Bhabhi devar chudai sex story – Master ka mota lund sex story – Pyaasi milf sex story: मेरा नाम शोभा है और मेरी उम्र 33 साल है, लेकिन मेरे नरम, चमकदार चेहरे और कातिलाना आंखों से मैं कहीं ज्यादा जवान लगती हूं, जैसे अभी-अभी 25 की हुई हूं। मैं बेहद खूबसूरत और कामुक औरत हूं, मेरा फिगर ऐसा कि देखने वाले की नजरें ठहर जाएं, पतली कमर, चौड़े कूल्हे और सबसे खास मेरे भारी-भरकम बूब्स जो हर वक्त हल्के से हिलते रहते हैं, उनकी नरमी छूने पर हाथों में समा जाती है। मेरे पति जब भी घर पर होते हैं और उन्हें थोड़ा सा समय मिलता है, वो मुझे अपनी मजबूत बाहों में कसकर चोदते हैं, उनकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर महसूस होती हैं, उनका लंड मेरी चूत में धीरे-धीरे सरकता हुआ अंदर तक जाता है और मेरे बूब्स से तो वो रोजाना खेलते हैं, उन्हें चूसते हैं, दबाते हैं, निप्पल्स को दांतों से काटते हैं जिससे मेरे मुंह से हल्की सिसकारियां निकलती हैं, आह इह्ह ओह्ह। जब पति घर पर होते हैं, मेरे बूब्स कभी खाली नहीं रहते, उनकी उंगलियां हमेशा उन पर घूमती रहती हैं, उनकी गर्माहट मेरी त्वचा में उतर जाती है। मेरे दो प्यारे बच्चे हैं, एक 6 साल की बेटी और 12 साल का बेटा, हम पटना में रहते हैं जहां गर्मियां बेहद उमस भरी होती हैं, हवा में पसीने की महक और शरीर की गर्मी हमेशा महसूस होती है।
एक दिन मेरे पति का भतीजा दीपक हमारे घर रहने आ गया, वो गांव से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए आया था क्योंकि गांव के आसपास कोई अच्छा कॉलेज नहीं था। दीपक करीब 20 साल का जवान लड़का था, लंबा, गोरा और उसकी मांसल छाती पर हल्के बाल, गर्मियों में वो अक्सर बिना शर्ट के घूमता था जिससे उसकी मजबूत बॉडी की खुशबू और पसीने की मर्दाना महक पूरे घर में फैल जाती थी, पास आने पर दिल की धड़कन तेज हो जाती। पहले भी वो मेरे पास रह चुका था जब हम गांव में थे, तब वो सिर्फ 13-14 साल का था लेकिन तब भी वो मुझे छुपकर घूरता रहता था, उसकी नजरें मेरे बूब्स पर अटक जाती थीं, जैसे वो उन्हें छूने की कल्पना कर रहा हो। जब मैं अपनी छोटी बेटी को स्तनपान कराती, दूध की गर्माहट मेरे बूब्स से निकलती और वो दूर से देखता, कई बार उसने मेरे नंगे बदन को देख लिया था जब मैं जल्दी में कपड़े बदल रही होती, मेरी नरम त्वचा पर हवा का स्पर्श और उसकी भूखी नजरें।
हमारे घर में एक खाली कमरा था, हमने उसे वहीं ठहरा दिया। दीपक मुझसे ज्यादा बात तो नहीं करता था लेकिन उसकी आंखें हमेशा मेरे भारी बूब्स पर टिकी रहती थीं, जैसे वो उन्हें दबाने की सोच रहा हो, उसकी सांसें तेज हो जातीं जब मैं पास से गुजरती। मुझे घर पर ज्यादा कपड़े पहनने की आदत नहीं थी, ज्यादातर सिर्फ पेटिकोट और ब्लाउज या कभी-कभी सिर्फ पेटिकोट, मेरी नरम त्वचा हवा में महसूस होती और पसीने से चिपचिपी हो जाती, शरीर की गर्मी बाहर निकलती। दीपक ज्यादातर घर पर ही रहता क्योंकि उसकी क्लासें कम थीं, हफ्ते में दो-तीन दिन ही कॉलेज जाता, दिन के समय घर में सिर्फ हम दोनों होते, हवा में सन्नाटा और हमारी सांसों की आवाजें गूंजतीं। गर्मियों में वो बिना टी-शर्ट के रहता, उसकी छाती की गर्मी और मर्दाना खुशबू मुझे महसूस होती जब वो पास से गुजरता, मेरी चूत में हल्की सी हलचल होने लगती।
एक दिन मैं नहाने के बाद बाथरूम से निकली, पानी की बूंदें मेरे शरीर पर लुढ़क रही थीं, मेरी त्वचा से साबुन की मीठी खुशबू फैल रही थी, मैंने सिर्फ टॉवल अपने बड़े बूब्स पर लपेटा था और नीचे पेटिकोट, मेरे बूब्स की नरमी टॉवल से दबकर और उभर आई थी। बाहर देखा तो दीपक मेरे बेटे के साथ खेल रहा था, जैसे ही मैं उनकी तरफ से गुजरी, बेटे ने शरारत में मेरा पेटिकोट जोर से नीचे खींच दिया, बचाने के चक्कर में टॉवल भी फिसलकर गिर गया, मेरा पूरा नंगा शरीर हवा में खुल गया, मेरे भारी बूब्स जोर से हिले, उनकी गर्माहट और भारीपन साफ महसूस हुआ, नीचे मेरी चूत के बालों पर पानी की बूंदें चमक रही थीं, चूत की गर्मी हवा में फैली। दीपक की नजरें मेरे बूब्स पर जाम गईं, वो उन्हें भूखी आंखों से देख रहा था, फिर नीचे मेरी चूत को घूरा, उसकी सांसें तेज हो गईं, चेहरा लाल पड़ गया। मैंने जल्दी से पेटिकोट ऊपर किया लेकिन तब तक उसने सब कुछ अच्छे से देख लिया, मेरी नग्नता की छवि उसके दिमाग में छप गई।
तभी मेरी नजर उसके लंड पर गई, उसकी पैंट में उभार साफ था, लंड खड़ा होकर तंबू बना रहा था, उसकी गर्मी और सख्ती मैं दूर से महसूस कर रही थी, मेरी चूत में अजीब सी गीलापन फैल गया। मैं कुछ नहीं बोली, दिल की धड़कन तेज थी और चुपचाप अपने रूम में चली गई, वहां लेटकर उस पल को याद करके मेरी उंगलियां खुद-ब-खुद चूत पर चली गईं।
फिर एक रात हम तीनों, दीपक, मैं और बच्चे टीवी देख रहे थे, एसी की ठंडी हवा चल रही थी जो मेरी त्वचा पर सरसराहट पैदा कर रही थी, मेरा बेटा मेरी गोद में आ गया और शरारत में मेरे बूब्स दबाने लगा, उनकी नरमी को मसल रहा था, उंगलियां निप्पल्स पर घूम रही थीं। धीरे से उसने ब्लाउज खोल दिया, मेरे बड़े नंगे बूब्स बाहर आ गए, निप्पल्स ठंडक से सख्त हो गए, हवा का स्पर्श उन्हें और संवेदनशील बना रहा था। वो उन्हें दबा रहा था, मैंने नहीं रोका क्योंकि घर में था और मजा भी आ रहा था। मैंने देखा दीपक की नजरें टीवी से हटकर मेरे बूब्स पर थीं, उसकी आंखों में कामुक चमक और लालच साफ दिख रहा था। मैंने बेटे से कहा, बस करो अब, देखो तुम्हारा भैया मेरे बूब्स को घूर रहा है। बेटा ने दीपक से पूछा, भैया तुमने कभी दबाए हैं ये, बहुत मजेदार हैं। दीपक चुप रहा, उसका चेहरा लाल हो गया और थोड़ी देर बाद वो अपने रूम में चला गया, शायद अपनी उत्तेजना छुपाने।
एक दिन घर पर सिर्फ हम दोनों थे, हवा में सन्नाटा और उमस, मैं सोकर उठी थी, बाल बिखरे हुए और नींद से बॉडी गर्म और कामुक महसूस कर रही थी। मैं दीपक के रूम में गई, दरवाजा खुला था, अंदर झांका तो वो मुठ मार रहा था, उसका बड़ा लंड हाथ में था, वो जोर-जोर से हिला रहा था, लंड की नसें उभरी हुईं, टिप से चिपचिपा पानी निकल रहा था, उसकी मर्दाना खुशबू और वीर्य की हल्की महक कमरे में फैली थी। पहली बार मैंने उसका लंड देखा, इतना मोटा और लंबा कि मेरी चूत सिकुड़ गई और गीली हो गई। दीपक ने मुझे देख लिया लेकिन मैं नजरें नहीं हटा पाई, वो झट से अंडरवियर में छुपाया, मैं चुपचाप चली आई लेकिन मन में उसकी तस्वीर बार-बार घूमने लगी, रात भर नींद नहीं आई।
फिर मुझे पता चला कि मेरी ब्रा-पैंटी बाथरूम से गायब हो जाती थीं, शक दीपक पर गया। एक दिन मैंने उसे पकड़ लिया, वो मेरी ब्रा तकिए पर रखकर उसके ऊपर लंड रगड़ रहा था, मुठ मारते हुए, उसकी सांसें तेज और कमरा उसकी उत्तेजना की खुशबू से भरा था। मैं डांटने गई लेकिन उसने अचानक मेरे बूब्स ब्लाउज के ऊपर से जोर से दबाए, उनकी नरमी उसकी उंगलियों में दबी, गर्मी फैली, मुझे बिस्तर पर पटक दिया, खुद ऊपर चढ़ गया, अपना खड़ा लंड मेरी नाक पर रगड़ा, उसकी गर्मी, सख्ती और मर्दाना खुशबू मेरे चेहरे पर छा गई। मैंने धक्का दिया और चिल्लाई, वो आग्रह करने लगा कि एक बार चोदने दो भाभी, मैं तुम्हारे बूब्स और चूत का दीवाना हूं। मैं नहीं मानी और भाग आई, लेकिन दिल में हलचल मच गई।
बाद में वो मेरे रूम में आया, माफी मांगने लेकिन फिर आग्रह करने लगा, मैंने चाचा को बताने की धमकी दी तो वो डर गया। उसके बाद हमारी बातें बंद हो गईं, लेकिन रातों में मुझे सपने आने लगे जिसमें दीपक मुझे जोर-जोर से चोद रहा था, उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, मेरी चूत गीली हो जाती सपने में ही, सुबह उठकर चादर गीली मिलती। उसका लंड मेरे दिमाग में घूमने लगा, मैं उसे छूने और चूसने की कल्पना करने लगी।
फिर एक दिन घर खाली था, उमस भरी दोपहर, मैं उसके रूम में गई और सफाई में मदद मांगी, वो तुरंत मेरे रूम में आ गया, उसकी आंखों में उम्मीद चमक रही थी। सफाई करते हुए मैंने ब्लाउज उतार दिया, मेरे नंगे बूब्स हवा में लटकते हुए, उनकी गर्माहट और हल्का हिलना उसे मदहोश कर रहा था। मैंने ब्रा और टॉवल लपेटा, उसकी नजरें मुझ पर जमी थीं, मैंने मुस्कुराकर इशारा दिया, मेरी आंखों में कामुकता साफ थी। वो समझ गया, मुझे कसकर बाहों में लिया, उसकी मजबूत छाती मेरे बूब्स से दबी, उनकी नरमी कुचल गई, उसके होठों की गर्मी और नरमी मेरे होठों पर, हम देर तक किस करते रहे, जीभें मिलीं, एक-दूसरे की लार का मीठा स्वाद मुंह में फैल गया। मैंने फुसफुसाकर कहा, दीपक, मैं तेरे लंड की दीवानी हो गई हूं, मुझे चोद ले।
उसने ब्रा फेंकी, मेरे बूब्स चूसने लगा, जोर से दबाए, निप्पल्स काटे और चूसे, मेरे मुंह से आह इह्ह ओह्ह ओह, सिसकारियां निकलने लगीं, शरीर में करंट दौड़ रहा था। अपना लंड निकाला, गर्म, सख्त और नसें उभरी हुईं, उसकी खुशबू मेरे नाक में घुसी, मेरे चेहरे के सामने लहराया। मैंने देर तक देखा फिर मुंह में लिया, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. गोग, गहरे तक चूसा, बॉल्स चाटे और चूसे, उसकी खुशबू और नमकीन स्वाद मेरे मुंह में भर गया। वो मजे से कराहते हुए बोला बचपन से चोदना चाहता था भाभी।
फिर मुझे बिस्तर पर लिटाया, मुंह मेरी चूत पर लगाया, जीभ से चाटने लगा, मेरी चूत की गर्मी, गीलापन और मीठा रस उसकी जीभ पर, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, पूरे शरीर में करंट सा दौड़ा, मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर उठने लगी, दस मिनट चाटा और मैं झड़ गई, ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई, सारा रस उसने पी लिया, उसका मुंह चूत के रस से चिपचिपा हो गया। फिर लंड को चूत पर रगड़ा, गर्म टिप से क्लिटोरिस सहलाया और एक जोर का धक्का मारा, आह्ह.. ह्ह.. आऊ, दर्द और मजा दोनों मिले, लंड अंदर तक घुस गया, फिर जोर-जोर से चोदा, मेरी आंखों में देखता हुआ, उसकी सांसें मेरे चेहरे पर गिर रही थीं, बीस मिनट बाद चूत में गर्म वीर्य की बौछार की, उसकी गर्माहट चूत के अंदर फैल गई। अंत में गांड भी मारी, जोरदार थप्पड़ मारते हुए मेरी गांड पर, मेरी चीखें और कराहट कमरे में गूंजीं, आह ओह्ह दीपक। उसके बाद कई बार चुदाई की, दिन में उसका लंड चूत में, रात में पति का, मैं पूरी तरह संतुष्ट और खुश थी लेकिन पढ़ाई खत्म होते ही वो चला गया, मेरी चूत फिर खाली और प्यासी रह गई, उसकी याद में उंगलियां चलाने लगीं।
एक साल बाद बेटे की पढ़ाई के लिए पंजाबी मास्टर को घर बुलाया, 28-30 साल का, लंबा, दाढ़ी वाला, मांसल बॉडी, उसकी गहरी आवाज और मर्दाना खुशबू कमरे में फैल जाती जब वो आता। वो मेरी खूबसूरती पर फिदा हो गया, दोपहर में आता तो मुझसे बातें करता, मेरी तारीफें करता, कहता कितनी सेक्सी हो शोभा, तुम्हारे बूब्स और कूल्हे देखकर लंड खड़ा हो जाता है। वो अविवाहित था, उसकी आंखों में भूख साफ दिखती। धीरे-धीरे वो पहले आता, बेटा आने तक हम बातें करते, हंसी-मजाक, मुझे उसकी मजबूत बॉडी और गर्मी अच्छी लगने लगी।
एक बार वो कुछ दिनों के लिए गायब हो गया, मैं बेचैन हो गई, उसकी याद में चूत गीली रहती, पति से बहाना बनाकर नंबर लिया और कॉल किया, कहा याद आ रही थी बहुत। वो आया तो फ्लर्ट किया, बोला सच में याद आ रही थी न, मैंने हंसकर हां कहा। अगले दिन पहले आया, हम अकेले थे, उसने मेरा हाथ पकड़ा, उसकी गर्म उंगलियां मेरी त्वचा पर, मैं चुप रही, फिर किस किया, उसके होठों की मोटाई और दाढ़ी का स्पर्श मेरे चेहरे पर। घर खाली था, मैंने रोका लेकिन वो बातों से मना लिया, उसकी आवाज में कामुकता थी।
फिर एक दिन मैं नहाकर टॉवल लपेटकर निकली, पानी की बूंदें शरीर पर, साबुन की खुशबू, वो मुझे देखकर बोला वाह शोभा कितनी सेक्सी लग रही हो, करीब आया और गहरा किस किया, इस बार मैंने भी जवाब दिया, देर तक जीभ चाटी, एक-दूसरे का मुंह चूसा। मैंने कहा बस और रूम में गई, लेकिन दिल धड़क रहा था। जैसे ही टॉवल हटाकर ब्रा पहनने लगी, वो आ गया, मुझे दीवार से सटाया, बूब्स जोर से दबाए, उनकी नरमी उसकी हथेलियों में कुचली गई, ब्रा उतारी, निप्पल्स चूसे और काटे, आह ओह्ह मास्टर, गांड पर जोरदार थप्पड़ मारे जिनकी आवाज कमरे में गूंजी और लाल निशान पड़ गए, अपना लंड निकाला, इतना बड़ा और मोटा कि मैं दंग रह गई, पति और दीपक से भी बड़ा, गर्म और नसें फड़ी हुईं। मैं कामुक होकर झुक गई और चूसने लगी, ग्ग्ग्ग.. गों.. गोग.. गी.. गी, गहरे तक मुंह में लिया, उसका स्वाद और खुशबू सर चढ़ गई। तभी बेटा आ गया, हमने जल्दी कपड़े पहने, उसने बेटे को खेलने भेज दिया।
फिर हम बिस्तर पर, मैं पूरी नंगी पड़ी, मेरी त्वचा पर उसकी उंगलियां घूम रही थीं, वो कोई रहम नहीं कर रहा था, गालियां देता हुआ बोला साली रांड, तेरे बेटे के सामने ही चोदने का मन था, आज तेरी चूत फाड़कर अपनी रंडी बनाऊंगा, दो बच्चों की मां होकर इतनी चुदासी। उसने मुझे लिटाया, लंड चूत पर रखा और एक जोर का धक्का मारा, आह्ह्ह्ह्ह ह्हीईई, दर्द से मैं चीखी, इतना बड़ा लंड पहली बार चूत में घुसा, चूत की दीवारें खिंच गईं, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा, वो जोर-जोर से चोदा, आह इह्ह ओह्ह ओह, मैं चिल्लाई, भीख मांगी रुक जाओ, लेकिन उसने नहीं सुनी, मेरे बूब्स मसलता रहा, देर तक चुदाई की और अंत में गर्म वीर्य की बौछार चूत में की, उसकी गर्माहट अंदर तक फैल गई।
दूसरे दिन मैंने मना किया, दर्द याद था, लेकिन उसने जबरदस्ती गोद में उठाया, उसकी मजबूत बाहें मेरे शरीर को दबा रही थीं, रूम में ले जाकर नंगा किया और फिर चोदने लगा, पहले दर्द फिर मजा, ऊऊ ऊइईई आह्ह्ह, मैं भी कमर उछालने लगी। उसके बाद हर दिन चोदा, कभी किचन में, कभी सोफे पर, मैं उसके लंड की पूरी गुलाम हो गई, उसकी गर्मी, ताकत और मोटाई मेरी चूत में बस गई, दिन भर उसकी याद में प्यासी रहती।