मेरा नाम सुमित कुमार है। उम्र 26 साल, कद 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा, और शरीर चुस्त-दुरुस्त। मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ और चंडीगढ़ में नौकरी करता हूँ। ये कहानी चार साल पुरानी है, जब मैं दिल्ली किसी काम से गया था। वो काम उस दिन किसी वजह से टल गया। दिल्ली में मेरी बड़ी बहन सुमन रहती है, उम्र 30 साल, शादीशुदा, गोरी, भरा हुआ बदन, और चेहरा ऐसा कि कोई भी देखकर पलट ले। उसका पति, मेरा जीजाजी, रमेश, 35 साल का, व्यापारी है, और अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहता है। उस दिन मैं रात देर होने की वजह से सुमन दीदी के घर रुक गया।
दीदी के घर उनकी ननद कोमल भी आई हुई थी। कोमल, 28 साल की, मुंबई में अपने पति के साथ रहती है। वो कुछ दिनों के लिए दिल्ली आई थी। कोमल का बदन भरा हुआ, चेहरा नशीला, आँखें कातिलाना, और उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी और गोल कि कपड़ों के ऊपर से ही ललचा जाएँ। उसका फिगर 36-28-36 होगा, और जब वो चलती थी, तो उसकी गांड का उभार ऐसा कि लंड अपने आप खड़ा हो जाए। मैंने उसे पहले भी कई बार देखा था, और हर बार मेरा लंड उसे देखकर तन जाता था। उस दिन वो नीली सलवार-कमीज में थी, जो उसके बदन से चिपकी हुई थी, मानो उसकी हर अदा को उभार रही हो।
रात को खाना खाते वक्त हम सब बातें कर रहे थे। दीदी और जीजाजी जल्दी थक गए और अपने कमरे में सोने चले गए। मैं और कोमल ड्राइंग रूम में टीवी देखने लगे। ठंड की वजह से हम एक ही रजाई में बैठे थे, क्योंकि दूसरी रजाई दीदी अपने कमरे में ले गई थी। कोमल की नजर बार-बार मुझ पर थी, और मैं भी उसे चोरी-छिपे देख रहा था। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो कुछ चाह रही हो। मैंने हिम्मत करके उसकी आँखों में आँखें डाली, तो उसने फटाक से नजर टीवी पर कर ली।
बैठे-बैठे मेरा पैर अकड़ गया। मैंने पैर सीधा किया तो गलती से मेरा पैर कोमल के पैर से टच हो गया। मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई, और मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। उसने कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप टीवी देखती रही। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने धीरे से अपना पैर और आगे बढ़ाया, और उसकी जांघ से सटा दिया। वो फिर भी चुप रही। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने हौसला करके अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। उसकी सलवार का कपड़ा मुलायम था, और उसकी जांघ की गर्मी मेरे हाथ में महसूस हो रही थी। मैं धीरे-धीरे उसकी जांघ सहलाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया। मेरा हाथ धीरे-धीरे उसकी सलवार के नाड़े तक पहुँच गया। जैसे ही मैंने नाड़ा खींचने की कोशिश की, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। उसकी आँखों में गुस्सा था। वो बोली, “ये क्या कर रहा है, सुमित? पागल हो गया है?”
मैं डर गया। मेरे हाथ-पैर ठंडे पड़ गए। मैं चुपचाप बैठ गया, और उसने भी कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद वो उठकर अपने कमरे में चली गई। मैंने टीवी बंद किया और अपने कमरे में जाकर लेट गया। रात को मैं सिर्फ़ अंडरवियर और बनियान में सोता हूँ। मेरा लंड अभी भी तना हुआ था, और कोमल का वो गुस्सा वाला चेहरा मेरे दिमाग में घूम रहा था। काफी देर बाद मैं सो गया।
रात के करीब दो बजे मुझे लगा कोई मेरे बेड पर है। कोई मेरे लंड को हाथ में पकड़कर हिला रहा था। मैंने आँखें खोलीं तो कोमल थी, सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में। उसका चेहरा लाल था, और आँखें वासना से भरी हुई थीं। वो धीरे से बोली, “सॉरी सुमित, मैं बाहर तुझ पर गुस्सा हो गई थी। सच कहूँ, मैं कब से तुझसे चुदाई करवाना चाहती थी। आज मेरा सपना पूरा हो रहा है।”
मैंने तुरंत उसकी चूचियाँ पकड़ लीं। उसका ब्लाउज टाइट था, और चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थीं। मैंने ब्लाउज के बटन खोले और उसकी काली ब्रा को नीचे सरकाया। उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं, भारी और गोल, निप्पल गहरे भूरे रंग के, सख्त हो चुके थे। मैंने एक चूची मुँह में ली और चूसने लगा। “आह्ह… स्स्स…” कोमल की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। मैं एक हाथ से उसकी दूसरी चूची दबा रहा था, और दूसरा हाथ उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर ले गया। उसकी चूत गीली थी, सलवार तक भीग चुकी थी। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे सरकाया। उसकी काली पैंटी भी गीली थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाई। वो सिसकारते हुए बोली, “सुमित… और जोर से… आह्ह… तेरा लंड कितना मोटा है!”
मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी पैंटी उतार दी। उसकी चूत चिकनी थी, पूरी तरह शेव की हुई, और गीली चमक रही थी। मैंने अपनी अंडरवियर उतारी। मेरा 7 इंच का लंड पूरा तना हुआ था, सुपारा लाल और चमकदार। कोमल ने उसे दोनों हाथों से पकड़ा और बोली, “ये तो मेरे पति के लंड से दोगुना बड़ा है। उसका तो 4 इंच का है, वो मुझे कभी संतुष्ट नहीं कर पाया। आज तू मेरी चूत फाड़ दे!” उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी, और वो गले तक लंड ले रही थी। “म्म्म… उम्फ…” उसकी चूसने की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसके बाल पकड़े और धीरे-धीरे उसके मुँह में धक्के देने लगा।
मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी टाँगें फैलाईं। उसकी चूत गीली और गरम थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। वो सिसकारी, “आह्ह… डाल दे सुमित… अब और मत तड़पा!” मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। “आआह्ह… ऊई माँ…” वो चीख पड़ी। उसकी चूत टाइट थी, जैसे सालों से चुदाई न हुई हो। मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “थप-थप” की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसे चूमने लगा ताकि उसकी चीख दब जाए। वो मेरे कंधों को नाखूनों से खुरच रही थी। मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “आह्ह… स्स्स… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत!” वो चिल्ला रही थी। मैंने स्पीड बढ़ाई। मेरे हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। “थप-थप-थप…” की आवाज़ तेज हो गई। वो बार-बार झड़ रही थी, उसकी चूत से रस टपक रहा था। करीब 45 मिनट बाद मैं झड़ा। मेरा गर्म वीर्य उसकी चूत में छूट गया। मैं उसके ऊपर ढेर हो गया। वो हाँफते हुए बोली, “सुमित… तूने तो मेरी जान निकाल दी… इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया।”
थोड़ी देर बाद वो फिर मेरे लंड को चूसने लगी। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे कुतिया की तरह घुमाया। उसकी गांड गोल और टाइट थी। मैंने उसकी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड सटाया। “नहीं सुमित… वहाँ नहीं… दर्द होगा!” उसने मना किया, लेकिन उसकी आवाज़ में वासना थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया। “आआह्ह… मर गई!” वो चीखी। मैं रुक गया। उसका दर्द कम हुआ तो मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “थप-थप…” की आवाज़ फिर शुरू हो गई। 20 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने लंड निकाला और उसका मुँह खोलकर सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया। वो मेरा सारा रस चाट गई। सुबह होने वाली थी, उसने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे में चली गई। मैं भी सो गया।
सुबह 8 बजे मैं उठा, नहाया, और तैयार हुआ। कोमल को देखा तो वो मुस्कुरा रही थी, जैसे रात की चुदाई ने उसकी प्यास बुझा दी हो। मैं उस दिन अपने काम के लिए निकल गया, लेकिन काम में देरी हुई, और मुझे फिर दीदी के घर रुकना पड़ा। जीजाजी किसी काम से बाहर गए थे, अगले दिन आने वाले थे।
रात को खाना खाकर हम अपने-अपने कमरे में चले गए। मैं कोमल का इंतज़ार कर रहा था। अचानक कोई मेरे कमरे में आया। अंधेरा था, मुझे लगा कोमल है। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और जोर-जोर से चूमने लगा। उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहला रही थी। मैंने अपनी अंडरवियर उतारी और उसके कपड़े भी उतार दिए। उसकी चूत गीली थी। मैंने उसका मुँह खोला और अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। वो चूसने लगी, “म्म्म… उम्फ…” की आवाज़ के साथ। मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत पर लंड रखकर एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। “आआह्ह… ऊई माँ…” वो चीखी। उसकी चूत आज और टाइट लग रही थी।
तभी किसी ने कमरे की बत्ती जलाई। मैंने देखा तो कोमल दरवाजे पर खड़ी थी। और जिसकी चूत में मेरा लंड था, वो सुमन दीदी थी। मैं दंग रह गया। मेरे पसीने छूट गए। कोमल हँसते हुए बोली, “चोद सुमित, आज अपनी बहन को चोद डाल! इसके पति का लंड भी मेरे पति जितना छोटा है। आज तू हम दोनों की प्यास बुझा दे!” सुमन दीदी बोली, “हाँ भाई, आज अपनी दीदी को चोद डाल। मुझे माँ बना दे!”
मैंने दीदी की चूचियाँ दबाईं, जो कोमल से भी भारी थीं। मैंने उनकी चूत चाटी, उनका रस नमकीन था। फिर मैंने कोमल को भी बुलाया। दोनों नंगी मेरे सामने थीं। मैंने दोनों की चूत और गांड बारी-बारी से चोदी। “थप-थप-थप…” की आवाज़ और उनकी सिसकारियाँ “आह्ह… ऊह्ह… और जोर से…” रात भर गूंजती रहीं। मैंने दोनों को रात भर चोदा, और हम थककर सो गए।
अगले दिन जीजाजी का फोन आया कि वो एक हफ्ते बाद आएँगे। मैंने उस पूरे हफ्ते सुमन दीदी और कोमल की चुदाई की। दिन-रात चूत और गांड का खेल चला। बाद में मैं अपने शहर लौट गया। जब भी मैं दीदी के घर जाता, उनकी और कोमल की चुदाई करता। आज सुमन दीदी एक बेटे की माँ हैं, और कोमल एक बेटी की माँ। दोनों बच्चों का बाप मैं हूँ।
क्या आपको लगता है कि सुमन और कोमल की प्यास अब भी बुझती होगी? अपनी राय कमेंट में बताएँ!