Bhai Bahen Sex Story: संजय की बहन दीपाली को चुदाई का ऐसा चस्का लग गया था कि वह रोजाना अपने भाई से यह सब करवाने लगी। संजय ने इस अनुभव को साझा करने का निर्णय लिया और बताया कि यह उसकी पहली कहानी है, जिसे वह सभी पाठकों तक फ्री सेक्स कहानी डॉट इन के माध्यम से पहुंचाना चाहता है।
उसने स्वीकार किया कि उसने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि वह अपनी बहन के साथ ऐसा कुछ करेगा। लेकिन हालात ऐसे बने कि यह सच हो गया। बिना समय बर्बाद किए, संजय ने अपनी कहानी की शुरुआत की।
सर्दी का मौसम था। कमरे का दरवाजा बंद था और चारों ओर सन्नाटा था। कमरे में इतनी शांति थी कि संजय और उसकी बहन दीपाली की सांसों की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी। रात के किसी पहर में, संजय की नींद अचानक खुल गई। उसने महसूस किया कि दीपाली ने उसके पैंट के अंदर हाथ डाल दिया था और उसके लंड को पकड़कर हिला रही थी।
संजय पूरी तरह से चौंक गया था। उसने सोचा भी नहीं था कि दीपाली ऐसा कुछ करेगी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह चुपचाप लेटा रहा। दीपाली ने उसका लंड हिलाते-हिलाते अचानक रुक गई और डर के मारे दूसरी ओर मुंह करके सो गई। संजय भी कुछ देर बाद किसी तरह सो गया।
सुबह हुई तो सब कुछ सामान्य लग रहा था। दीपाली ने ऐसे व्यवहार किया जैसे कुछ हुआ ही न हो। वह संजय से पहले की तरह हंसी-मजाक कर रही थी। लेकिन संजय के मन में रात की घटना लगातार घूम रही थी।
दूसरी रात को संजय को नींद नहीं आ रही थी। वह सोच रहा था कि क्या दीपाली फिर से कुछ करेगी। उसने महसूस किया कि दीपाली जानती थी कि वह जागा हुआ है। फिर भी वह दूसरी ओर मुंह करके सो रही थी। लेकिन संजय को कब नींद आ गई, उसे पता ही नहीं चला।
उसकी नींद तब टूटी जब दीपाली ने फिर से उसका लंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी। इस बार संजय ने अपनी टांगें फैला दीं। दीपाली ने उसका लंड और तेजी से हिलाना शुरू कर दिया। संजय को लगने लगा कि दीपाली जानबूझकर उसे छेड़ रही है।
संजय का वीर्य जल्दी ही निकल गया। दीपाली के हाथ में वीर्य लग गया था। वह उठी और आंगन में जाकर पानी से अपने हाथ धोकर वापस आ गई। फिर वह चुपचाप अपनी जगह सो गई। सुबह सब कुछ फिर से सामान्य था। दोनों ने रात की बात का कोई जिक्र नहीं किया।
तीसरी रात को दोनों जल्दी सोने चले गए। संजय ने देखा कि दीपाली उसकी ओर पीठ करके सो रही थी। संजय का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने धीरे-धीरे दीपाली की पीठ और गांड को सहलाना शुरू किया। जैसे ही दीपाली ने करवट बदली, संजय रुक गया।
संजय ने धीरे से अपना हाथ दीपाली के सीने पर रखा। उसने महसूस किया कि वह पहली बार किसी के चूचियों को छू रहा था। उसका दिल और तेज़ी से धड़कने लगा। उसने दीपाली के चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। फिर उसने अपना हाथ धीरे-धीरे नीचे की ओर ले जाकर दीपाली की सलवार के ऊपर से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया।
दीपाली ने कोई विरोध नहीं किया। लेकिन जब संजय ने ऊँगली डालने की कोशिश की, तो उसने उसका हाथ पकड़ लिया। फिर भी संजय ने दीपाली की चूत से निकलने वाले पानी का स्वाद चख लिया। उसे यह नमकीन और गरम लगा।
कुछ देर बाद दीपाली ने खुद ही संजय का लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट कर दिया। उसने अपना एक पैर संजय के ऊपर रख लिया और धीरे-धीरे अपने चूत में लंड डालने की कोशिश की। संजय ने ज़ोर से धक्का मारा, और उसका लंड पूरी तरह से दीपाली की चूत में घुस गया।
दीपाली दर्द से चिहक उठी और तुरंत लंड को बाहर निकाल लिया। लेकिन कुछ देर बाद उसने संजय को दोबारा प्रयास करने दिया। इस बार संजय ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। दीपाली ने दर्द के बावजूद उसे रोका नहीं।
संजय ने धीरे-धीरे अपनी लय तेज़ की और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। दोनों की सांसें तेज़ हो गईं। दीपाली ने अपना हाथ संजय की पीठ पर रखा और उसे अपनी ओर खींच लिया। संजय ने दीपाली के चूचियों को जोर-जोर से मसलते हुए चुदाई जारी रखी।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद संजय का वीर्य निकल गया। दीपाली ने अपनी सलवार ऊपर कर ली और नाड़ा बांध लिया। संजय ने भी अपनी पैंट चढ़ा ली। दोनों ने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की और चुपचाप सो गए।
उस रात के बाद से संजय और दीपाली ने नियमित रूप से यह सब करना शुरू कर दिया। दोनों के बीच ऐसा रिश्ता बन गया था जो बाहर से किसी को पता नहीं चल सकता था। दीपाली ने गर्भनिरोधक गोलियां लेना शुरू कर दिया ताकि वह गर्भवती न हो।
संजय को अपनी पढ़ाई के लिए हॉस्टल जाना पड़ा। वह अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया और दीपाली की शादी कर दी गई। लेकिन उन सर्द रातों की यादें संजय के दिल में हमेशा के लिए बस गईं।