भाई, मुझे भी तो तेरा लंड दिखा

Muhboli behan ki chut chudai हैलो दोस्तों, मेरा नाम रणबीर है और मैं बिहार से हूँ। मैं आईटीआई की पढ़ाई कर रहा हूँ, मेरी हाइट ५ फुट १० इंच है, और मेरा लंड ७ इंच लंबा है, जो काफी मोटा और ताकतवर है। मैं चुदाई का बहुत शौकीन हूँ, और सेक्सी कहानियाँ पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। इन कहानियों से मुझे इतनी प्रेरणा मिली कि मैंने सोचा, अपनी जिंदगी की एक सच्ची घटना आप सबके साथ शेयर करूँ। ये कहानी मेरी और मेरी मुंहबोली बहन अनुप्रिया की है, जो मेरी पड़ोसन है। अनुप्रिया २२ साल की है, दिखने में बिलकुल मधुबाला जैसी खूबसूरत, उसका फिगर ३४-२८-३६ का है – बड़े-बड़े दूध, पतली कमर और मोटी गांड जो किसी को भी पागल कर दे। वो गोरी-चिट्टी है, लंबे बाल और बड़ी-बड़ी आँखें। हम दोनों के घर सटे हुए हैं, और हमारे परिवार बहुत घुले-मिले हैं। वो मुझे हर रक्षाबंधन पर राखी बाँधती है, लेकिन मेरे मन में उसके लिए हमेशा से वासना थी। मैं उसे चोदना चाहता था, चाहे जैसे भी हो।

ये बात पिछले साल २०१६ की है। मेरे घर में मम्मी, पापा और मैं रहते हैं। मैं घर का इकलौता लड़का हूँ। पड़ोस में अनुप्रिया के घर में उसके मम्मी-पापा और वो अकेली लड़की है। हमारे घरों में इतना घुलना-मिलना है कि लगता है एक ही परिवार हैं। अनुप्रिया मेरी मुंहबोली बहन है, लेकिन जवान होने के बाद से मेरे मन में उसके लिए गंदे ख्याल आने लगे। मैं उसे चोदने के सपने देखता था। वो जब भी मेरे साथ बाइक पर जाती, रास्ते में ब्रेक लगाने पर या गड्ढों में उछलने पर उसके बड़े-बड़े दूध मेरी पीठ से टकराते, तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता। मैं हर रात उसे याद करके मुठ मारता था, उसके दूध दबाने और चूत चोदने की कल्पना करता।

एक दिन हमारे दोनों परिवारों ने वैष्णो देवी घूमने का प्लान बनाया। सबका रिजर्वेशन हो गया, १० दिनों का टूर था। हम सब तैयार थे, लेकिन जाने से एक दिन पहले अनुप्रिया की तबीयत खराब हो गई। उसे तेज बुखार आ गया। जाने वाले दिन उसके मम्मी-पापा ने मना कर दिया कि वो नहीं जा सकती। मैंने सबको समझाया, “अगर आप लोग नहीं जाओगे तो हम भी नहीं जाएँगे, और रिजर्वेशन के पैसे बर्बाद हो जाएँगे। बेहतर है आप सब जाओ, मैं यहीं रुककर अनुप्रिया की देखभाल करूँगा।” सब मान गए। दो घंटे बाद उनकी ट्रेन थी, मैं उन्हें स्टेशन छोड़कर घर आ गया। अब घर में सिर्फ मैं और अनुप्रिया थे।

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मैं उसके पास गया, वो बिस्तर पर लेटी थी, कमजोर लग रही थी। मैंने पूछा, “तुझे कैसा लग रहा है?” वो बोली, “भाई, बुखार है, ठंड लग रही है।” मैंने कहा, “सूप बना दूँ क्या?” वो बोली, “हाँ, प्लीज।” मैं किचन में गया, सूप बनाया – सब्जियाँ काटकर, मसाले डालकर, अच्छे से उबालकर। फिर उसे सहारा देकर उठाया, उसके कंधे पर हाथ रखा, वो मेरे करीब आई तो उसकी गर्मी महसूस हुई। वो बैठकर सूप पीने लगी, धीरे-धीरे चम्मच से। उसे मेरा ये सब करना अच्छा लग रहा था, वो मुस्कुराई और बोली, “तुम क्यों नहीं गए?” मैंने कहा, “तेरी तबीयत खराब है, तुझे अकेला कैसे छोड़ देता?” वो बोली, “तू मेरा बहुत अच्छा भाई है।” मैंने हँसकर कहा, “हाँ, तेरे लिए बस भाई ही हूँ न?” वो बोली, “नहीं रे पागल, तू सब कुछ है मेरे लिए।” मैंने मजाक में कहा, “बॉयफ्रेंड भी हूँ क्या?” वो भी मजाक में बोली, “हाँ रे पगले, तू मेरा बॉयफ्रेंड है।” मैंने उसे गले लगा लिया, “आई लव यू अनुप्रिया।” वो बोली, “आई लव यू भाई।” हम दोनों हँसने लगे। फिर मैंने कहा, “चल अब आराम कर, मैं यहीं रुक रहा हूँ जब तक घरवाले नहीं आते।”

दो दिन बाद वो ठीक हो गई। मैं खुश था, लेकिन अब मन में फिर वासना जागने लगी। तीसरे दिन वो नहाकर निकली, सिर्फ ऊपर सलवार पहनी थी, नीचे कुछ नहीं – उसके दूध साफ दिख रहे थे, गीले बालों से पानी टपक रहा था। वो इतनी मस्त लग रही थी कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैं उसे चोदने का प्लान बनाने लगा। चार दिन से मैं मुठ मार रहा था, रोज रात को उसके बारे में सोचकर। एक दिन वो नहाने गई, मैं कमरे में था, सोचा वो देर से आएगी। मैंने अपना लंड निकाला, आँखें बंद करके मुठ मारने लगा – “अनुप्रिया… आह… अनुप्रिया… आआह… आ जा जानेमन, तुझे चोद दूँ… तेरी चूत फाड़ दूँ…” अचानक वो पीछे से आ गई, बोली, “ये क्या कर रहे हो रणबीर!” मैं घबरा गया, जल्दी से लंड अंदर डाला, “कु… कुछ नहीं… मैं कुछ नहीं कर रहा था।”

वो बोली, “ज्यादा बनने की कोशिश मत करो, मैंने सब देख लिया और सुन लिया।” मैं डर गया, सोचा कहीं घरवालों को बता न दे। मैंने सॉरी कहा, “माफ़ कर दे, अब नहीं करूँगा, प्लीज किसी को मत बताना।” वो मुस्कुराई, “अरे पगले, अब ये बात मैं किसी को क्यों बताऊँगी? मुझे भी तो तेरा लंड दिखा, देखूँ तो कैसा है।” मैं हैरान हो गया, लेकिन उत्सुक भी। मैंने लंड निकाला, जो ७ इंच का तना हुआ था, मोटा और लाल। वो देखकर खुश हो गई, “वाह, इतना बड़ा लंड!” वो आगे आई, लंड हाथ में लिया, हिलाने लगी। धीरे-धीरे ऊपर-नीचे, उसकी उँगलियाँ नरम थीं, मैं सिहर उठा। फिर वो झुकी, लंड पर किस किया, जीभ से चाटा, फिर मुँह में ले लिया। वो चूसने लगी – पहले टोपे को, फिर पूरा लंड अंदर-बाहर। मैं आहें भरने लगा, “आआह… आहह… अनुप्रिया… आआह… कितना अच्छा चूस रही है… आआह…” वो ग्लक-ग्लक की आवाजें निकाल रही थी, लार बह रही थी। मैं उसके बाल पकड़कर धक्के देने लगा, लेकिन हल्के से, डर था कहीं दर्द न हो।

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फिर मैंने उसे खड़ा किया, हम दोनों एक-दूसरे के होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगे। पहले हल्का किस, फिर जीभ अंदर डाली, चाटने लगे। कमरा गर्म हो गया, साँसें तेज। मैंने उसके होंठ चूसे, काटा हल्का, वो सिसकारी, “आह… भाई… धीरे…” लेकिन रुकी नहीं। मैंने उसके दूध दबाए सलवार के ऊपर से, वो बड़े-बड़े, नरम। फिर सलवार उतारी, ब्रा नहीं थी, दूध बाहर आ गए – गुलाबी निप्पल, सख्त। मैं एक दूध मुँह में लिया, चूसने लगा जोर से, जीभ से घुमाया निप्पल पर। वो कराहने लगी, “आआह… आहह… आराम से चूस न… मैं कहाँ भाग रही हूँ… आआह… हाहा… धीरे करो…” मैंने कहा, “बस जानेमन, आज जी भरकर चूस लूँ… तेरे दूध कितने स्वादिष्ट हैं…” मैं दूसरे दूध पर गया, दबाते हुए, चूसते हुए। १० मिनट तक चूसा, उसके दूध लाल हो गए, वो मेरे सिर को दबा रही थी छाती पर।

फिर मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं, वो अभी भी सिर्फ सलवार उतारी थी, नीचे पैंटी थी। मैंने पैंटी उतारी, उसकी चूत साफ, गुलाबी, गीली हो चुकी थी। चूत से मीठी खुशबू आ रही थी, मैंने जीभ लगाई, चाटने लगा। पहले ऊपर से, फिर क्लिट पर जीभ घुमाई। वो मदहोश हो गई, “आआह… आहह… क्या कर रहा है… आआह… इतना अच्छा लग रहा है…” मैंने चूत के होंठ चाटे, जीभ अंदर डाली, चूसने लगा। वो कमर उचकाने लगी, हाथ मेरे बालों में। फिर मैंने उँगली डाली, एक उँगली से चोदने लगा, चाटते हुए। वो चिल्लाई, “आआह… हाहाहा… आहह्ह्ह… आआह… और तेज… आआह… पागल कर रहा है…” १५ मिनट तक चाटा, उसकी चूत से पानी बह रहा था। वो बोली, “अब नहीं रहा जाता… चोद मुझे…”

उसने मुझे लेटाया, मेरा लंड फिर चूसा – १० मिनट तक, गहराई से, गेंदें चाटीं। बोली, “चलो अब, चोद दो मुझे… तेरी बहन की चूत फाड़ दो…” मैंने उसे कुतिया बनाया, पीछे से लंड सेट किया चूत पर, रगड़ा हल्का। वो बोली, “डाल ना… आआह…” मैंने धक्का दिया, लंड अंदर गया, टाइट चूत थी। वो चीखी, “आआआह… दर्द हो रहा है… लेकिन मजा आ रहा है…” मैंने धक्के मारे, धप-धप की आवाजें, लंड अंदर-बाहर। वो कराह रही थी, “आआह… आहाहा… चोद… और जोर से… आआह… तेरी बहन हूँ मैं… फाड़ दे चूत…” मैंने पोजीशन बदली – मिशनरी, उसके ऊपर चढ़कर चोदा, दूध दबाते हुए। फिर साइड से, वो मेरी कमर पकड़कर धक्के दे रही थी। २० मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था, लंड निकाला, माल उसकी चूत पर छोड़ा।

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फिर वो मेरे लंड को सहलाकर खड़ा किया, बोली, “फिर से चोद… अभी मन नहीं भरा।” हमने फिर चुदाई शुरू की – इस बार और लंबी, अलग-अलग पोज में। पहले वो ऊपर आई, मेरे लंड पर बैठी, उछलने लगी, उसके दूध हिल रहे थे। मैं नीचे से धक्के दे रहा था, “आआह… तेरी चूत कितनी टाइट है… मजा आ रहा है…” वो बोली, “हाँ भाई… चोद मुझे… तेरी रंडी हूँ मैं…” फिर डॉगी में, मैंने गांड पर थप्पड़ मारे, जोर से चोदा। धप-धप-धप की आवाजें, पसीना बह रहा था। वो हाँफ रही थी, “आआह… हाहाहा… और… आआह… झड़ रही हूँ…” मैंने भी माल अंदर छोड़ा इस बार, लेकिन सेफ तरीके से।

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जब तक घरवाले नहीं आए, हम रोज चुदाई करते – कभी सुबह, कभी रात। मौका मिलते ही, बहाने से। अब भी जब मौका मिलता है, चुदाई कर लेते हैं।

दोस्तों, कैसी लगी मेरी कहानी? क्या आपने भी कभी ऐसी मुंहबोली बहन के साथ चुदाई की है? कमेंट्स में बताओ, और ज्यादा डिटेल्स चाहो तो कहना।

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