Mom uncle sex story – Maa chacha chudai sex story: यह मेरी माँ और मेरे असली चाचा यानी पिता के भाई की सच्ची कहानी है। माँ उम्र में करीब 42 साल की थीं, गोरी चमड़ी वाली, थोड़ी मोटी काया वाली, बड़े स्तन और चौड़ी गांड वाली, उस दिन घर में साड़ी पहने घूम रही थीं, मन में कुछ शरारत भरा हुआ सा लग रहा था। चाचा 45 साल के थे, मजबूत बदन वाले, काली मूँछें, रात की नौकरी करने वाले, उस वक्त सिर्फ लुंगी बांधे लेटे थे। मेरे पिता निर्माण कंपनी में दिन भर काम करते और शाम को लौटते, ठीक मेरी तरह, लेकिन चाचा रात को काम पर जाते, इसी वजह से माँ और चाचा को दिन में अकेले समय बिताने और गलत काम करने का मौका मिल जाता था।
एक दिन मैं दोपहर में जल्दी घर पहुँच गया, वजह अब याद नहीं क्योंकि तीन साल पुरानी बात है। मैंने माँ को सारे कमरों में ढूंढा, सिर्फ चाचा के कमरे को छोड़कर, चाचा हमारे साथ ही रहते थे। मुझे अजीब लगा कि माँ कहाँ गायब हैं, सोचा चलो चाचा से पूछता हूँ।
चाचा के कमरे के पास पहुँचा तो हल्की हल्की आवाजें आईं, ध्यान से सुना तो कोई मजे से चाटने को कह रहा था। मैं सोच में पड़ गया कि चाचा अकेले रहते हैं, कमरे में कौन हो सकता है, दिमाग में बिल्कुल नहीं आया कि माँ होंगी। मैंने सोचा शायद कोई किराए की औरत होगी। चाचा के कमरे के बराबर वाले कमरे में गया, अलमारी पर चढ़कर कंप्यूटर केबल वाले छेद से झाँका, तो एक बड़ी गांड दिखी और एक मुँह जो उस गांड को चाट रहा था।
मैं गुस्से में भर गया, चेहरा चाचा का था लेकिन गांड किसकी थी पता नहीं चल रहा था, चाचा कुत्ते की तरह जीभ फेर रहे थे, लार टपक रही थी, मैं समझ गया कि चाचा आज रंगरेलियां मना रहे हैं। जब गांड वाली घूमी तो 440 वॉट का झटका लगा, गिरते गिरते बचा, वह मेरी माँ थीं।
ओह शिट, मैंने मन ही मन कहा, यह क्या हो रहा है, सपने में भी नहीं सोचा था कि माँ ऐसा करेंगी, लेकिन कर रही थीं। दिल चाहता था जाकर पकड़ लूँ लेकिन अंदर कुछ और जाग गया, माँ को चुदते देखकर मेरा लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा हो गया।
मैंने आज तक रियल टाइम में चुदाई नहीं देखी थी, रियल मूवीज तो बहुत देखीं लेकिन असल जिंदगी में नहीं, इसलिए बेशर्म बेटे की तरह आराम से बैठ गया और देखने लगा। माँ गांड चटवाकर अब चूत चटवाने के मूड में थीं, चाचा ने लुंगी खोलकर फेंक दी, उनका काला मोटा लण्ड खड़ा था, माँ ने साड़ी का पल्लू सरकाया, पेटीकोट ऊपर उठाया, चाचा नीचे बैठ गए, माँ की चूत पर मुँह रखा और लाल जीभ अंदर डालकर जोर जोर से चाटने लगे, हाथ माँ के स्तनों को साड़ी के ऊपर से दबा रहे थे, माँ की साँसें तेज हो गईं, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… हा हा हा…” की आवाजें निकल रही थीं, मैं अपना लण्ड पैंट में से निकालकर मुठ मारने लगा।
जब लगा माँ रिलीज होने वाली हैं, चाचा उठे, अपना काला लण्ड माँ के मुँह के सामने किया, माँ ने घुटनों पर बैठकर लण्ड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… की आवाजें आने लगीं, जीभ लण्ड के सुपारे पर घुमा रही थीं, चाचा का चेहरा लाल हो रहा था मजे से, माँ लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं, लार लण्ड पर चमक रही थी, यह सब पाँच मिनट चला।
फिर चाचा ने माँ को घोड़ी बना दिया, माँ की गांड बहुत बड़ी थी, पहले कभी इतने करीब से नहीं देखी थी, पूरी फैमिली में सबसे बड़ी लगती थी, साड़ी और पेटीकोट कमर तक लपेट दिया, चाचा ने गाली दी, “रंडी, टाँगें फैला और चुदने को तैयार हो जा, तेरा मर्द तुझे भूल गया लेकिन मैं नहीं भूला।” चाचा ने 7 इंच का लण्ड चूत पर रखा, माँ के कंधों पर हाथ रखकर एक जोर का झटका मारा, लण्ड अंदर चला गया, माँ के मुँह से सिसकारी निकली, “आह्ह्ह… उउफ्फ…” चाचा ने धड़ाधड़ पेलना शुरू किया, थप थप थप की आवाजें गूँज रही थीं, माँ के 38 साइज के स्तन आगे पीछे लटक रहे थे, चाचा लण्ड आगे पीछे कर रहे थे, दोनों जानवरों की तरह मशगूल थे, मैं अपना लण्ड जोर जोर से हिला रहा था।
चाचा बोले, “रंडी, मादरचोद की औलाद, मैं छूटने वाला हूँ।” माँ चिल्लाईं, “हाँ, अंदर ही निकाल, जोर जोर से मार, बहुत मजा आ रहा है, और जोर से, और जोर से।” चाचा पूरी ताकत से चूत मार रहे थे, चप चप चप चप की आवाजें तेज हो गईं, पसीना दोनों के बदन पर चमक रहा था, माँ की चूत से रस टपक रहा था, आखिर चाचा का लण्ड फूलकर पानी छोड़ने लगा, माँ भी छूट गईं, “आअह्ह्ह्ह… ह्हीईईई…” दोनों एक दूसरे पर लेट गए, साँसें तेज चल रही थीं। मैं अपना गीला लण्ड लेकर चुपके से नीचे उतर आया। यह थी दोस्तों एक चुदाई की दास्तान जो पता नहीं कितने सालों से चल रही थी।