Teacher ki chut chudai: दोस्तो, मेरा नाम नितिन है, और मैं अंबाला का रहने वाला हूँ। मैं 18 साल का स्कूल स्टूडेंट हूँ, 5 फुट 9 इंच का कद, अच्छा खासा दिखता हूँ, और मेरा लंड 6 इंच का है। ये कहानी मेरी और मेरी बास्केटबॉल मैम, प्रीत, के बीच की है, जो इतनी सेक्सी हैं कि उन्हें देखते ही लंड खड़ा हो जाता है। उनकी उम्र करीब 28 साल होगी, फिगर 36-30-36, बड़े बड़े चूचे, मस्त गोल गांड, और चेहरा ऐसा कि कोई भी पागल हो जाए। तो बिना वक्त बर्बाद किए, चलो सीधे कहानी पर आते हैं।
बात कुछ महीने पुरानी है, जब हमारे स्कूल में एक बड़ा फंक्शन होने वाला था। बड़े-बड़े लोग आने वाले थे, और फंक्शन शाम 7 बजे शुरू होकर रात 11 बजे तक चला। जगह मेरे घर से बहुत दूर थी, और मैंने सोच रखा था कि अपने दोस्त के घर रुक जाऊँगा। लेकिन उस रात मेरा दोस्त फंक्शन में आया ही नहीं। 11 बज चुके थे, और मुझे घर जाने के लिए बस लेनी पड़ी। बस में भीड़ थी, लेकिन एक लेडीज़ सीट खाली दिखी। मैंने उसकी तरफ देखा तो पाया कि उस पर मेरी बास्केटबॉल मैम प्रीत बैठी थीं।
प्रीत मैम को देखते ही मेरा दिल धक-धक करने लगा। वो रेड टॉप और टाइट जींस में थीं, उनके चूचे टॉप को फाड़ने को तैयार थे, और गांड ऐसी कि बस देखते ही चोदने का मन करे। मैं उनके पास गया तो उन्होंने मुझे देखकर मुस्कुराया और कहा, “नितिन, इधर आ, मेरे पास बैठ जा।” मैंने झट से हामी भर दी। बस में भीड़ थी, तो हम पास-पास बैठे थे, उनकी जांघ मेरी जांघ से टच हो रही थी। हमने बात शुरू की। मैंने बताया कि मेरा घर कितना दूर है, तो उन्होंने कहा, “मेरा घर पास में ही है। तू मेरे साथ चल, मेरे घर रुक जा।” पहले तो मैंने मना किया, लेकिन मेरे अंदर का जानवर जाग चुका था। मैंने हाँ कर दी और घर फोन करके पापा को बता दिया कि मैं दोस्त के घर रुक रहा हूँ।
जब हम उनके घर पहुँचे, तो मैंने देखा कि वो अकेली रहती थीं। स्कूल की जॉब की वजह से उन्होंने छोटा सा फ्लैट लिया था। घर में घुसते ही मेरी नजर उनके गोल-मटोल चूतड़ों पर गई, जो जींस में और मस्त लग रहे थे। प्रीत मैम बोलीं, “तू बैठ, मैं नहाकर आती हूँ।” वो बाथरूम चली गईं, और मैं सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे मूत लगी, तो मैं बाथरूम की तरफ गया। मुझे नहीं पता था कि उनका बाथरूम और टॉयलेट एक ही है। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, मेरी आँखें फटी रह गईं। प्रीत मैम पूरी नंगी थीं, एक टांग वॉशबेसिन पर रखकर अपनी चूत शेव कर रही थीं। उनकी गुलाबी, चिकनी चूत चमक रही थी, और पानी की बूंदें उनके जिस्म पर मोतियों की तरह टपक रही थीं।
मैं घबरा गया और बोला, “सॉरी मैम!” वो भी जल्दी से अपनी चूत को एक हाथ से ढकने लगीं। मैं बाहर आकर सोफे पर बैठ गया, लेकिन मेरा लंड तनकर लोहे जैसा हो गया था। वो नहाकर बाहर आईं, एक पतली सी मैक्सी पहनी थी, जिसमें उनके निप्पल साफ दिख रहे थे। वो मेरे पास बैठीं और थोड़ा डरते हुए बोलीं, “नितिन, जो तूने देखा, किसी को मत बताना।” मैंने मौका देखा और सोचा, क्यों ना फायदा उठाया जाए। मैंने कहा, “ठीक है मैम, लेकिन मुझे एक बार फिर से आपकी चूत देखनी है।” वो चौंक गईं और बोलीं, “पागल हो गया है? अपनी टीचर से ऐसी बात करता है?” मैंने कहा, “फिर ठीक है, मैं स्कूल में सबको बता दूँगा।”
वो फिर डर गईं और बोलीं, “ठीक है, देख ले।” उन्होंने अपनी मैक्सी ऊपर उठाई और काली पैंटी नीचे खींच दी। उनकी चिकनी, गुलाबी चूत मेरे सामने थी, हल्की सी गीली, जैसे अभी-अभी शेव की हो। मैं पागल हो गया और उनके पास जाने लगा। वो पीछे हटने लगीं, लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और सोफे पर बिठा दिया। मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रखा, वो उछल पड़ीं। उनकी चूत इतनी गर्म और मुलायम थी कि मेरा लंड पैंट में तड़पने लगा। मैंने उनकी चूत की खुशबू ली, जो मुझे मदहोश कर रही थी। फिर मैंने दूसरा हाथ उनके चूचे पर रखा, जो ब्रा के ऊपर से भी सॉफ्ट और भारी थे।
प्रीत मैम ने गुस्से में मेरा हाथ हटाया, लेकिन मैंने फिर से उनके चूचे पकड़ लिए और जोर-जोर से दबाने लगा। एक हाथ से मैं उनकी चूत को रगड़ रहा था, और वो अब गर्म होने लगी थीं। उनकी साँसें तेज हो रही थीं, और वो हल्के-हल्के सिसकारियाँ लेने लगी थीं। अचानक उन्होंने मुझे देखा और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्मा दे दिया। बस, फिर क्या था, मैं जोश में आ गया। मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरू किया, उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। हम दोनों एक-दूसरे का थूक चाट रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ा हो।
पाँच मिनट के इस चुम्मे के बाद प्रीत मैम ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा, जो पैंट में तनकर फटने को तैयार था। उन्होंने मेरी पैंट उतारी और मेरा लंड बाहर निकाला। जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को मुँह में लिया, मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। वो मेरे लंड को चूस रही थीं, उनकी जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी, और उनके होंठ मेरे लंड को पूरा निगल रहे थे। मैं पागल हो रहा था, और दो मिनट में ही मेरा माल निकल गया। उन्होंने मेरा सारा माल पी लिया और मुस्कुराकर बोलीं, “तुझमें तो आग है, नितिन!”
फिर मैंने उनकी मैक्सी और ब्रा उतारी। उनके बड़े-बड़े चूचे मेरे सामने थे, गोल, भारी, और निप्पल गुलाबी, जो तनकर खड़े थे। मैंने उनके चूचों को मुँह में लिया और चूसने लगा। कभी एक निप्पल को दाँतों से हल्का काटता, तो कभी जीभ से चाटता। प्रीत मैम सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह… नितिन… और जोर से… चूस ले इन्हें!” मैंने उनके चूचों को चूस-चूसकर लाल कर दिया, और वो पागल हो रही थीं। फिर मैं नीचे उनकी चूत की तरफ गया। उनकी चूत गीली हो चुकी थी, हल्का सा पानी टपक रहा था। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा और चाटना शुरू किया। उनकी चूत की खुशबू और स्वाद मुझे दीवाना बना रहे थे। मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटा, उनके दाने को हल्के से काटा, और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगीं, “आह… नितिन… चाट ले… मेरी चूत को खा जा!”
वो मेरा सिर अपनी चूत में दबा रही थीं, और मैं पागलों की तरह उनकी चूत चूस रहा था। दो मिनट में उनका पानी निकल गया, और मैंने उनका सारा रस चाट लिया। उनकी साँसें तेज थीं, और वो बोलीं, “अब और नहीं रुका जाता… डाल दे अपना लंड मेरी चूत में!” मैं खड़ा हुआ और अपने लंड को उनकी चूत पर सेट किया। उनकी चूत गीली और गर्म थी, जैसे कोई भट्टी जल रही हो। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो चीख पड़ीं, “आह… मर गई… थोड़ा धीरे!” मैंने थोड़ा रुका, उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। फिर मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जड़ तक उतर गया।
उनका चेहरा दर्द से लाल हो गया था, लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और जोश में आ रहा था। धीरे-धीरे उनका दर्द कम हुआ, और वो मेरे हर धक्के का मज़ा लेने लगीं। वो चिल्ला रही थीं, “हाँ… नितिन… चोद मुझे… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और पूरा कमरा थप-थप की आवाज़ से गूंजने लगा। उनकी चूत का पानी मेरे लंड को और चिकना कर रहा था, जिससे मेरा लंड और तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैं उनके चूचों को दबा रहा था, उनके निप्पल को मसल रहा था, और वो सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह… और जोर से… चोद मुझे… मेरी चूत को रगड़ दे!”
पंद्रह मिनट तक मैंने उन्हें लगातार चोदा। उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी, और वो थोड़ा ढीली पड़ गई थीं, लेकिन मेरा लंड अभी भी जोश में था। मैंने उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और और गहरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत मेरे लंड को पूरा निगल रही थी, और हर धक्के के साथ उनके चूचे उछल रहे थे। वो चिल्ला रही थीं, “हाँ… नितिन… ऐसे ही… मेरी चूत को भर दे!” मेरा माल निकलने वाला था, तो मैंने पूछा, “मैम, कहाँ करूँ?” वो बोलीं, “अंदर ही डाल दे… मैं गोली खा लूँगी!” मैंने दस और तेज़ धक्के मारे, और फिर अपना सारा माल उनकी चूत में उड़ेल दिया। मेरा लंड अभी भी उनकी चूत में था, और मैं उनके ऊपर लेट गया, उनके चूचों को चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद हम उठे और बाथरूम में एक साथ नहाए। नहाते वक्त मैंने फिर से उनकी चूत को चाटा, और वो मेरे लंड को सहलाने लगीं। रात के 2 बज चुके थे। हमने एक गहरा चुम्मा लिया और सो गए। सुबह 7 बजे मैं उठा, तो देखा प्रीत मैम सो रही थीं, उनकी मैक्सी ऊपर थी, और उनकी चूत हल्की सी दिख रही थी। मैंने उन्हें जगाया और बोला, “मैम, एक बार फिर से चूत में लंड डाल दूँ?” उन्होंने मना किया, बोलीं, “नितिन, अभी दर्द हो रहा है।” मैंने फिर उनके चूचों को चूसा, और तभी पापा का फोन आ गया। मुझे जाना पड़ा। जाते वक्त मैंने प्रीत मैम को एक लंबा चुम्मा दिया और निकल गया।
उस रात के बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई। प्रीत मैम और मैं जब भी मौका मिलता, चुदाई कर लेते। उनकी चूत का स्वाद और उनके चूचों की मुलायमियत मुझे आज भी पागल करती है। दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना!