Balcony sex story in Hindi: मेरा नाम अजय है। मैं 21 साल का हूँ, ठीक-ठाक दिखता हूँ, कद 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा, और जिम जाता हूँ तो बदन भी कसा हुआ है। मेरे दोस्त की बहन, गरिमा, 20 साल की है, सांवला रंग, 5 फीट 4 इंच की हाइट, और उसका फिगर 34-28-36 का है। उसकी चूचियां एकदम कसी हुई, गोल और भरी हुई हैं, और गांड इतनी टाइट कि देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। गरिमा का चेहरा भोला-सा है, लेकिन उसकी आँखों में एक चुलबुली चमक है, जो बताती है कि वो बाहर से जितनी मासूम दिखती है, अंदर से उतनी ही आग लिए बैठी है। उसका बॉयफ्रेंड, रोहन, 22 साल का है, एवरेज दिखने वाला, लेकिन पार्टी में मस्त रहने वाला लड़का है। गरिमा की सहेली, प्रिया, 21 साल की है, पतली कमर, 32-26-34 का फिगर, और थोड़ी शरारती टाइप की लड़की, जो हमेशा माहौल को हल्का रखती है।
बात उस दिन की है जब मेरे दोस्त ने अपने जन्मदिन की पार्टी रखी थी। जगह थी उसका घर, जो एक पॉश इलाके में था। घर बड़ा था, दो मंजिल का, और पीछे एक लंबी-चौड़ी बालकनी थी, जिसके सामने सिर्फ पेड़ और खुला मैदान था। कोई झांकने वाला नहीं, कोई देखने वाला नहीं। पार्टी में खूब भीड़ थी, लोग नाच रहे थे, पी रहे थे, और माहौल गर्म था। मैं, गरिमा, और प्रिया एक कमरे में बैठे थे, जॉइंट फूंक रहे थे। गरिमा ने उस दिन एक काला वन-पीस पहना था, जो घुटनों तक आता था। उसकी चिकनी टांगें देखकर मेरा दिमाग पहले ही बहक रहा था। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि लगता था जैसे मखमल हो। प्रिया ने लाल टॉप और जींस पहनी थी, और वो बार-बार मुझसे मजाक कर रही थी।
जॉइंट का धुआं कमरे में फैल रहा था, और हम तीनों हाई हो चुके थे। बातें इधर-उधर से शुरू होकर अब थोड़ी बोल्ड होने लगी थीं। प्रिया ने हंसते हुए कहा, “अजय, यार, सच बोलूं, अगर मेरा बॉयफ्रेंड ना होता, तो मैं तुझे आज छोड़ती नहीं!” उसकी बात सुनकर मैंने बस मुस्कुरा दिया, लेकिन मेरी नजर गरिमा पर थी, जो चुपके से मुझे देख रही थी। फिर गरिमा ने धीमे से कहा, “मेरा भी तो बॉयफ्रेंड है, और वो यहीं बाहर है। लेकिन अजय, तुझे देखकर मेरा दिल डोल जाता है।” उसकी ये बात मेरे लिए खुला न्योता थी। मैं समझ गया कि आज गरिमा की चूत में मेरा लंड जाने वाला है।
तभी प्रिया को किसी ने बाहर बुला लिया। अब कमरे में सिर्फ मैं और गरिमा थे। माहौल गर्म था, लेकिन डर भी था कि कोई भी कभी भी कमरे में आ सकता है। गरिमा ने जॉइंट लिया और बोली, “चल, बालकनी में चलते हैं।” मैं तो यही चाहता था। हम दोनों बालकनी के एक कोने में चले गए, जहां से कमरे का दरवाजा दिखता था, लेकिन हमें कोई नहीं देख सकता था। बालकनी की रेलिंग ठंडी थी, और रात का हल्का अंधेरा माहौल को और कामुक बना रहा था।
हम दोनों चुप थे, बस जॉइंट फूंक रहे थे। गरिमा का बॉयफ्रेंड बाहर दोस्तों के साथ मस्ती में व्यस्त था। उसे क्या पता कि उसकी गर्लफ्रेंड आज मेरे साथ चुदने की सोच रही है। जॉइंट खत्म होते ही मैंने मौका देखा। मैंने गरिमा को कमर से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। उसकी सांसें तेज हो गईं, और उसने मुझसे कुछ कहने की कोशिश की, “अजय, ये… कोई देख लेगा…” लेकिन उसकी आवाज में वो कमजोरी थी, जो बता रही थी कि वो खुद यही चाहती है। मैंने उसकी बात अनसुनी की और उसे रेलिंग की तरफ घुमाया। उसकी पीठ मेरी छाती से सटी थी, और मेरा 7 इंच का लंड, जो अब लोहे की तरह सख्त हो चुका था, उसकी गांड को छू रहा था।
मैंने धीरे से उसकी गर्दन पर अपने होंठ रखे। उसकी त्वचा से हल्की सी परफ्यूम की खुशबू आ रही थी, जो मेरे दिमाग को और भटका रही थी। मैंने उसके कानों में फुसफुसाया, “गरिमा, तू कितनी गर्म है यार… आज तेरी चूत को चोदने का मन है।” उसने जवाब नहीं दिया, बस उसकी सांसें और तेज हो गईं। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रखे और धीरे-धीरे उन्हें मसलना शुरू किया। उसकी चूचियां इतनी नरम थीं कि लगता था जैसे मक्खन दबा रहा हूँ। “आह्ह…” उसने हल्की सी सिसकारी भरी। मैंने उसकी ड्रेस को ऊपर उठाया, और उसकी चिकनी जांघों को सहलाने लगा। उसकी त्वचा इतनी गर्म थी कि मेरा लंड और तन गया।
मैंने उसकी पैंटी को नीचे खींचा और उसे अपनी जेब में डाल लिया। उसकी नंगी गांड अब मेरे सामने थी, गोल और टाइट। मैंने उसकी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा, जिससे “चटाक” की आवाज आई। गरिमा ने हल्का सा चीखने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना एक हाथ उसके मुंह पर रख दिया। “शhh… चुप रह, कोई सुन लेगा,” मैंने कहा। फिर मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी चूत की फांकों पर रगड़ना शुरू किया। उसकी चूत पहले से ही गीली थी, जैसे वो घंटों से मेरे लंड का इंतजार कर रही थी। “अजय… आह्ह… डाल दे,” उसने फुसफुसाते हुए कहा।
मैंने देर नहीं की। एक ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। “उह्ह्ह…” गरिमा ने दर्द और मजा दोनों से भरी सिसकारी भरी। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जैसे उसमें फंस गया हो। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चप… चप…” हर धक्के के साथ उसकी चूत से गीली आवाजें आ रही थीं। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे रेलिंग पर और झुकाया, ताकि मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जाए। “आह्ह… अजय… धीरे… ओह्ह…” गरिमा की आवाज में दर्द और मस्ती दोनों थे।
मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। हर धक्के के साथ उसकी चूचियां हिल रही थीं, और उसकी सांसें तेज हो रही थीं। “तेरी चूत कितनी टाइट है, गरिमा… मजा आ रहा है,” मैंने कहा, और उसकी गांड पर एक और थप्पड़ मारा। “चटाक!” उसने फिर सिसकारी भरी, “आह्ह… मारो मत… बस चोदो…” उसकी ये बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने उसे और जोर से चोदा, हर धक्के में मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। “पच… पच…” की आवाजें अब तेज हो रही थीं।
लगभग 10 मिनट की चुदाई के बाद गरिमा की सांसें और तेज हो गईं। “अजय… मैं… आह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ…” उसने कहा। मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी, और कुछ ही पलों में उसकी चूत ने मेरे लंड को और कस लिया। “ओह्ह्ह…” उसने लंबी सिसकारी भरी और झड़ गई। उसका शरीर कांप रहा था, और उसकी चूत से गर्म रस बह रहा था। लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था, और मैं रुकने के मूड में नहीं था।
मैंने उसे सीधा किया और नीचे बैठ गया। उसकी चूत अब मेरे चेहरे के सामने थी, गीली और गर्म। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की फांकों पर फिराई। “आह्ह… अजय… ये क्या कर रहा है…” उसने मेरे बाल पकड़ लिए। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, जैसे कोई भूखा शेर मांस चबा रहा हो। उसकी चूत का स्वाद नमकीन और नशीला था। मेरी जीभ उसकी चूत की गहराइयों में जा रही थी, और वो बार-बार सिसकारियां ले रही थी। “उह्ह… आह्ह… और चाटो…” उसने कहा। मैंने उसकी चूत की फांकों को खींचा और अपनी जीभ को और गहरा डाला।
कुछ मिनट बाद वो फिर से गर्म हो गई। मैं खड़ा हुआ और अपने लंड को उसकी चूत पर फिर से रगड़ने लगा। “अजय… अब डाल दे… मैं और नहीं रुक सकती,” उसने कहा, और अपने होंठ काटने लगी। मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाला और इस बार धक्के और तेज कर दिए। “पच… पच… पच…” की आवाजें अब पूरी बालकनी में गूंज रही थीं। गरिमा की चूचियां मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं। “आह्ह… अजय… चोदो मुझे… और जोर से…” वो अब बेकाबू हो रही थी।
तभी मेरा फोन बजा। मेरी गर्लफ्रेंड का कॉल था। “कहाँ है तू?” उसने पूछा। मैंने गरिमा को चोदते हुए ही जवाब दिया, “बस… गरिमा के साथ जॉइंट फूंक रहा हूँ।” मेरी गर्लफ्रेंड ने कहा, “जल्दी बाहर आ, देर हो रही है।” मैंने फोन काटा और गरिमा को और जोर से चोदा। “पच… पच… चप… चप…” की आवाजें अब और तेज थीं। मैंने कम से कम 100 धक्के मारे, और हर धक्के में गरिमा सिसकारियां ले रही थी। “आह्ह… उह्ह… अजय… मैं फिर झड़ने वाली हूँ…” उसने कहा।
मैंने भी अब अपने आपको छोड़ दिया। कुछ ही पलों में मेरा लंड गरिमा की चूत में झड़ गया। गर्म वीर्य उसकी चूत को भर रहा था, और वो कांप रही थी। हम दोनों पसीने से तर थे। मैंने उसे सीधा किया और उसकी ड्रेस नीचे की। उसकी पैंटी तो मेरी जेब में थी, सो मैंने उसे कहा, “बाथरूम जा, हुलिया ठीक कर ले, वरना लोग समझ जाएंगे कि हमने जॉइंट नहीं, चुदाई की है।” उसने हंसते हुए मेरी छाती पर एक हल्का सा मुक्का मारा और बोली, “तू बहुत बदमाश है।”
इससे पहले कि वो बाथरूम जाती, मैंने उसे फिर से पकड़ा और उसके होंठों को 2-3 मिनट तक चूसा। उसके होंठ इतने रसीले थे कि मन नहीं भरा। फिर हम दोनों कमरे में वापस आए। गरिमा बाथरूम गई, और मैं बाहर अपनी गर्लफ्रेंड के पास चला गया।
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