चचेरी बहन के साथ सेक्स

Cousin Sister Chudai Hindi sex kahani मैं पहली बार अपनी जिंदगी का वो अनुभव शेयर कर रहा हूँ, जो मेरे दिल और दिमाग में आज भी ताजा है। ये कहानी मेरी चचेरी बहन रिया के साथ की है, जो गाँव से पढ़ाई के लिए हमारे शहर वाले घर में आई थी। मैं उस वक्त 24 साल का था, ग्रेजुएशन के आखिरी साल में, और रिया 19 की थी, इंटरमीडिएट में दाखिला लेने आई थी। हमारा परिवार शुरू से शहर में रहता था। मेरे पिताजी सरकारी नौकरी में थे, माँ हाउसवाइफ थीं, और मेरी दो बड़ी बहनें, प्रिया और नेहा, क्रमशः 26 और 28 की थीं। मैं घर में सबसे छोटा था। रिया, मेरे चाचा की बेटी, गाँव की सादगी लिए हुए थी, लेकिन उसका गोरा रंग, लंबे काले बाल, और भरा हुआ बदन उसे किसी अप्सरा से कम नहीं बनाता था।

हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं था। दो कमरे, एक हॉल, और रसोई। रिया को मेरे कमरे में जगह दी गई, जहाँ मैं, माँ, और मेरी दोनों बहनें एक ही बड़े पलंग पर सोते थे। रिया को मेरे बगल में जगह मिली। शुरू-शुरू में तो सब सामान्य था। रिया दिनभर कॉलेज के फॉर्म्स और दाखिले की भागदौड़ में लगी रहती, और मैं अपनी पढ़ाई और दोस्तों में मस्त रहता। लेकिन रातें कुछ और ही कहानी कहने लगीं।

रात में, जब सब सो जाते, और कमरे में सिर्फ पंखे की हल्की आवाज गूँजती, मैं रिया के करीब होने का अहसास महसूस करता। उसकी साँसों की गर्मी, उसकी सलवार-कुर्ती से ढके बदन की खुशबू, सब कुछ मेरे मन को बेचैन करने लगा। मैं जानबूझकर उसके करीब सोता, और रात के अंधेरे में मेरे हाथ धीरे-धीरे उसके पेट पर चले जाते। उसकी नरम त्वचा का स्पर्श मेरे अंदर आग सी लगाता। पहले तो मुझे डर था कि कहीं वो जाग न जाए, लेकिन धीरे-धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी।

एक रात, मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसके स्तनों की तरफ बढ़ाया। उसकी सलवार के ऊपर से मैंने हल्के से दबाया। रिया ने अचानक करवट बदली और मेरा हाथ हटाने की कोशिश की। मैंने फौरन हाथ पीछे खींच लिया, दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। पास में माँ और बहनें सो रही थीं, और मैं डर गया कि कहीं कोई जाग न जाए। लेकिन रिया ने कुछ कहा नहीं, बस चुपचाप सो गई। उसकी चुप्पी ने मुझे और उत्साहित कर दिया।

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अगली रात, मैंने फिर कोशिश की। इस बार मैंने थोड़ा जोर से उसके स्तनों को दबाया। रिया की साँसें तेज हुईं, लेकिन उसने मना नहीं किया। मैंने धीरे-धीरे, प्यार से उसके स्तनों को सहलाना शुरू किया। उसकी सलवार के नीचे उसकी ब्रा की रूपरेखा साफ महसूस हो रही थी। शायद उसे भी मजा आ रहा था, क्योंकि उसने हल्की सी सिसकारी भरी, “उम्म…”। मैं समझ गया कि उसे बुरा नहीं लग रहा। ये सिलसिला कई रातों तक चला। हर रात मैं थोड़ा और आगे बढ़ता, और रिया भी धीरे-धीरे खुलने लगी।

एक दिन, जब हम दोनों घर में अकेले थे, रिया ने मुझसे पूछा, “भैया, तुम रात में ऐसा क्यों करते हो?” उसकी आवाज में शर्म और जिज्ञासा दोनों थी। मैंने हँसते हुए कहा, “क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगता?” उसने नजरें झुकाकर कहा, “नहीं, अच्छा तो लगता है… लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो?” मैंने उसे भरोसा दिलाया, “किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। बस हम दोनों का राज है।” उसने हल्की सी मुस्कान दी और चुप हो गई।

अब हम दोनों मौके की तलाश में रहते। एक दिन माँ और दोनों बहनें बाजार गई थीं। घर में सिर्फ मैं और रिया थे। मैंने मौका देखकर कहा, “रिया, आज कुछ नया ट्राई करें?” उसने शर्माते हुए पूछा, “क्या?” मैंने कहा, “मैं तुझे पूरा देखना चाहता हूँ।” उसने पहले मना किया, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो मान गई। मैंने धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे ऊपर उठाया। उसकी काली ब्रा में कैद उसके गोल-मटोल स्तन मेरे सामने थे। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें सहलाया, और रिया की साँसें तेज हो गईं। “उम्म… भैया, धीरे…” उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज में विरोध नहीं, बल्कि मस्ती थी।

मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसके नंगे स्तन मेरे सामने थे। गोल, नरम, और गुलाबी निप्पल्स के साथ, वो किसी स्वर्ग की चीज लग रहे थे। मैंने धीरे-धीरे उन्हें दबाया, चूमा, और चूसना शुरू किया। रिया की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… ओह… भैया…”। उसका बदन गर्म हो रहा था, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी। मैंने उसकी सलवार पूरी तरह उतार दी, और अब वो सिर्फ पैंटी में थी। उसकी जाँघें चिकनी और गोरी थीं, और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत की हल्की सी रूपरेखा दिख रही थी।

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मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था। मैंने अपने कपड़े उतारे और उसे अपने लंड को छूने को कहा। पहले तो उसने शर्माई, “नहीं, भैया, ये क्या…” लेकिन मेरे कहने पर उसने हल्के से उसे पकड़ा। उसका हाथ मेरे 7 इंच के लंड पर था, और वो धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी। मैंने कहा, “रिया, इसे मुँह में ले।” वो हिचकिचाई, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर उसने मेरे लंड को अपने होंठों से छुआ। धीरे-धीरे उसने उसे चूसना शुरू किया। “उम्म… आह…” मैं सातवें आसमान पर था। उसकी जीभ मेरे लंड के टॉप पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था।

करीब 10 मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा। मेरा लंड अब और सख्त हो चुका था। मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत गीली थी, और हल्के-हल्के बालों से ढकी थी। मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत को सहलाया, और वो सिसक पड़ी, “आह… भैया, ये क्या… बहुत गुदगुदी हो रही है…” मैंने धीरे से अपनी उंगली अंदर डाली, और वो जोर से चिल्लाई, “ओह… धीरे… दर्द हो रहा है…” लेकिन उसकी आँखों में मस्ती थी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसकी चूत अब मेरे सामने थी, गुलाबी और गीली। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। वो सिहर उठी, “उम्म… भैया, ये बहुत… आह…” मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में डाला। पहले तो उसे दर्द हुआ, “आह… निकालो… दर्द हो रहा है…” लेकिन मैंने उसे प्यार से सहलाया और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। “थप… थप…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। रिया की सिसकारियाँ अब जोर-जोर की हो रही थीं, “आह… ओह… भैया… और तेज…”।

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मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे पूरा भर रहा था। “थप-थप-थप…” की आवाज के साथ उसकी सिसकारियाँ, “आह… उई… भैया… मजा आ रहा है…” मुझे और जोश दिला रही थीं। मैंने उसे अपने ऊपर बिठाया और कहा, “अब तू चढ़।” उसने शर्माते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। “आह… ओह… भैया…” उसकी चूचियाँ मेरे सामने उछल रही थीं, और मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाया।

करीब एक घंटे तक हमने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई की। कभी मैं ऊपर, कभी वो। उसकी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मेरा लंड उसमें आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। आखिर में, मैंने उसे जोर से पकड़ा और तेज-तेज धक्के मारे। “आह… भैया… मैं… ओह…” वो चिल्लाई, और मैं भी झड़ गया। हम दोनों पसीने से तर थे, लेकिन संतुष्ट थे।

इसके बाद, हम दोनों हर मौके की तलाश में रहते। रात में, जब सब सो जाते, हम चुपके से एक-दूसरे को छूते। जब घर खाली होता, तो हम पूरी तरह खुल जाते। ये सिलसिला करीब सात साल तक चला। अब रिया की शादी हो चुकी है, लेकिन मैं अभी भी कुंवारा हूँ। उन रातों की यादें आज भी मेरे दिल को गुदगुदाती हैं।

क्या आपने भी कभी ऐसी गुप्त चाहत को पूरा किया है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।

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