मेरा नाम आदित्य है, उम्र 22 साल, जयपुर का रहने वाला, कॉलेज में पढ़ता हूँ और थोड़ा जिम भी करता हूँ, जिससे बॉडी फिट और चेहरा ठीक-ठाक है। मेरी भाभी, चेतना, 25 साल की हैं, रंग थोड़ा सांवला मगर फिगर ऐसा कि देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उनकी गोल-गोल चूचियाँ, 34D की, और गांड इतनी उभरी हुई कि जब वो चलती हैं तो कूल्हों का लचकना किसी का भी दिल चुरा ले। भाभी की कमर पतली, 28 इंच की, और कूल्हे 36 इंच के, जो उनकी साड़ी में और भी मादक लगते हैं। भैया, यानी मनीष, 30 साल के हैं, बिजनेस में व्यस्त रहते हैं, और उनका चेहरा सख्त मगर दिल साफ है। भाभी और भैया के दो बच्चे हैं, एक बेटा 6 साल का और एक बेटी 3 साल की, जो अभी छोटी है और दुनिया से बेखबर रहती है।
बात उस दिन की है जब मैं जयपुर में बड़े पापा के घर गया। उनके घर में बड़े पापा, 55 साल के, बड़ी मम्मी, 50 साल की, भैया-भाभी और उनके बच्चे रहते हैं। बड़े पापा की बेटी, यानी मेरी छोटी बहन, 19 साल की, पढ़ाई के लिए हॉस्टल में रहती है। उस दिन बड़े पापा और बड़ी मम्मी किसी काम से बाहर गए थे, बच्चे स्कूल में थे, और भैया को एक रिश्तेदार के यहाँ जाना पड़ा। घर में सिर्फ मैं, भाभी और उनकी छोटी बेटी रह गए।
मैं भाभी को हमेशा से चाहता था। उनकी हंसी, उनका मस्ती भरा अंदाज, और वो तीखी नजरें मुझे रातों को सोने न देती थीं। कई बार मैंने उनके नाम की मुठ मारी, उनकी चूचियों और गांड को याद करके। मगर मौका कभी नहीं मिला था कि मैं उनसे कुछ कह सकूं। भाभी के साथ मेरी खूब बनती थी, हम हंसी-मजाक करते, वो मेरे साथ खुलकर बात करती थीं। उनकी हंसी मेरे दिल को छू जाती थी, और मैं उनके करीब आने का मौका तलाशता रहता था।
उस दिन दोपहर को भाभी का बेटा दादा-दादी के साथ चला गया, और सिर्फ उनकी बेटी हमारे साथ रही। दिन धीरे-धीरे बीता, और मैं भाभी को चोदने के खयालों में डूबा रहा। शाम को खाना खाने के बाद भाभी अपनी बेटी को सुलाने अपने कमरे में चली गईं। रात के 8 बजे थे, और भाभी हमेशा की तरह टीवी सीरियल देखने हॉल में आईं। वो लाल साड़ी में थीं, जो उनकी गोरी पिंडलियों और गहरी नाभि को और उभार रही थी। उनकी थकान चेहरे पर दिख रही थी, आँखें हल्की लाल, और चाल में थोड़ा भारीपन।
मैंने पूछा, “भाभी, क्या हुआ? आप कुछ ठीक नहीं लग रही हो। तबियत तो ठीक है ना?”
भाभी ने आह भरी, “सनी, बस थकान हो रही है। घर का काम, बच्चे, सब संभालते-संभालते थक गई हूँ। कल से बदन में हल्का दर्द भी है।”
“भैया को बताया क्यों नहीं?” मैंने चिंता जताई।
“अरे, वो तो अपने काम में डूबे रहते हैं। मैं उनको परेशान नहीं करना चाहती। बस थोड़ा दर्द है, ज्यादा नहीं,” भाभी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
“तो भाभी, कोई दवाई लो या पैरों की मालिश कर लो। अच्छा लगेगा,” मैंने सुझाव दिया, मन में गुदगुदी होने लगी।
भाभी ने मेरी तरफ देखा, और थोड़ा झिझकते हुए बोलीं, “सनी, एक बात मानोगे?”
“हाँ भाभी, बोलो ना!” मैंने उत्साह से कहा।
“क्या तुम मेरी मालिश कर दोगे?” उनकी आवाज में हल्की सी शरारत थी।
मेरा दिल जोर से धड़का। मन में लड्डू फूटने लगे, लेकिन मैंने खुद को संभाला। “हाँ भाभी, इसमें पूछने की क्या बात? चलो मेरे रूम में, वहाँ गुड़िया नहीं उठेगी,” मैंने कहा।
भाभी मुस्कुराईं, “ठीक है, मैं तेल लेकर आती हूँ।” वो अपने रूम से तेल लेकर आईं, और हम मेरे कमरे में चले गए।
मैंने कहा, “भाभी, बेड पर लेट जाओ।” वो पेट के बल लेट गईं, उनकी साड़ी उनकी कमर तक लिपटी थी। मैंने कहा, “साड़ी को थोड़ा ऊपर कर लो, ताकि पैरों की मालिश हो सके।”
भाभी ने साड़ी को घुटनों तक उठाया। उनकी चिकनी, सांवली पिंडलियाँ मेरे सामने थीं, और मेरा लंड पैंट में तनने लगा। मैं उनके पास बैठा और तेल लेकर पैरों की मालिश शुरू की। मेरे हाथ उनकी पिंडलियों पर फिसल रहे थे, और भाभी की हल्की सी सिसकारी निकल रही थी। “आह, सनी, कितना अच्छा लग रहा है,” वो धीरे से बोलीं। मैंने उनके पंजों को दबाया, फिर धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ा। उनकी जांघों के पास पहुँचते ही मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
पंद्रह मिनट तक मालिश करने के बाद मैं रुका। भाभी ने आँखें खोलीं, “क्या हुआ, रुक क्यों गए?”
“पैरों की तो हो गई, भाभी। कहीं और दर्द है?” मैंने शरारत भरे लहजे में पूछा।
वो बोलीं, “सनी, मेरा तो पूरा बदन दुख रहा है। कमर और पीठ की भी कर दे, फिर मैं सो जाऊँगी।”
“ठीक है, मगर ब्लाउज के ऊपर से कैसे करूँ?” मैंने जानबूझकर कहा।
“अरे, हाथ अंदर डालकर कर दे,” भाभी ने बिना झिझक कहा।
मैंने उनके ब्लाउज के नीचे हाथ डाला, उनकी गर्म त्वचा को छूते ही मेरे बदन में करंट दौड़ गया। मगर हाथ ठीक से नहीं जा रहा था। “भाभी, ऐसे नहीं हो पा रहा। मैं आपकी जांघों पर बैठ जाऊँ?” मैंने पूछा।
उन्होंने हल्का सा सिर हिलाया। मैं उनकी जांघों पर बैठ गया, और उनकी कमर और पीठ की मालिश शुरू की। मेरा लंड अब उनकी गांड से सट रहा था, और हर बार जब मेरा हाथ नीचे की ओर जाता, मैं उनकी गांड की दरार को हल्के से छू लेता। भाभी की साँसें तेज होने लगीं, और वो मुझे रोक नहीं रही थीं।
मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था, और मेरी पैंट में साफ दिख रहा था। मैंने जानबूझकर उसे उनकी गांड से रगड़ा। भाभी ने कुछ नहीं कहा, बस उनकी गांड हल्की सी उठने लगी। मैं समझ गया कि वो गर्म हो रही हैं। “भाभी, ब्लाउज खोल लो, पीठ की पूरी मालिश हो जाएगी,” मैंने हिम्मत करके कहा।
भाभी ने अपने ब्लाउज के दो बटन खोले, और उनकी काली ब्रा दिखने लगी। मैंने हल्के से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। वो चौंकी, “ये क्या, सनी? ब्रा क्यों खोली?”
“हाथ में अटक रही थी, भाभी,” मैंने मासूमियत से कहा। वो चुप रही, और मैं उनकी नंगी पीठ पर तेल मलने लगा। मेरा लंड बार-बार उनकी गांड से टकरा रहा था, और अब वो खुलकर सिसकार रही थीं। मैंने उनकी साड़ी को और ऊपर उठाया, और उनकी नीली पैंटी दिखने लगी। उनकी जांघों की मालिश करते हुए मैंने जानबूझकर उनकी चूत को हल्के से छुआ।
“आह्ह…” भाभी की सिसकारी निकली, और मेरी उंगलियों ने उनकी चूत की गर्मी महसूस की। वो गीली हो चुकी थीं। मैंने फिर से उनकी चूत को छुआ, और इस बार वो चुप रही। मेरा लंड अब पैंट फाड़ने को तैयार था।
“भाभी, आपकी बॉडी को और रिलैक्स करने का तरीका है मेरे पास,” मैंने धीरे से कहा।
“क्या तरीका, सनी?” उनकी आवाज में उत्तेजना थी।
“उसके लिए आपको थोड़े कपड़े और उतारने होंगे,” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा।
वो हल्के से मुस्कुराईं, “ठीक है, तू खुद उतार दे जितना उतारना है।”
मेरे दिल की धड़कन रुकने को थी। मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी खोली, फिर उनका पेटीकोट नीचे सरकाया। अब भाभी सिर्फ पैंटी में थीं। उनकी गांड इतनी मस्त थी कि मैं उसे चूमना चाहता था। मगर मैंने सब्र रखा। मैं उनके ऊपर लेट गया, मेरा लंड उनकी पैंटी पर रगड़ खाने लगा। मेरे हाथ उनकी चूचियों के पास पहुँचे, और मैंने हल्के से उन्हें दबाया।
“आह्ह… सनी…” भाभी सिसक रही थीं। मैंने उन्हें पलटने को कहा। जैसे ही वो पलटीं, उनका खुला ब्लाउज और ब्रा नीचे गिर गए। उनकी चूचियाँ मेरे सामने थीं, गोल, भारी, और निप्पल सख्त। भाभी ने शर्म से अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया। मैंने उनकी पैंटी की ओर देखा, जो उनकी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी।
मैं उनकी जांघों की मालिश करने लगा, और मेरा हाथ बार-बार उनकी चूत के पास रगड़ रहा था। भाभी की साँसें तेज हो रही थीं। अचानक वो बोलीं, “सनी, तू भी उतार ले। मैं तो अब तक नंगी हो चुकी हूँ।”
मैंने झट से अपनी टी-शर्ट और लोअर उतारा। मेरा 7 इंच का लंड अंडरवियर में तनकर बाहर आने को बेताब था। भाभी ने मेरी ओर देखा, और उनकी आँखों में शरारत थी। “हाथ हटा लो, भाभी,” मैंने कहा।
उन्होंने अपनी चूचियों से हाथ हटाए, और मैं उनके भारी बूब्स को दबाने लगा। “आह्ह… सनी… धीरे…” वो सिसक रही थीं। मैं उनके ऊपर लेट गया, और हमारे होंठ मिल गए। भाभी ने मेरे होंठों को चूसना शुरू किया, और मेरा हाथ उनकी पैंटी में घुस गया। उनकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने उनकी चूत में उंगली डाली, और वो जोर से सिसक उठीं, “आआह… सनी… ओह्ह…”
मैंने उनकी पैंटी उतार दी, और उनकी चूत को हथेली से रगड़ने लगा। भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरा हाथ भीग गया। “सनी, अब और मत तड़पा… मेरी चूत में आग लगी है… जल्दी कर…” भाभी ने कसमसाते हुए कहा।
मैं नीचे गया और उनकी चूत को चाटने लगा। मेरी जीभ उनकी चूत के दाने को छू रही थी, और भाभी मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं। “आह्ह… सनी… ओह्ह… चाट… और चाट…” वो चिल्ला रही थीं। कुछ ही मिनटों में भाभी झड़ गईं, और उनकी चूत का पानी मेरे मुँह पर फैल गया।
मैंने अपना अंडरवियर उतारा, और मेरा लंड भाभी के सामने था। उन्होंने उसे पकड़ा और मुँह में ले लिया। “उम्म… कितना मोटा है तेरा लंड, सनी…” वो चूसते हुए बोलीं। उनकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर घूम रही थी, और मैं सिसक रहा था। कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया, और भाभी ने उसे पूरा पी लिया।
हम दोनों थोड़ी देर शांत रहे। फिर मैंने उनकी चूचियों को फिर से सहलाना शुरू किया। उनके निप्पल सख्त हो गए, और भाभी मेरे लंड को हिलाने लगीं। “सनी, तेरा लंड फिर से तैयार है,” वो हँसते हुए बोलीं। हम 69 की पोजीशन में आए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थीं। दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से तन गया।
भाभी ने मुझे खींचा और जोर-जोर से किस करने लगीं। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी चूचियों को दबा रहा था। भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया। “सनी, अब डाल दे… मेरी चूत तड़प रही है…” वो बोलीं। मैंने हल्का सा धक्का दिया, और मेरा लंड उनकी गीली चूत में घुस गया। “आआह… सनी… कितना मोटा है… ओह्ह…” भाभी सिसक रही थीं।
मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… पच…” चुदाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… सनी… जोर से… और जोर से… चोद… मेरी चूत फाड़ दे… ओह्ह… आआह…” मैं उनकी चूचियों को दबाते हुए धक्के मार रहा था। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “भाभी, अब तुम ऊपर आओ।” वो तुरंत मेरे ऊपर आ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत में लिया और कूदने लगीं। “आह्ह… सनी… कितना मजा आ रहा है… ओह्ह…” मैं नीचे से धक्के दे रहा था, और उनकी चूचियाँ मेरे सामने उछल रही थीं। मैंने उनके निप्पल चूसे, और भाभी फिर से झड़ गईं। “आआह… सनी… मैं गई…” वो मेरे से चिपक गईं।
मेरा अभी बाकी था। मैंने उन्हें फिर से नीचे लेटाया और धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… पच…” चुदाई की आवाज तेज हो गई। “भाभी, मेरा निकलने वाला है…” मैंने हाँफते हुए कहा।
“अंदर ही निकाल, सनी… मेरी चूत को भर दे…” भाभी ने सिसकते हुए कहा। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और आखिरकार मेरे लंड ने भाभी की चूत में गरम माल छोड़ दिया। “आआह…” मैं उनके ऊपर ढेर हो गया।
हम दोनों हाँफ रहे थे। मेरा लंड धीरे-धीरे सिकुड़कर उनकी चूत से बाहर आ गया। हम एक-दूसरे से चिपके रहे, और पता नहीं कब नींद आ गई। रात में मेरी आँख खुली तो मैंने फिर से भाभी की चूचियों को सहलाना शुरू किया। वो भी जाग गईं, और मुस्कुराते हुए बोलीं, “सनी, तू तो रुकता ही नहीं।” रात में हमने तीन बार और चुदाई की। बीच-बीच में भाभी अपनी बेटी को देखने जातीं, और वापस आकर मुझसे लिपट जातीं।
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