Aunty Ki Chudai Kahani पढ़े । चाची की चुदाई के बाद, मेरी चचेरी बहन, यानी उनकी जवान बेटी, मेरे ध्यान में आई। मेरी बहन बहुत युवा थी। मैंने उसकी कुंवारी बुर को खोला कैसे?
आपने पढ़ा कि मैंने अनुजा को नंगी देखकर उसके कमरे में प्रवेश किया। अनुजा घबरा गई जब उसने मुझे कमरे में आते देखा। जब मैंने उससे प्यार करने के लिए कहा, तो उसने मना कर दिया।
आगे:
मैं भी जानता हूँ कि आपके और अंश के बीच में क्या हो रहा है, मैंने अँधेरे में तीर चलाते हुए कहा।
यह सुनकर वह भयभीत हो गई।
अंधेरे में मैंने तीर मारकर सही निशाने पर लग गया।
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उसने मुझसे विनती की कि मम्मी को नहीं बताना।
मैंने सोचा कि तुम्हें क्या पता था कि तुम्हारी मां एक अच्छी रंडी है। मैंने कहा कि मैं भी काम करूँगा।
यह कहते ही मैंने अनुजा को पकड़ लिया और उसे बेड पर पटक दिया, जिससे वह मुझसे भागने की कोशिश करने लगी।
तुरंत मैं उसके होंठ चूसने लगा। उन्होंने अपनी नींबू जैसी चुचियों को एक हाथ से पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगा। दर्द से वह रोने लगी। मैं उसे किस कर रहा था, इसलिए वो चीख नहीं पाई।
मैं उसे कुछ मिनट चूसने के बाद उसके ऊपर से हट गया और वो जोर से सांसें लेने लगी।
मैंने अंश का कार्य क्या है?
उसने कहा कि सिर्फ किस करता है और मेरी पीठ सहलाता है। वह आपकी तरह दर्द नहीं करता।
मैंने इसे कब से चल रहा है पूछा।
उसने कहा कि लगभग तीन महीने से
मैंने पूछा: और कुछ नहीं करता?
मैंने यह कहते ही अपना लंड निकाल लिया। मेरे लंड को देखकर अनुजा डर गई।
मैंने कहा, “डर मत करो।” आपका डर भी दूर हो जाएगा जब ये लंड आप में घुस जाएगा। प्रिय बहन, इस लड़की को पहले सहलाओ।
वह मेरे मुँह से ऐसी बातें सुनकर रोने लगी। मैंने उसके हाथ में अपना लंड डाल दिया। कुछ समय बाद उसने मेरा लिंग सहलाने लगा। मैंने उसे पूरी तरह से नंगी कर दी।
मैं जानता था कि वह बहुत अच्छा डांस करती थी। अनुजा, डांस मत करो, मैंने कहा।
वह अपनी बुर को शर्म से छिपा रही थी।
मैंने म्यूजिक चैनल को टीवी पर लगाया। उस समय उसने एक गाने पर नाचना शुरू कर दिया, जिसका मैं मोबाइल से वीडियो बनाने लगा। उसने बहुत अच्छा डांस किया। उसके नंगी होकर नाचना मुझे गर्म करता गया। मेरा लंड उसकी हिलती कमर से पूरे मोशन में चला गया।
फिर मैंने लोवर और टी-शर्ट उतारकर अंडरवियर पहना। मैंने नाचती अनुजा को आगे बढ़कर उसके होंठों को चूसने लगा।
मेरी बहन, अनुजा, तुम बहुत सुंदर हो। मैं आपको पेलना चाहता हूँ।
उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन मुझे लगा कि आज भी उसे लंड लेना चाहिए था।
जब मैंने उसे बेड पर चित लिटाकर उसकी टांगों को फैलाकर उसकी बुर को देखा, तो मैं खुश हो गया।
उसकी बुर पर झांट भी नहीं थे, बस कुछ रोएं उगे हुए थे। मैं उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटने लगा। अनुजा मेरे चुत चाटने से जन्नत की सैर करने लगी और उच्च स्वर में “उम्म्ह… अहह… हय… याह…” कहने लगी।
उसने कहा, “भैया, इसी तरह चाटते रहो..।” मैं बहुत खुश हूँ।
कुछ मिनट बाद ही उसका पानी निकल गया। उसका पानी भी मैं चाटता रहा। मैंने अनुजा के होंठों को चूसने के बाद कहा, “अपनी बुर के पानी का स्वाद भी ले लो।” अब मैं तुम्हें पेलने वाला हूँ, अनुजा। थोड़ा दर्द होगा, लेकिन सह लेना।
अनुजा ने कहा, “भइया, मैं सेक्स के बारे में जानता हूँ।” मैं उंगली डालकर खुद को संतुष्ट करता हूँ। आप आराम करो।
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जब मैं अपना लंड उसकी बुर में डालकर हल्के से धक्का मारा, तो मेरे लंड का आगे भाग घुस गया।
उसने चिल्लाकर कहा, “भाई, इसे निकालो।”
मैं उसी स्थान पर रुक गया और उसके होंठ चूसने लगा। मैंने उसकी चुची को सहलाना शुरू किया। मैंने फिर एक जोरदार झटका लगाया, जब वह थोड़ा सा शांत हुआ। वह दर्द से रोने लगी जब उसकी बुर की झिल्ली फट गई।
उसकी बुर से खून भी आ रहा था, जब मैंने उसका लंड निकाला। मेरे लंड पर भी उसकी बुर का खून था। मैंने अपने रुमाल से अनुजा की बुर को साफ किया, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ।
मैंने फिर अनुजा को सारे कपड़े पहनाकर लिटाकर आराम करने को कहा। मैं कपड़े पहनकर बाजार गया और दर्द की दवा लाकर उसको दी, कहा कि अब सो जाओ। आप आराम करेंगे।
मैं खुश था कि अपनी कच्ची कली जैसी बहन की सील तोड़कर उसे औरत बना दिया। लेकिन मुझे उस कली का रस नहीं पीना पड़ा। अर्थात वह चोद नहीं पाया था। मैं नहीं जानता था कि वह अब मुझसे चुदवाएगी या नहीं।
जब मैं उसके कमरे में गया, तो वह सो रही थी। मैंने सोचा कि इतने समय तक अंश कहां था।
जैसे-जैसे मैं जानता था, वह अपनी माँ के साथ चला गया था। भूख लगने पर मैं भी पिंकी दीदी के घर खाने चला गया। वहां इतनी भीड़ थी कि मैं मॉम चाची को नहीं देखा। कुछ समय बाद भोजन करके घर आया। क्योंकि मैं अनुजा से चिंतित था। मैं अनुजा के कमरे में तुरंत गया और देखा कि वह पहले से ही आराम कर रही थी। अनुजा मुझे देखकर शर्मा गई।
अनुजा, मैं नहीं जानता था कि इतना दर्द होगा।
कोई बात नहीं, भैया, उसने कहा। मुझे खुशी है कि आपका मेरे अंदर चला गया।
मैंने अनुजा से कहा, “अब मुझसे खुलकर बोलो..।” शर्म करो। मैं भी तुम्हें पेलकर खुश हूँ।
अनुजा ने खुलकर कहा, “अब मेरी बुर की चुदाई होगी भइया।” जब से मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ा कि घरेलू संबंधों में भी ऐसा होता है, मैंने भी सोचा कि अब मैं भी घर में किसी से चुद जाऊँगा। मैं बाहरी लोगों से नफरत नहीं करूँगा। यही कारण था कि मैंने अंश को अपनी युवावस्था का स्वाद चखाया। लेकिन उसे सेक्स के बारे में उतनी जानकारी नहीं है। तुम मुझे चोदना चाहते हो, मैं तुम्हारी नजर से ही जान गया। इसलिए आसानी से चुद गया। मैंने पहले ही कहा था कि मैं आपका लंड अपनी बुर में डाल दूंगा।
मैं हैरान हो गया। मैंने उससे पूछा कि आप मेरे बारे में अन्य जानकारी क्या जानते हैं?
अनुजा, हम और अंश चुपके से आपकी माँ को चोदते हुए देख रहे थे। लेकिन अंधेरी सुबह थी, इसलिए पूरी तरह से नहीं दिखाई दिया। जब मेरी माँ आपसे अपनी बुर पेलवा सकती है, तो मैं क्यों नहीं कर सकती? उसने इन सभी भागों को देखकर मुझे पेलना चाहा, लेकिन नहीं पाया। एक तो उसका लंड छोटा और पतला है, और दूसरा, वह नहीं जानता कि किसी लड़की को कैसे पेला जाता है। मैं उसे जो मन में आता है, करने देता हूँ। मुझे ही उसकी गांड धुलवाता है जब वह लेट्रिन करता है। लेकिन यहां वह मुझे किस नहीं कर सकता। क्योंकि उसे डर है कि कोई नहीं देखेगा। वहाँ घर पर वह सब कुछ खुलकर करता है।
अनुजा से ये सब सुनते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को चूसने लगा।
मैंने उसकी दोनों टांगों को फैलाकर अपना लंड निकालते हुए उसकी पेंटी निकाल दी।
अनुजा ने कहा, “अबकी बार मैं चाहे जितना चिल्लाऊँ, चिल्लाऊँ”। मैं बाहर नहीं जाऊँगा। बस मेरी बुर को अपने लंड से भरते रहना।
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तुरंत मैंने अपने लंड से बुर को फैलाया और जोर से झटका दिया। मैं अनुजा की बुर को दनादन पेलते हुए चिल्लाने लगी। मैंने अनुजा की बुर में अपना पूरा लंड डाल दिया।
अनुजा इस चुदाई से परेशान हो गई। मैं इस स्थिति को देखकर और अधिक खुश हो गया। उसकी चीख मुझे बहुत सकून दे रही थी। अनुजा की बुर कसी होने से मैं भी जल्द ही चरम पर आ गया। अनुजा अकड़कर गिर पड़ी। मैंने भी कुछ तेज शॉट मारे, और मैं सिर्फ उसकी बुर में गिर गया। उसके ऊपर ही मैं लेट गया।
बाद में देखा कि उसकी बुर से मेरा पानी और कुछ खून निकल रहा था। मैंने उसकी बुर को कपड़े से धोया।
मैंने अनुजा को बताया कि अब तुम औरत हो गई हो।
उसने हंस दिया।
उसकी चुत में कपड़ा डालकर मैंने उसको पेन्टी पहना दी। अनुजा को मैंने बांहों में पकड़ा और सो गया। उसका नरम शरीर बहुत प्रसन्न हो रहा था। मैंने अनुजा को कुछ समय बाद बताया कि अब तुम आराम करो और शाम को शादी में जाना होगा।
मैंने उसे दर्द की दवा दी और चला गया। मैं बाहर आकर बैठ गया जब सामने से सरिता चाची आ रही थीं।
सरिता चाची ने मेरे बारे में पूछा और बाहर जानवरों को चारा देने चली गईं।
दुहना चाची का काम है जानवरों को चारा देना और उनका दूध देना।
मैंने चाची से पूछा: मम्मी कब तक आ जाएगी?
“मेरा बाबू सुबह से भूखा है,” चाची ने हंसकर कहा। चलो करकट में भोजन देते हैं।
नहीं, चाची, मैंने कहा।
उन्हें क्या पता है कि मैं अभी अनुजा को भर रहा हूँ?
मैंने कहा कि चाची को भूख लगी है, इसलिए उसे अपना दूध पिला दो।
मैंने उन्हें गोद में उठाया और उन्हें करकट में ले जाकर खटिया पर लिटा दिया। फिर ब्रा की एक चुची को निकालकर चूसने लगा। चाची के दोनों दूध को बार-बार पिया।
मैंने चाची से पूछा कि तुम्हारी बच्ची कहां है?
“उसे उधर सुलाकर आ गया हूँ,” चाची ने कहा। तुम्हारी माँ उसे देख रही है।
मैंने उत्तर दिया: ठीक है।
बाद में चाची ने बताया कि मेरी चुची चूस गई..। मैं भी पीता हूँ। ये चुदने के लिए भी उत्सुक है। आज मैं समझ गया कि तुम्हारी मम्मी और बड़ी चाची हमेशा अपनी बुर की देखभाल करती हैं क्यों।
मैं थक गया था, इसलिए चाची को चोदने का मन नहीं कर रहा था। तब मैंने चाची की बुर को चूसकर पानी निकाल दिया। वह चाची को बुर चूसते ही अपनी सीमा पार कर चुकी थीं।
मैंने चाची की बुर चूसकर उन्हें शांत कर दिया। फिर बाहर आकर चाची के होंठ चूस लिया।
कुछ देर बाद चाची ने अपनी साड़ी और ब्लाउज सही करके काम करने लगी।
मैं, अनुजा और सरिता चाची शाम को तैयार होकर शादी में गए। अनुजा एक पीली टी-शर्ट और नीचे टाइट जीन्स पहनी हुई थी, जो उसे एक नंबर की माल की तरह दिखाई दी। उधर जाकर हम शादी का मजा लिया।
उसे शादी में चलने में कुछ परेशानी हुई, लेकिन उसने ये बात किसी को नहीं बताई। मैं सिर्फ इस बात से खुश था कि मैं अनुजा जैसी कमसिन उम्र की लड़की को जन्म दिया हूँ।
प्रिय, आप मेरी Aunty Ki Chudai Kahani कैसी लगी? कमेंट में प्लीज बताइएगा।