नमस्ते दोस्तों। सबसे पहले मैं आपसे माफी मांगता हूँ कि इतने दिन बाद ये कहानी आपके सामने ला रहा हूँ। जिन्होंने इस कहानी का पिछला हिस्सा(मेरी और बहन की चुदाई फैजान और उसके मुस्लिम दोस्त से 3) नहीं पढ़ा, उनसे गुजारिश है कि पहले वो उसे पढ़ लें, क्योंकि ये उसी का अगला भाग है और बिल्कुल सच्ची घटना पर आधारित है।
दोस्तों, जैसा कि मैंने पहले बताया था, सलीम ने हिमानी को साड़ी और मंगलसूत्र के लिए पैसे दिए थे। अगले दिन हिमानी मुझे साथ लेकर बाजार गई। उसने एक खूबसूरत लाल साड़ी, चमचमाता मंगलसूत्र और नई ब्रा-पैंटी का सेट खरीदा। शाम को उसने खुद को दुल्हन की तरह सजाया। बालों में गजरा, माथे पर बिंदी, होंठों पर गहरी लाल लिपस्टिक और काजल से सजी आँखें। जब वो मेरे सामने आई, मैं तो देखता ही रह गया। वो किसी जन्नत की हूर से कम नहीं लग रही थी। उसकी जवानी और साड़ी का कसाव उसकी हर अदा को और निखार रहा था।
हिमानी ने मुझे तिरछी नजर से देखा और बोली, “क्या घूर रहा है, गाँडू साले? आज मेरी सलीम जी के साथ सुहागरात है। अपनी नजरें नीची कर, कहीं मेरी नजर न लग जाए।” उसकी बातों में मस्ती थी, पर ताना भी साफ झलक रहा था।
मैंने हल्के से पूछा, “हिमानी, तू सचमुच सलीम से चुदवाने जा रही है?” वो हँसी और बोली, “इतना सज-धज कर क्या तेरे जैसे लुल्ली वाले गाँडू के लिए तैयार हुई हूँ? सलीम जी असली मर्द हैं, और ये बात तुझे कल रात को पता चल ही गई थी।” उसने आँख मारी और जोर से हँस पड़ी। फिर बोली, “वैसे, तुझे भी तो मजा आया था ना, सलीम जी से गाँड मरवाने में?” ये कहते हुए उसने मेरी गाँड पर जोर से एक थप्पड़ जड़ दिया। मैं शरमा गया, पर उसकी बातों ने मुझे अंदर तक हिला दिया।
हिमानी ने अपनी इस्तेमाल की हुई ब्रा और पैंटी मेरी तरफ फेंकी और बोली, “ये ले, मेरी सुहागरात का तोहफा। सूँघ ले, गाँडू!” मैंने उसकी पैंटी को सूँघा, और उसमें से आती मादक खुशबू ने मेरे होश उड़ा दिए। हिमानी मुझे देखकर ठहाके मारने लगी और बोली, “तू बस इसी लायक है, छोटी लुल्ली वाला बहनचोद!” उसकी बातें मुझे चुभ रही थीं, पर कहीं न कहीं उसकी बेफिक्री मुझे उत्तेजित भी कर रही थी।
रात हुई, और मैं हिमानी को लेकर सलीम के फ्लैट पर पहुँचा। वहाँ का नजारा देखकर मैं हैरान रह गया। सलीम सिर्फ एक पतली सी लुंगी में था, उसकी चौड़ी छाती और मांसल भुजाएँ खुली थीं। उसका शरीर किसी जंगली शेर की तरह लग रहा था। इधर मेरी बहन हिमानी दुल्हन की तरह सजी-धजी थी, और सलीम बस एक लुंगी में सुहागरात मनाने को तैयार था। वो सोफे पर बैठा चिकन खा रहा था। जैसे ही उसकी नजर हिमानी पर पड़ी, उसके हाथ से चिकन का टुकड़ा थाली में गिर गया। वो हिमानी को भूखी नजरों से घूरने लगा, जैसे आज वो उसे निगल ही जाएगा।
सलीम ने हिमानी को देखकर कहा, “मेरी जान, आज तू एकदम माल लग रही है। बिल्कुल संस्कारी सुहागन, पर चूत में आग लिए हुए!” हिमानी शरमाकर मुस्कुराई और बोली, “शुक्रिया, हुजूर।” फिर उसने पूछा, “आप अभी तक तैयार नहीं हुए?” सलीम ने जोर से ठहाका मारा और बोला, “शेर शिकार करने के लिए कपड़े नहीं सजाता, मेरी रानी!” हिमानी भी शरमाते हुए हँस पड़ी और सोफे पर बैठ गई।
मुझे हैरानी हुई कि हिमानी ने अपने बॉयफ्रेंड फैजान के बारे में एक बार भी नहीं पूछा। वो तो बस सलीम की तरफ खिंची चली जा रही थी, जैसे उसका सारा ध्यान सिर्फ सलीम की मर्दानगी पर था। हिमानी सोफे पर किसी हिरणी की तरह बैठी थी, और सामने सलीम, एक सांड की तरह, चौड़ी छाती और खूंखार नजरों के साथ। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, जैसे आज वो कुछ ज्यादा ही जोश में था।
सलीम ने चिकन का एक टुकड़ा तोड़ा और हिमानी की आँखों में आँखें डालकर खाने लगा। हिमानी उसकी हर हरकत को गौर से देख रही थी। मन ही मन वो सोच रही थी कि जिस तरह सलीम चिकन को चबा रहा है, वैसे ही थोड़ी देर में वो उसकी हालत करने वाला है। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और वो सलीम की चौड़ी छाती में समा जाने को बेकरार थी।
सलीम ने मुझे अब तक नजरअंदाज किया हुआ था। अचानक उसने अपना जूठा चिकन का टुकड़ा मेरी तरफ फेंका और बोला, “ले, खा ले इसे!” मैं चुपचाप खड़ा रहा। हिमानी ने मुझे घूरा और बोली, “गाँडू साले, जल्दी से नीचे बैठ और खा ले!” मैंने झट से जमीन पर बैठकर उस टुकड़े को खाना शुरू किया। हिमानी खुश हो गई और सलीम की मर्दानगी से और इम्प्रेस हो गई। उसकी आँखों में सलीम के लिए सम्मान और वासना साफ दिख रही थी।
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सलीम ने हिमानी से पानी लाने को कहा। हिमानी तुरंत उठी और किचन से एक जग में पानी ले आई। सलीम ने थाली में ही हाथ धोए, पानी पिया, और अपनी लुंगी से हाथ पोंछकर हिमानी को बोला, “जाओ, अंदर कमरे में पलंग पर बैठो और मेरे आने का इंतजार करो।” हिमानी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। वो झट से अंदर चली गई, अपने मर्द का इंतजार करने लगी। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, जैसे आज उसकी जिंदगी का सबसे खास पल आने वाला था।
सलीम ने मुझे बुलाया और बोला, “इस थाली को किचन में ले जाकर धो दे। और अगर अपनी बहन की सुहागरात देखना चाहता है, तो बगल वाले कमरे के रोशनदान से झाँक लेना।” मैं खुशी से पागल हो गया। जल्दी से सलीम की जूठी थाली उठाकर किचन में गया और उसे धो दिया।
इधर सलीम कमरे में गया, जहाँ हिमानी उसका इंतजार कर रही थी। हिमानी की साँसें तेज थीं, उसने अपनी साड़ी का पल्लू कसकर पकड़ रखा था। सलीम उसके पास बिस्तर पर बैठा और बोला, “हिमानी, आज तू जन्नत की हूर लग रही है। आज मैं तुझे इतना मजा दूँगा कि तू सारी उम्र सिर्फ मेरे लंड की गुलाम बनकर रह जाएगी।” हिमानी ने शरमाते हुए कहा, “शुक्रिया, सलीम जी। आप भी आज किसी शेर जैसे लग रहे हो।” उसकी आवाज में उत्साह और उत्तेजना थी।
सलीम ने धीरे से हिमानी का घूँघट उठाया। उसका चेहरा चाँद की तरह चमक रहा था। सलीम ने उसके चेहरे को अपने करीब खींचा और उसके होंठों को चूसना शुरू किया। उसके मुँह से चिकन की गंध आ रही थी, पर हिमानी को उससे कोई परेशानी नहीं थी। वो पूरे जोश से सलीम के होंठों को चूमने लगी, जैसे उसकी सारी शर्म अब खत्म हो चुकी थी।
हिमानी सलीम की तरफ मुड़ी और उसकी चौड़ी छाती से लिपटते हुए बोली, “सलीम जी, आपकी इस मर्दों वाली छाती ने मुझे पागल कर दिया है।” वो सलीम के होंठ छोड़कर उसकी छाती को चूमने लगी, उसकी जीभ सलीम की छाती पर फिसलने लगी। सलीम ने हिमानी के साड़ी के पल्लू को धीरे से खींचा और उसके गहरे क्लीवेज में अपनी जीभ फिराने लगा। हिमानी की साँसें और तेज हो गईं, उसकी आँखें आनंद से बंद होने लगीं। “आह्ह… सलीम जी…” उसने हल्के से सिसकारी भरी।
सलीम ने अब हिमानी के ब्लाउज की डोरी को एक झटके में खींचकर तोड़ दिया। हिमानी चौंक गई, पर उसने कुछ नहीं कहा। वो सलीम की हरकतों का मजा ले रही थी। सलीम ने उसका ब्लाउज उतारकर बगल में फेंक दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके भरे हुए बूब्स को काटने लगा। हिमानी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गईं, “उफ्फ… सलीम जी… धीरे…” पर उसकी आवाज में शिकायत कम और मस्ती ज्यादा थी।
सलीम ने हिमानी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी नाभि पर अपनी जीभ फिराने लगा। वो धीरे-धीरे उसके पेट को चूम रहा था, कभी हल्के से काट रहा था। हिमानी पागलों की तरह तड़प रही थी, उसकी उंगलियाँ चादर को कसकर पकड़े हुए थीं। सलीम ने अब हिमानी की साड़ी को धीरे-धीरे नीचे खींचा और उसे पूरी तरह उतारकर फेंक दिया। अब हिमानी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी, उसकी गोरी जाँघें और पतली कमर सलीम को और उत्तेजित कर रही थीं।
सलीम ने हिमानी की गीली पैंटी पर एक गहरा चुम्बन दिया। हिमानी की चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “आह्ह… सलीम जी… उफ्फ…” उसने चादर को और जोर से पकड़ लिया। सलीम ने हिमानी को उल्टा कर दिया और उसकी पीठ पर अपनी जीभ फिराने लगा। उसने हिमानी की गोल-मटोल गाँड पर हल्के से काटा, जिससे हिमानी की चीख निकल गई, “आउच… सलीम जी, ये क्या!” पर उसकी चीख में मजा साफ झलक रहा था।
अचानक सलीम ने हिमानी की जाली वाली पैंटी को एक जोरदार झटके से फाड़ दिया। हिमानी की एक और चीख निकली, “आह्ह… सलीम जी!” उसे अब डर के साथ-साथ उत्साह भी हो रहा था। वो समझ गई थी कि आज सलीम किसी खतरनाक मूड में है, और आज उसकी चूत की खैर नहीं।
सलीम ने हिमानी की गाँड के नीचे एक तकिया रखा और उसकी गाँड पर जोर-जोर से थप्पड़ मारने लगा। “चटाक… चटाक…” थप्पड़ों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। हिमानी सिसकारियाँ लेते हुए चीख रही थी, “आह्ह… सलीम जी… धीरे… उफ्फ… कितना जोर से मारते हो!” पर उसकी आवाज में दर्द के साथ-साथ आनंद भी था। सलीम ने अब हिमानी की ब्रा खोल दी और उसे सीधा लिटाकर उसके बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगा। वो कभी उसके होंठों को चूमता, कभी गले पर काटता, और कभी उसके बूब्स को अपने दाँतों से हल्के से कुरेदता।
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हिमानी अब पूरी तरह पागल हो चुकी थी। “आह्ह… सलीम जी… और जोर से… उफ्फ…” वो सलीम की पीठ पर अपने नाखून गड़ाने लगी, पर सलीम को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसका मर्दाना जोश हिमानी को और दीवाना बना रहा था।
अब सलीम की नजर हिमानी की चूत पर थी। उसने जैसे ही अपनी जीभ हिमानी की चूत पर रखी, हिमानी का पूरा शरीर काँप उठा। “आह्ह… सलीम जी… ओह्ह…” वो अपने दोनों पैर सलीम के गले में डालकर उसके सिर को अपनी चूत में दबाने लगी। सलीम अनुभवी था, वो हिमानी की चूत को चूसता, फिर रुक जाता, ताकि हिमानी का पानी न निकले। हिमानी पागलों की तरह तड़प रही थी, “सलीम जी, प्लीज… मेरी चूत का पानी निकाल दो… मैं मर जाऊँगी… आह्ह…” वो सलीम से भीख माँगने लगी।
आखिरकार सलीम ने हिमानी की चूत को चूस-चूसकर उसका पानी निकाल दिया। “आह्ह… ओह्ह… सलीम जी…” हिमानी की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। वो सलीम के बगल में लेट गई और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। हिमानी ने सलीम से कहा, “सलीम जी, ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला। मैं तो आपकी गुलाम बन गई हूँ।” ये कहकर वो सलीम की छाती से लिपट गई और उसकी छाती को काटने लगी।
अब बारी थी सलीम के लंड की। हिमानी उठी, अपने बालों को जूड़े में बाँधा, और सलीम ने अपनी लुंगी खोल दी। उसका 8 इंच का खूंखार लंड बाहर आ गया, जो पूरी तरह तना हुआ था। हिमानी की आँखें चमक उठीं। वो सलीम के लंड को अपने नाजुक हाथों में लेकर चूसने लगी। “स्लर्प… स्लर्प…” उसकी जीभ सलीम के लंड के टोपे पर घूम रही थी। वो बीच-बीच में सलीम के गोटों को भी चाट रही थी। सलीम को इतना मजा आ रहा था कि वो सिसकारियाँ लेने लगा, “आह्ह… हिमानी… तू तो जादू कर रही है… और चूस…”
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद सलीम ने हिमानी को अपने ऊपर खींच लिया और उसे चूमने लगा। वो हिमानी को चुदाई के लिए तैयार कर रहा था। उसने हिमानी को लिटाया, उसकी दोनों टाँगों को अपने कंधों पर रखा, और अपने लंड को हिमानी की चूत पर रगड़ने लगा। हिमानी तड़प रही थी, “सलीम जी, प्लीज… अब डाल दो… मैं और नहीं रुक सकती… आह्ह…” सलीम ने एक जोरदार झटका मारा, और उसका मोटा टोपा हिमानी की चूत में घुस गया।
हिमानी छटपटाने लगी, “आह्ह… सलीम जी… दर्द हो रहा है…” पर सलीम ने उसे चूमते हुए शांत किया और धीरे-धीरे अपना पूरा 8 इंच का लंड हिमानी की चूत में उतार दिया। “उफ्फ… कितना बड़ा है… आह्ह…” हिमानी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। सलीम रुक गया और हिमानी के बूब्स दबाते हुए उसे नॉर्मल होने का मौका दिया।
जब हिमानी थोड़ी शांत हुई, सलीम ने धीरे-धीरे झटके देने शुरू किए। “पच… पच…” लंड और चूत के टकराने की आवाज कमरे में गूँज रही थी। हिमानी सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… सलीम जी… और जोर से… उफ्फ…” सलीम ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसने हिमानी को अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी उसे घोड़ी बनाकर, कभी उसकी टाँगें हवा में उठाकर। हिमानी की चूत का पानी चार बार निकल चुका था, और हर बार वो जोर-जोर से चीख रही थी, “आह्ह… सलीम जी… मैं गई… ओह्ह…”
आखिर में सलीम ने हिमानी के मुँह में अपना लंड डाला और जोर से झड़ गया। हिमानी ने उसका सारा माल चूस लिया, जैसे कोई पवित्र प्रसाद हो। वो पूरी तरह थक चुकी थी, पर उसके चेहरे पर संतुष्टि की चमक थी। उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे। वो सलीम से लिपट गई और उसे चूमने लगी।
सलीम ने हिमानी से पानी लाने को कहा। हिमानी अपने आँसू पोंछते हुए किचन में गई और एक ग्लास पानी लेकर आई। सलीम ने आधा ग्लास पिया और बाकी हिमानी को दे दिया। हिमानी ने उसे पी लिया और सलीम की छाती से लिपटकर लेट गई। वो इतनी संतुष्ट थी कि उसके मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे। वो बस उस पल को जीना चाहती थी। फिर वो सलीम से लिपटकर सो गई।
अगले दिन मैं हिमानी को वापस ले आया। अब जब भी सलीम का मन होता, वो हिमानी को बुला लेता और उसकी चुदाई करता।
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दोस्तों, ये थी मेरी बहन हिमानी की सलीम के साथ सुहागरात की सच्ची कहानी। आगे क्या हुआ, वो मैं अगली बार बताऊँगा। कृपया अपनी राय और फीडबैक जरूर दें। आपको ये कहानी(bahen ki chudai, Sanskari ldki ki chudai, suhagraat sex story) कैसी लगी? क्या आप चाहेंगे कि मैं अगला हिस्सा जल्दी लाऊँ? कमेंट में जरूर बताएँ!
तुझे तो बहुत मजा आता होगा चुदाई देख कर लौड़ा और चूत भी चाट लिया कर जब उनका पानी निकले तब