर सो गया।
अगले दिन दोपहर को मैंने उसे मैसेज किया, “कल तेरा इंटरव्यू है, नोएडा सेक्टर-1 में। पूरी तैयारी कर ले।” उसने तुरंत जवाब दिया, “ठीक है, थैंक्स!”
शाम को घर लौटते वक्त आंटी फिर मिलीं। उन्होंने कहा, “राहुल, पारुल तो कभी अकेले बाहर नहीं गई। क्या तू उसके साथ जा सकता है?” मैंने मौके का फायदा उठाया और तुरंत हाँ बोल दिया।
रात को पारुल से फिर बात हुई। मैंने उसे मेरे साथ आने को कहा क्योंकि मेरी छुट्टी थी। बातों-बातों में मैंने फ्लर्ट शुरू किया, “वैसे पारुल, तू इतनी हॉट है, इंटरव्यू में तो सब तेरे दीवाने हो जाएँगे।” वो हँसते हुए बोली, “अच्छा? तू भी तो कुछ कम नहीं है!” उसका ये अंदाज़ मेरे लंड को और उकसा रहा था।
अगले दिन सुबह हम दोनों नोएडा के लिए निकले। पारुल ने टाइट जींस और रेड टॉप पहना था, जिसमें उसकी गांड और 34C की चुचियाँ इतनी उभरी हुई थीं कि मेरा लंड बार-बार तन रहा था। बाइक पर वो मेरे पीछे बैठी, और मैं जानबूझकर बीच-बीच में ब्रेक मारता ताकि उसके चुचे मेरी पीठ से टकराएँ। हर बार जब वो सटती, मेरे बदन में सिहरन दौड़ जाती।
हम इंटरव्यू लोकेशन पर पहुँचे। पारुल इंटरव्यू देने गई और एक घंटे बाद लौटी। वो इतनी खुश थी कि उसने आते ही मुझे गले लगा लिया। उसका गर्म बदन मेरे बदन से टकराया, और मेरा लंड फिर तन गया। वो चहकते हुए बोली, “राहुल, मेरा सलेक्शन हो गया!” मैंने उसे बधाई दी, और हम पास के रेस्टोरेंट में लंच करने गए। वहाँ उसकी हर हरकत मुझे और दीवाना कर रही थी।
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रात को 12 बजे उसका मैसेज आया, “थैंक्स राहुल, तेरी मदद के लिए!” मैंने मज़ाक में कहा, “जॉइनिंग हो गई, अब पार्टी तो बनती है!” वो बोली, “बता, क्या चाहिए पार्टी में?” मैंने शरारत से कहा, “जब दोगी, तब बता दूँगा।” उसने हँसते हुए इमोजी भेजा, और मुझे लगा कि वो भी मेरी तरह मूड में है।
अगले तीन दिन हम दोनों साथ में ऑफिस आने-जाने लगे। इस दौरान पारुल की मम्मी, पापा और भाई रमन किसी रिश्तेदार की शादी में गाँव गए। पारुल ने जॉइनिंग की वजह से मना कर दिया। वो लोग दो दिन बाद लौटने वाले थे।
पारुल ने मुझे अगले दिन अपने घर बुलाया। मुझे लगा कि इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा। रात को मैंने पारुल की कल्पना में मुठ मारी और सुबह जल्दी उसके घर पहुँच गया।
पारुल किचन में चाय बना रही थी। उसने टाइट शॉर्ट्स और क्रॉप टॉप पहना था, जो उसके बदन से चिपका हुआ था। उसकी गांड इतनी मादक लग रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया। मैं चुपके से उसके पीछे गया और उसे हग कर लिया। मेरा लंड उसकी गांड की दरार में सट गया। वो हल्का सा मुड़ी, मुझे देखा, और फिर चाय बनाने लगी। मैंने अपने लंड को उसकी गांड पर और ज़ोर से दबाया, उसकी गांड की मुलायम दरार में रगड़ने लगा। मैंने उसके कान को चूमा और उसकी गर्दन पर हल्के-हल्के काटने लगा।
पारुल ने धीमी आवाज़ में कहा, “राहुल, रुको… चाय गिर जाएगी।”
मैंने हँसते हुए गैस बंद की और बोला, “इस वक्त मुझे सिर्फ़ तू चाहिए।”
मैंने उसे पलटाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो भी पूरा साथ दे रही थी। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और उसके होंठों का रस इतना मीठा था कि मैं बस चूसता ही जा रहा था। मेरा एक हाथ उसकी चूची पर था, जो टॉप के ऊपर से ही सख्त और भारी लग रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूची को दबाना शुरू किया, और दूसरा हाथ उसकी गांड पर ले जाकर उसकी दरार में उंगलियाँ फेरने लगा।
मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। वो हल्का सा हंस रही थी, लेकिन उसकी आँखों में कामुक चमक थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसका टॉप उतार दिया। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी 34C की चुचियाँ गोल और सख्त थीं, जिनके गुलाबी निप्पल देखकर मेरा लंड और तन गया। मैं उसकी दायीं चूची पर टूट पड़ा, उसे चूसने और काटने लगा। पारुल सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह्ह… राहुल… और ज़ोर से…”
मैंने उसकी बायीं चूची को दबाया और निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मैं उनमें खो गया। मेरा दूसरा हाथ उसकी शॉर्ट्स के ऊपर से उसकी चूत को सहला रहा था। मैंने धीरे से उसकी शॉर्ट्स में हाथ डाला। उसने पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी चूत गीली थी, और उसका कामरस मेरी उंगलियों पर लग रहा था। मैंने दो उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं, और वो सिसक उठी, “उह्ह्ह… राहुल… धीरे…”
पारुल ने मेरी शर्ट उतारी और मेरे सीने को चूमने लगी। उसकी गर्म साँसें मेरे बदन पर पड़ रही थीं। उसने मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाना शुरू किया। फिर उसने मेरी पैंट और कच्छा उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड तना हुआ था, और जैसे ही वो सामने आया, उसका टोपा पारुल के गाल से टकराया। उसकी आँखों में चमक आ गई। वो मेरे लंड को मुँह में लेने लगी।
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मैंने मज़ाक में पूछा, “पारुल, इतना मस्त लंड चूसना कहाँ से सीखा?”
वो हँसते हुए बोली, “एक बार मैंने मम्मी को उनके दोस्त के साथ चुदते देखा था।” ये सुनकर मेरे दिमाग में आंटी की तस्वीर उभरी, और मैंने सोचा कि मौका मिले तो आंटी को भी चोदूँगा।
पारुल मेरे लंड को चूस रही थी, उसकी जीभ मेरे टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और ज़ोर-ज़ोर से उसके मुँह में धक्के मारने शुरू किए। कुछ देर में मैं इतना उत्तेजित हो गया कि उसके मुँह में ही झड़ गया। वो सारा माल निगल गई और मुझे शरारती नज़रों से देखने लगी।
अब मेरी बारी थी। मैंने पारुल को बेड पर लिटाया और उसकी शॉर्ट्स उतार दी। उसकी चूत चिकनी और गुलाबी थी, जिस पर एक भी बाल नहीं था। उसकी चूत से कामरस रिस रहा था। मैंने उसकी जाँघों को चाटना शुरू किया, और धीरे-धीरे उसकी चूत के पास पहुँचा। जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत से टकराई, वो तड़प उठी, “आह्ह्ह… राहुल… चूसो… और ज़ोर से…”
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, उसकी क्लिट को जीभ से सहलाया। उसकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक डाली, और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगी, “उह्ह्ह… आह्ह्ह… राहुल… मैं मर जाऊँगी…” कुछ देर में वो झड़ गई, और उसका कामरस मेरे मुँह में आ गया। मैंने सारा रस चाट लिया।
हम दोनों फिर एक-दूसरे को चूमने लगे। मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने पारुल से कहा, “इसे फिर से चूस।” उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में लिया और उसे चिकना कर दिया। मैंने पारुल की गांड के नीचे तकिया लगाया, उसके दोनों पैर हवा में फैलाए, और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
पारुल सिसक रही थी, “आह्ह्ह… राहुल… प्लीज़… जल्दी डालो…”
मैंने हल्का सा धक्का मारा, लेकिन मेरा लंड फिसल गया। मुझे समझ आया कि उसकी चूत बहुत टाइट है। मैंने थोड़ा ल्यूब्रिकेंट लिया, अपने लंड पर लगाया, और फिर धीरे से धक्का मारा। मेरा लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। वो दर्द से चीख पड़ी, “आह्ह्ह… राहुल… नहीं… बहुत दर्द हो रहा है…”
मैंने उसे चूमते हुए कहा, “पहली बार में होता है, थोड़ा रुक।” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जैसे फंस सा रहा था। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसकी चूत से खून की बूँदें टपकने लगीं। वो दर्द से मेरा सीना नोच रही थी, “आह्ह्ह… ईईई… राहुल… रुक जाओ…”
मैं 5 मिनट रुका, उसके होंठ चूमता रहा, उसकी चूचियों को सहलाता रहा। जब उसका दर्द कम हुआ, मैंने फिर से धक्का मारा, और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो फिर चीखी, “आह्ह्ह… ईईई…” लेकिन अब उसका दर्द मज़े में बदल रहा था। वो अपनी गांड हिलाने लगी, और मैंने चोदना शुरू कर दिया।
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मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने कहा, “पारुल, तेरी चूत कितनी टाइट है… मेरा पूरा लंड ले लिया।”
वो सिसकते हुए बोली, “हाँ राहुल… और ज़ोर से… चोदो मुझे…”
15 मिनट तक मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा। उसकी चूत का गीलापन और टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी। वो भी नीचे से गांड उछालकर मेरा साथ दे रही थी। फिर मैं थक गया, तो मैंने उसे अपने ऊपर बिठाया। उसने एक ही बार में मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से उछलने लगी, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… राहुल… कितना मज़ा आ रहा है…”
मैं उसकी उछलती चूचियों को देख रहा था और उसकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था। उसकी गांड लाल पड़ गई थी। मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया और नीचे से ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसकी चूचियों को चूसते हुए मैंने स्पीड बढ़ाई। वो चरम पर पहुँच गई और ज़ोर से चीखी, “आह्ह्ह… ईईई… राहुल… मैं झड़ रही हूँ…” उसका बदन काँपने लगा, और वो झड़ गई।
मैंने उसे फिर से नीचे लिया और ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू किया। वो भी मेरा साथ दे रही थी, “हाँ राहुल… और तेज़… चोदो मुझे…” 10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ चरम पर पहुँचे। मेरा लंड उसकी चूत में झड़ा, और हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे के बगल में लेट गए।
आधे घंटे बाद हम दोनों उठे और साथ में शावर लेने गए। शावर में उसका गीला बदन देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे दीवार से सटाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया। वो घोड़ी बनकर चुदने लगी, “आह्ह्ह… राहुल… और ज़ोर से…” मैंने आधे घंटे तक उसे शावर में चोदा, और फिर हम बाहर आए।
मैं जल्दी से तैयार हुआ और अपने घर चला गया। इसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई करते।
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