संस्कारी से रंडी बनने की यात्रा – 4

गाड़ी में यूसुफ के बगल में बैठी मैं खिड़की से बाहर देख रही थी, बाहर का नजारा बदलता जा रहा था, लेकिन मेरे मन में सिर्फ मीटिंग्स की बातें घूम रही थीं। यूसुफ चुपचाप गाड़ी चला रहा था, कभी कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुराता, और मैं शर्मा कर सिर झुका लेती।

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होटल पहुँचते ही उसने चेक-इन करवाया, दो अलग कमरे थे, और मैंने राहत की साँस ली। मेरा कमरा उसके कमरे के बगल में था। मैंने सामान रखा, साड़ी ठीक की, और मीटिंग के लिए तैयार हुई। दिन भर क्लाइंट्स से मिलना हुआ, मैं नोट्स लेती रही, यूसुफ की तारीफ सुनती रही कि उनकी सेक्रेटरी कितनी मेहनती है। शाम को मीटिंग खत्म हुई, सब थक गए थे। यूसुफ ने कहा, “निशिता, आज थोड़ा आराम कर लो, रात को डिनर साथ करेंगे।” मैंने हाँ कह दी, सोचा कि प्रोफेशनल डिनर है।

अपने कमरे में जाकर मैं नहाई, गुनगुने पानी ने बॉडी को सुकून दिया, लेकिन जब साबुन स्तनों पर फेरा तो निप्पल्स सख्त हो गए, और मुझे लगा कि कुछ गलत है। मैंने खुद को डाँटा, सादी साड़ी पहनी, और डिनर के लिए नीचे लॉबी में पहुँची। यूसुफ वहाँ इंतजार कर रहा था, उसने मुझे देखकर मुस्कुराया, और हम रेस्तराँ में गए। खाना खाते वक्त वो मेरी शादी की बातें करने लगा, अजय के बारे में पूछा, और कहा, “तुम्हारे पति बहुत खुशकिस्मत हैं।” मैं शर्मा गई, लेकिन भीतर से एक अजीब गर्मी थी। डिनर के बाद वो बोला, “मेरे सुइट में आओ, कुछ जरूरी फाइलें देखनी हैं।” मैंने हिचकिचाया, लेकिन सोचा कि काम है, मना नहीं कर सकती।

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उसके सुइट में पहुँची तो कमरा बहुत बड़ा था, सोफा, बड़ा बिस्तर, और बालकनी से बाहर का नजारा। उसने दरवाजा बंद किया, शराब की बोतल निकाली, “थोड़ा पी लो, थकान उतरेगी।” मैंने मना किया, “नहीं सर, मैं नहीं पीती।” लेकिन वो हँसा, “एक घूँट, कोई नशा नहीं होगा।” मैंने थोड़ा पी लिया, गला जल गया, लेकिन भीतर एक गर्मी फैल गई। वो पास बैठा, फाइलें दिखाने लगा, लेकिन उसका हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया। मैं चौंकी, “सर…” लेकिन वो रुका नहीं, मेरी कमर पकड़ी, मुझे अपनी तरफ खींचा। “निशिता, तुम जानती हो मैं तुम्हें कितने दिन से चाहता हूँ,” उसने कहा, और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुंबन गहरा था, जीभ अंदर डाली, दाढ़ी मेरी त्वचा पर चुभ रही थी, और मैं पिघल गई। मैंने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन मेरी बॉडी ने साथ दिया, मेरी जीभ उसकी जीभ से लड़ने लगी।

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उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींचा, वो नीचे गिर गया, ब्लाउज के बटन खोले, ब्रा ऊपर की, और मेरे स्तनों को मुँह में लिया। निप्पल्स को चूसा, काटा, और मैं सिसक रही थी, “आह्ह… सर… ये गलत है… आह्ह…” लेकिन मेरी आवाज में हाँ थी। उसने मुझे गोद में उठाया, बिस्तर पर लिटाया, साड़ी पूरी उतारी, पैंटी फाड़ दी। मैं नंगी थी उसके सामने, शर्मा रही थी, लेकिन चूत से रस टपक रहा था। वो भी कपड़े उतारने लगा, उसका चौड़ा सीना, मजबूत बाजूएँ, और फिर उसका मोटा लौड़ा बाहर आया—इतना मोटा और लंबा कि मैं डर गई, लेकिन भूख भी लगी। वो मेरे ऊपर आया, स्तनों को दबाता रहा, गर्दन चाटता रहा, और नीचे हाथ ले गया। उसकी उँगलियाँ मेरी चूत पर फिरीं, दाने को रगड़ा, दो उँगलियाँ अंदर डालीं, “कितनी गीली हो तुम, कितने दिन से तड़प रही हो ना।” मैं चीख पड़ी, “आह्ह… सर… हाँ… उईई…” मेरी चूत सिकुड़ रही थी, पहली बार किसी मर्द की उँगलियाँ अंदर थीं। r/downblouseIndia - A new trend😛 : If i say yes to paid sex , how much will you pay to fuck me ?

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उसने मेरी टाँगें फैलाईं, मुँह नीचे ले गया, जीभ से चूत चाटने लगा, दाने को चूसा, अंदर जीभ डाली। मैं पागल हो गई, कूल्हे ऊपर उठा रही थी, “आह्ह… सर… ओह्ह… मत रुको… आह्ह्ह…” पहली बार किसी ने मुझे चाटा था, और मैं झड़ गई, रस उसके मुँह पर गिरा। वो ऊपर आया, अपना लौड़ा मेरे मुँह के पास लाया, “चूसो इसे।” मैंने हिचकिचाया, लेकिन उसने सिर पकड़ा, लौड़ा मुँह में डाल दिया। इतना मोटा कि मुँह फट जाएगा लगा, लेकिन मैं चूसने लगी, जीभ फेरी, वो कराह रहा था, “हाँ… ऐसे ही… अच्छी रंडी बन रही हो।” मैंने और जोर से चूसा, गले तक लिया, आँसू आ गए, लेकिन मजा आ रहा था।

फिर वो मेरे ऊपर आया, लौड़ा चूत पर रगड़ा, और धीरे धीरे अंदर घुसाया। दर्द हुआ, “आह्ह… सर… धीरे… फट जाएगी…” लेकिन वो रुका नहीं, पूरा अंदर डाल दिया। मेरी चूत भर गई, पहली बार ऐसा लगा कि संतुष्टि मिल रही है। वो ठोकने लगा, जोर जोर से, बिस्तर हिल रहा था, मेरे स्तन उछल रहे थे, “आह्ह… हाँ सर… और जोर से… फाड़ दो मुझे…” मैं चीख रही थी, कूल्हे ऊपर उठा रही थी। वो अलग अलग तरीकों से ठोका, मुझे घोड़ी बनाया, पीछे से घुसाया, बाल पकड़कर खींचा। मैं तीन बार झड़ी, हर बार जोर से चीखी, रस बहता रहा। आखिर में वो मेरे अंदर झड़ा, गर्म रस कोख में भर दिया, और मैं सुकून से भर गई।

हम नंगे लेटे रहे, वो मुझे गले लगाए, स्तनों को सहलाता रहा। मैं रोने लगी, लेकिन खुशी के आँसू थे। “सर… ये सब… मैंने कभी सोचा नहीं था,” मैंने कहा। वो मुस्कुराया, “अब तुम मेरी हो, और ये सिर्फ शुरुआत है।” मैंने सिर उसके सीने पर रख दिया, और सोचा कि अब वापस पुरानी निशिता नहीं लौट सकती।

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