पिछले भाग(पति के सामने दर्जी ने चोदा-3) में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने, शालू ने, बलदेव को खुलेआम चुदवाने का ऑफर दिया, ताकि वो मेरे पति विनोद की पारो के साथ चुदाई का हिसाब बराबर कर सके। लेकिन बलदेव ने मेरे प्रस्ताव को ठुकरा दिया। मेरे दिमाग में अब एक ही ख्याल था—उसके लौड़े को अपनी चूत में लेना। अब कहानी आगे बढ़ती है।
मैंने बलदेव से साफ कह दिया था कि मैं उससे चुदवाने को तैयार हूँ। लेकिन उसने जवाब दिया- मालकिन, मैं आपके घरवाले जैसा गंदा आदमी नहीं हूँ। आपने मुझसे प्यार से बात की, वही मेरे लिए बहुत है। पारो जिससे चुदवाना चाहे, चुदवाए। मैं आपको नहीं चोद सकता।
साला भाव खा रहा था। मैंने मन ही मन ठान लिया कि इस आदमी का लौड़ा जल्दी ही अपनी चूत में लूँगी। उसकी ना सुनकर मेरी आग और भड़क गई थी। शाम को बलदेव और पारो अपने घर चले गए। मैं सोफे पर बैठी उनके बारे में सोच रही थी, लेकिन मेरा दिमाग कहीं और था—दर्जी की दुकान, उसका 9 इंच का मूसल जैसा लौड़ा, और उसकी बेरहम चुदाई। आज मंगलवार था, और मुझे रात 11 बजे ट्रायल के लिए उसकी दुकान जाना था। मैंने विनोद को याद नहीं दिलाया। चाहती थी कि वो खुद बेकरार होकर मुझे वहाँ ले जाए।
रात 9 बजे तक हमने खाना खा लिया। हम ड्रॉइंग रूम में सोफे पर बैठे टीवी देख रहे थे। कमरे में हल्की रोशनी थी, और टीवी की नीली चमक मेरे गोरे बदन पर पड़ रही थी। मैंने सिर्फ एक ढीली सी नाइटी पहनी थी, जिसके नीचे कुछ नहीं था। मेरी चूचियाँ नाइटी के पतले कपड़े से उभर रही थीं। मैंने विनोद को छेड़ते हुए कहा- यार, बहुत दिनों से तुमने कोई चुदाई की वीडियो नहीं दिखाई।
विनोद ने शरारती मुस्कान के साथ कहा- आज मेरा प्लान है कि तुम्हारे जीजाजी को चुदाई की वीडियो दिखाऊँगा, ताकि वो नए-नए तरीकों से तुम्हें चुदाई की खुशी दे सकें।
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ी। मुझसे ज्यादा तो मेरे पति को मुझे दर्जी से चुदवाते देखने का शौक था। मैंने कहा- उससे कभी घर पर बुलाकर वीडियो दिखा देंगे। टीवी पर देखने के बाद लैपटॉप पर देखने में मजा नहीं आता। तुम ही बोलो, आज क्या पहनकर चलूँ?
विनोद ने वीडियो प्लेयर में एक कैसेट लगाई। फिर मेरे पास आया, मुझे खड़ा किया, और मेरी नाइटी खींचकर उतार दी। मैं पूरी नंगी थी। उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरी चूचियों को मसलने लगा। उसका लौड़ा मेरे चूतड़ों के नीचे कड़क हो रहा था। वीडियो शुरू हुई। एक नीग्रो ने सड़क पर एक गोरी औरत को पटाया और अपने अड्डे पर ले गया। वहाँ उसके 6 और साथी थे, सभी नीग्रो। एक घंटे की वीडियो में उस अकेली औरत ने सातों का लौड़ा चूसा, सबने उसकी चूत चाटी। एक चोदता था, तो वो दूसरों का लौड़ा चूसती और हाथों से सहलाती थी। तीन बार उसका डबल पेनेट्रेशन भी हुआ—एक लौड़ा चूत में, दूसरा गांड में।
विनोद ने मेरी चूत में उंगली डालते हुए पूछा- रानी, क्या तुम भी ये सब कर सकती हो, जो इस औरत ने किया?
मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा- मैं भी औरत हूँ। सात क्या, तुम अपने सारे दोस्त बुला लो। मैं अकेली सबको संभाल लूँगी। अगर कोई मेरी गांड में लौड़ा पेलना चाहेगा, तो गांड भी मरवा लूँगी।
विनोद ने घड़ी देखी और बोला- साढ़े दस बज रहा है। ऐसे ही नंगी चलो।
मैंने हँसकर कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं, लेकिन सोसाइटी गेट पर जो गार्ड है, आज भी मुझे नंगा देखेगा, तो कार में ही चोद लेगा। चलो, आज सिर्फ एक कुर्ता पहनकर चलती हूँ।
विनोद ने तुरंत कहा- लेकिन गार्ड को अपनी चूत दिखानी होगी!
मेरा पति खुद चाहता था कि मैं गार्ड को अपनी चूत दिखाऊँ। मैंने कहा- दिखा दूँगी।
10 मिनट बाद हम गेट पर थे। विनोद ने कार रोकी। वही गार्ड था, उदय सिंह, जो पिछली रात मेरी नंगी जवानी देख चुका था। वो फिर मेरी तरफ आया। मैंने पहले ही कुर्ता कमर तक ऊपर कर लिया था। अपनी टाँगें पूरी फैलाईं, ताकि मेरी जांघें और झांटों से भरी चूत उसे साफ दिखे। मैंने पूछा- हम अभी बाहर जा रहे हैं। 3-4 घंटे बाद आएँगे। तुम्हारा नाम क्या है?
उदय ने एक बार विनोद की ओर देखा, फिर खिड़की से अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया। उसने कुर्ते के ऊपर से मेरी चूचियों को कई बार दबाया, फिर मेरी जांघों को सहलाते हुए मेरी चूत को मसला। उसका स्पर्श इतना गर्म था कि मेरी चूत तुरंत गीली हो गई। ये गार्ड दर्जी से भी ज्यादा हिम्मती था, और मुझे ऐसे मर्द बहुत पसंद हैं।
उदय ने कहा- मेरा नाम उदय सिंह है। पंजाब का रहने वाला हूँ। शादी नहीं हुई, और पहली बार किसी औरत को टच कर रहा हूँ। मैं बहुत किस्मतवाला हूँ कि आप जैसी स्वर्ग की अप्सरा को पहली बार टच कर रहा हूँ। साहब, 2 घंटे के लिए अपनी घरवाली मुझे दे दीजिए। उसके बाद मैं जिंदगी भर आपका गुलाम रहूँगा। देखिए, मैडम, मेरा लौड़ा बिल्कुल कुँवारा है।
मादरचोद! मेरे सामने, मेरे पति से मुझे 2 घंटे के लिए माँग रहा था। जैसे विनोद ने दर्जी को नहीं रोका, यहाँ भी उसने कुछ नहीं कहा। मुझसे बोला- ये लड़का बहुत भूखा लग रहा है। इसे अपनी चूत खिला दो।
विनोद ने मुझे एक गार्ड के साथ चुदाई की छूट दे दी। हमने नहीं देखा कि उदय ने कब अपने ट्राउजर का बटन खोलकर लौड़ा बाहर निकाला। उसका लौड़ा देखकर मेरा दिल खुश हो गया। ये दर्जी के लौड़े से भी लंबा और मोटा था—शायद 10 इंच, और मेरी कलाई से भी मोटा। मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैंने दोनों हाथों से उसका लौड़ा पकड़ा, अपनी ओर खींचा, और टॉप स्किन को ऊपर-नीचे करने लगी। स्किन ने सुपारे के टिप को ढका हुआ था। मैंने लौड़े को मुठियाना शुरू किया और कहा- सच, उदय, बहुत मस्त लौड़ा है। लेकिन अभी कुछ दिन मैं बहुत बिजी हूँ। जल्दी तुम्हें बुलाऊँगी। मुझे सिर्फ कुँवारा लौड़ा चाहिए। चलो, विनोद।
मैं लौड़ा पकड़े रही, और उदय ने मेरे गालों को दबाकर मेरे होंठ चूम लिए। कार आगे बढ़ी। पूरे 35-40 मिनट के रास्ते में हम चुप रहे, लेकिन विनोद मेरी चूत से खेलता रहा। उसकी उँगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थीं, और मैं उदय के लौड़े के बारे में सोच रही थी।
दर्जी की दुकान पर शटर आधा खुला था। हम अंदर घुसे, और विनोद ने खुद शटर पूरा नीचे कर दिया। दुकान में वही तेल और कपड़ों की गंध थी, और सिलाई मशीन की हल्की खट-खट गूँज रही थी। दर्जी मशीन पर काम कर रहा था। हमें देखते ही वो मुस्कुराता हुआ खड़ा हुआ। उसने मुझे अपनी बाहों में भरा और गले लगाया। उसका मजबूत सीना मेरी चूचियों को दबा रहा था। उसने कहा- मुझे तो डर लग रहा था कि तुम दोबारा नहीं आओगी।
उसने मुझसे कहा, लेकिन जवाब विनोद ने दिया- कैसे नहीं आती? मैं चार महीने से तुम्हारी छोटी साली को चोद रहा हूँ। पिछली रात तुमने जिस तरह शालू को चोदकर खुश किया, मुझे बहुत बढ़िया लगा। मैंने उस रात बहुत कुछ सीखा। तुम जब भी अपनी इस साली को चोदोगे, मुझे और सीखने का मौका मिलेगा।
शर्म करने का अब कोई फायदा नहीं था। मैं दर्जी की बाहों से अलग हुई और बोली- विनोद, मेरे जीजाजी का लौड़ा तुमसे ज्यादा लंबा और मोटा है। लेकिन इस आदमी को चूत में धक्का लगाने के अलावा कुछ नहीं आता। आज मैं इसे सिखाऊँगी कि औरत को कैसे खुश करते हैं।
बोलते हुए मैंने अपना कुर्ता उतार फेंका और पूरी नंगी हो गई। मेरी चूचियाँ आजाद थीं, और मेरी चूत गीली होकर चमक रही थी। मैंने कहा- जीजाजी, मेरा सलवार-कुर्ता कहाँ है? मुझे ट्रायल लेना है।
दर्जी ने मेरे कपड़े पहले से अलग रखे थे। उसने पहले मुझे सलवार पहनाई, फिर कुर्ता। हम तीनों ने देखा—दोनों कपड़े मेरे बदन पर परफेक्ट फिट थे। फिर उसने मुझे नंगा किया और अपने हाथों से एक जींस ट्राउजर और स्लीवलेस टॉप पहनाया। मुझे जींस बिल्कुल पसंद नहीं थी, लेकिन ये ट्राउजर और टॉप मुझे बहुत अच्छा लगा। ट्राउजर लो-वेस्ट था, इसका टॉप मेरे नाभि से 7-8 इंच नीचे था। मैंने अपनी बीच की उंगली जींस में डाली, और मेरी उंगलियाँ मेरी झांटों को सहलाने लगीं। जींस मेरी जांघों और चूतड़ों पर स्किन-टाइट थी। प्यूबिक एरिया का तिकोना लेआउट साफ दिख रहा था। टॉप मेरी चूचियों पर टाइट था, लेकिन नीचे से ढीला, ताकि कोई भी नीचे से हाथ डालकर मेरी चूचियों को मसल सके।
विनोद ने कहा- रानी, तुम सोच नहीं सकती कि इन कपड़ों में तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो।
मैं मिरर के सामने खड़ी हुई और खुद को देखा। मेरा गोरा बदन, उभरी चूचियाँ, और चूतड़ इस ड्रेस में और आकर्षक लग रहे थे। मैंने टॉप उतार फेंका, फुर्ती से जींस खींचकर अलग की, और नंगी होकर कटिंग टेबल पर चुदाई की पोज में लेट गई। मैंने कहा- आज मैं बहुत खुश हूँ। जीजाजी, उस रात मेरे पति ने देखा कि एक जीजा अपनी साली को कैसे चोदता है। आज तुम देखो कि मेरी साली का घरवाला उससे कैसे प्यार करता है।
विनोद बिना चूत चाटे चुदाई नहीं करता था। जैसा मैंने उम्मीद की थी, दर्जी ने कोई नाराजगी नहीं दिखाई। विनोद नंगा हुआ, लेकिन उसका लौड़ा ढीला था। जैसा हम घर में करते थे, विनोद मेरे ऊपर 69 की पोज में आ गया। मैंने उसके सुपारे को चूसना शुरू किया, उसका 7 इंच का लौड़ा मेरे मुँह में पूरा समा रहा था। विनोद ने अपनी जीभ मेरी चूत की दरार पर रगड़ी। उसकी जीभ मेरी क्लिट को सहलाते हुए चूत के अंदर घुसी, और मैं सिसकारी ले उठी- आह्ह…।
दर्जी हैरान होकर बोला- शालू, साहब, आप दोनों ये क्या कर रहे हैं? चूत और लौड़ा चूसने-चाटने के लिए नहीं होता। ये गंदा है, ऐसा मत करो। बीमार हो जाओगे।
वो मेरे पास आया और मेरी जांघों को सहलाने लगा। उसने बार-बार मना किया, लेकिन हम दोनों पति-पत्नी ने वही किया जो हम करते थे। करीब आधा घंटा हमने ओरल किया। मैंने दर्जी को गौर से देखा—वो विनोद के हर एक्शन को ध्यान से देख रहा था। कैसे विनोद मेरी क्लिट को चूसता है, चूत की पंखुड़ियों को खींचता है, और जीभ को चूत के अंदर डालता है। मैंने कई बार विनोद का पूरा लौड़ा अपने गले तक लिया।
जब मैं बहुत गर्म हो गई, तो मैंने विनोद को धक्का दिया। वो समझ गया और पोजीशन बदलकर मुझे चोदने लगा। मुझे आश्चर्य हुआ कि उसके धक्के पहले से ज्यादा ताकतवर थे। 15 मिनट की बजाय उसने 25 मिनट से ज्यादा चोदा। उसका लौड़ा मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मैं सिसकार रही थी- आह्ह… और जोर से…। उसने मेरी चूत में पानी छोड़ा, और मैं झड़ गई।
विनोद नीचे उतरा, और एक मिनट के अंदर ही दर्जी का जोरदार धक्का मेरी चूत में लगा। उसका 9 इंच का लौड़ा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया, और मैं चीखी- वाह, जीजाजी, आपने कमाल कर दिया! आपकी चुदाई देखकर मेरा पति भी मुझे बढ़िया चोदने लगा। जिसने हमेशा 15 मिनट चोदा, उसने आज तुम्हारे सामने आधा घंटा चोदा। आज तुम्हारा धक्का भी उस रात से ज्यादा मजा दे रहा है।
दर्जी ने पहले की तरह जमकर चोदा। उसका हर धक्का मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मेरी चप-चप की आवाज दुकान में गूँज रही थी। 40-45 मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़े। लेकिन विनोद ने मुझे रेस्ट नहीं करने दिया। दर्जी नीचे उतरा, और विनोद फिर चोदने लगा। मुझे एक मिनट का आराम नहीं मिला। दोनों ने मुझे 3-3 बार चोदा। दर्जी ने तीसरी बार मेरी चूत में अपना रस छोड़ा। मैं उससे धक्का देती हुई टेबल से उतरी, शटर उठाया, और नंगी सड़क पर आ गई। मेरी चूत से उनका माल टपक रहा था, और मेरी जांघें चिपचिपी हो गई थीं।
मैंने कहा- जीजाजी, अपने कपड़े लेने परसों रात आऊँगी। मुझे दोनों के 2-2 सेट चाहिए।
विनोद मेरा कुर्ता और सैंडल लेकर बाहर आया। उसने सिर्फ शर्ट पहनी थी। हम सोसाइटी गेट पर सुबह 5 बजे पहुँचे। मैंने विनोद से कार रोकने को कहा। उदय मेरे बगल में आया। मैंने अपनी साइड का गेट खोला और कार की अंदर की लाइट ऑन कर दी। मेरी नंगी जवानी के साथ उदय को विनोद का तना हुआ लौड़ा भी दिखा। उदय ने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को दबाना शुरू किया। मैंने कहा- दिन में पॉसिबल नहीं है। अपनी रात की ड्यूटी किसी के साथ चेंज कर लो और आज पूरी रात मेरे साथ गुजारो। रात 10 बजे तुम्हारा वेट करूँगी।
मैंने उसे कार में बैठने को कहा। जैसे ही वो बैठा, मैंने उसका सिर पकड़ा और अपनी जांघों के बीच दबाया। मैंने कहा- अभी चूत का स्वाद ले लो। रात में ये तेरा लौड़ा खाएगी।
अपने पति को मैं एक और लाइव सिनेमा दिखाने वाली थी।
जारी रहेगा… अगले भाग में पढ़ें कि कैसे शालू उदय के साथ रात बिताती है और क्या वो बलदेव को अपनी चूत में ले पाती है।