Bhabhi aur Maa ki chudai: दोस्तों, आज मैं आपके सामने एक ऐसी कहानी लेकर आया हूँ जो आपका दिल और दिमाग दोनों हिला देगी। ये कहानी मेरे जीवन की सच्ची घटना है, और इसे मैं बहुत सोच-समझकर आपके साथ साझा कर रहा हूँ। पहले तो मुझे लगता था कि अपने घर की बातें क्यों दुनिया को बताऊँ, लेकिन इस राज को मन में दबाए रखना मेरे लिए भारी हो रहा था। अपने दोस्तों से तो कह नहीं सकता था, सोचा यहाँ अपनी बात बता दूँ ताकि मन हल्का हो जाए।
मेरा नाम समीर है, मैं 22 साल का हूँ, और अपने गाँव में खेती का काम देखता हूँ। मुझसे बड़ा मेरा भाई है, जो 26 साल का है और फौज में है। उसकी शादी को अभी चार महीने ही हुए हैं। भाई की पोस्टिंग उड़ीसा में है, तो उसकी नई-नवेली दुल्हन, यानी मेरी भाभी रुपाली, हमारे साथ रहती है। घर में बस हम तीन लोग हैं—मैं, भाभी, और मेरी माँ। पिताजी का देहांत कई साल पहले हो चुका है।
जब भाई और भाभी की शादी हुई, तो पहले महीने उन्होंने खूब मस्ती की। रात को जब वो दोनों अपने कमरे का दरवाजा बंद करते और माँ सो जाती, तो मैं चुपके से घर के पीछे वाली खिड़की से उनकी चुदाई देखता। भाभी का गोरा रंग, भरे हुए बदन, और वो मादक सिसकारियाँ—उफ्फ, मेरा लंड तो तन जाता था। मैं मूठ मारकर सो जाता, लेकिन मन में एक ठोस प्लान बनाया कि भाई के वापस जाने के बाद इस माल को चखना है। मैंने सोच लिया कि भाभी को पटाने के लिए उनकी खूब इज्जत करूँगा, ध्यान रखूँगा, और धीरे-धीरे करीब आऊँगा।
वैसा ही हुआ। मैंने भाभी का हर छोटा-बड़ा खयाल रखना शुरू किया। खाना, कपड़े, बाजार—सब में उनकी मदद करता। माँ को भी मेरा ये व्यवहार बहुत पसंद आया, और भाई को तो जैसे टेंशन ही खत्म हो गया। वो बोला, “समीर, अब मुझे कोई चिंता नहीं। तू रुपाली का अच्छे से ध्यान रखेगा। उसे यहाँ अकेलापन नहीं लगेगा।” सब मेरी तारीफों के पुल बाँध रहे थे, लेकिन मेरे दिल में तो कुछ और ही चल रहा था। मैं भाभी को लाइन दे रहा था, और वो भी धीरे-धीरे मेरी तरफ खिंचने लगी थीं।
भाई जब वापस ड्यूटी पर चले गए, तो मैंने भाभी को और ज्यादा वक्त देना शुरू किया। उन्हें बाइक पर गाँव के मेले में ले जाता, आसपास की सैर कराता। बाइक की हिचकोलों में उनका भरा हुआ बदन मेरी पीठ से टकराता, और उनकी चूचियों की गर्मी मुझे महसूस होती। मैं जानबूझकर ब्रेक मारता ताकि वो और करीब आ जाएँ। धीरे-धीरे हमारी नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। भाभी को भी लंड की भूख सता रही थी। भाई के साथ एक महीने की चुदाई ने उनकी जवानी को जगा दिया था, और अब वो बिना मर्द के तड़प रही थीं। उन्हें भी पता था कि भाई की पोस्टिंग की वजह से उनकी सेक्स लाइफ अधूरी रहने वाली है।
एक दिन, जब माँ पड़ोस में गई थीं, मैंने मौका देखकर भाभी को रसोई में पकड़ लिया। वो खाना बना रही थीं, और मैं पीछे से उनकी कमर पर हाथ रखकर उनके गाल पर चूम लिया। पहले तो वो हड़बड़ा गईं, लेकिन फिर उनकी आँखों में वो चमक दिखी। उस दिन हमने पहली बार एक-दूसरे को छुआ। उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया, और मैंने उनकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाया। वो सिसकारी भरने लगीं, “समीर, ये गलत है…” लेकिन उनकी आवाज में वो जोश था जो मुझे और उकसा रहा था। उस दिन के बाद तो हम दोनों रुक ही नहीं सके। जब भी माँ इधर-उधर होती, मैं भाभी को पकड़कर चूमता, उनकी चूत सहलाता, और कभी-कभी जल्दी-जल्दी चोद भी लेता।
रसोई में, जब वो खाना बनातीं, मैं पीछे से उनकी साड़ी ऊपर उठाकर उनकी गांड में लंड सटाता। उनकी मादक सिसकारियाँ और वो गर्म बदन—हाय, हम दोनों की जिंदगी तो जैसे स्वर्ग हो गई थी। भाभी भी अब खुलकर मुझसे चुदवाने लगी थीं। लेकिन मेरी माँ भी कोई कम नहीं थीं। वो 45 साल की थीं, लेकिन उनका बदन इतना मेंटेन था कि कोई 35 की ही समझे। गोरा रंग, भरा हुआ फिगर, और वो चुस्त साड़ियाँ—वो भाभी से बस थोड़ा ही बड़ा लगती थीं। माँ योग करती थीं, खाने-पीने का ध्यान रखती थीं, और उनके चेहरे पर जवानी की रौनक बरकरार थी। कई बार मैं सोचता कि अगर माँ की शादी जल्दी न हुई होती और पिताजी का देहांत न हुआ होता, तो शायद वो भी किसी की जान ले रही होतीं।
एक रात की बात है। मैं अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी में गया था। वहाँ खूब शराब पी, और रात 11 बजे तक घर लौटा। नशा इतना था कि मेरा सर चकरा रहा था, और लंड बार-बार खड़ा हो रहा था। मैंने सोच लिया कि आज किसी भी हाल में भाभी को चोदना है। घर पहुँचा तो देखा नीचे लाइट बंद थी। माँ और भाभी दोनों छत पर सोने चली गई थीं। गर्मी की रात थी, और मच्छरों की वजह से दोनों बेडशीट ओढ़कर सो रही थीं। मैं नशे में धुत्त था, और बस भाभी को पकड़ने की धुन सवार थी।
छत पर चढ़ा तो देखा दो बेडशीट में दो लोग सो रहे हैं। अंधेरा था, और मुझे समझ नहीं आया कि भाभी कौन है और माँ कौन। मैंने अंदाजा लगाया कि बायीं तरफ वाली भाभी होगी। मैं चुपके से उनके पास लेट गया। नशे में मेरी हिम्मत बढ़ी हुई थी। मैंने धीरे से उनकी बेडशीट हटाई और उनकी नाइटी को जांघों तक ऊपर सरका दिया। उनकी चिकनी गांड पर हाथ फेरने लगा। उफ्फ, वो गर्माहट मेरे लंड को और तड़पा रही थी। मैंने धीरे से नाइटी के बटन खोले और उनकी चूचियों को दबाना शुरू किया। वो भारी-भारी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और मुझे लगा कि भाभी भी धीरे-धीरे सिसकार रही हैं।
मैंने उनकी एक टांग ऊपर की और अपनी पैंट नीचे सरकाकर लंड को उनकी गांड की दरार में सटाया। मेरा लंड पहले से गीला था, और उनकी गांड की गर्मी ने मुझे पागल कर दिया। मैं डर रहा था कि कहीं माँ न जाग जाए, इसलिए हल्के-हल्के ही धक्के मार रहा था। नशे की वजह से मेरी आँखें भारी हो रही थीं, लेकिन लंड था कि मानने को तैयार ही नहीं था। मैंने उनके कान में फुसफुसाया, “भाभी, नीचे चलो… आज रहा नहीं जा रहा।” वो चुपचाप उठीं, और मैं आगे-आगे, वो पीछे-पीछे। अंधेरा इतना था कि कुछ साफ दिख नहीं रहा था।
नीचे कमरे में पहुँचते ही मैंने उन्हें पलंग पर लिटाया। उनकी नाइटी को कमर तक ऊपर किया, पैंटी को एक झटके में उतारा, और उनकी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया, उनकी चूत पर सटाया, और एक ही धक्के में आधा लंड अंदर पेल दिया। वो सिसकारी, “आह्ह…” और मैं उनके ऊपर लेट गया। उनके होंठों को चूसते हुए, उनकी चूचियों को मसलते हुए, मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड फिसलता हुआ पूरा अंदर चला गया। मैं नशे में चूर था, और वो भी अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं।
मैं उनकी चूचियों को चूस रहा था, कभी उनके निप्पल को दाँतों से हल्का काट रहा था। उनकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… समीर… और जोर से…” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उनकी चूत की गर्मी, वो टाइटनेस, और मेरे लंड का घर्षण—मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा था। मैंने उनकी एक टांग अपने कंधे पर रखी और गहरे धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ उनकी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं उन्हें मसल रहा था। वो भी पूरी तरह खुल चुकी थीं, अपनी कमर को मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाकर हिला रही थीं।
करीब 15 मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा। मैंने उन्हें पलटकर घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दिया। उनकी गांड को थप्पड़ मारते हुए, मैंने उनकी कमर पकड़कर तेज-तेज धक्के मारे। उनकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आह्ह… हाय… और जोर से… चोद दे…” मैं नशे में था, मेरा सर घूम रहा था, लेकिन लंड था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी अचानक लाइट आ गई।
हाय राम! ये क्या! ये तो भाभी नहीं, मेरी माँ थी! मैं एकदम से रुक गया, मेरा नशा हिरन हो गया।
आगे की कहानी: भाभी को चोदने के चक्कर में माँ को ही चोद दिया – Part 2