चाची और उसकी बहन को चोदा

हाय! मेरा नाम गौरव है। मैं 20 साल का हूँ, और हमारे गांव के घर में संयुक्त परिवार का माहौल है। सब लोग एक साथ रहते हैं, और दिनभर हँसी-मजाक चलता रहता है। मेरे चाचा-चाची हमारे साथ ही रहते हैं। चाची का नाम रिया है, उम्र होगी कोई 30-32 साल, लेकिन उनकी जवानी ऐसी है कि कोई देखे तो लंड अपने आप खड़ा हो जाए। उनके भरे हुए चूचे, कसी हुई गांड, और चिकनी कमर देखकर कोई भी पागल हो जाए। उनकी बहन पूनम, जो दो साल छोटी है, और भी कातिल हसीना है। उसकी गोल-मटोल गांड और तने हुए चूचे जैसे ब्लाउज़ में फटने को तैयार हों। पूनम की मुस्कान में एक शरारत भरी चमक है, जो किसी का भी दिल चुरा ले।

ये बात उन दिनों की है जब मैंने कॉलेज में नया-नया एडमिशन लिया था। पहले सेमेस्टर की छुट्टियों में मैं घर पर ही था। गर्मी का मौसम था, और दोपहर की तपती धूप में मैं आंगन में खुले में नहाने का शौकीन हूँ। उस दिन मैं सिर्फ़ चड्डी में नहा रहा था। ठंडा पानी मेरे जिस्म पर गिर रहा था, और मैं आँखें बंद करके उस सुकून का मज़ा ले रहा था। तभी चाची रिया आंगन में आईं और मुझे छेड़ने लगीं। वो मेरी चड्डी खींचने की कोशिश करने लगीं, और हँसते हुए बोलीं, “क्या गौरव, इतना बड़ा लंड छुपा कर रखता है?”

मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “ये तो आपको मेरी चड्डी खींचने से पहले सोचना चाहिए था!” मैंने मजाक में उनके ऊपर पानी की बाल्टी उड़ेल दी। चाची के सारे कपड़े भीग गए। उनकी साड़ी उनके जिस्म से चिपक गई, और उनके मोटे चूचे ब्लाउज़ में से साफ़ दिखने लगे। उनकी गीली ब्रा में निप्पल उभर आए थे, और उनकी चिकनी जाँघें साड़ी के नीचे से झलक रही थीं। चाची खिसियाते हुए बोलीं, “ये क्या किया हरामी? अब मुझे भी नहाना पड़ेगा।”

मैंने तपाक से कहा, “जब आप भीग ही गई हो तो मेरे साथ ही नहा लो!”

चाची ने गुस्से से देखा और बोलीं, “हट्ट बेशर्म … अगर किसी ने देख लिया तो?”

मैंने कहा, “यहाँ पर कौन है देखने वाला? पापा-चाचा काम पर गए हैं, माँ रिश्तेदारी में हैं। बाहर से किसी को कुछ दिखाई देगा नहीं।”

चाची कुछ देर सोच में डूब गईं। उनकी आँखों में शरारत चमकी, और वो चलते-चलते रुक गईं। अगले ही पल उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया। मेरे सामने ही उन्होंने अपना ब्लाउज़ खोल दिया। मैं उनके चूचों को देखकर दंग रह गया। उनकी ब्रा में कैद उनके भरे हुए चूचे जैसे बाहर निकलने को बेताब थे। गीली ब्रा से उनके सख्त निप्पल साफ़ दिख रहे थे। चाची ने मुझे बाथरूम में पानी लाने को कहा और खुद अंदर चली गईं। मैं पानी लेकर गया तो देखा चाची पूरी नंगी खड़ी हैं। उनकी चिकनी चूत, भरे हुए चूचे, और गोल-मटोल गांड देखकर मेरा 8 इंच का लंड चड्डी फाड़कर बाहर आने को तैयार था। उनकी चूत की हल्की सी झांटें गीली होकर चमक रही थीं, और उनकी जाँघों पर पानी की बूँदें मोतियों की तरह टपक रही थीं।

चाची की नजर मेरे तने हुए लौड़े पर पड़ी। वो मेरी आँखों में देखकर मुस्कुराईं और बोलीं, “गौरव तेरा घोड़ा तो ताव में आ गया है।”

मैंने उनके चूचों पर हाथ रखते हुए कहा, “चाची चूत दे दो प्लीज!”

चाची हँसते हुए बोलीं, “हरामी मैं जानती हूं। अब तो तू मुझे चोद कर रहेगा, मगर आज नहीं कल कर लेना। कल सब शादी में जायेंगे तब चोद लेना।”

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ये कहकर चाची ने मुझे बाथरूम से बाहर धकेल दिया। मैं बाहर आ गया, लेकिन मेरा लंड बेकाबू था। चाची का नंगा जिस्म मेरी आँखों के सामने घूम रहा था। उनकी चिकनी चूत, उनके उभरे हुए चूचे, और उनकी गोल गांड मेरे दिमाग में बसे थे। उस रात मैंने चाची को सोचकर दो बार मुट्ठ मारी। पहली बार वीर्य निकला, लेकिन लंड शांत नहीं हुआ। दूसरी बार लगातार मुट्ठ मारने के बाद ही नींद आई। मैं रातभर चाची की चूत और गांड के ख्यालों में डूबा रहा।

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सुबह उठते ही मेरा लंड फिर से बेताब था। इंतज़ार का एक-एक पल युगों जितना लग रहा था। मैं सोच रहा था कि कब सब लोग शादी में जाएँगे, और कब मुझे चाची की चूत चोदने का मौका मिलेगा। दोपहर होते-होते घर खाली हो गया। मैंने दरवाज़ा बंद किया और चाची के कमरे में घुस गया।

चाची लाल साड़ी में थीं। उनकी कसी हुई गांड साड़ी में से उभर रही थी, और उनका ब्लाउज़ उनके चूचों को मुश्किल से समेटे था। मैंने पीछे से उन्हें पकड़ लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी साँसें गरम थीं, और उनका जिस्म मेरे स्पर्श से काँप रहा था। मैंने उनकी साड़ी के ऊपर से उनके चूचों को जोर से दबाया। चाची ने कोई विरोध नहीं किया। वो जानती थीं कि मैं इस पल का इंतज़ार कर रहा था। मैंने उनकी साड़ी धीरे-धीरे खींचकर उतार दी। उनकी चिकनी कमर और गहरी नाभि देखकर मेरा लंड लोअर में उछलने लगा। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी गीली पैंटी उनकी चूत की शेप को उभार रही थी।

मैंने चाची को बेड पर धकेल दिया और उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत पर हाथ फेरा। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, और पैंटी पर गीला धब्बा साफ़ दिख रहा था। मैंने उनके होंठ चूसते हुए उनकी ब्रा खींचकर उतार दी। उनके मोटे चूचे आज़ाद हो गए, और उनके सख्त निप्पल मेरी आँखों के सामने तनकर खड़े थे। मैंने एक चूचे को मुँह में लिया और दूसरे को जोर-जोर से मसलने लगा। चाची की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आराम से कर हरामी, इनको उखाड़ने का इरादा है क्या?”

मैंने कहा, “चाची, इनको तो बस पीने का इरादा है।”

चाची बोलीं, “तो फिर कर ले अपने मन की मुराद पूरी।”

मैंने उनके निप्पल को जीभ से चाटा, फिर दाँतों से हल्का सा काटा। चाची ने स्स्स… करके मुझे अपने सीने से लगा लिया। मैंने उनके चूचों को इतने मज़े से चूसा कि मेरे मुँह में उनकी मिठास घुल गई। चाची की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… गौरव… चूस ले मेरे दूध… ओह्ह…” मैंने उनके एक चूचे को मुँह में भर लिया और दूसरे को दोनों हाथों से मसलने लगा। उनके निप्पल मेरी जीभ पर रगड़ रहे थे, और मैं उन्हें चूसते हुए उनकी चूत की तरफ बढ़ा।

मैंने उनकी पैंटी उतारी। उनकी चूत गीली होकर चमक रही थी। मैंने अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पर फेरीं, और उनकी क्लिट को धीरे-धीरे सहलाया। चाची की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह्ह… गौरव… उंगली डाल दे मेरी चूत में…” मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाली, और उनकी गर्म, गीली चूत ने मेरी उंगली को जकड़ लिया। मैंने दूसरी उंगली डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। चाची की चूत से पानी टपक रहा था, और उनकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… हरामी… और तेज़ कर… मेरी चूत फाड़ दे…”

मैंने उनकी चूत पर मुँह रखा और जीभ से चाटना शुरू किया। चाची की चूत की भीनी-भीनी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से चूसा, और उनकी चूत में जीभ घुसा दी। चाची ने मेरे सिर को अपनी चूत में दबा लिया और चीखने लगीं, “आह्ह… गौरव… चूस ले मेरी चूत को… ओह्ह…” मैंने उनकी चूत को इतने मज़े से चाटा कि उनका पानी मेरे मुँह में आ गया। उनकी टाँगें काँप रही थीं, और वो सिसकारियाँ लेते हुए बोलीं, “हरामी, तू तो मेरी चूत का रस पी गया!”

फिर चाची ने मुझे धकेलकर बेड पर लिटाया। वो मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरी लोअर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगीं। मेरे लंड का प्रीकम लोअर को गीला कर चुका था। चाची ने मेरी लोअर के ऊपर से ही मेरे लंड के टोपे को चाटा। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर लगी तो मेरे मुँह से निकला, “आह्ह… चाची… आप तो कमाल हो!”

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चाची ने मेरी तरफ़ आँख मारी और फिर से मेरे लंड को लोअर के ऊपर से चाटने लगीं। मैंने अपनी लोअर उतारने की कोशिश की, लेकिन चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिए। उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, और मेरे ही कामरस की गंध मेरी नाक में आने लगी। ये अनुभव मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने चाची की गांड को जोर से दबाया और उन्हें बेड पर लिटा दिया। उनकी गीली पैंटी पहले ही उतर चुकी थी। मैंने उनकी चूत पर अपना लंड रगड़ा। चाची की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, “गौरव… डाल दे अपना लौड़ा… मेरी चूत तरस रही है…”

मैंने धीरे से अपना 8 इंच का लंड उनकी चूत में डाला। चाची की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर चला गया। मैंने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की, और चाची की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “आह्ह… गौरव… मेरी चूत फाड़ दे… चोद दे मुझे… ओह्ह…” मैंने स्पीड बढ़ाई, और चाची की चूत से फच-फच की आवाज़ आने लगी। मेरा लंड उनकी चिकनी चूत में गपागप अंदर-बाहर हो रहा था। चाची की टाँगें मेरी कमर पर लिपटी थीं, और वो मुझे और ज़ोर से चोदने को कह रही थीं।

मैंने उनकी गर्दन को चूसा, उनके चूचों को दबाया, और उनकी चूत को रौंदने लगा। चाची चीख रही थीं, “हय्य… गौरव… मेरे चोदू भतीजे… फाड़ दे मेरी चूत… आह्ह…” मैंने उनकी चूत को अलग-अलग पोज़ में चोदा। पहले मिशनरी में, फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। चाची की गांड मेरे हर धक्के के साथ हिल रही थी। मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारे, और चाची सिसकारियाँ लेते हुए बोलीं, “हरामी, मेरी गांड भी चोद दे!”

मैंने अपनी हथेली पर थूक लिया और उनकी गांड के छेद को चिकना किया। फिर धीरे से अपना लंड उनकी गांड में डाला। चाची बिलबिला उठीं, “उम्म्ह… आह्ह… धीरे कर कमीने…” लेकिन मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और उनकी गांड की ठुकाई शुरू कर दी। चाची की सिसकारियाँ चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… गौरव… मेरी गांड फाड़ दे… ओह्ह…” कमरे में फट-फट की आवाज़ गूँज रही थी। मैंने उनकी गांड को 15 मिनट तक चोदा, और फिर उनकी चूत में वापस लंड डाला।

20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरा लंड वीर्य उगलने को तैयार था। मैंने लंड बाहर निकालने की सोची, लेकिन चाची ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ उनकी चूत में छूटीं, और चाची भी मेरे साथ झड़ गईं। उनकी चूत से उनका गर्म पानी मेरे लंड पर बह रहा था। हम दोनों की साँसें फूल रही थीं। मैं उनके ऊपर लेट गया, और हम दोनों पसीने से तर-ब-तर थे।

शांत होने के बाद चाची बोलीं, “वाह रे कमीने! तू तो बड़ा खिलाड़ी है … कल तुझे अपनी बहन से मिलवाऊंगी।”

अगले दिन चाची ने अपनी बहन पूनम को बुलाया। पूनम की जवानी चाची से भी ज़्यादा कातिल थी। उसकी गोल-मटोल गांड और तने हुए चूचे देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उसकी साड़ी में से उसकी गहरी नाभि और चिकनी कमर झलक रही थी। चाची ने हँसते हुए कहा, “गौरव, मेरी बहन का अच्छे से ध्यान रखना।” उनकी शरारती मुस्कान से मैं समझ गया कि वो क्या चाहती हैं।

मैं पूनम को एक होटल में ले गया। हमने कोल्ड कॉफी ऑर्डर की। पूनम मेरे पास वाली कुर्सी पर बैठी थी। उसने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रखा और धीरे से मेरे लंड को सहलाते हुए बोली, “मुझे तो ये खाना है।”

मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया। हमने जल्दी से कॉफी खत्म की और होटल के कमरे में चले गए। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना 8 इंच का लंड उसके हाथ में दे दिया। पूनम ने मेरे लंड को सहलाना शुरू किया, और मैं उसके होंठ चूसने लगा। वो मेरे होंठों को काट रही थी, और मेरे हाथ उसकी गांड को मसल रहे थे। उसकी गांड इतनी मुलायम थी कि मेरी उंगलियाँ उसमें धँस रही थीं।

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मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पूनम के सिर को नीचे दबाया, और वो घुटनों पर बैठ गई। मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। पूनम ने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे वो भूखी हो। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और वो मेरे लंड को पूरा मुँह में ले रही थी। उसका थूक मेरे लंड को चिकना कर रहा था, और मैं सिसकारियाँ ले रहा था, “आह्ह… पूनम… चूस ले मेरे लौड़े को…”

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पूनम ने मेरे लंड को 10 मिनट तक चूसा। उसकी जीभ मेरे लंड के हर इंच को चाट रही थी, और वो मेरे टट्टों को भी सहला रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह में लंड को और गहरा डाला। पूनम ने गों-गों की आवाज़ निकाली, लेकिन वो रुकी नहीं। मैंने उसके कपड़े उतार दिए। वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने उसकी ब्रा खींचकर उतारी, और उसके मोटे चूचे मेरे सामने उछल पड़े। मैंने उन्हें जोर-जोर से मसला और चूसा। उनके निप्पल मेरे मुँह में सख्त हो गए। फिर मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत पानी छोड़ रही थी, और उसकी गीली चूत चमक रही थी।

मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। पूनम सिसकारियाँ ले रही थी, “गौरव… डाल दे अपना लौड़ा… मेरी चूत तरस रही है…” मैंने एक झटके में अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। पूनम खिलाड़ी थी। उसने बिना उफ्फ किए मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया। मैंने उसकी चूत की ठुकाई शुरू की। कमरे में फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। मैंने उसकी चूत को 30 मिनट तक चोदा। वो बार-बार सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… गौरव… मेरी चूत फाड़ दे… चोद मुझे…”

मैंने वियाग्रा खा रखी थी, इसलिए मेरा लंड थकने का नाम नहीं ले रहा था। मैंने पूनम को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। उसकी गोल गांड मेरे हर धक्के के साथ हिल रही थी। मैंने उसकी गांड पर थप्पड़ मारे, और वो चीखते हुए बोली, “हरामी, मेरी गांड भी चोद दे!”

मैंने अपनी हथेली पर थूक लिया और उसकी गांड के छेद को चिकना किया। फिर धीरे से अपना लंड उसकी गांड में डाला। पूनम बिलबिला उठी, “उम्म्ह… आह्ह… धीरे कर कमीने…” लेकिन मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और उसकी गांड की ठुकाई शुरू कर दी। कमरे में फट-फट की आवाज़ गूँज रही थी। पूनम की सिसकारियाँ चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… गौरव… मेरी गांड फाड़ दे… ओह्ह…” मैंने उसकी गांड को 20 मिनट तक चोदा, और फिर उसकी चूत में वापस लंड डाला।

रात भर मैंने पूनम की चुदाई की। हर राउंड में अलग-अलग पोज़ आज़माए। मैंने उसकी चूत को मिशनरी, डॉगी, और काउगर्ल स्टाइल में चोदा। उसकी गांड को भी जमकर ठोका। हर बार जब मैं झड़ने वाला होता, पूनम मुझे अपने ऊपर खींच लेती, और मेरा वीर्य उसकी चूत या गांड में छूट जाता। पूनम मेरे लंड की दीवानी हो गई।

अब चाची और पूनम दोनों मेरे लंड की भूखी हैं। जब भी मुझे अकेला देखती हैं, मेरे लंड को चूसने या चुदवाने के लिए दौड़ पड़ती हैं। चाची तो अब घर की मुर्गी दाल बराबर हो गई है, लेकिन पूनम का मौका मिलते ही मैं उसकी चूत और गांड का मज़ा लेता हूँ।

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