मेरे इलास्टिक वाली सलवार खोलने लगा बॉयफ्रेंड

मेरा नाम जोया है और मैं दिल्ली में रहती हूँ। मैं अभी तक कुंवारी हूँ, और मेरा फिगर ऐसा है कि लोग बस देखते ही रह जाते हैं। मेरे बूब्स 36 इंच, कमर 34 इंच और कूल्हे 40 इंच के हैं। मेरा ये सेक्सी जिस्म हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है। लड़के मेरे जिस्म के अंगों को घूर-घूरकर देखते हैं, और मुझे ये सब बहुत अच्छा लगता है। मैं अपने फिगर पर गर्व करती हूँ और इसे और ज्यादा दिखाने की कोशिश करती हूँ ताकि लोग मेरी तरफ आकर्षित हों। मुझे ऐसा करना बहुत पसंद है। अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आती हूँ, जो मेरे पहले सेक्स की सच्ची और दिलचस्प दास्तान है।

ये उन दिनों की बात है जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी। मैंने आर्ट्स चुना था और उस वक्त मेरा पहला साल चल रहा था। कुछ समय पहले ही मेरे पहले बॉयफ्रेंड से मेरा ब्रेकअप हो चुका था। वो रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला, लेकिन उसने मुझे थोड़ा उदास कर दिया था। मुझे अब किसी ऐसे शख्स की जरूरत थी जो मेरे दिल को सुकून दे। तभी कॉलेज के एक समारोह में मेरी मुलाकात मिथुन से हुई। मिथुन दिखने में काफी आकर्षक था। उसका रंग गोरा, कद 5 फीट 11 इंच और शरीर थोड़ा तंदुरुस्त था। वो मुझे पहली ही नजर में पसंद कर बैठा था। अगले दिन उसने मुझे अपने प्यार का इजहार कर दिया। मैंने थोड़ा नखरा दिखाया, लेकिन आखिरकार उसका प्यार स्वीकार कर लिया। ब्रेकअप के बाद मुझे किसी के साथ की जरूरत थी, और मिथुन वो साथ बन गया।

हम दोनों दिन-रात फोन पर बातें करने लगे, फेसबुक पर चैट करते, कॉलेज में मिलते और इधर-उधर घूमते। धीरे-धीरे हमारी बातें सेक्सी होने लगीं। मिथुन की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन वो मुझसे मिलने कॉलेज आता रहा। एक दिन उसने मुझे फिल्म दिखाने के बहाने बुलाया। उसने दो टिकट लिए और हम थिएटर की सबसे पीछे वाली सीट पर बैठ गए। फिल्म शुरू हुई, लेकिन मिथुन का ध्यान फिल्म पर कम, मेरे जिस्म पर ज्यादा था। अंधेरे में उसने मौका देखकर मेरे बूब्स को छूना शुरू किया। पहले तो मैं शरमा गई और थोड़ा असहज हुई, लेकिन उसका स्पर्श धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगने लगा। मैंने उसे रोका नहीं। उसने मेरे बूब्स को दबाया, मसला और इतना जोश में ला दिया कि मैं पूरी तरह गरम हो गई। “आह्ह… मिथुन, धीरे…” मैंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन मेरी आवाज में शर्म के साथ-साथ मस्ती भी थी। उसने मेरे बूब्स को और जोर से दबाया, और मेरे निप्पल्स को उंगलियों से मसल दिया। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरा शरीर उसकी हरकतों का जवाब दे रहा था। थोड़ी देर बाद हम थिएटर से निकले और अपने-अपने घर चले गए।

उस रात मैं मिथुन के बारे में सोचती रही। उसका स्पर्श, उसकी हरकतें, सब मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैं करवटें बदलती रही, नींद नहीं आई। आखिरकार कब सो गई, पता ही नहीं चला। अगले दिन मिथुन ने मुझे अपने घर बुलाया। मैं थोड़ा हिचक रही थी। “नहीं मिथुन, अभी मैं तुम्हारे घर नहीं आ सकती,” मैंने साफ मना कर दिया। लेकिन वो जिद करने लगा। “जान, बस थोड़ी देर के लिए आ जा, मुझे तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है,” उसने कहा। मैंने फिर मना किया, तो वो बोला, “ठीक है, मैं तुझे कॉलेज से लेने आता हूँ।” मैंने हंसते हुए कहा, “देखती हूँ, तुझमें कितना दम है!” और सचमुच, 15 मिनट बाद वो कॉलेज के गेट पर खड़ा था। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि वो इतनी जल्दी आ गया। उसने मुझे जबरदस्ती अपनी बाइक पर बिठाया, और मैं चुपचाप उसके साथ चली गई।

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उस दिन मैंने गहरे गले वाली काले रंग की कमीज़ पहनी थी, जिससे मेरे बूब्स का उभार साफ दिख रहा था। मेरी सलवार जालीदार थी, जो मेरे कूल्हों को और आकर्षक बना रही थी। मेरी गांड का आकार सलवार में साफ झलक रहा था, और मैं जानती थी कि मिथुन की नजरें बार-बार मेरे जिस्म पर रुक रही थीं। उसके घर पहुंचकर हमने कुछ खाया-पिया। फिर मिथुन ने कंप्यूटर ऑन किया और मुझे अपनी गोद में बैठने को कहा। मैं थोड़ा हिचक रही थी, लेकिन उसकी गोद में बैठ गई। उसने कंप्यूटर पर एक ब्लू फिल्म चला दी। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। वो धीरे-धीरे मेरी कमीज़ को ऊपर उठाने लगा और मेरी सलवार की इलास्टिक में हाथ डालकर मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा। मैं एकदम से उठ खड़ी हुई। “मिथुन, ये क्या कर रहा है?” मैंने शर्माते हुए कहा।

लेकिन उसने मुझे पकड़ लिया और दीवार से सटा दिया। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर-जोर से स्मूच करने लगा। उसका एक हाथ मेरी सलवार में घुस गया और मेरी चूत को सहलाने लगा। “आह्ह… मिथुन… रुक… प्लीज…” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज कमजोर थी। उसका स्पर्श मुझे गर्म कर रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी सनसनी दौड़ रही थी। उसने मेरी सलवार में और गहराई तक उंगली डाली, और मेरी चूत को रगड़ने लगा। मैंने उसे धक्का देकर पीछे हटाने की कोशिश की, लेकिन उसने फिर से मुझे दीवार से चिपका लिया। अब वो मेरे गले पर किस करने लगा, और उसकी उंगलियां मेरी चूत के दाने को मसल रही थीं। “उफ्फ… मिथुन… आह्ह…” मेरी सांसें तेज हो रही थीं, और मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी।

मिथुन ने मेरी सलवार की इलास्टिक को नीचे खींचा और मेरी चूत को और जोर से सहलाने लगा। मेरे बूब्स को उसने कमीज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किया। “जोया, तू कितनी सेक्सी है… तेरे बूब्स… उफ्फ… इतने टाइट,” उसने धीमी आवाज में कहा। मैं शरम से लाल हो रही थी, लेकिन उसकी बातें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और अपनी टी-शर्ट उतार दी। वो मेरे ऊपर लेट गया और बोला, “जोया, मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ।” उसने फिर से मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे मुंह में थी, और मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने मेरी कमीज़ की जिप खोली और आधी कमीज़ बाहर निकाल दी। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, बस एक हुक था। उसने उसे खींचकर तोड़ दिया। “मिथुन… ये क्या किया?” मैंने चिल्लाते हुए कहा।

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उसने मेरी ब्रा को दूर फेंक दिया और मेरी सलवार को भी उतारकर फेंक दिया। उसने अपनी पैंट उतारी और मेरे बूब्स पर टूट पड़ा। वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगा, चाटने लगा और उन्हें दांतों से हल्का सा काटने लगा। “आह्ह… मिथुन… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैं कराह रही थी। लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरी पैंटी को अपने दांतों से खींचकर नीचे किया और मेरी चूत पर किस करने लगा। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और मेरी चूत को चाटने लगा। “उफ्फ… मिथुन… नहीं… प्लीज…” मैं चिल्लाई, लेकिन मेरी आवाज में उत्तेजना साफ थी। उसने मेरी पैंटी को पूरी तरह उतार दिया और अपनी अंडरवियर भी फेंक दी।

अब वो मेरे सामने नंगा था। उसका लंड बड़ा, मोटा और सांवला था, शायद 7 इंच लंबा। उसने अपने लंड पर तेल लगाया और अपनी उंगली पर भी तेल लगाकर मेरी चूत में हल्के से डाला। “आह्ह… मिथुन… धीरे…” मैंने कहा, लेकिन वो नहीं रुका। उसने मेरी चूत के ऊपर अपना लंड सेट किया और एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। “आआआहहह… मिथुन… उफ्फ… दर्द हो रहा है!” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत में जलन हो रही थी, और दर्द इतना था कि मेरी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन मिथुन ने मेरी एक न सुनी। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “आह्ह… ऊऊहह… उफ्फ…” मेरी कराहें कमरे में गूंज रही थीं। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसे टाइट पकड़ लिया, मेरे नाखून उसकी पीठ में गड़ रहे थे।

“जोया, तेरी चूत कितनी टाइट है… उफ्फ… मजा आ रहा है,” मिथुन ने कहा और मेरे बूब्स को मसलने लगा। उसने मेरे निप्पल्स को चूसा और फिर हल्का सा काटा। “आआआहह… मिथुन… धीरे… मैं मर जाऊंगी!” मैं चिल्ला रही थी। लेकिन वो और जोर से धक्के मारने लगा। मेरी चूत से खून निकलने लगा, क्योंकि ये मेरा पहला सेक्स था। दर्द इतना था कि मैं बेहोश होने लगी। लेकिन मिथुन रुका नहीं। वो पागलों की तरह मुझे चोद रहा था। “आह्ह… उफ्फ… मिथुन… बस कर… प्लीज…” मैंने गिड़गिड़ाई, लेकिन उसने मेरी बात अनसुनी कर दी। उसका लंड मेरी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चीखें तेज हो रही थीं।

अचानक उसने मुझे उल्टा कर दिया और मेरी गांड में तेल लगाने लगा। “मिथुन, ये क्या कर रहा है? वहां नहीं!” मैंने डरते हुए कहा। लेकिन उसने मेरे हाथ टाइट पकड़ लिए और मेरी गांड में अपना लंड डालने की कोशिश करने लगा। उसने तेल लगाया, लेकिन फिर भी उसका मोटा लंड मेरी टाइट गांड में नहीं जा रहा था। उसने और तेल लगाया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया। “आआआआहहह… मिथुन… छोड़ दे… मैं मर जाऊंगी!” मैं चीख रही थी। दर्द असहनीय था। मेरी गांड से भी खून निकलने लगा। उसने मेरे मुंह में मेरा दुपट्टा ठूंस दिया ताकि मेरी चीखें दब जाएं। उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ रखे थे और मेरी गांड को जोर-जोर से चोदने लगा। “उफ्फ… जोया… तेरी गांड… कितनी टाइट है…” वो कह रहा था।

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मैं दर्द से रो रही थी। मेरी हालत खराब थी। मैंने दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन मिथुन का वीर्य अभी तक नहीं निकला था। उसने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे बैठाकर बोला, “इसे चूस!” मैंने मना किया, “मिथुन, प्लीज… मैं ये नहीं कर सकती।” लेकिन उसने मेरे बाल पकड़ लिए और जबरदस्ती अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया। वो मेरे मुंह को चोदने लगा, उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। “उम्म… उफ्फ…” मेरी सांस रुक रही थी। कुछ देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और सारा वीर्य मेरे चेहरे और बूब्स पर गिरा दिया।

मिथुन ने अपनी पैंट पहनी, और मैं बाथरूम में जाकर अपने आपको साफ करने लगी। लेकिन मिथुन का मन अभी भरा नहीं था। वो मेरे पीछे बाथरूम में आ गया और मेरी गांड में फिर से अपना लंड रगड़ने लगा। “मिथुन, बस कर… मुझे घर जाना है… बहुत दर्द हो रहा है,” मैंने गिड़गिड़ाई। लेकिन वो बोला, “जोया, आज तू मुझे पूरा मजा लेने दे।” उसने मुझे झुकाया और मेरी गांड में फिर से लंड डाल दिया। “आआहह… उफ्फ… मिथुन… नहीं…” मैं चीख रही थी। वो डॉगी स्टाइल में मेरी गांड मारने लगा और मेरे बूब्स को मसलने लगा। मेरी चूत और गांड से खून निकल रहा था, और दर्द इतना था कि मैं टूट चुकी थी। आखिरकार उसने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया और बाहर चला गया।

मैंने अपने आपको साफ किया और कपड़े पहने। मैंने मिथुन से कहा, “मैं दोबारा कभी तेरे घर नहीं आऊंगी।” वो मुझसे सॉरी मांगने लगा और मुझे मनाने की कोशिश करने लगा। मैं बहुत गुस्से में थी, लेकिन उसने मुझे किसी तरह मना लिया। इसके बाद मैं हर हफ्ते दो-तीन बार उसके घर जाने लगी। धीरे-धीरे मुझे उसकी चुदाई में मजा आने लगा। अब मुझे उसका लंड, उसकी हरकतें, सब अच्छा लगने लगा था।

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