दोस्तो, मैं आपकी अपनी रंडी श्रुति गुप्ता एक बार फिर हाजिर हूँ एक नई चुदाई की कहानी लेकर। मुझे पता है आप यहाँ अपनी प्यास बुझाने आते हो। तो देर किस बात की, डालो ना अपना हाथ अपने कच्छे में और हिलाओ अपने साँप को।
मेरी फिगर है 34-29-38 और उम्र 20 साल। जैसा कि आपने मेरी पिछली कहानियों में पढ़ा कि मैं कितनी बड़ी चुदक्कड़ हूँ, चुदाई की दीवानी। जब से मैं इंडिया वापस आई, मेरा बॉयफ्रेंड अभि और मैं आए दिन चुदाई करते। मेरा भाई भी मुझे मौका मिलते ही ठोक देता था। अब तो मुझे चुदने की ऐसी लत लग चुकी थी कि बिना लंड के मेरा दिन नहीं गुजरता। एक दिन अभि को मेरे इस चुदासे से पैसे कमाने का आइडिया आया। उसने मेरे लिए कुछ दलालों से बात शुरू की, मेरी फिगर का बखान करते हुए।
अभि ने एक दलाल से कहा, “सर, माल देखो, 34 के चूचे, 38 की गाँड, और कमर बस 29 की। एकदम कातिल माल है।”
दलाल बोला, “कितने में देगी इस माल की जवानी?”
अभि ने जवाब दिया, “20,000 रुपये रात के, और सिंगल शॉट के 5,000।”
दलाल ने मुँह बनाया, “अरे, ये तो बहुत ज्यादा है!”
अभि ने तुरंत कहा, “सर, माल देखो तो सही। ये कोई प्रोफेशनल रंडी नहीं, मेरी गर्लफ्रेंड है। इसकी चूत अभी भी टाइट है, और चूचे एकदम कड़क।”
दलाल ने हामी भरी, “ठीक है, मैं कस्टमर ढूँढता हूँ।”
इस तरह अभि की कई दलालों से बातें चलती रहीं। हर बार वो मेरी जवानी का मोल लगाता, और मैं बस सोचती कि कब वो दिन आएगा जब मैं नए लंडों का स्वाद चखूँगी।
आखिर वो घड़ी आ ही गई। एक दिन एक दलाल का फोन आया।
वो बोला, “अभि, तेरे माल के लिए कस्टमर लाया हूँ। तीन लोग हैं, उम्र 45-50 के बीच। रेट बता।”
अभि ने पूछा, “पूरी रात का?”
दलाल, “हाँ, पूरी रात तीनों ठोकेंगे।”
अभि, “60,000 तीनों का।”
दलाल ने मोलभाव शुरू किया, “अरे, तीन हैं, थोड़ा कम कर। मेरे पास और माल भी है। 50,000 में डन करवा दूँ?”
अभि ने सोचा और कहा, “चलो, ठीक है। कब और कहाँ भेजना है?”
दलाल, “कल भेजना। उनका फार्महाउस है, मैं एड्रेस भेज देता हूँ। और हाँ, माल को मस्त चिकना करके भेजना।”
बस, मेरा पहला सौदा पक्का हो गया। अभि मुझे तुरंत एक ब्यूटी पार्लर ले गया। वहाँ मेरी पूरी बॉडी की वैक्सिंग हुई—हाथ, पैर, और मेरी चूत तक। वैक्सिंग के बाद मेरी चूत इतनी साफ और चमकदार हो गई थी कि लग रहा था जैसे मैं अपनी सुहागरात के लिए तैयार हो रही हूँ। फिर फेशियल करवाया, जिससे मेरा चेहरा और निखर गया। वापसी में अभि ने मेरे लिए लाल रंग की जालीदार ब्रा और पैंटी खरीदी, जो इतनी सेक्सी थी कि उसे देखकर ही लंड खड़ा हो जाए।
अगले दिन शाम को मैंने घर पर बहाना बनाया, “मम्मी, मैं आज अपनी सहेली के यहाँ रुकूँगी।” फिर मैंने एक टाइट क्रॉप टॉप और जींस पहनी, जिससे मेरे चूचे और गाँड उभरकर सामने आ रहे थे। मेकअप किया, लाल लिपस्टिक लगाई, और तैयार हो गई। अभि मुझे अपनी गाड़ी में लेने आया और हम फार्महाउस की ओर चल पड़े।
फार्महाउस पहुँचते ही वो दलाल मुझे अंदर ले गया। उसने अभि से कहा, “सुबह 8 बजे अपनी रंडी को ले जाना।” अंदर घुप्प अंधेरा था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने सिर्फ़ इतना महसूस किया कि छह हाथ मेरे जिस्म पर फिसल रहे हैं। मेरे मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… स्स्स…” मैंने भी अंधेरे में दो लंडों को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया। मेरी उंगलियाँ उनके सख्त लंडों पर रेंग रही थीं, और मुझे उनकी गर्मी महसूस हो रही थी।
तभी एक शख्स ने मेरे टॉप को ऊपर खींचा और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे चूचों को मसलने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पलों को रगड़ रही थीं, और मैं सिहर उठी। दूसरा शख्स मेरी जींस खोलकर नीचे सरका चुका था। उसने मुझे फर्श पर लिटा दिया और मेरी पैंटी को थोड़ा साइड करके अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मेरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी। मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… और चाटो… स्स्स…”
तभी तीसरे शख्स ने कहा, “अबे, बहुत हुआ ये लुका-छिपी। चलो, लाइट ऑन करो। हम भी तो देखें 50,000 की अपनी रात की दुल्हन को।” उसकी आवाज़ मुझे जानी-पहचानी लगी, पर मैं समझ नहीं पाई।
जैसे ही लाइट जली, मैंने देखा और मेरे होश उड़ गए। मेरी चूत पर जो जीभ थी, वो मेरे पापा की थी। उनके दो दोस्त मेरे चूचों को मसल रहे थे। पापा और उनके दोस्त मुझे देखकर सन्न रह गए। पापा का चेहरा शर्मिंदगी से लाल हो गया, और वो हड़बड़ा गए। उनके दोस्त भी एक पल को रुक गए, पर फिर एक दोस्त ने हँसते हुए कहा, “वाह, सुरेश, तेरे घर में तो रंडी पड़ी है, और हमने इसके लिए 50,000 दिए।” दूसरा दोस्त बोला, “अब शुरू हो ही गए हैं, तो क्यों ना पूरा मज़ा लें? पैसे तो दिए ही हैं, वसूल करना है।”
मैं डर रही थी, पर उस दोस्त ने मुझे देखकर कहा, “चल, रंडी, पूरा मज़ा दिला। नहीं तो पैसे नहीं मिलेंगे।” मैंने डरते-डरते उसकी ज़िप खोली और उसका लंड बाहर निकालकर सहलाने लगी। उसका लंड 8 इंच का था, मोटा और गर्म। मुझे धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। पापा भी अब सहज होने लगे थे। मैंने उनकी जींस उतारी और उनके कच्छे से उनका लंड निकाला। पापा का लंड सबसे बड़ा था—9 इंच लंबा और इतना मोटा कि मेरे हाथ में मुश्किल से आ रहा था।
मैंने पापा का लंड अपने मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उनकी सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… श्रुति… चूस…” मैंने उनके लंड को जीभ से चाटा, टोपे को चूसा, और गले तक लिया। साथ ही, उनके दोस्तों के लंड मैं अपने दोनों हाथों से सहला रही थी। एक-एक करके मैंने तीनों को ब्लोजॉब दिया। हर लंड का स्वाद अलग था—पापा का लंड सबसे रसीला था, जिसका नमकीनपन मेरी जीभ पर घुल रहा था।
फिर पापा ने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया। वो मेरी चूत चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों को खोल रही थी, और मैं सिहर रही थी, “आह्ह… पापा… और चाटो… स्स्स…” उनका एक दोस्त मेरे चूचों को चूस रहा था। वो मेरे निप्पलों को दाँतों से काट रहा था, जिससे मेरे मुँह से चीख निकल रही थी, “आह्ह… धीरे…” दूसरा दोस्त मेरा मुँह चोद रहा था, उसका लंड मेरे गले में अटक रहा था। मैं ग्लक-ग्लक की आवाज़ें निकाल रही थी, और मेरी आँखों से पानी बह रहा था।
तीनों की उम्र 45 से ऊपर थी, पर उनके लंड जवान लड़कों जैसे कड़क थे। पापा ने मेरी चूत से मुँह हटाया, और उनके दोस्तों ने बारी-बारी मेरी चूत चाटी। एक ने मेरी चूत के दाने को चूसा, तो मैं झटके खाने लगी। दूसरा मेरी चूत में जीभ डालकर अंदर-बाहर कर रहा था, जैसे कोई लंड पेल रहा हो। करीब एक घंटा हमारा ये फोरप्ले चला। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि बेडशीट पर दाग पड़ गया था।
फिर एक दोस्त ने कहा, “चल, 69 में आ।” मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसका लंड चूसने लगी। उसकी जीभ मेरी चूत को चाट रही थी, और मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… चूसो… और ज़ोर से…” तभी मुझे एक ज़ोरदार झटका लगा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… मर गई!” पापा ने पीछे से अपना मोटा लंड मेरी गाँड में पेल दिया था। उनकी टोपे ने मेरी गाँड का छेद खोल दिया, और मैं दर्द से तड़प रही थी। मैं चिल्लाई, “पापा… निकालो… दर्द हो रहा है!” पर उनके दोस्त ने मेरा मुँह अपने लंड पर दबा दिया। धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदलने लगा, और मैं अपनी गाँड उछाल-उछालकर मरवाने लगी। पापा की हर धक्के से मेरी गाँड में आग सी लग रही थी, पर मज़ा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी।
फिर पापा ने मुझे अपने ऊपर खींचा और मेरा चेहरा अपनी छाती से चिपकाकर मेरा मुँह चूमने लगे। उनकी जीभ मेरी जीभ से खेल रही थी, और मैं उनकी साँसों की गर्मी महसूस कर रही थी। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। उनका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया, और मैं सिसकार उठी, “आह्ह… पापा… कितना मोटा है… स्स्स…” वो धीरे-धीरे धक्के मार रहे थे, और मैं उनकी हर धक्के के साथ जन्नत में थी। तभी उनके एक दोस्त ने पीछे से मेरी गाँड में लंड डाल दिया। उसका लंड पापा जितना मोटा नहीं था, पर 8 इंच लंबा था, और मेरी गाँड को पूरा भर रहा था। दूसरा दोस्त मेरे मुँह में अपना लंड पेल रहा था। मेरे तीनों छेद भरे हुए थे—चूत, गाँड, और मुँह। मैं सचमुच जन्नत की सैर कर रही थी।
तीनों मिलकर मुझे रगड़-रगड़कर चोद रहे थे। पापा की धक्के इतने ज़ोरदार थे कि बेड हिल रहा था। उनकी हर धक्के के साथ मेरे चूचे उछल रहे थे, और मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… चोदो… और ज़ोर से… स्स्स…” उनके दोस्त की गाँड चुदाई इतनी तेज़ थी कि मेरी गाँड का छेद जल रहा था। वो मेरी कमर पकड़कर मुझे पीछे खींच रहा था, और उसका लंड मेरी गाँड की गहराई में उतर रहा था। मुँह में लंड लेते-लेते मेरा गला दुखने लगा था, पर मैं रुकना नहीं चाहती थी। मैं उनके लंड को और गहरा चूस रही थी, और उनकी सिसकारियाँ मेरे कान में गूँज रही थीं, “आह्ह… चूस… रंडी… पूरा ले…”
करीब 20 मिनट की इस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैं पहली बार झड़ गई। मेरी चूत से पानी की धार निकली, और मैं काँपने लगी। पापा ने मेरी चूत को और ज़ोर से पेला, और मैं फिर से सिहर उठी। उनके दोस्त ने मेरी गाँड में धक्के तेज़ किए, और मैं दूसरी बार झड़ गई। मेरी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल चुकी थीं, “आह्ह… बस… और नहीं… स्स्स…” पर वो रुके नहीं। तभी उनके दोस्त ने मेरी गाँड में अपना माल छोड़ दिया। उसका गर्म माल मेरी गाँड में भर गया, और मैं सिहर उठी। दूसरा दोस्त मेरे मुँह में झड़ गया, और मैं उसका सारा माल निगल गई। उसका स्वाद नमकीन और गाढ़ा था, जो मेरी जीभ पर रुक गया।
पापा अभी भी मेरी चूत चोद रहे थे। उनकी स्पीड अब और तेज़ हो गई थी। वो मेरे चूचों को मसल रहे थे, और मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे। मैं उनके हर धक्के के साथ उछल रही थी, और मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। करीब 10 मिनट बाद पापा ने कहा, “श्रुति… मेरा होने वाला है…” मैंने सिसकारी, “पापा… अंदर ही छोड़ दो… मैं गोली खा लूँगी…” उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। उनकी धार इतनी तेज़ थी कि मेरी चूत लबालब हो गई। मैं तीसरी बार झड़ गई, और मेरे जिस्म में बिजली दौड़ गई।
हम चारों नंगे ही बेड पर गिर गए। मेरी चूत और गाँड से उनका माल टपक रहा था, और मेरे चूचों पर उनके काटने के निशान बन गए थे। पापा ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी साँसों की गर्मी महसूस कर रही थी। उनके दोस्त मेरे चूचों को सहला रहे थे, और मैं सिहर रही थी।
कुछ देर बाद पापा का लंड फिर से खड़ा हो गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूत में लंड पेल दिया। इस बार उनकी चुदाई और भी ज़ोरदार थी। वो मेरे चूचों को चूस रहे थे, और मेरे निप्पल्स को काट रहे थे। मैं चीख रही थी, “आह्ह… पापा… और ज़ोर से… चोदो…” उनके दोस्त मेरी गाँड में उंगली डालकर अंदर-बाहर कर रहे थे, और मैं सिहर रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद पापा फिर से मेरी चूत में झड़ गए। उनका माल मेरी चूत से बाहर टपक रहा था, और मैं काँप रही थी।
उसके बाद उनके दोस्तों ने भी मुझे बारी-बारी चोदा। एक ने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गाँड मारी। उसका लंड मेरी गाँड को चीर रहा था, और मैं दर्द और मज़े में सिसकार रही थी, “आह्ह… धीरे… स्स्स…” दूसरा दोस्त मेरी चूत में लंड पेल रहा था, और मैं उनके धक्कों के साथ उछल रही थी। रात भर हमारी चुदाई चलती रही। मैं कितनी बार झड़ी, मुझे गिनती भी याद नहीं। मेरी चूत और गाँड इतनी चुद चुकी थीं कि मैं चल भी नहीं पा रही थी।
सुबह 8 बजे अभि मुझे लेने आया। मैं बेड पर नंगी पड़ी थी, मेरे जिस्म पर उनके माल के दाग थे, और मेरे चूचों पर काटने के निशान। अभि ने मुझे देखकर हँसा, “क्या हाल बनाया है तेरा!” मैंने हँसते हुए कहा, “50,000 का मज़ा लिया है, अब तू गिन पैसे।” पापा और उनके दोस्त चुपचाप बैठे थे, पर उनकी आँखों में संतुष्टि थी।
घर पहुँचकर मैंने गर्म पानी से नहाया। मेरी चूत और गाँड में अभी भी दर्द था, पर मन में एक अजीब सा सुकून था। मैंने सोचा, ये रात मेरी ज़िंदगी की सबसे मस्त रात थी। पापा से चुदना मेरे लिए नया अनुभव था, और मैं जानती थी कि ये सिलसिला अब रुकेगा नहीं।
दोस्तो, ये थी मेरी चुदाई की कहानी। अगली बार बताऊँगी कि कैसे पापा और मैंने फिर से मज़ा लिया। आप मुझे ज़रूर बताएँ कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी।