Hindi Girl Xxx Kahani में मैंने पहले अपने मकान मालिक की टीनएज बेटी को चोदा। क्या हुआ जब उसकी माँ ने एक दिन हमें सेक्स करते देखा?
मेरा नाम विशाल (लक्की) है।
मैं राजस्थान के जयपुर में रहता हूँ।
आपने मेरी पिछली चुदाई की कहानी पीजी में लड़के का लंड चूसा। Gay Boy Sex Story
पढ़ी थीं।
बात तब की है, जब मैं गांव से बारहवीं कक्षा में पढ़कर पहली बार जयपुर गया था।
मेरे एक दोस्त ने वहां अपने पड़ोस में एक कमरा किराए पर दिला दिया।
आंटी और उनकी एक बेटी उस घर में रहती थीं।
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आंटी के पति बाहर काम करते थे, इसलिए उनका घर आना जाना बहुत कम था।
वैसे तो आंटी कठोर थीं, लेकिन वे दिल से अच्छी थीं।
देखने में भी आंटी सुंदर थीं।
मुझे लगता है कि जो भी उन्हें देखता है, उन्हें एक बार चोदने की इच्छा जरूर करेगा।
उन्हें देखकर मुझे लगा कि यदि आंटी मुझे कबड्डी खेलने का मौका देती तो मैं सबसे खुश होता।
आंटी के घर में किराए पर सिर्फ एक कमरा था।
जब हम उनसे बात करते थे, आंटी ने मुझे सभी नियम बताए।
वहाँ मैं रहने लगा।
कुछ दिनों बाद, मन नहीं लगने पर मैं छत पर घूमने लगा।
मनु, मकान मालकिन की लड़की, वहां भी आई।
हमने हल्के से मुस्कराकर एक दूसरे को देखा।
मैंने हाय कहा क्योंकि मैं जानता था कि ये हैलो कहेगी।
लेकिन वह मुझे देखकर वापस नीचे चली गई।
यह क्या हुआ, मैं सकपका गया।
क्योंकि उसे लगता था कि शायद वह शर्मीली हैं।
वह कुछ देर बाद वापस आई, इस बार एक किताब लेकर आई।
मैं सीधे उसे हाय कहा।
उसने मुझसे भी हाय करके किताब पढ़ने लगी।
फिर हमारी बातचीत एक या दो दिन बाद शुरू हुई।
मैं उसकी चूचियों को बार-बार देखने लगा।
उसकी चूचियां लगभग प्लास्टिक की कुप्पी की तरह थीं। नोंके सामने को तनी हुई थीं। 28 इंच की साइज़ की चूचियां शायद रही होंगी।
वह घर में हाफ निक्कर या कैप्री पहनना पसंद करती थी, जिससे उसकी संमरमर जैसी जांघें देखकर लंड खड़ा होने लगता था। XXX करने का विचार देसी लड़की का आया।
उसने यह भी कई बार नोटिस किया था कि मैं उसकी गांड और चूचियों को देखता हूँ।
लेकिन उसने कभी कुछ नहीं कहा।
वह सिर्फ मुस्कराकर चली गई।
बाद में, जब मनु पूरी तरह से बोलने लगी, मैंने उसके सुंदरता की तारीफ करना शुरू किया।
वह शुरू में शर्मा जाती थी, लेकिन फिर उसे अपनी प्रशंसा सुनना अच्छा लगने लगा. अब वह कुछ बदलकर मेरे सामने आने लगी।
ऐसे ही एक दिन मैं छत पर आंटी जी से मिल गया और उनसे भी बातें होने लगीं।
मुझे लगता था कि ये आंटी मेरे लिए मनु की तरह भावना रखती हैं क्योंकि वे मुझसे इतना हंसकर बातें करने लगी थीं।
इसका अर्थ यह था कि आंटी मुझे खाने का विचार रखती थीं।
लेकिन इतनी जल्दी कुछ भी नहीं कहना उचित था।
बस मैं आंटी की हरकतों पर नजर रखने लगा और उनके खुद को दिखाने पर उनके दूध और गांड को बहुत गौर से देखने लगा।
अब वह भी मुझे बहुत प्यार करने लगीं।
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अब आंटी मुझे ही कुछ बताती थीं।
मैं भी उनका काम झट से करता था।
अब मैं उनके घर में अधिक और अपने कमरे में कम रहने लगा।
एक दिन आंटी जी को किसी कारण से दो दिन के लिए घर छोड़ना पड़ा।
रात को उनकी लड़की मनु घर पर अकेली रहने वाली थी।
बाहर जाने से पहले आंटी जी ने मुझे बताना भूल गई कि मनु का ध्यान रखना।
मुझे डर लग रहा है, क्या मैं आपके साथ सो सकती हूँ? मनु सुबह 9:00 बजे मेरे कमरे में आई।
मैं भी मना नहीं करता था।
मैंने सोचा कि आज शायद मेरा काम हो जाएगा।
वह मेरे पास आकर सो गई।
December के महीने में बहुत ठंडा था।
मेरे पास सिर्फ एक रजाई थी।
मैं उसे औढ़ा दिया।
अब मुझे बहुत ठंड लगने लगी है।
मैं उसके पास रजाई में जा पहुँचा।
उसकी गर्म गर्म सांसें मेरे मन को धक्का देती थीं।
मैंने उसे फोन किया ताकि जानूँ कि क्या उसे मेरे साथ ऐसे सोना अच्छा लगता है या नहीं।
मैं भी बिंदास हो गया क्योंकि उसने मेरी आवाज का कोई जवाब नहीं दिया।
मैं अब भी उससे चिपक गया।
फिर मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स को दबाने लगा और उसके मम्मों पर हाथ फिराने लगा।
शायद वह जाग रही थी।
उसकी सांसें तपने लगीं।
मैंने सोचा कि जो होगा, देखा जाएगा।
मैंने उसकी ओर देखा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वह भी मेरी मदद करने लगी।
हम धीरे-धीरे एक दूसरे में खोते गए, और मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए।
फिर उसके होंठों को किस करते हुए नीचे चला गया।
मैं उसके छाती के पास पहुंच गया और उसके छोटे चीकुओं को सहलाने लगा।
मैं उसके पेट पर किस करते हुए उसके दूध चूसे।
मैंने उसकी चूत चाटने शुरू किया।
उसकी नई चूत मुझे बहुत पसंद आई।
पहली बार मैंने किसी की चूत चाटी।
फिर हम दोनों 69 में आ गए।
दस मिनट तक हम एक दूसरे की चूत और लंड चाटते रहे और फिर झड़ गए।
हमने फिर से किस करना शुरू किया और मेरा लौड़ा धीरे-धीरे तैयार हो गया।
मैंने पास में रखी हुई क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगा दी।
मैंने अपने लंड पर क्रीम डालकर उसकी चूत में धक्का दे दिया।
वह दर्द से रोने लगी जब मेरा 7 इंच का लौड़ा उसकी चूत में घुस गया।
लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और उसके मुँह पर मुँह लगाकर आवाज को रोक दिया।
एक मिनट बाद, जब वह थोड़ा शांत हो गई, मैंने धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया।
फिर से उसने विचित्र आवाजें निकालने लगी।
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अब उसकी आवाजें कामुक हो गईं।”
उसकी आवाजें सुनकर मुझे भी अजीब लगने लगा और मैं पूरी गति में धक्के लगाने लगा।
कुछ पंद्रह मिनट के बाद मैं गिर पड़ा।
इस बीच वह दो बार झड़ गई।
वह सुबह अपने घर चली गई और पूरी रात चार बार चुदाई की।
अब हम चुदाई करते हैं जब भी मौका मिलता है।
एक दिन आंटी कुछ काम के लिए निकल गईं।
जब हम दोनों को फिर से मौका मिला, हम दोनों देसी लड़कियों से चुदाई करने लगे।
लेकिन हमें ध्यान नहीं दिया गया, और मेरे कमरे की खिड़की खुली थी।
आंटी ने तुरंत घर वापस आकर हमें खिड़की से चुदाई करते हुए देखा।
मुझे कुछ आभास हुआ कि वे हमें काफी देर से देख रही थी।
फिर मैंने कनखियों से देखा कि वे मेरे लौड़े को बार-बार देख रही थी।
पहली बार मुझे डर लगा, लेकिन जब वे मेरे लौड़े को देखी, तो मैं समझ गया कि आंटी की चूत भी मिलेगी।
आंटी ने उस समय कुछ नहीं कहा।
वे वहाँ से भाग गईं।
मैं शर्म से उस दिन शाम को आंटी के पास नहीं गया।
अगले दिन मनु को स्कूल जाना था।
उसने स्कूल से बाहर निकलने के बाद आंटी मेरे कमरे में आकर मुझ पर गुस्सा करने लगी।
मैं कमरा खाली करने के लिए उनसे कहने लगा।
मैं भी आंटी के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया, “आंटी, मुझे माफ कर दो।” मैं ऐसा करूँगा। मुझे यहाँ से बाहर निकालो, कृपया।
फिर क्या हुआ..। आंटी शायद यही सुनना चाहती थी।
आंटी ने कहा कि अगर तुम मेरी बेटी के साथ जो कुछ किया है, उसे मेरे साथ भी करोगे तो तुम यहाँ रह पाओगे।
मैं मन में खुश हो रहा था, लेकिन ऊपर से मना कर रहा था।
नहीं आंटी, तुम मनु की मां हो। मैं ऐसा नहीं कर सकता।
तो तुम्हें यहां से जाना होगा, आंटी ने कहा।
फिर क्या हुआ? मैंने मजबूरी दिखाने की कोशिश की और स्वीकार कर दिया।
फिर, अपने से काफी बड़ी होने के कारण, आंटी के साथ किस करने और उनके बूब्स चूसने लगा।
आंटी ने अपने सारे कपड़े जल्दी उतार दिए।
उन्हें देखकर उनकी उम्र लग ही नहीं रही थी। वे लगभग एक नई लड़की की तरह थीं।
मैं आंटी को बिस्तर पर लेटाकर उनकी चूत चाटने लगा।
उन्हें शायद बहुत दिनों बाद किसी ने चूत चाटी थी, इसलिए उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था।
वे बार-बार मेरा सर चूत में घुसते हुए कहती थीं, “लक्की बेटा, तेज!”
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और वे मेरे 7 इंच का लौड़ा चूसने लगीं।
मैं भी आंटी की चूत चूसना शुरू कर दिया।
हम दोनों झड़ गए और कुछ मिनट बाद लेट गए।
दस मिनट आराम करने के बाद हम फिर से किस करने लगे।
मेरा लौड़ा कुछ मिनट बाद फिर से खड़ा हो गया।
हमारा चुदाई का खेल अब शुरू हुआ।
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उसकी चूत बहुत टाइट लग रही थी, जैसे बहुत दिनों से चुदी नहीं थी।
फिर मैंने उनकी चूत पर लौड़ा रखा और एक तेज झटका दिया।
तेज शॉट से उनकी चूत में मेरा पूरा लौड़ा चला गया और वे दर्द से कराह उठीं।
कुछ देर बाद, लंड चूत मिलन समारोह बहुत खुशी से चलने लगा।
आंटी मुझे चूम रही थीं और अपनी चूत रगड़वा रही थीं।
कोई पंद्रह मिनट की चुदाई में आंटी दो बार झड़ गईं।
अब मेरा लंड भी खत्म होने के कगार पर था।
मैंने पूछा, “आंटी, माल टपकने वाला है, बताओ कहां निकालूं?”
मेरे मुँह में निकालो, आंटी ने कहा।
मैंने अपना लवड़ा उनके मुँह में डालकर चुसवाने लगा।
आंटी ने प्यार से लंड का सारा माल खाया।
मनु आने तक हम दोनों ने तीन बार सेक्स किया।
बाद में आंटी ने जाते हुए कहा कि मनु को इस बारे में कुछ नहीं जानना चाहिए।
मैंने यह भी कहा कि मेरा इशारा मिलते ही बाहर चली जाओ। मुझे हर समय मनु से चुदाई करने का मौका मिलना चाहिए।
आंटी ने हंसकर मान लिया।
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अब मैं जब भी मौका मिलता है, दोनों की चुदाई करता हूँ।
मैं उस दिन का इंतजार करता हूँ जब मैं दोनों मां बेटी को एक ही बिस्तर पर पटक कर चोदूंगा।
और जल्दी ही अपनी इसी कहानी Hindi Girl Xxx Kahani का अगला भाग आपके सामने लेकर आऊंगा।
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