मेरी दूसरी सुहागरात- 1

सेक्सी सुहागरात की कहानी मेरी दूसरी शादी के बाद की है. मेरी नयी बीवी सुंदर और भरी पूरी है. उसके साथ मैंने कैसे अपनी सुहागरात की शुरुआत की?

दोस्तो, आज मैं आपको अपनी एक नई कहानी बताने जा रहा हूँ।
वैसे तो आप कहानी के नाम से ही समझ गए होंगे कि कहानी किसी दूसरी शादी के बाद होने वाली सुहागरात की है.

मगर इसमें एक ट्विस्ट है जो आप कहानी पढ़ते पढ़ते जान जाओगे.

तो अपना अपना हाथ अपनी चड्डी में डाल लो, जिसके लंड है वो लंड पकड़ लो, जिसके चूत है, वो चूत पकड़ लो, बाकी अपनी गाँड में उंगली ले लो।
तो चलो चलते हैं, आइये आपको अपनी दूसरी सेक्सी सुहागरात की कहानी पूरे मसाले लगा लगा कर सुनाता हूँ।

मेरा नाम राजीव है और मैं अभी 44 साल का हूँ।

ये जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ, दो साल पुरानी है। मेरी बीवी को कैंसर था, और वो करीब 3 साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह गई।

मैं और मेरा एक बेटा दोनों अकेले रह गए, तो घर वाले मुझे समझाने लगे के अभी तुम्हारी उम्र भी ज़्यादा नहीं है, और तुम्हारा बेटा भी अभी छोटा है, तो तुम दूसरी शादी कर लो।
चाहता तो मैं भी अंदर से यही था, मगर यूं ही बेवजह घर वालों को, रिशतेदारों और दोस्तों को टालता रहा.

मगर फिर एक दिन मैं उनके सामने ऐसे एक्टिंग करी जैसे मैं उनकी दलीलों से हार मान गया हूँ।
तो मेरी अम्मा ने तो पहले से ही दो तीन लड़कियां तो नहीं कह सकते हाँ दो तीन औरतें ढूंढ रखी थी।
एक तलाक़शुदा थी और दो विधवा थी।

मुझे इन तीनों की तस्वीरें दिखाई गई.
और जो मुझे सबसे सुंदर और सेक्सी लगी मैंने उसके लिए हाँ कर दी।

उसका नाम है आशा!
आज की तारीख में वो मेरी पत्नी है और मैं उसे प्यार से आशु या आशी कह कर बुलाता हूँ।

उसके एक बेटी थी, खैर अभी भी है सिम्मी।
तो शादी की हाँ कहने के बाद घर वालों ने बात आगे बढ़ाई और करीब 15 दिन बाद मैं अपने माँ बाप के साथ फिर से लड़की (औरत) देखने गया।

उसकी उम्र थी 37 साल, गोरा रंग, भरा हुआ बदन। विधवा थी, मगर फिर भी मुझे पहली नज़र में ही वो भा गई।

शायद मैं भी उसे पसंद आ गया, तो एक छोटी सी मंगनी की रसम के बाद हमारी शादी का दिन भी आ गया।
तो 12 मार्च, 2019 को हमारी शादी हो गई.

बहुत ही छोटा सा फंक्शन था, सिर्फ घर के कुछ लोग, मेरे दो दोस्त।
अपने बेटे को न मैं लेकर गया, न वो अपनी बेटी को लेकर आई। हमने कोर्ट में शादी की थी।

बाद दोपहर हम लोग अपने घर आ गए, घर आने के बाद घर में ही छोटी सी पार्टी थी, दारू मीट तो सब चला।
हमारे घर में सभी खाते पीते हैं।

उसके बाद शाम तक सभी यार दोस्त, रिश्तेदार खा पी कर अपने अपने घर चले गए।

मेरे दोस्तों ने मेरी सेक्सी सुहागरात लिए ऊपर वाला कमरा सेट कर दिया था। मेरे बेटे को मेरी बहन अपने साथ ले गई, थी और उसकी बेटी अभी उसके माँ बाप के पास ही थी, अभी तक वो हमारे घर नहीं आई थी, उसने दो चार दिन बाद आना था।

रात का खाना खाकर करीब 10 बजे मेरे दोनों दोस्त मुझे मेरे कमरे तक छोड़ने गए.

अंदर उन दोनों की बीवियाँ मेरे नई दुल्हन के पास बैठी थी। हमें आते देख वो उठ खड़ी हुई।

उसके बाद मेरे दोस्त मुझे और मेरी बीवी को नई ज़िंदगी की मुबारकबाद देकर चले गए।
अब कमरे में हम दोनों अकेले रह गए।

मैंने कमरे के दरवाजे की कुंडी लगाई.

आशा बिस्तर पर बैठी थी मगर उसने कोई फिल्मी स्टाइल में घूँघट नहीं निकाला था। वो बड़े आराम से बेड की पुश्त से पीठ टिका कर बैठी थी।
मैंने मन में सोचा, चल बढ़िया हुआ यार तुम्हें भी चूत मिल गई, अब जम कर पेलना इसे!

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मगर अब वो मेरी बीवी थी, को बाजारू औरत तो थी नहीं.

मैंने बड़े आराम से उस से पहले बातों बातों में खुलने का फैसला किया. चुदाई के लिए तो सारी ज़िंदगी पड़ी थी.

तो मैंने सोचा पहले बातें करते हैं, दिल मिलाते हैं, जिस्म तो कभी भी मिला लेंगे।

मैंने उसके पास जा कर कहा- हैलो आशा!
वो उठ कर खड़ी हुई और झुक कर मेरे पाँव छुए.

जब वो झुकी तो मैंने उसके सुर्ख ब्लाउज़ में झूलते उसके गोरे गोरे मम्में देखे, मैंने मन में सोचा ‘मम्में तो मस्त हैं साली के!’
मैंने उसके कंधे पकड़ कर उसे ऊपर उठाया- अरे इस तकल्लुफ की क्या ज़रूरत है, तुम तो मेरे बराबर की हो, आज के बाद गले मिला करो, पाँव मत छुआ करो।

वो बोली- आप मेरे पति हैं, दिन त्योहार पर तो पाँव छूने कर चलन है, वो तो अपना फर्ज़ मैं निभाऊँगी।
मैंने कहा- हाँ वो ठीक है, मगर तुम मेरे दिल की रानी हो।
कह कर मैंने उसे अपने सीने से लगाया.

तो उसके दोनों मस्त गोल मम्में मेरे सीने से लगे, बड़ी मस्त फीलिंग आई।
मैंने उसे बेड पर बिठाया और अपनी शेरवानी उतार कर साइड पर रख दी, जूते उतारे और उसके साथ ही बेड पर बैठ गया।

फिर मैंने अपनी जेब से एक छोटी सी डिबिया निकाली और उसे दी- ये तुम्हारे लिए!
उसने डिबिया खोली- अरे, डाइमंड रिंग!
उसके चेहरे की मुस्कान ने मेरे अंगूठी पर खर्चे पैसे खर्चे पैसे वसूल करवा दिये।

मैंने कहा- हाँ, आज तुम्हारे साथ ज़िंदगी की नई शुरुआत है, तो सोचा एक छोटे से गिफ्ट से करते हैं।

वो बोली- आप तो बहुत स्मार्ट है, जानते हैं कि लेडीज को क्या पसंद है।
मैंने कहा- अरे यार अब 16 की शादी शुदी ज़िंदगी बिताई है तो इतना तो इंसान औरतों के बारे में जान ही जाता है।

वो मेरी आँखों में देख कर मुसकुरा दी।

एक बार सोचा कि इस से पूछ ही लूँ कि तुम्हें भी तो पता ही होगा कि मर्द किस चीज़ से खुश होते हैं, पर मुझे ये पूछना जल्दबाज़ी लगी.
तो मैंने इस सवाल को फिर बाद में पूछने के लिए छोड़ दिया।

मगर वो बोली- मगर मैं तो आपके लिए को गिफ्ट लेकर नहीं आई, मैं तो सोचती थी कि शायद मैं ही आपके लिए गिफ्ट हूँ।
एक तरीके से उसने मेरे सवाल का जवाब दे दिया.

मैंने कहा- हाँ ये तो सच है कि तुम ही मेरे लिए एक गिफ्ट हो, तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण और आने वाले जीवन में तुम्हारा मेरे साथ इस संबंध को निभाना ही सबसे बड़ा गिफ्ट होगा मेरी लाइफ का।

मैं उसके साथ सट कर बेड की पुश्त से अपने पीठ टिका कर बैठ गया.
तो उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया.

मैंने भी अपनी बाजू उसके पीछे से घुमाकर उसके कंधे पर हाथ रख लिया।
वो बोली- मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ।

पहले तो मुझे एक बार डर सा लगा के कहीं अपने किसी बॉयफ्रेंड के बारे में या अपने किसी गलत रिश्ते के बारे में न बोल दे।
मगर जो भी था, सुनना तो था ही, मैंने कहा- हाँ हाँ निसंकोच बोलो।

वो बोली- मैं सिर्फ ये चाहती हूँ कि जिस तरह आप अपने बेटे को प्यार करते हैं, वैसे ही मेरी बेटी को भी अपनी बच्ची समझ कर प्यार करना, बहुत प्यारी है वो!
मैंने कहा- अरे इसमें कहने की क्या बात है, अब जब तुम मेरी पत्नी हो तो वो भी मेरी बेटी है. एक पिता का हर फर्ज़ मैं अपने दोनों बच्चों के लिए निभाऊंगा. और इसी बात की अपेक्षा तुमसे भी रखूँगा।

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वो बोली- इस बात की आप चिंता मत करें. अपने हर रिश्ते को मैं बहुत ही प्रेम और विश्वास से निभाती हूँ।
मुझे उसकी बात बड़ी अच्छी लगी.

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ा और जो अंगूठी मैं लेकर आया था, उसकी उंगली में पहना दी.
तो वो पहले मेरे कंधे पर सर रखे थी, अब मेरी तरफ करवट लेकर मुझ से चिपक गई.

अब उसके दोनों मम्मों की नर्मी को मैं अपनी बगल में महसूस कर रहा था।
पैड वाली ब्रा पहने होने की वजह से उसके मम्में थोड़े कड़क से लगे।

मैंने उसके अंगूठी वाले हाथ को पकड़ा और अपने होंठों के पास लेजा कर पूछा- चूम सकता हूँ?
वो मुस्कुरा कर बोली- ज़रूर … अब आपको पूछने की कोई ज़रूरत नहीं, सब कुछ आपका ही है।

मैंने उसके हाथ पर चूमा ऐसे लगा, जैसे उसे करंट सा लगा हो।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- बड़ा झटका सा लगा।

मैंने कहा- झटका क्यों लगा, तुम तो पहले से शादी शुदा हो, बाल बच्चेदार हो, एक पुरुष का स्पर्श तुम्हें अजीब तो नहीं लगना चाहिए।
वो बोली- सही कहा आपने! मगर 3 साल बाद एकदम से इस तरह से एक प्रेमपूर्वक चुम्बन, इसने तो मेरे रोंगटे खड़े कर दिये।
मैंने कहा- कहाँ रोंगटे खड़े कर दिये, मुझे तो नहीं दिखे?
कहते हुए मैंने उसकी बाजू पर हाथ फेरा।

वो बोली- वो तो वेक्सिंग कारवाई है, इसलिए कोई बाल नहीं है।
मैं भी थोड़ा नीचे को खिसका और उसकी और करवट लेकर लेट गया.

अब हम दोनों एक दूसरे के सामने आ गए. उसके दोनों मम्में मेरे सीने से चिपक गए थे, आंचल थोड़ा सा हट गया, था तो उसकी खूबसूरत मखमली वक्षरेखा नज़र आई।
गोरे मम्मों के बीच में मेरा पहनाया हुआ मंगल सूत्र!

मैंने नीचे को देखकर कहा- ये मंगल सूत्र भी बड़ा किस्मत वाला है।
वो बोली- नहीं, ये नहीं … आप किस्मत वाले हो।
मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके माथे को चूम लिया तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैंने भी कस कर उसे अपनी आगोश में ले लिया।

बहुत दिनों बाद किसी औरत को अपनी बांहों में भरा था.
वैसे तो अपनी बीवी के जाने के बाद मैंने बहुत सी औरतों से संबंध बनाए थे, कुछ दोस्त थी, कुछ बाजारू!
मगर किसी के साथ इस तरह की फीलिंग नहीं आई थी क्योंकि सब की सब टाइम पास थी.

मगर यहाँ मुझे अपनेपन की फीलिंग आई तो मैंने अपनी टांग भी उसके ऊपर रख ली।

अब सब्र सा नहीं हो रहा था तो मैंने उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर को उठाई और उसके होंठों पर एक चुम्बन अंकित कर दिया।
बेशक उसने चुम्बन में मेरा साथ दिया, मगर एक कंपकंपी एक हरारत सी मैंने महसूस की।

मैंने पूछा- क्या हुआ आशी?
वो बोली- बड़ा अजीब सा लग रहा है।
मैंने कहा- क्यों, इस दौरान कोई दोस्त नहीं बनाया?
वो बोली- नहीं।

मैंने कहा- तुम खूबसूरत हो जवान हो, बहुत से लोगों ने तुम पर ट्राई किया होगा।
वो बोली- हाँ किया था, मगर मुझे हमेशा इस बात का डर लगा रहा कि अगर मैंने एक बार गलती कर ली तो हो सकता है, कल वही गलती मेरी बेटी के भविष्य में उसको नुकसान न पहुंचाए।

मैंने कहा- अरे वाह, बड़ी दूर की सोची, और अगर मुझ से शादी ही न होती तो?
वो बोली- सोचना पड़ता है, मर्द और औरत की सोच में बहुत फर्क पड़ता है, आपके पास एक बेटा है, आप अगर कोई गलती कर भी लेते तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, इस समाज में मर्द के लिए सब गुनाह माफ है, मगर मेरे किसी एक गुनाह की सज़ा मेरी बेटी भी भुगते, ये मुझे मंजूर नहीं था।

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मुझे इस बात की बड़ी तसल्ली हुई कि चलो बेशक कुँवारी तो नहीं मिली, मगर इधर उधर मुंह मारने वाली भी नहीं मिली।

मैंने प्यार में आ कर फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार थोड़ा ज़्यादा देर!
और होंठ चूमते वक्त अपनी जीभ से उसके नीचे के होंठ को चाटा भी!
उसने भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को हल्के सी छूआ।

मैंने पूछा- अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो कुछ और बातें करें?
वो बोली- आपसे कोई बात करने में मुझे कैसा ऐतराज?
मैंने कहा- नहीं, घर परिवार की नहीं, अपने बारे में, सिर्फ मेरे और तुम्हारे बारे में ताकि कल को हमें एक दूसरे की भावनाओं को समझने में कोई दिक्कत नहीं आए।

वो बोली- ओ के … आप मुझसे कुछ भी पूछ सकते हैं, मैं भी ये समझती हूँ कि ये हम दोनों की दूसरी शादी है, तो आपके मन में भी बहुत से सवाल हो सकते हैं. जो आप मुझसे पूछना चाहेंगे, मैं आपके हर सवाल का जवाब दूँगी।

मैंने कहा- मैं ये जानना चाहता हूँ कि सेक्स में तुम्हें क्या पसंद है, अब देखो हमारी शादी हो चुकी है, आज हमारी सुहागरात है, तो नेचुरली हम सेक्स तो कर ही सकते हैं. तो इससे पहले कि हम उस राह पर आगे बढ़ें, मैं चाहता हूँ कि हम एक दूसरे के विचारों, भावनाओं और जरूरतों को अच्छे से समझ लें!
वो बोली- बिल्कुल सही कहा आपने!

मैंने पूछा- देखो, अब हमारी वो जवान उम्र तो नहीं रही कि रोज़ ये सब कर सकेन. तो तुम कितने दिनो सेक्स करना पसंद करोगी?
वो बोली- ऐसा है कि ये आप पर ही निर्भर है, जब आपका दिल करे, आप बता देना, मैं आपको इंकार नहीं करूंगी, सिर्फ वो 4-5 दिन छोड़ कर!

मैंने कहा- तो क्या तुम रोज़ सेक्स कर सकती हो?
वो बोली- ये तो आप पर है, जब आपका दिल करे, रोज़, एक दो दिन छोड़ कर, हफ्ते बाद, महीने बाद!

मैं हंस पड़ा- अरे नहीं, महीने बाद नहीं, हाँ एक दो दिन छोड़ कर तो कर ही सकते हैं।
वो बोली- जैसे आपकी मर्ज़ी।

अब मैं थोड़ा ज़्यादा फ्री महसूस कर रहा था, तो मैंने उसके आँचल को हटा कर बड़े अच्छे से उसकी वक्षरेखा को देखा और उसको छूकर कहा- ये मेरी सबसे पसंदीदा चीज़ है. मुझे औरतों के बड़े
और गोल मम्में बहुत पसंद है. और बड़ा क्लीवेज तो मेरी कमजोरी है. मैंने चाहता हूँ कि तुम जो भी कपड़े पहनो, उसका गला थोड़ा बड़ा हो ताकि मुझे तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे के साथ हमेशा तुम्हारा क्लीवेज भी दिखे।

वो बोली- आप मेरे मालिक हो आपको तो मुझपर पूरा हक़ है. मगर मैं इस बात से थोड़ा परहेज रखती हूँ कि मुझे कोई भी और देखे। आप तो जानते हैं कि सब मर्द खूबसूरत औरतों के कहाँ कहाँ देखते हैं. आप भी देखते होंगे. तो बड़े गले तो मैंने कभी भी नहीं पहने. आप कहेंगे तो मैं आपको देखने से मना नहीं करूंगी. पर मैं हर किसी को नहीं दिखा सकती।

दोस्तो, मेरी कहानी पर कमेंट्स और मेल से अपनी राय अवश्य दें.
alberto62lope@gmail.com

सेक्सी सुहागरात की कहानी का अगला भाग: मेरी दूसरी सुहागरात- 2

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