मेरी ऑफिस की सहकर्मी, मंजू

हाय, मैं सिद्धार्थ जाधव हूँ। ये बात करीब पाँच साल पहले की है, जब मैं अपने एक दोस्त के साथ किराए के फ्लैट में रहता था। घरवालों और रिश्तेदारों से दूर, मुझे अकेले रहने का मज़ा आता था। बाहर की आज़ादी, वो बिंदास ज़िंदगी, मुझे हमेशा भाती थी। उन दिनों मेरी ऑफिस की एक सहकर्मी, मंजू, मेरे इतने करीब आ गई थी कि हमारी दोस्ती कुछ खास बन गई। हम वीकेंड्स में साथ घूमते, हँसते-बोलते, और कई बार मेरे फ्लैट पर अकेले भी वक्त बिताते। मंजू थी ही ऐसी लड़की, जिसे देखकर लंड अपने आप खड़ा हो जाता था। उसकी गोरी चमड़ी, भरी-पूरी छातियाँ, और वो शरारती मुस्कान—उफ़! बस, एक दिन ऐसा हुआ कि हमारी दोस्ती ने एक गर्म और चुदक्कड़ मोड़ ले लिया, जो मेरी ज़िंदगी का सबसे मस्त अनुभव बन गया।

एक दिन मेरा रूममेट कुछ दिनों के लिए अपने गाँव जाने वाला था। मैंने ये बात मंजू से छुपाई, क्योंकि मेरे दिमाग में एक शरारती प्लान चल रहा था। जैसे ही वो गया, मैंने मंजू को फोन किया। “मंजू, आज रात मेरे साथ रुक जा ना, पूरा फ्लैट खाली है,” मैंने कहा। पहले तो वो हिचकिचाई, बोली, “सिद्धार्थ, ये ठीक नहीं… अगर किसी को पता चल गया तो?” लेकिन मेरी थोड़ी सी चिकनी-चुपड़ी बातों और जिद ने उसे मना लिया। मैंने ऑफिस से एक वीक डे की छुट्टी ले ली, और मंजू ने भी अपने घरवालों को नाइट शिफ्ट और कुछ जरूरी काम का बहाना बनाकर मना लिया। शाम होते-होते वो मेरे फ्लैट पर आ गई, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो जानती थी कि आज कुछ हॉट होने वाला है।

हमने जल्दी-जल्दी डिनर किया। मैंने जानबूझकर एक इंग्लिश मूवी लगाई, जिसमें ढेर सारे किसिंग और सेक्स सीन थे। मंजू स्क्रीन पर नज़रें गड़ाए देख रही थी, लेकिन मैंने गौर किया कि उसकी साँसें तेज हो रही थीं। उसका चेहरा लाल हो गया था, और वो बार-बार अपनी जांघें रगड़ रही थी। मैंने मौका देखकर अपना हाथ धीरे से उसकी जांघ पर रख दिया। उसकी सलवार के नीचे उसकी गर्म, नरम जांघ को सहलाते हुए मैंने कहा, “मंजू, तू कितनी हॉट लग रही है!” वो थोड़ा सिहर गई, लेकिन बोली, “सिद्धार्थ, तू भी ना… क्या शुरू कर रहा है?” उसकी आवाज़ में शरम थी, लेकिन आँखों में शरारत। मैंने और करीब जाकर उसके स्लीवलेस कंधे पर एक हल्का सा चुम्बन दे दिया। “उफ़… सिद्धार्थ!” वो सिसक उठी, लेकिन उसने मुझे रोका नहीं।

मैंने उसका चेहरा अपनी ओर मोड़ा और उसके गुलाबी होंठों पर एक छोटा सा चुम्बन दे दिया। वो शरमा गई, लेकिन अगले ही पल उसने मुझे जोर से गले लगा लिया। “सिद्धार्थ, ये गलत तो नहीं ना?” उसने धीमी आवाज़ में पूछा। मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “मंजू, जब तेरा दिल और मेरा लंड दोनों तैयार हैं, तो कुछ गलत नहीं!” उसकी शरम अब खुलने लगी थी। मैंने उसकी कमीज के ऊपर से उसकी कमर को सहलाया, फिर धीरे-धीरे उसके बूब्स की ओर बढ़ा। उसकी साँसें और तेज हो गईं। मैंने उसकी कमीज को धीरे से ऊपर उठाया और उतार दिया। उसकी काली ब्रा में कैद उसकी गोरी, गोल-मटोल छातियाँ किसी टेनिस बॉल की तरह सॉफ्ट और मस्त थीं। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाया। “आह्ह… सिद्धार्थ!” मंजू की सिसकारी निकल पड़ी।

इसे भी पढ़ें   मेरा पति मुझे चोद नहीं पता है अपने दोस्त से चुदवाता है

मेरा लंड अब मेरी पैंट में पूरी तरह तन चुका था, और वो उसकी टाइटनेस में छटपटा रहा था। मैंने मंजू का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया। वो समझ गई। उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया और शरारती अंदाज़ में बोली, “सिद्धार्थ, ये तो पत्थर की तरह सख्त है!” मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, और उसके 34C साइज़ के बूब्स आज़ाद हो गए। मैंने उन्हें दोनों हाथों से दबाया, और मंजू की सिसकारियाँ तेज हो गईं। “आह्ह… धीरे, सिद्धार्थ… दर्द हो रहा है!” उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में मज़ा साफ झलक रहा था। मैंने उसके निप्पल्स को उंगलियों से मसला, और वो और जोर से सिसकने लगी। “सिद्धार्थ, तू कितना गंदा है… और कर ना!” उसने कहा। मैंने जवाब दिया, “मंजू, अभी तो बस शुरूआत है, तेरी चूत को आज मैं चोद-चोदकर तृप्त कर दूँगा!”

अब मंजू पूरी तरह खुल चुकी थी। उसने मेरी टी-शर्ट खींचकर उतार दी और मेरी छाती पर अपने नाखून चलाए। “सिद्धार्थ, तेरा बदन कितना मस्त है!” उसने कहा। मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह खड़ा होकर हवा में लहरा रहा था। मंजू ने उसे देखा और एक पल के लिए डर गई। “सिद्धार्थ, ये तो बहुत मोटा और बड़ा है… ये मेरे अंदर कैसे जाएगा?” उसने हँसते हुए कहा, लेकिन उसकी आँखों में लालच था। उसने मेरे लंड को अपने नरम हाथों में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। “उफ़… मंजू, तेरा हाथ कितना जादुई है!” मैंने सिसकते हुए कहा। फिर, अचानक, उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। “आह्ह… मंजू, तू तो कमाल है!” मैं चिल्ला उठा। उसने मेरे लंड के सुपारे को अपनी जीभ से चाटा, फिर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। वो मेरे लंड को अपने गले तक ले जा रही थी, और उसका गर्म, गीला मुँह मुझे पागल कर रहा था। “मंजू, और चूस… मेरे लंड को पूरा निगल ले!” मैंने कहा, और वो और जोर से चूसने लगी। वो बार-बार मेरे लंड को मुँह से बाहर निकालती, उसे हिलाती, और फिर वापस चूसने लगती। “सिद्धार्थ, तेरा लंड कितना टेस्टी है!” उसने हँसते हुए कहा।

इसे भी पढ़ें   बीवी के साथ साली और सास को भी चोदा

करीब 15 मिनट तक वो मेरे लंड को चूसती रही। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी सलवार को धीरे से उतार दिया। उसकी गुलाबी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी चिकनी, गीली चूत को देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। “मंजू, तेरी चूत तो किसी जन्नत की तरह है!” मैंने कहा। मैंने उसकी चूत पर एक हल्का सा चुम्बन दिया, और मंजू की कमर उछल गई। “आह्ह… सिद्धार्थ, ये क्या कर रहा है!” उसने सिसकते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसका नमकीन स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था। मैंने उसकी क्लिट को अपनी जीभ से सहलाया, और मंजू की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। “उह्ह… आह्ह… सिद्धार्थ, और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ!” वो चिल्लाई। मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली और उसे अंदर-बाहर करने लगा। “आह्ह… सिद्धार्थ, तू कितना गंदा है… और डालो!” उसने कहा। मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत को और तेजी से चोदने लगा। वो पागलों की तरह सिसक रही थी।

अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सका। मैंने उसे बेड पर सीधा लिटाया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा। “मंजू, अब तुझे चोदने का टाइम आ गया है!” मैंने कहा। मैंने धीरे से धक्का दिया, लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर नहीं गया। “आह्ह… सिद्धार्थ, धीरे… दर्द हो रहा है!” मंजू ने कहा। मैंने थोड़ा और धीरे से कोशिश की, और आखिरकार मेरा लंड उसकी गीली, गर्म चूत में घुस गया। “उफ्फ… मंजू, तेरी चूत कितनी टाइट और गर्म है!” मैंने कहा। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। मंजू भी अपनी कमर को मेरे साथ ताल मिलाकर हिलाने लगी। “आह्ह… सिद्धार्थ, और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे!” उसने चिल्लाते हुए कहा। मेरे लंड का हर धक्का उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था। “चट्ट… चट्ट…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मंजू की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। “आह्ह… उह्ह… सिद्धार्थ, चोदो मुझे… तेरे लंड से मेरी चूत को भोसड़ा बना दे!” वो चिल्ला रही थी।

मैंने उसे और जोर-जोर से चोदना शुरू किया। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैं कभी धीरे, कभी तेज धक्के मार रहा था। मंजू की छातियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मैंने उसके बूब्स को पकड़ लिया और उन्हें जोर से दबाने लगा। “आह्ह… सिद्धार्थ, मेरे बूब्स को मसल डाल… और जोर से!” मंजू ने कहा। मैंने उसके निप्पल्स को चूसा, और वो और जोर से सिसकने लगी। “सिद्धार्थ, तू कितना मस्त चोदता है… और कर, मेरी चूत को तेरे लंड का गुलाम बना दे!” उसकी गंदी बातें मेरे जोश को दोगुना कर रही थीं। मैंने अपने लंड को एक बार पूरी तरह बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ वापस अंदर डाल दिया। “आह्ह!” मंजू की चीख निकल गई। हम दोनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे। मंजू की कमर अब थकने लगी थी, लेकिन वो रुकना नहीं चाहती थी। “बस… और चोद, सिद्धार्थ… मुझे और चाहिए… तेरे लंड का हर इंच मेरी चूत में चाहिए!” उसने कहा।

इसे भी पढ़ें   केरल की लड़की को चोदा | Hot Tamil Girl Sex Stories

करीब 25 मिनट की चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा माल निकलने वाला है। “मंजू, मेरा निकलने वाला है!” मैंने कहा। उसने तुरंत मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और उसे अपने मुँह में ले लिया। “सिद्धार्थ, सारा माल मेरे मुँह में दे दे!” उसने कहा। उसने मेरे लंड को चूसकर सारा माल अपने गले में उतार लिया। “उफ्फ… मंजू, तू तो रंडी से भी ज़्यादा मस्त है!” मैंने हाँफते हुए कहा। वो हँस पड़ी और मेरे सीने पर लेट गई। उस रात हमने पाँच बार चुदाई की। हर बार मंजू और मैं एक-दूसरे को नए तरीके से तृप्त करते रहे। पूरी रात हम नंगे ही सोए, एक-दूसरे की बाहों में। इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया था।

उसके बाद भी हमने कई रातें और दिन इस चुदक्कड़ सुख में डूबकर बिताए। मंजू के साथ वो पल मेरी ज़िंदगी के सबसे गर्म और हसीन पल थे।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा चुदक्कड़ अनुभव जिया है? नीचे कमेंट में जरूर बताएँ!

Manju ke saath chudai, Sidhdhart Jadhav sex story, Hinglish adult story, office colleague romance, hot Indian sex story, explicit Hindi story, passionate night, erotic Hindi tale, chudakkad kahani, desi sex story

Related Posts

Report this post

Leave a Comment