किरायेदार के साथ वासना के खेल

Kirayedar se chudai ki kahani – मैं अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका हूँ और यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है कि जो भी अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ता है, उसके जीवन में आनंदरस का संचार होने लगता है।

मैंने भी अब तक तकरीबन सारी कहानियों का लुत्फ़ उठाया है और कई बार इच्छा हुई कि मैं भी अपनी आपबीती को कहानी में ढाल के भेजूँ, फिर उसका आनन्द उठाऊँ!

इसलिए आज मैं अपनी पहली कहानी के साथ हाज़िर हूँ।

रसिक पाठकों से आग्रह है कि वे इस सेक्सी लेडी एक्सएक्सएक्स कहानी पर अपनी राय और सुझावों से मुझे हौसला देंगे तो मैं उनके लिए और भी मसालेदार आपबीती को कहानी का रूप ज़रूर दूँगी।

सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूँ। मैं ५० वर्षीया एक कामुक हाउस वाइफ़ हूँ और पति के साथ अपने सेक्स जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हूँ।

मेरा जिस्म गदराया हुआ है। मेरा कामुक बदन आज भी मर्दों को आकर्षित करता है।

मैं हर तरह की ड्रेस पहनती हूँ पर देखने वाले मन ही मन मेरे कपड़े उतार के मुझे नंगी देखते हैं, मुझे ऐसा लगता है।

जैसा कि मैंने बताया मैं अपने पति की चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट हूँ लेकिन जिस व्यक्ति को रसगुल्ला पसंद हो, वो भी रोज़ रसगुल्लों से पेट नहीं भर सकता तो फिर कामुक मन तो नए स्वाद के लिए भटकता ही है।

इसलिए मेरा भी मन भटका और शादी के पच्चीस साल बाद भटका।

जब मैं बच्चों की जिम्मेदारियों से फ्री हो गई, तब मेरी दबी हसरतें मेरे जिस्म को मेरे दिमाग को नए नए मर्दों को देख के ये कल्पना करने पर मजबूर करने लगी कि इसका लंड कितना लंबा होगा, कितना मोटा होगा?

मेरा अनुभव कहता है कि कई कहानियों में बहुत बढ़ा चढ़ा के लंड का आकार बताया जाता है।

मैंने जो पहला पराया लंड लिया न तो वो पति के लंड से लंबा था न मोटा, किंतु फिर भी चुदने में बहुत मज़ा आया क्यों कि आखिर मेरा पहला नया स्वाद था।

वास्तव में नए लंड की सनसनी का कोई जवाब नहीं।

एक बात और बताती चलूँ, मेरे पति ने ही मेरी कामुकता को बढ़ावा दिया।

हमने आपस में खूब कहानियाँ पढ़ीं, हज़ारों पोर्न वीडियो देखे, बहुत एंजॉय किया।

इस प्रकार उन्होंने ही मेरी लालसाओं को जगाया, मेरी कामाग्नि को भड़काया, मैं उनके सामने या उनकी अनुपस्थिति में किसी भी पराए मर्द के साथ चुदाई करूँ उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

उनका मानना है कि कुदरत ने तो इंसान को पृथ्वी पर आनन्द लेने भेजा है, उसने कोई नियम कायदे नहीं बनाए।

समाज में सारी बंदिशें इंसानों ने ही बनाई हैं।

दुनिया में जितने भी सुख हैं उनमें सबसे अनूठा है ‘कामसुख’ जो पूरी दुनिया में एक समान है।

पूरी दुनिया में खाने की, कपड़ों की विविधता है। पर चुदाई, उसकी प्रक्रिया, चरम सुख, स्खलन, जिस्म को दिमाग को राहत एक जैसी होती है।

मेरे पति का बस इतना कहना है कि जो भी हो, मेरी जानकारी में हो।

मैंने भी उनकी इस बात को ध्यान में रखते हुए उनके साथ भी और अकेले भी कई मर्दों के साथ शारीरिक सुख के मज़े लिए।

हमने थ्रीसम, फोरसम, स्वैपिंग सारे खेल खेले हैं बस ग्रुप सेक्स का मज़ा लेना बाकी है।

मेरी इस कहानी में पेश है मेरी पहली गैर मर्द से चुदाई की दास्तान।

एक बार की बात है कि मेरे पति पंद्रह दिन के लिए बैंक द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दिल्ली गए थे।

हम आज भी एक दिन छोड़ के चुदाई करते हैं।

उनके जाने के एक हफ्ते बाद मेरे जिस्म को चुदाई याद आने लगी।

मेरी कामुकता मुझे बेचैन करने लगी।

ऐसे में मेरा ध्यान गया हमारे २८ वर्षीय किरायेदार रवि की तरफ!

उसकी पत्नी भी मायके गई हुई थी और रात डेढ़ बजे की ट्रेन से ही लौटने वाली थी।

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मैंने मन ही मन उसका लंड लेने की सोची क्योंकि कई बार मैंने उसे मेरे भरे भरे स्तनों को निहारते पकड़ा था।

मुझे लगा कि वह आसानी से मुझे चोदने के लिए तैयार हो जाएगा।

और पति को पता लगने का डर तो वैसे भी था नहीं!

यह सोचते सोचते मेरी रवि से चुदने की इच्छा ज़ोर पकड़ने लगी और रात में मैं रवि के यहां अपने पहले गैर मर्द के लंड से चुदवाने पहुँची।

मैंने एक झीना गाउन पहन रखा था। अंदर न ब्रा थी न पैंटी!

उसके कमरे में दरवाजे पर मैं थी और सामने ट्यूब लाइट जल रही थी।

उसकी रोशनी में न केवल मेरा पूरा बदन दिख रहा था बल्कि रवि ने ये अंदाज़ा भी लगा लिया कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है क्योंकि उसकी शॉर्ट्स में उसकी मर्दानगी करवट लेती हुई दिख रही थी, वो चोरी चोरी अपने तन रहे लंड को सेट कर रहा था।

मैं कनखियों से उसकी इस हरकत को देख चुकी थी।

उसने पूछा- आओ आंटी, कैसे आना हुआ?

मैंने कहा- यार, अकेले में तो आंटी मत बोल! क्या मैं बूढ़ी दिखती हूँ?

उसने लंड को दबाते हुए कहा- फिर क्या बोलूँ?

मैंने कहा- माधुरी नाम बुरा है क्या? तू मधु या मधु जी भी बोल सकता है।

उसने कहा- ठीक है मधु … जी!

मैं तो चुदाने के मूड से ही गई थी पर अब उसका भी मूड पूरा तन मेरा मतलब बन गया था।

मैंने कहा- यार रवि, मेरा एक ज़रूरी काम है, कर देगा क्या?

उसने कहा- हाँ, बोलो न मधु जी!

मैंने कहा- तेरे अंकल को गए पूरा हफ्ता हो गया है!

वो हैरानी से मुझे देखने लगा कि मैं ऐसा क्यों बोल रही हूँ।

उसने कहा- तो?

मैंने कहा- और सपना (उसकी पत्नी) को भी मायके गए ४-५ दिन हो गए हैं!

वो बोला- हाँ, वो आज रात को ही आ रही है।

मैंने कहा- अच्छा, तुम्हारी शादी को कितने साल हुए हैं?

वो बोला- पाँचवाँ चल रहा है। आप कुछ काम का बोल रही थी?

मैं समझ गई कि अब वो नहीं, उसका लंड बोल रहा है।

मैंने कहा- यार, तुम घर की दाल रोटी से उकता जाते हो तो क्या करते हो?

वो बोला- बाज़ार में जाके कोई भी मसालेदार नई डिश खा लेता हूँ।

मैंने कहा- एक मसालेदार नई डिश खुद चल के तुम्हारे पास आई है, इसको चखोगे नहीं?

इतना कहना था कि वो ‘ओह मधु’ कहते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा।

उसका हाथ मेरे स्तन पर और मेरा उसके लंड पर पहुँच चुका था।

वो मेरे होंठों को ऐसे चूस रहा था जैसे सालों से भूखा हो, उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसकर मेरी जीभ से खेल रही थी, मैं भी उसके होंठ काट रही थी, हल्के से दाँतों से खींच रही थी, हमारी साँसें तेज़ हो गई थीं।

उसका हाथ मेरे गाउन के ऊपर से मेरे स्तनों को दबा रहा था, निप्पल्स को उंगलियों से मसल रहा था, मैंने महसूस किया कि मेरी चूत गीली होने लगी थी, हल्की सी सिहरन उठ रही थी।

मैंने उसके लंड को शॉर्ट्स के ऊपर से सहलाया, वो पहले से ही कड़ा हो रहा था, मैंने उसकी शॉर्ट्स में हाथ डाला और सीधे लंड पकड़ लिया, वो गर्म था, हल्का सा फड़क रहा था।

रवि ने मेरे गाउन की गांठ खोल दी, गाउन खुलकर नीचे गिर गया, अब मैं पूरी नंगी उसके सामने थी, मेरे भरे हुए स्तन, गदराया बदन सब कुछ खुला था।

वो मुझे देखकर सिसकारी भरता हुआ बोला- वाह मधु जी, क्या माल हो तुम, इतने बड़े मम्मे, इतनी मोटी गांड, मैं तो रोज़ सोचता था कि कब मौका मिले।

मैंने हँसकर कहा- अब मिल गया न, चोद न मुझे अच्छे से, मेरी चूत प्यासी है।

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वो भी अपनी शॉर्ट्स और टीशर्ट उतारकर नंगा हो गया, उसका लंड करीब ६ इंच का था, मोटा नहीं लेकिन कड़ा और सीधा खड़ा था, सुपारा लाल हो रहा था।

वो मुझे बिस्तर पर धकेलकर मेरे ऊपर चढ़ गया, फिर से होंठ चूसने लगा, उसके हाथ मेरे स्तनों को मसल रहे थे, वो एक स्तन को मुँह में लेकर चूसने लगा, जीभ से निप्पल को चाट रहा था, दाँतों से हल्के से काट रहा था, मैं आह भर रही थी- आह्ह रवि, चूस ले अच्छे से, दबा इनको, उफ्फ कितना अच्छा लग रहा है।

उसका दूसरा हाथ मेरी चूत पर पहुँच गया, वो उंगली से मेरी चूत की दरार सहला रहा था, क्लिट को रगड़ रहा था, मैं कमर उचका रही थी, मेरी चूत से पानी निकल रहा था।

मैंने उसके लंड को पकड़कर हिलाना शुरू किया, ऊपर नीचे कर रही थी, वो सिसकार रहा था- उह्ह मधु, कितनी गर्म हो तुम, तेरी चूत तो रस से भरी है।

फिर वो नीचे सरका, मेरी टाँगें फैलाईं, चूत को देखकर बोला- क्या चूत है तेरी, मोटी मोटी फांकें, गुलाबी अंदर से, मैं चाटता हूँ इसे।

उसने जीभ लगाई, चूत की दरार पर ऊपर से नीचे चाटने लगा, क्लिट को जीभ से थपथपाया, मैं चीखी- आआह्ह रवि, चाट ले, चूस मेरी चूत को, उफ्फ कितना मज़ा आ रहा है।

वो जीभ अंदर डालकर चोदने लगा जैसे, हाथों से मेरी गांड दबा रहा था, मैं उसके बाल पकड़कर चूत पर दबा रही थी, मेरी साँसें तेज़ थीं, शरीर में करंट दौड़ रहा था।

कुछ मिनट चाटने के बाद मैं बोली- अब डाल न लंड, चोद मुझे रवि, मेरी चूत फट रही है।

उसने लंड पर थूक लगाया, मेरी चूत पर रगड़ा, फिर धीरे से सुपारा अंदर डाला, मैंने आह भरी- आह्ह धीरे, कितना कड़ा है तेरा लंड।

फिर वो धक्का मारकर आधा अंदर कर गया, मैं चीखी- उई माँ, रवि चोद अच्छे से, पूरा डाल।

वो पूरा लंड अंदर पेल दिया, चूत पूरी भर गई, वो धक्के लगाने लगा, धप धप की आवाज़ आने लगी, मैं कमर मिलाकर नीचे से धक्का दे रही थी- आह्ह रवि, चोद, जोर से चोद, फाड़ दे मेरी चूत को, उफ्फ कितना मज़ा।

वो मेरे स्तनों को चूसते हुए पेल रहा था, बीच बीच में रुकता, उफान को कंट्रोल करता, मैं कहती- रुक मत मादरचोद, पेल लगातार, मेरी चूत गर्म हो रही है।

वो फिर तेज़ धक्के लगाने लगा, १०-१५ धक्कों में उसका वीर्य निकलने लगा, गर्म गर्म चूत में गिर रहा था, लेकिन वो रुका नहीं, लगातार पेलता रहा, चूत की दीवारें फिसलन भरी हो गईं।

मैं महसूस कर रही थी कि क्लाइमैक्स नज़दीक है, वो २५-३० धक्के और लगाए, मैं झड़ गई- आआह्ह रवि, मैं गई, उफ्फ्फ आह्ह, मेरी चूत फड़क रही थी लंबे समय तक।

हमारी साँसें भारी थीं, मैं आँखें बंद करके उस मस्ती को महसूस कर रही थी कई मिनट तक।

अभी साढ़े ग्यारह बजे थे, उसकी बीवी के आने में दो घंटे बाकी थे।

हम दोनों अभी चुदाई के एक और दौर के लिए तैयार थे।

तो हम दोनों बाथरूम में अपने चूत और लंड को धोकर आए।

दोनों पूरे नंगे तो थे ही, मैं उसका धुला धुलाया, लटका हुआ, नर्म लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं पति का भी ऐसा लंड तकरीबन रोज़ चूसती हूँ, जब वो नहा कर आते हैं।

उसका लंड दो मिनट में ही फूलने लगा, उसके हाथ मेरे स्तन से खेल रहे थे।

मैं लंड को जीभ से चाट रही थी, सुपारे पर जीभ घुमा रही थी, नीचे बॉल्स को चूस रही थी, वो सिसकार रहा था- आह्ह मधु, कितना अच्छा चूसती हो, उफ्फ मेरे लंड को खा जा।

फिर मैंने उसका लंड मुँह में गहराई तक लिया, चूसते हुए हिला रही थी, वो मेरे बाल पकड़कर मुँह चोद रहा था हल्के से।

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इससे पहले कि उसका लंड पूरी तरह से तन्नाता, मैंने उसके कंधों को दबा के नीचे झुकाया और उसका मुँह अपनी चूत पे लगा दिया।

उसकी जीभ के स्ट्रोक मेरी चूत पर चलने लगे, उसके मुँह में मेरी चूत और उसके वीर्य का मिला जुला नशीला रस घुलने लगा।

मैंने चूत केवल बाहर से धोई थी।

यह सोच सोच कर मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी कि एक मर्द मेरी चूत से अपना ही वीर्य सुड़क रहा है।

मेरे पति कहते हैं कि तू किसी से चुद के आए और तेरी चूत में उसका वीर्य भरा हो तो मैं चाट सकता हूँ। लेकिन लंड खड़ा हो तब … डिस्चार्ज होने के बाद वीर्य चाटने का बिल्कुल मन नहीं करता।

मैं देख रही थी कि कितना सच बोल रहे थे वो!

मेरी चूत चाटते चाटते उसका ६ इंच का लंड पूरी तरह अकड़ गया।

इस बार मैंने उसको चित लिटाया और उसके लंड पर सवार हो गई।

रवि का पूरा लंड मेरी लपलपाती चूत में समा गया।

उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी मकान मालकिन आंटी उसके लंड की सवारी कर रही है।

वो पूछ बैठा- मधु यार, आज मेरे लंड की लॉटरी कैसे लग गई? तुम्हारी आज चुदाने की इच्छा कैसे हो गई, ऐसे मौके तो पहले भी आए हैं!

तो मैंने कहा- यार, आज चुदना लिखा था तो आज ही ध्यान आया।

मैंने कमर हिलाना शुरू किया, ऊपर नीचे हो रही थी, लंड चूत में अंदर बाहर हो रहा था, धप धप की आवाज़, मैं स्तनों को खुद दबा रही थी, वो मेरी गांड पकड़कर नीचे से धक्का दे रहा था- आह्ह मधु, क्या चूत है तेरी, कितनी टाइट लग रही है, चोद मुझे ऐसे ही।

बहुत देर तक मैं लंड को चोदती रही, पसीना बह रहा था, मैं थकने लगी तो रुक गई, फिर बोली- अब तू ऊपर आ, चोद मुझे।

फिर जब लगा कि झड़ने का समय नज़दीक है, तब मैं फिर चित लेट गई और रवि को बोली- फिर से रगड़ दे मादरचोद, मेरी इस प्यासी चूत की प्यास बुझा दे।

रवि ने भी कस के धक्के लगाने शुरू किए- ले भेनचोद, ले भोसड़ी वाली, देख मेरा लंड कैसे रगड़ रहा है तेरी गर्म चूत को!

वो मुझे मिशनरी में चोद रहा था, टाँगें ऊपर करके, लंड गहराई तक जा रहा था, मैं चीख रही थी- आह्ह रवि, जोर से, फाड़ दे, उफ्फ आह्ह, कितना गहरा जा रहा है तेरा लंड।

फिर वो मुझे घोड़ी बनाकर पीछे से डालने लगा, गांड पकड़कर धक्के मार रहा था, मैं कमर हिला रही थी- आह्ह yes, ऐसे चोद, मेरी गांड दबा, उफ्फ कितना मज़ा।

इस बार भी रवि के लंड से वीर्य विस्फोट हो गया।

पर वो रुका नहीं, मेरी चूत जोर जोर से फड़कती रही और वो रगड़ता रहा।

इस बार करीब आधा घंटा तक सेक्सी लेडी एक्सएक्सएक्स चुदाई चली।

रवि निढाल होकर मुझ पर पड़ा था, उसका पूरा बदन पसीने में लथपथ था।

मैंने पूछा- अभी तुम्हारी बीवी भी आकर लंड मांगेगी तो क्या करोगे?

वो बोला- इतनी लजीज बिरयानी खाकर दाल चावल खाने की बिल्कुल इच्छा नहीं है। लंड में भी दम नहीं बचा है, सिरदर्द का बहाना बना दूंगा, पर कुछ भी हो जाए आज तो सपना को नहीं चोदूंगा।

तो मेरे अनजाने रसिक दोस्तो। कैसी लगी मेरी ये पहली और सच्ची कामुक सेक्सी लेडी एक्सएक्सएक्स कहानी?

जरूर बताएं।

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