सुलोचना भाभी चुद गयी गैर मर्द से

Padosi bhabhi sex story: सुलोचना, 30 साल की एक बेहद हॉट और खूबसूरत महिला, अपने फ्लैट में अकेली बैठी थी। बड़ी-बड़ी काली आँखें, गुलाबी होंठ, और परफेक्ट फिगर (34-28-36) ने उसे सोसायटी की सबसे आकर्षक महिलाओं में से एक बना दिया था। लेकिन उसकी जिंदगी में अकेलापन था। उसका पति विनोद, जो पतले शरीर और औसत कद का था, इस समय अपने बड़े भाई अंशुल के पास वाराणसी में था।

विनोद हमेशा काम की तलाश में रहता था, लेकिन कभी भी टिक नहीं पाता था। सुलोचना को उसकी इन कमजोरियों से चिढ़ होती थी। वह हर दिन अपनी बढ़ती इच्छाओं और अधूरी ख्वाहिशों से जूझती रहती थी।

आज रात सुलोचना के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने पिछले कुछ दिनों से अपने पड़ोसी नवीन पर ध्यान देना शुरू किया था। नवीन 35 साल का, लंबा-चौड़ा और बेहद आकर्षक मर्द था। उसकी चौड़ी छाती, घने बाल, और गहरी आवाज उसे हर किसी से अलग बनाती थी। नवीन की पत्नी मायके में थी, और उनके बच्चे हॉस्टल में पढ़ते थे।

सुलोचना ने अपने मन में ठान लिया कि वह आज अपने दिल की बात नवीन के सामने रखेगी। उसने हल्की गुलाबी साड़ी पहनी, जो उसकी पतली कमर और बड़ी चूचियों को उभार रही थी। उसने अपने बाल खुले छोड़े और हल्का मेकअप किया।

रात के करीब 12 बजे, उसने नवीन के फ्लैट की घंटी बजाई। कुछ सेकंड बाद, दरवाजा खुला। सामने नवीन खड़ा था।

“भाभी, इतनी रात को? सब ठीक है?” नवीन ने हैरानी भरे स्वर में पूछा।

सुलोचना ने थोड़ा झिझकते हुए अपना माथा पकड़ा और कहा, “भाईसाहब, सर बहुत भारी लग रहा है। कुछ समझ नहीं आ रहा।”

नवीन ने उसे अंदर बुलाया। “आइए, भाभी। अंदर बैठिए। मैं देखता हूँ क्या हुआ है।”

जैसे ही वह अंदर गई, सुलोचना लड़खड़ा गई। नवीन ने तुरंत उसे अपनी मजबूत बाहों में पकड़ लिया। उसकी चौड़ी छाती का स्पर्श सुलोचना को अंदर तक महसूस हुआ।

नवीन ने उसे अपने बेडरूम में ले जाकर बेड पर लिटाया। कमरे में हीटर चल रहा था, जो हल्की गर्माहट दे रहा था।

“भाभी, डॉक्टर के पास चलते हैं। यह सही नहीं लग रहा,” नवीन ने चिंता भरे स्वर में कहा।

“नहीं, भाईसाहब। डॉक्टर की जरूरत नहीं है। बस थोड़ी देर में ठीक हो जाऊंगी। अगर आपके पास विक्स हो, तो वह दे दीजिए।”

नवीन ने तुरंत विक्स निकाला और सुलोचना के माथे पर हल्के हाथों से मसाज करने लगा।

“आप कितने अच्छे हैं, भाईसाहब,” सुलोचना ने धीरे से कहा। “काश, मेरा पति भी ऐसा होता।”

नवीन ने उसकी बात सुनकर हल्की मुस्कान दी। “भाभी, आप बहुत खास हैं। और सच कहूँ तो, आप बेहद खूबसूरत हैं।”

सुलोचना ने हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा।

“भाईसाहब, आप मुझे बहुत अच्छा महसूस कराते हैं। मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे समझे, मेरी परवाह करे।”

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“भाभी, अगर आप कभी अकेला महसूस करें, तो मुझे बताइएगा। मैं हमेशा आपके साथ हूँ,” नवीन ने कहा और धीरे-से उसका हाथ अपने हाथ में लिया।

सुलोचना का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसकी बड़ी, भरी हुई चूचियां, जो साड़ी के पल्लू से बाहर झलक रही थीं, नवीन का ध्यान खींच रही थीं। उसने धीरे-से उसके पल्लू को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन उसकी उंगलियां सुलोचना की त्वचा से छू गईं।

“भाईसाहब…” सुलोचना ने धीमे से कहा।

“भाभी, मैं आपको कभी तकलीफ नहीं दूंगा। लेकिन अगर आप इजाजत दें, तो मैं…” नवीन ने झिझकते हुए कहा।

सुलोचना ने बिना कुछ कहे अपनी आँखें बंद कर लीं और हल्के से अपना चेहरा उसके करीब कर दिया।

जैसे ही नवीन ने उसके होंठों को छुआ, एक सिहरन उनके शरीर में दौड़ गई। उसने धीरे-से सुलोचना के पल्लू को हटाया। उसकी बड़ी, गोल चूचियां ब्लाउज में कसकर बंधी हुई थीं। नवीन ने अपनी उंगलियां उसकी पीठ पर ले जाकर ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू किया।

“भाईसाहब…” सुलोचना ने धीमे स्वर में कहा, लेकिन उसे रोकने का कोई इरादा नहीं था।

“आप बहुत खूबसूरत हैं, भाभी।” नवीन ने कहा और धीरे-से ब्लाउज को कंधों से नीचे खींच दिया।

नवीन ने सुलोचना के ब्लाउज के हुक को खोलते हुए उसे धीरे-धीरे नीचे खींचा। उसकी बड़ी, भरी हुई चूचियां अब पूरी तरह से आज़ाद हो चुकी थीं, और उनकी गोलाई और टाइट निप्पल नवीन के लिए असहनीय बन रहे थे। उसने बिना कुछ कहे अपने हाथों से उनकी गर्माहट को महसूस किया।

“भाईसाहब…” सुलोचना ने हल्के से कहा, उसकी सांसें तेज हो रही थीं।

“भाभी, आप वाकई बेहद हसीन हैं। मुझे यकीन नहीं होता कि कोई आपके जैसी खूबसूरत महिला को नजरअंदाज कर सकता है।” नवीन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

सुलोचना ने हल्की मुस्कान दी और कहा, “अब आपकी बातों से मुझे और ज्यादा अच्छा महसूस हो रहा है। लेकिन यह मत कहिए कि मैं हसीन हूँ। आप बस मुझे महसूस करिए…”

नवीन ने धीरे-से अपनी उंगलियां सुलोचना की कमर पर रखीं और उसकी साड़ी को खींचना शुरू किया। उसकी गोरी, पतली कमर अब पूरी तरह से दिखने लगी थी। उसने अपनी उंगलियां उसकी नाभि के पास टिकाईं और हल्के से सहलाना शुरू किया।

“आआह्ह्ह्ह… भाईसाहब…” सुलोचना ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा।

नवीन ने उसकी साड़ी को पूरी तरह से खींच दिया। वह अब सिर्फ अपनी गुलाबी पैंटी और ब्रा में थी। नवीन ने उसके पास बैठते हुए उसकी पतली टांगों को अपने हाथों में लिया और धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया।

“आपके हाथ बहुत गर्म हैं…” सुलोचना ने कहा, उसकी आवाज में हल्की कामुकता थी।

“आपके शरीर की गर्मी ही मेरी उंगलियों में आ रही है, भाभी।” नवीन ने जवाब दिया।

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उसने अब अपनी उंगलियों से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत को छुआ। सुलोचना का पूरा शरीर झनझना उठा।

“ओह्ह्ह्ह… भाईसाहब…” उसने मुँह से धीरे-से कहा।

नवीन ने अब उसकी ब्रा के स्ट्रैप को खींचा। वह धीरे-धीरे उनके हुक खोलने लगा। हर बार जब उसकी उंगलियां उसकी त्वचा को छूतीं, सुलोचना की सांसें और तेज हो जातीं।

“आपने मुझे आज वो अहसास दिया है जो मैंने कभी महसूस नहीं किया…” सुलोचना ने कहा।

“आपके जैसी खूबसूरती को किसी ने महसूस ही नहीं किया होगा।” नवीन ने कहा।

ब्रा के हटते ही उसकी गोल, भरी हुई चूचियां पूरी तरह से नवीन के सामने थीं। उसने बिना कुछ कहे उनके निप्पल को अपने होंठों में लिया और हल्के-हल्के चूसने लगा।

“आआह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…” सुलोचना के मुँह से लगातार आवाजें निकल रही थीं। उसने अपने हाथों से नवीन के बालों को पकड़ा और उसे अपने और करीब खींच लिया।

नवीन ने अब उसकी पैंटी को पकड़कर धीरे-धीरे नीचे खींचा। उसकी गीली चूत अब पूरी तरह से दिख रही थी। उसने अपनी उंगलियां उसकी चूत पर रखीं और हल्के-हल्के सहलाना शुरू किया।

“ओह्ह्ह्ह… भाईसाहब, यह तो बहुत अच्छा लग रहा है…” सुलोचना ने अपनी आवाज में हल्की सिसकारी के साथ कहा।

नवीन ने अब अपने कपड़े उतारने शुरू किए। उसकी चौड़ी छाती, मांसल कंधे, और सख्त, बड़ा लंड (करीब 8 इंच) अब पूरी तरह से सुलोचना के सामने था।

“भाईसाहब, यह तो मेरे पति से कहीं बड़ा है…” सुलोचना ने हैरानी भरे स्वर में कहा।

“भाभी, अब आपको कोई कमी महसूस नहीं होगी।” नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा।

नवीन ने सुलोचना के नाजुक शरीर को अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया। उसके गोरे बदन पर हल्की-सी लाली छा गई थी, और उसकी बड़ी-बड़ी आँखें नवीन की ओर देखते हुए चमक रही थीं।

“भाईसाहब… आप मेरे इतने करीब हैं… और मैं खुद को रोक नहीं पा रही,” सुलोचना ने धीमे स्वर में कहा।

“भाभी, मैं भी आपके पास आने से खुद को रोक नहीं सका। आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं…” नवीन ने गहरी आवाज में कहा और उसके होंठों को अपने होंठों से चूम लिया।

से ही उनके होंठ आपस में मिले, सुलोचना ने अपना शरीर हल्का-सा आगे किया और अपनी टांगों को नवीन के चारों ओर लपेट लिया। नवीन ने उसके होंठों को गहराई से चूमा और फिर धीरे-धीरे उसकी गर्दन और कंधों पर अपने होंठों का स्पर्श किया।

“आआह्ह्ह्ह… भाईसाहब…” सुलोचना के मुँह से धीमे-से सिसकारियां निकलने लगीं।

नवीन ने अपनी उंगलियां उसके गालों से होते हुए उसकी चूचियों तक ले गईं। उसने उनकी गर्माहट को महसूस करते हुए उन्हें हल्के-हल्के दबाना शुरू किया।

“आपकी चूचियां बहुत टाइट हैं, भाभी। जैसे इन्हें किसी ने सही से महसूस ही नहीं किया हो,” नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा।

“हां, भाईसाहब… इन्हें ऐसा स्पर्श कभी नहीं मिला,” सुलोचना ने शर्माते हुए कहा।

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नवीन ने उसकी टांगों को धीरे-धीरे फैलाया और अपनी उंगलियां उसकी चूत के पास ले गया। “यह तो पूरी तरह से गीली हो चुकी है, भाभी। आप तो पहले से ही तैयार हैं।”

“ओह्ह्ह्ह… हां, भाईसाहब… मुझे बस आपका इंतजार था।”

नवीन ने उसकी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू किया और फिर हल्के से उसकी जीभ को अंदर ले गया।

“आआह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… भाईसाहब, यह तो बहुत अच्छा लग रहा है…” सुलोचना ने अपनी कमर को हल्का-सा ऊपर उठाते हुए कहा।

कुछ देर उसकी चूत को चाटने के बाद, नवीन ने अपनी मजबूत बाहों से उसे उठाया और दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। उसने धीरे-से अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा।

“भाभी, यह थोड़ा दर्द करेगा, लेकिन मैं आपको कभी तकलीफ नहीं दूंगा।”

“भाईसाहब, मैं सहने को तैयार हूँ। बस इसे अंदर डाल दीजिए…”

नवीन ने अपने लंड को धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया। “आआह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…” सुलोचना ने जोर से चिल्लाया।

“भाभी, आपकी चूत तो बहुत टाइट है। यह तो जन्नत जैसा महसूस हो रहा है,” नवीन ने कहा।

“भाईसाहब, आप तो कमाल के हैं। मेरी चूत को ऐसा भराव पहले कभी महसूस नहीं हुआ…”

नवीन ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। सुलोचना ने अपनी कमर को घुमाकर हर धक्के का जवाब दिया।

“भाईसाहब, और तेज… और गहराई तक डालिए…”

नवीन ने उसकी बात मानते हुए अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसने उसकी टांगों को और चौड़ा किया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

“आआह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… भाईसाहब, यह तो जादू जैसा है!” सुलोचना ने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा।

पूरी रात, नवीन ने सुलोचना को हर पोज़िशन में चोदा। कभी उसने उसे बेड पर लिटाकर चोदा, तो कभी उसे अपनी गोद में उठाकर।

सुबह होते-होते, नवीन ने सुलोचना को चार बार संतुष्ट किया।

सुबह जब वह अपने फ्लैट में वापस लौटी, तो उसकी चाल धीमी थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी।

“अब मैं नवीन के लंड की दीवानी हो चुकी हूँ। जल्द ही मैं फिर से उससे मिलने आऊंगी,” उसने मन ही मन सोचा।

 

 

 

 

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