फेसबुक पर मिले आदमी से मरवाई गांड | Indian Hindi Gay Sex Stories

Indian Hindi Gay Sex Stories पढ़े। मैं फेसबुक पर एक व्यक्ति से बात करके उसके घर गया। मैंने उसे अपनी गांड मरवाने का विचार बनाया क्योंकि वह बुड्ढा था, लेकिन मुझे खुजली हो रही थी। क्या बदले में मुझे मिला?

मेरा नाम राहुल है। मैं नागपुर में रहता हूँ, मेरी उम्र २२ साल है और मैं साढ़े पांच फुट का हूँ। मैं बहुत चिकना हूँ और गोरा रंग हूँ।

मेरा दोस्त और मैं एक दूसरे की गांड मारते हैं। मैं गांड मरवाना पसंद करता हूँ। मैं फेसबुक पर अपना खाता बनाकर अक्सर लड़कों से चैटिंग करता था।

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मैं एक दिन Indian Hindi Gay Sex Stories अकोला गया, जहां मेरी मौसी रहती हैं। मैं उनके घर पहुंचा। उस दिन मैं सेक्स करने के लिए बहुत उत्सुक था। फेसबुक पर एक आदमी से बातचीत करने पर पता चला कि वह भी अकोला में रहता है। उसने मुझे अपना पता बताया और मुझे आने को कहा।

अगले दिन मैंने मौसी को बताया कि मैं वापस नागपुर जा रहा हूँ। आज मेरे दोस्त के घर जाना है क्योंकि वहाँ कार्यक्रम है।

ठीक है, चला जा, मौसी ने कहा।

फिर मैं उस ठिकाने पर पहुंचा और आदमी को फोन करके कहा, “हैलो, मैं यहां आया हूँ।” मैं बस अपने कार को पार्क करके आपके घर के सामने खड़ा हूँ।
वह – ठीक है..। ऊपर चलो।

मैं ऊपर चला गया। मुझे दूसरी मंजिल पर एक बुढ़िया दिखाई दी।
तुम राहुल हो क्या? उसने पूछा।

जब मैंने हां कहा, वह मुझे अपने कमरे में ले गया।

वह पद्माकर था, उम्र 57 साल और 5 फुट की थी। उसके बाल सफेद थे और उसका रंग सांवला था। वह बहुत मोटा था।

हम दोनों अंदर गए। उसने मेरा बैग टेबल पर रखा और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। उसने बैग उठाकर मुझे गले से लगाते हुए कसके जकड़ लिया। मैं उसे किस करने लगा। मैं पहले सकपका गया, लेकिन फिर भी उसको किस करने लगा। उसके मुँह में शराब की गंध थी। हम चार मिनट तक किस करते रहे।

फिर हम बैठकर बोलने लगे।

इस घर में वह अकेला रहता था।

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मैं: क्या आप अकेले रहते हैं?
हां क्यों? उन्होंने पूछा।
मैंने कहा कि फिर आप किसके साथ सेक्स करते हैं?
मेरी कामवाली है न, उसने मुस्कुराते हुए कहा। उसी से मैं मज़ा लेता हूँ।

मैं पूछता हूँ कि क्या आपने पहले कभी किसी लड़के को चोदा है?
नहीं..। आज मैं तुम्हें पहली बार चोदूंगा। क्योंकि मैं छुट्टी पर था। वह आज आने वाली है, लेकिन मैं आज तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।

मैं उसकी बात सुनकर हंसने लगा।

तुम तैयार हो ना!
मैं: मैं बस इसलिए आया हूँ।
उसने पूछा, “गांड मारने से पहले दारू पी जाएगा?”

उसने सामने की अलमारी से दारू का अद्धा और गिलास निकालकर मुझसे कुछ नहीं कहा। उसने गिलास में दारू डालकर पानी डालकर पैग बनाया।

फिर मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा। उसने गिलास उठाया और मेरे होंठों पर लगाया। मैं एक बड़ा घूंट भर गया।

उसने मुझे पीने से रोकते हुए कहा, “अभी मत लेना।”

मैंने सिर्फ दारू का पैग मुँह में भर लिया। उसने गिलास मेरे होंठों पर रखकर मुँह लगाया। मैंने समझकर उसके मुँह में दारू निकाल दी। उसने मुझे छू लिया और हम दोनों दारू पीने लगे। वास्तव में, मैंने ऐसा पहली बार किया था। मैं बहुत खुश था। उसने दो पैग एक दूसरे को देते हुए इसी तरह खत्म कर दिए। इससे मेरा मुँह भी कड़वा नहीं हुआ। मैं खुश होने लगा।

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दो पैग दारू पीकर फिर से किस करने लगे। उसने मेरे होंठ चूसने लगे। मैं भी उसके सिर को पकड़कर उसे किस करने लगा। धीरे-धीरे उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया।

फिर मैं उसके कपड़े भी उतारने लगा। थोड़ी देर में वह सिर्फ चड्डी में रह गया। उसका मोटा पेट था, बड़ी बड़ी जांघें और पूरे शरीर पर बाल। साला भालू की तरह था।

किंतु मुझे अपनी गांड में दर्द हो रहा था, इसलिए मैंने उससे अपनी प्यास मिटाने का निर्णय लिया। मैं उस पर किस करते हुए नीचे बैठ गया और उसकी अंडरवियर नीचे कर दी। मेरे सामने उसका 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड फनफना रहा था।

मुझे रहा नहीं गया जब मैंने उसका लंड देखा। मैं उसके लिंग पर चूमने लगा। उसने मेरा सिर भी पकड़ लिया और मुझे लंड चुसवाने लगा। धीरे-धीरे मैंने उसका लंड अपने मुँह में लेकर मजे लेकर चूसने लगा।

कुछ ही देर में वह पूरी तरह से गर्म हो गया और मेरे बालों को पकड़कर मुझे लात मारने लगा। मेरे गले तक उसका लंड चला गया। मैं सांस लेने में परेशान था।

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उसी समय एक अजीब तरह से दरवाजे पर तीन बार दस्तक दी गई। शायद कोई बाहर आया था। मैं भयभीत हो गया।

डर मत करो..। इस डार्लिंग में मैं काम करता हूँ। यही कारण है कि वह दरवाजा खटखटाती है।

फिर उसने दरवाजा खोला और अपनी कामवाली को घुमाया।

ये कामवाली भी 50 वर्ष की थी।

वह मुझे देखकर स्माइल करने लगी जैसे ही वह अंदर आई।

तभी पद्माकर दरवाजा बंद करके अन्दर आया और मुझे फिर से पीटने लगा।

यह सब देखकर उस महिला ने मुझे आंख मारी और खाने में चली गई।

मैंने इसका नाम पूछा।
उसने बताया कि सुमन उसका नाम है।

तब सुमन की आवाज आई: साहब, मैं तेल लाऊँ क्या?
पद्माकर ने कहा कि रानी, डिब्बे में घी है..। उन्हें लाओ।

पद्माकर ने कहा और मेरा मुँह चोदने लगा। करीब पांच मिनट बाद, वह मेरे मुँह से अपना लंड निकालकर मुझे किस करके सहलाने लगा।

ठीक उसी समय सुमन घी लेकर कमरे में घुस गई और उसे टेबल पर रखकर वापस चली गई।

रानी, पद्माकर ने उसका हाथ पकड़कर खींचा और कहा, तुम हमारी मदद करो।

वह मुझे नंगा देखकर मुस्कुराने लगी, और मुझे भी उसकी कामुक शरीर देखकर गर्व हुआ। वह मेरे पास आई और मेरी उंगलियों को सहलाने लगी। फिर, हम दोनों को देखते हुए, उसने पद्माकर का लंड हिलाकर अपने कपड़े उतार दिए। सुमन काला था। जब वह पूरी तरह से नंगी हुई, मैंने देखा कि उसकी चूत और बगलों पर बालों का एक जंगल उगा हुआ था।

उसने मुझे बिस्तर के किनारे रखा और मेरी गांड के छेद को चाटने लगा।

मेरे सामने बिस्तर पर आकर सुमन ने पैर फैलाकर बैठ गया। इससे उसकी चुत पूरी तरह खुली और महक मेरी नाक के पास आने लगी।
मैंने उसे अपनी चूत चाटने के लिए कहा। मैं भी उसकी चूत को चाटने लगा।

उसकी चुत मुझे गीली लगी। उसकी चुत रसदार होने लगी। उसकी चुत का रस मैं चाटने लगा। उसी में मज़ा आने लगा और मैं खुश होने लगा।

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ठीक उसी समय, पद्माकर ने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड पर रखकर उसे अंदर डालने की कोशिश की। मेरी चीख निकल गई जब उसके लंड का सुपारा मेरी गांड में घुस गया। लेकिन उसने मुझे जोर से कमर से जकड़ लिया था।

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ठीक उसी समय सुमन ने मेरे सिर को अपनी चुत पर दबाया। मैं घबरा गया, लेकिन मैं कुछ भी कर सकता था।

उसने धीरे-धीरे पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया और कुछ देर रुकने के बाद मेरी गांड चोदने लगा।

अपनी गांड का दर्द कुछ ही समय में कम हो गया और मेरा दर्द कम हो गया। अब उसने जोर से मेरी गांड में लंड डालने लगा।

पद्माकर के मुँह से भी मेरी गांड मारते समय ‘आहा ऊऊं हअआ..’ की सिसकारियां निकलने लगीं। पद्माकर का लंड गांड मारना मुझे बहुत अच्छा लगने लगा।

पद्माकर के लंड से मैं सुमन की चुत चाटते हुए अपनी गांड की खुजली मिटवा रहा था। 15 मिनट बाद, वह मेरी गांड से अपने लंड का पूरा पानी निकालकर लेट गया।

तभी मैंने मुँह में उसका लंड फिर से लिया और चूसने लगा।

सुमन—वाह! तुम्हारा लंड चूसना लड़कियों से भी बेहतर है।
पद्माकर: बेटा, इससे कुछ सीख। कमीनी रोज मेरा लंड चूसती है।

तभी सुमन भी उठी और पद्माकर का लंड मेरे साथ चूसने लगी।

हम दोनों पद्माकर का लंड लगातार चूस रहे थे। कुछ ही देर में पद्माकर ने फिर से अपना लंड उठाया। उसने मेरी कमर फिर से पकड़ी, तो मैं उसके लंड पर बैठ गया और अपनी गांड उछाल उछालकर उसका लंड अपनी गांड में लेने लगा। इस बार मुझे बहुत मजा आया।

अब सुमन पद्माकर के मुँह पर बैठकर चुत चुसवाने लगी। वह मेरी तरफ बैठी थी और अपनी चूचियों को करके बैठी थी। पद्माकर पीछे से उसकी चुत चाट रहा था। वह आगे बढ़कर उसके लंड में जीभ डाल रही थी। वह बीच में मेरी गांड में उसके लंड को चाट रही थी।

मैं कुछ देर बाद थक गया और उठकर बैठ गया।

पद्माकर: इस्तीफा क्यों दिया गया?
मैंने कहा कि मैं थक गया था।
पद्माकर: अब तुम बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाओ।

उसकी बात मानते हुए मैं बिस्तर के किनारे पर पीठ के बल लेट गया और नीचे खड़ा होकर मेरी टांगें हवा में खोलकर मेरी गांड में लंड डालने लगा।

अब सुमन मेरा वीर्य चूस रही थी—तुम्हारा भी बहुत बड़ा है रे!
मैं नहीं बैठूँगा लंड पर।

वह मेरी चूत में मेरा लंड लेकर बैठ गई और अपनी चुत से मेरे लंड पर रगड़ने लगी। पद्माकर ठीक पीछे से लगातार मेरी गांड में लंड डाल रहा था।

करीब दो घंटे तक उसने मुझे चोदा और लंड निकालकर मेरे मुँह में डालने लगा। जब मैंने पद्माकर का लंड उसके मुँह में डाल दिया, वह धक्के मारने लगा। कोई दस बारह धक्कों के बाद मेरे मुँह में उसका पूरा पानी गिर गया। मैंने उसका लंड चाटकर साफ कर दिया और उसके वीर्य पी लिया।

इधर, सुमन ने भी अपनी चुत निकालकर मेरा लंड मुँह से निकाल दिया।

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फिर सुमन कपड़े पहनकर काम करने लगी, और मैं पद्माकर को कसके पकड़ कर उसकी छाती पर सर रख कर सो गया।

हम शाम चार बजे उठकर नहाकर घूमने निकल गए। 8 बजे बाहर खाना खाकर वापस आए। हमारे साथ उसका एक दोस्त भी था।

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9 बजे रात को दोनों ने मेरे कपड़े उतार दिए। वे खुद को भी नंगा करने लगे।

उसका दोस्त किशोर था, जो 35 साल का था। जैसे ही मैंने उसका लंड देखा, वह उस पर टूट पड़ा और जोर से मुँह में लंड चूसने लगा।

कोई पांच मिनट के बाद उसने मेरे पास अपना सामान छोड़ दिया।

मैं बाथरूम जाने लगा क्योंकि मुझे बहुत संडास लगी थी। मैं भी बाथरूम में आ गया। वह खड़ा हो गया और मुझे हगने लगा।

किशोर: तू क्या चूसता है? मैं बहुत खुश हूँ..। कहाँ पढ़ा?
मैं: मैं बहुत से लोगों को चूसता हूँ, इसलिए मैं कुछ सीख गया हूँ।

तभी उसने मेरे मुँह में अपना वीर्य डाल दिया। मैं भी उसे पीने लगा।

कुछ देर बाद वह खड़ा हो गया। उसने मुझे गांड धोने से रोककर कहा, “ऐसे में ही घोड़ी बन जाओ।”

उसने मेरी गांड में लंड डालकर धक्के मारने लगे जब मैं दीवार के नल को पकड़ लिया।

तुरंत पद्माकर बाहर से आया और उससे कहा, “अब तुम उसके मुँह में गोली मार दो।” मैं इसे अब मार डालूंगा।

जब किशोर मेरे सामने आया, मैंने एक हाथ से उसका लंड पकड़ा और उसे मुँह में लेने लगा। मेरी टट्टी भी उसके लंड पर लगी थी।

पद्माकर पीछे से जोर से चोदने लगा।

जब हम सभी बेडरूम में आ गए, पद्माकर ने मुझे पैरों के बीच से उठा लिया। किशोर ने पद्माकर का लंड मेरी गांड में डालकर मुझे उठा उठा कर चोदने लगा।

इस तरह गांड मरवाने में मुझे बहुत मज़ा आया। फिर मुझे पद्माकर ने घोड़ी बनाकर चोदा। उसने फिर मुझे चोदा। मेरी गांड दोनों बार चोदने लगे।

कोई बीस मिनट बाद, वे दोनों मेरे सामने अपने लंड लेकर आ गए। मैंने दोनों के लंड चूसने शुरू कर दिया। बाद में दोनों ने सामने वाले गिलास में अपना मूत्र निकाला..। उसे मिलाकर मुझे पिलाने लगे। मैं भी सब पी गया।

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उस रात उन दोनों ने मेरी गांड तीन बार चुदाई की।

मैंने दूसरे दिन सुमन की चुत चुदाई और वहां से चला आया। मैं आज भी उस रात में हुए सेक्स को भूल नहीं सकता।

अब मैं हर बार वहां जाकर उससे गांड मरवाकर आता हूँ।

आपको मेरी Indian Hindi Gay Sex Stories कैसी लगी, मुझे मेल करके अवश्य बताएं।

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