अनजान बूड़े ने अपने लण्ड से जिंदगी बना दी

Paiso ke liye chudi – Pati ki job ke liye biwi ki chudai – हैलो दोस्तों, मैं मानसी हूँ, उम्र करीब 28 साल की, गोरी-चिट्टी, लंबे काले बालों वाली, और फिगर 34-28-36 का। मैं पॉन्डिचेरी में रहती हूँ, मेरे पति सुनील एक सरकारी नौकरी में हैं, जो अब गोरखपुर ट्रांसफर हो गए हैं। बहुत दिनों बाद मैं अपना एक नया सेक्स अनुभव आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ। उम्मीद है कि आपको मेरी ये कहानी पसंद आएगी, क्योंकि ये मेरी जिंदगी का एक ऐसा मोड़ है जिसने सब कुछ बदल दिया।

ये बात कुछ दिन पहले की है। मेरे पति सुनील का ट्रांसफर गोरखपुर हो गया था, और वो मुंबई गए हुए थे। मैं पॉन्डिचेरी में अकेली रह रही थी। एक दिन उन्होंने मुझे फोन किया और मुंबई बुलाया, क्योंकि वहाँ उनके एक करीबी दोस्त की शादी की पार्टी थी। जैसे ही उन्होंने कहा, मैंने फ्लाइट का टिकट बुक करने की कोशिश की, लेकिन मिला नहीं। ट्रेन में भी कोई सीट नहीं मिली। आखिर में मैंने फैसला किया कि बस से ही बेंगलोर से मुंबई जाऊँगी। दशहरा का टाइम था, हर बस भरी हुई थी, लेकिन किसी तरह एक स्लीपर बस में जगह मिल गई।

बस में स्लीपर मिली, लेकिन वो शेयर वाली थी, मतलब कोई और भी साथ में होगा। पहले तो मैंने मना कर दिया, सोचा इतना रिस्क क्यों लूँ। लेकिन सुनील की बात याद आई, पार्टी में जाना जरूरी था, तो मैं तैयार हो गई। बस शाम चार बजे की थी, जो अगले दिन सुबह नौ बजे मुंबई पहुँचाएगी। मैंने कंडक्टर से बहुत रिक्वेस्ट की कि प्लीज, कोई औरत को ही मेरे साथ स्लीपर दो। लेकिन आखिरी वक्त पर एक 55 साल के बुजुर्ग अंकल आ गए। वो दुबले-पतले नहीं थे, बल्कि ठीक-ठाक कद-काठी के, सफेद बाल, चश्मा लगाए, साफ-सुथरे दिखते थे। मैंने कंडक्टर से फिर बहस की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मजबूरी में मुझे उनके साथ स्लीपर शेयर करना पड़ा।

बस चल पड़ी। थोड़ी देर बाद अंकल ने बात शुरू की। पूछा, “बेटा, कहाँ जा रही हो? घर कहाँ है?” मैंने थोड़ा-बहुत बताया। फिर उन्होंने खुद के बारे में बताया। वो मुंबई में एक बड़ी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट हैं, नाम राजेश अंकल। फ्लाइट में सीट न मिलने की वजह से बस से जा रहे थे। बातों-बातों में पता चला कि उनका बेटा और बहू मुंबई में ही रहते हैं। उनकी पत्नी का दो साल पहले निधन हो गया था, अब वो बेटे-बहू के साथ रहते हैं, लेकिन अकेलापन महसूस करते हैं। हमारी बातें खुल गईं, हँसी-मजाक होने लगा। रात का खाना खाया, बस फिर से चली। एसी की वजह से ठंड लग रही थी। मैंने अपना कंबल ओढ़ा और सोने की कोशिश की। अंकल ने स्लीपर के पर्दे लगा दिए और अपने टैबलेट पर कुछ काम करने लगे। मैं रात को हमेशा चोटी खोलकर सोती हूँ, वैसे ही बाल खोल दिए, एक साइड करके लेट गई।

रात करीब एक बजे मुझे लगा कि अंकल ने अपना पैर मेरे कंबल में डाल दिया है और मेरे पैरों को सहला रहे हैं। मैं थोड़ी हिली, लेकिन अनदेखा कर सो गई। थोड़ी देर बाद देखा कि उनका हाथ मेरे बूब्स पर है, जैसे सोते हुए रखा हो। मैंने धीरे से उनका हाथ हटाया और पीछे मुड़कर लेट गई। आधे घंटे बाद फिर महसूस हुआ कि वो मुझसे चिपककर लेटे हैं, उनका लंड मेरी गांड में कपड़ों के ऊपर से दब रहा है। मैं गुस्से में एक साइड हो गई। लेकिन अब वो मेरे बालों से खेलने लगे, उँगलियाँ फिराने लगे। अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने गुस्से से कहा, “अंकल, ये क्या कर रहे हैं आप?”

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वो थोड़े डर गए, बोले, “बेटा, तुम्हारी आंटी के जाने के बाद से मैं अकेला सोता हूँ। आज इतनी सुंदर लड़की साथ में है, कंट्रोल नहीं हो रहा। तुम जो कहोगी, वैसा करूँगा। बस एक बार साथ दे दो।” ये कहकर वो मेरे पैर छूने लगे।

मैंने कहा, “अंकल, आप मेरे पापा की उम्र के हैं। पैर मत छुओ, छोड़ो वरना मैं शोर मचा दूँगी।”

वो डर गए, बोले, “जितने पैसे चाहिए बोलो, दूँगा। तुम्हारे पति को अच्छी नौकरी दिला दूँगा।” उन्होंने बैग से हजार के नोटों का बंडल निकाला,给我 दिया। बोले, “और चाहिए तो बोलो, चेक काट दूँगा। तुम्हारे पति को अच्छी सैलरी वाली जॉब दिला दूँगा। बताओ, कितनी सैलरी मिलती है उन्हें?”

मैंने कहा, “85000 रुपये।”

वो बोले, “मैं 150000 दिलवा दूँगा। कल ही पक्की कर दूँगा। बोलो, साथ दोगी?”

मैं लालच में आ गई। एक लाख कैश, पति की अच्छी जॉब। मैंने हाँ कर दी। वो खुश होकर मेरे होंठों पर टूट पड़े, जीभ चूसने लगे। मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया, दबाने लगे। मैं भी गर्म हो गई, बोली, “अंकल, जैसे मैं चाहूँगी, वैसा करना पड़ेगा। मैं अपने हिसाब से सेक्स करूँगी। मंजूर?”

वो बोले, “जैसे चाहो, तैयार हूँ।”

उन्होंने मेरी कुर्ती में हाथ डाला, बूब्स दबाने लगे, ऊपर से चूसने लगे। मैंने उनकी जिप खोली, लंड बाहर निकाला, हिलाने लगी। वो पागल हो गए, मुझे लेटाकर ऊपर आ गए। कपड़े आधे उतारकर मेरी चूत चाटने लगे, जीभ से चोदने लगे। मैं उनका लंड हिला रही थी, अचानक उनका पानी निकल गया। मैंने लंड चूसकर सारा रस चाट लिया।

वो बोले, “मेरा तो जल्दी निकल गया, तुम्हारा नहीं। 7 बजे लोनावाला आएगा, वहाँ उतरकर होटल में रुकेंगे। कल कार से मुंबई जाएँगे।”

मैंने कहा, “पति को क्या कहूँगी?”

वो बोले, “बहाना बना दो। मैं तुम्हारे सामने पति की जॉब पक्की कर दूँगा।”

मैंने हाँ कर दी। रात भर वो मेरी चूत चाटते, बूब्स दबाते रहे। सुबह 6:30 पर लोनावाला पहुँचे। उन्होंने अच्छा होटल बुक किया, रूम में गए। ठीक 7 बजे सुनील का फोन आया। पूछा, “कहाँ पहुँची?”

मैंने झूठ बोला, “कल रात निकल नहीं पाई, सीट नहीं मिली। आज की बस ली है, कल सुबह 9 बजे पहुँचूँगी।”

वो बोला, “बस में बैठते ही फोन कर लेना।”

फोन काटा। मैं फ्रेश होने जा रही थी, अंकल पीछे से हग करके गर्दन पर किस करने लगे। बोले, “बेटा, आज दिन-रात मस्ती करूँगा।”

मैंने कहा, “हाँ, इसलिए आई हूँ। देखती हूँ, आपके बुढ़ापे में कितना दम है।”

वो बोले, “देख लेना।” मेरी चोटी खोल दी, बाल सूँघने लगे। बोले, “तुम्हारे बाल बहुत अच्छे हैं।”

कुर्ती और लेगिंग उतार दी, मैं ब्रा-पैंटी में। ब्रा के ऊपर से बूब्स दबाने, चूसने लगे। मैंने जोश में उन्हें नंगा किया, धक्का देकर बेड पर गिराया, लंड चूसने लगी। हम 69 में आए, एक-दूसरे को चूसने लगे। उन्होंने चूत इतनी जोर से चूसी कि पेशाब आने लगा। मैं बोली, “रुकिए, पेशाब करके आती हूँ।”

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वो बोले, “रुको, मैं साथ आता हूँ।”

मैंने पूछा, “क्या करेंगे वहाँ?”

वो मेरे पीछे बाथरूम आए, चूत के नीचे हाथ लगाकर बोले, “मूत मेरे हाथ पर।”

मैंने उनके हाथ पर मूत दिया। वो पेशाब अपने लंड पर डालने लगे। नल चलाया तो मना किया, बोले, “धोना मत, मैं चूत चाटूँगा।”

मुझे गोद में उठाकर बेड पर लेटाया, मूत वाली चूत चाटने लगे। लंड मेरे मुँह में डाला। चूत इतनी चाटी कि मेरा पानी निकल गया। मैं पागल हो गई, उन्हें धक्का देकर लंड पर बैठ गई, चूत में डालकर उछलने लगी। वो नीचे से धक्के देने लगे। आआहह… उउउउ… थप थप की आवाज गूँज रही थी। 15 मिनट बाद उनका वीर्य निकलने लगा। पूछा, “कहाँ डालूँ?”

मैंने कहा, “चूत में ही। फिर मुँह में।”

उन्होंने चूत में छोड़ दिया, लंड मुँह में डाला। मैं चूसी। फिर बाथरूम में नहाए, वहाँ एक बार चुदाई की। मुझे लगा नहीं था कि इस बूढ़े में इतना दम है। एक घंटे में दो बार झड़वा दिया। नहाकर बाहर आए, नाश्ता किया।

वो बोले, “चलो शॉपिंग करते हैं।”

मैंने कहा, “ठीक है, लेकिन क्या पहनूँ?”

वो बोले, “साड़ी है तो पहन लो।”

मैंने हरी नेट वाली साड़ी पहनी, मैचिंग ब्लाउज। बाल गीले थे, खुला छोड़ दिया। बाजार गए। बैंक में काम किया, फिर शॉप से जाली वाली ब्रा, पैंटी, सिल्क नाइट गाउन खरीदा। मोबाइल शॉप से नया फोन लिया। होटल लौटे, लंच ऑर्डर किया। फोन में ऐप डाले, बोले, “इस पर बात करेंगे।”

मैं बोली, “ठीक है।”

उन्होंने सुनील का नंबर लिया, कॉल किया, इंटरव्यू लिया, जॉब ऑफर की। लंच में एक-दूसरे को हाथ से खिलाया। लंच बाद बोले, “बेटा, एक बात पूछूँ?”

मैं बोली, “पूछिए।”

वो बोले, “आंटी के जाने के बाद अकेला हूँ। टूर में 20 दिन, घर पर 10। बेटा-बहू कम आते हैं। जब आऊँगा, प्यार करोगी? पैसे की कमी नहीं, सैलरी ढाई लाख। एक छोटी बात मानोगी तो…”

मैंने पूछा, “क्या?”

वो बोले, “तुम शादीशुदा हो, लेकिन मुझसे चुपके शादी कर लो। 10 लाख FD तुम्हारे नाम, हर महीने 20 हजार। बाहर बेटी जैसी, अकेले में बीवी।”

मैं सोचने लगी। बुड्ढा कितने दिन जिएगा? 10 लाख, 20 हजार महीना। चूत तो घिसेगी नहीं। मैंने हाँ कर दी। वो हग करके खुश हुए। बोले, “मुंबई पहुँचकर FD करवाऊँगा।”

मैं बोली, “रुकिए, बाथरूम जाती हूँ।”

बाथरूम में नई ब्रा-पैंटी, गाउन पहनी। खुले बालों में बाहर आई। वो बोले, “बेटा, मन करता है जीवन भर तुम्हारा कुत्ता बनकर तलवे चाटूँ।”

मैं बोली, “नहीं, पापा की उम्र के हो। सिर्फ चूत चाटो, कमर तोड़ चुदाई करो।”

उनके कपड़े उतारे, लंड सहलाया, झाँटों में उँगली घुमाई। वो मेरे कपड़े उतारने लगे। दोनों नंगे हो गए। मुझे गोद में उठाकर बेड पर लेटाया, होंठों से पैरों तक किस किया, चूत में उँगली की। मैंने धक्का देकर ऊपर आई, लंड चूसा। 69 में चूसने लगे। उनका लंड 6 इंच से ज्यादा, मोटा। मुँह भर गया। इतना चूसा कि वीर्य निकल गया। मैं जीभ से चाटी। वो बोले, “आआहह… जोर से चूसो बेबी… उउउउ… खा जाओ पूरा… मजा आ रहा है।”

बूब्स दबाए, निप्पल चूसे। मैं सहन नहीं कर पाई, लंड पर बैठ गई, चुदने लगी। वो नीचे लेटाकर पैर कंधे पर रखे, जोर से चोदने लगे। थप थप थप… रूम गूँज रहा था। मैं बोली, “धीरे अंकल, होटल वाले आ जाएँगे।”

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20 मिनट चुदाई। वीर्य निकलने पर बोली, “मुँह में।”

वो बोले, “पहले चूत में। चाहता हूँ तुम मेरा बच्चा पैदा करो।”

मैं बोली, “ठीक है, बीज डालो मेरी कोख में। सुनील से नहीं हुआ, शायद तुमसे हो।”

वो खुश होकर चोदने लगे। मेरा पानी निकलने लगा, बोली, “जोर से चोदो अंकल… आआहह… उउईईई… माँ… फाड़ दो चूत… मन करता है हमेशा तुम्हारी बीवी बन जाऊँ… आईईईई… बना दो बच्चे की माँ… रखैल बना लो… आआहह…”

मेरा पानी निकला, उन्होंने चूत में छोड़ दिया। निप्पल पर मुँह रखकर लेट गए। थोड़ी देर बाद बोले, “कैसी लगी चुदाई?”

मैं बोली, “बहुत अच्छी। मन करता है हमेशा तुम्हारी बीवी बनूँ, लेकिन उम्र… वादा, जब आओगे चुदवाऊँगी, पैसे दो या न दो।”

वो बोले, “बेटा मेरा ख्याल नहीं रखता। मैं तुम्हारे लिए कमाऊँगा। बच्चा जन्म दो तो उसके लिए।”

मैं बोली, “ठीक है।”

शाम को गार्डन में बैठे। सुनील का फोन आया, बोला, “नई जॉब का कॉल आया, गोरखपुर में, अच्छी सैलरी।”

मैंने कहा, “कर लो। मैं कल 10 बजे मुंबई पहुँचूँगी।”

फोन काटा। अंकल से बोली, “धन्यवाद, पति को जॉब दे दी।”

वो बोले, “धन्यवाद मत कहो। तुम अच्छी लगी। अब तुम मेरी बीवी हो।”

मैं बोली, “ठीक है, मैं भी कुछ भी करूँगी।”

रूम में टीवी देखा। बोले, “कल मंदिर में शादी करेंगे।”

मैं बोली, “ठीक है, जान हाजिर।”

रात को स्कॉच मँगाया। बोले, “बेबी, थोड़ी ड्रिंक करोगी?”

मैं बोली, “हाँ, पेग बनाऊँगी।”

वेटर से स्कॉच, स्नैक्स, खाना मँगाया। पहला पेग बनाया, वो गोद में बैठाया, बोले, “अपने हाथ से पिलाओ।”

गोद में बैठकर पिलाई, वो मुझे भी पिलाने लगे। मजा देने के लिए ड्रेस उतारकर नाची, कपड़े उन पर फेंके। ब्रा-पैंटी में डांस। उनकी ड्रेस उतारी। दोनों नंगे हो गए। गोद में बैठी, पीने लगे। बोतल खत्म, सिगरेट पी। नशा हो गया। मुझे गोद में उठाया, खड़े-खड़े लंड चूत में डाला, चोदने लगे। पहली बार ऐसी चुदाई, मजा आ रहा था। बोली, “आप चुदाई के पक्के खिलाड़ी हो।”

हँसे, जोर से चोदने लगे। बेड पर पटका, लंड डाला, चोदने लगे। पास अंगूर रखे, चूत में डुबाकर खाने लगे। शहद डालकर चाटने लगे। इतना चाटा कि मैं पागल हो गई, बोली, “प्लीज चोदो… संभाल नहीं सकती… आआहह… चोदो रंडी की तरह… कोई कसर मत छोड़ो… आह्ह्ह्हहह…”

लंड घुसाया, आधा घंटा चोदा। दोनों साथ झड़े, पानी चूत में छोड़ा। मुझे लगा, गर्भ ठहर जाएगा। रात दो बार और चोदा। सुबह मंदिर गए, देवी माँ के सामने सिंदूर से माँग भरी। मैंने पैर छुए। होटल लौटे, मुंबई निकले।

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