भाभी को चलती ट्रेन में चोद दिया | Xxx Train Hindi Sex Stories

Xxx Train Hindi Sex Stories पढ़ें कि मैंने एक अनजान जवान भाभी को चलती ट्रेन में चोद दिया। उस भाभी को पटाने और चुदाई करने की मेरी पूरी कहानी पढ़ें।

मेरा नाम युवराज शर्मा है। मैं मध्य प्रदेश के इंदौर का रहने वाला हूँ। मैं आप सभी की अच्छी सेहत की उम्मीद करता हूँ। आज मैं अपनी पहली आपबीती आपको बताने जा रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि मेरी पहली ट्रेन सेक्स कहानी आपको पसंद आएगी।

Xxx Train Hindi Sex Stories शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूं कि मेरी उम्र २६ वर्ष है। स्वास्थ्य की दृष्टि से मैं मोटा या पतला नहीं हूँ। मैं एक साधारण लड़का हूँ।

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मैं इंदौर से ग्वालियर जा रहा था जब यह घटना मेरे साथ हुई। मेरे रिश्तेदार वहां रहते हैं और मैं अक्सर वहां आता जाता हूँ। इसके लिए मैं सिर्फ इंदौर-ग्वालियर इंटरनेशनल से यात्रा करना पसंद करता हूँ।

मैं भी उस दिन तैयार होकर शाम को स्टेशन पर पहुंच गया। कुछ देर बाद, मैं अपनी स्लीपर सीट लेकर ट्रेन में चला गया। फिर ट्रेन देवास के पास रुकी। एक भाभी अपने बच्चे के साथ वहां से ट्रेन में चढ़ी।

वह द्वार पर आकर मेरी बर्थ के पास खड़ी हो गई। मैं अपने मोबाइल फोन पर बातचीत करने में लगा हुआ था। दो बार उसने मेरी ओर देखा। मैं उस पर बहुत ध्यान नहीं दिया।

मैंने फिर उनको अपनी बर्थ पर बैठने की जगह दी जब वह वहीं खड़ी रही और मेरी तरफ देखती रही। फिरोजी रंग की साड़ी उसने पहनी थी। वह अपने गोरे बदन पर बहुत जंच रही थी।

वह अपने चार से पांच साल के बच्चे को गोद में लेकर बैठ गई।
कुछ देर बाद उसने पूछा: तुम कहां जा रहे हो?
मैंने बताया कि मैं ग्वालियर जा रहा हूँ। क्या आप जा रहे हैं?
उसने कहा कि मैं भी किसी इमरजेंसी रिलेटिव के यहां जा रहा हूँ।

फिर पूछने पर उसने बताया कि उसके किसी परिचित का दुर्घटना ग्वालियर में हुआ है और वह उसे देखने जा रही है। इस तरह से हम दोनों के बीच बहुत कुछ होना शुरू हुआ।

बातें करते हुए पता चला कि वह प्रेमी था। लेकिन शादी के बाद वह परेशान होने लगी। उसने कहा कि उसका पति काम नहीं करता।

वह काम कर रही थी, लेकिन अब उसका पति अकेले काम नहीं करता और घर बैठकर खा रहा है। अब वह प्रेम विवाह करना अपनी जिन्दगी का सबसे बड़ा गलत काम समझती थी।

मैंने उसे बताया कि किस्मत सब नियंत्रित करती है, क्योंकि वह बहुत दुखी हो गई। जिसकी किस्मत में क्या लिखा है और उसे क्या मिलना है, वही मिलता है।

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फिर मैंने भोजन करने का विचार किया। मैंने भाभी को खाना खाने के लिए आने को कहा। दस बज गए थे जब मैं घर से खाना पैक करके लाया था।
वह मना करने लगी, जब मैं खाना निकाल दिया। फिर बहुत जोर देने पर वह मेरे साथ खाने को राजी हुई।

हम दोनों एक साथ बैठकर खाना खाने लगे। उसकी भावना अभी भी दुखी थी। मैंने उसे खुश करने के लिए अपने हाथ से खिलाने को कहा। वह मान गई।

मैं उसको खिलाया और वह मुझे भी खिलाया। जब वह मुझे खिला रही थी, उसकी नरम, नरम उंगलियां मेरी जुबान पर जाकर लगीं, मेरे मन में एक वासना सी जाग उठी।

फिर खाना खत्म करके हाथ धोकर वापस बैठ गए। भाभी बर्थ के दूसरे कोने पर बैठी हुई थी, जब मैं खिड़की की ओर मुड़ गया। उसका बच्चा बीच की खाली जगह पर सो रहा था।

अब मैं उसके शरीर को हर जगह देखने लगा। उसकी हाइट लगभग पांच फीट थी। उम्र 28 से 30 वर्ष की लगती थी। फिरोजी साड़ी पर सिल्वर कलर का चमकदार ब्लाउज था।

उसके कंधे के ऊपर उसकी लाल ब्रा की पट्टियां भी मुझे दिखाई दीं। 34बी साइज की ब्रा उसके पास होगी। अब जैसे मैं उसके परिवार का एक हिस्सा हूँ, वह मेरे साथ काफी सहज हो गई है।

मैं अब भाभी की स्तनों को देख रहा था। उसकी चूचियां बहुत बड़ी थीं। टीटी थोड़ा घबरा गई जब वह सिर्फ इतना ही बोली। मैंने उससे कहा कि वह टीटी से बात न करे और मैं उससे बात करूँगा।

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फिर मैंने टीटी को अपना टिकट दिखाया जब वह हमारे पास आया। फिर मैंने उससे कहा कि ये मेरी भाभी है और उसे अपना अदालती कार्ड दिखाया। आप अपने बच्चे को इमरजेंसी में देखने जा रहे हैं।

वह एक बार मना करने लगा, लेकिन फिर मान गया। उसने भाभी को मेरी सीट पर बैठने दिया। फिर चला गया। उसने जाते ही भाभी ने मुझे धन्यवाद दिया।

बाद में दोनों काम करने लगे। भाभी के क्लिवेज पर एक बार फिर से मेरा ध्यान गया। उसने शायद अपने पल्लू को सही कर लिया जब उसने देखा कि मेरी नजर फिसल रही है।

फिर हम सामान्य काम करते रहे। भाभी का पल्लू एक बार फिर सरक गया। फिर से वहीं पर मेरा ध्यान गया। अब भाभी ने अपने पल्लू को फिर से ठीक करते हुए पूछा, “ऐसे क्या देख रहे हो भैया?” आपने अपनी प्रेमिका के भी देखे होंगे। ये हर महिला के पास हैं।

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सॉरी भाभी, मैं जानबूझकर नहीं देखा। मैं अचानक वहां चला गया। वैसे मेरी प्रेमिका भी नहीं है।
उसने इस बारे में कुछ नहीं कहा। तब मैं भी सो गया। कुछ देर बाद उसने मुझसे एक बोतल पानी मांगी।

जैसे ही मैं उठा, मेरी नज़र उसकी चूचियों पर फिर से गयी। अब वह हंसने लगी।
हां, आपने सही कहा। आपकी हरकतों को देखकर लगता है कि आपने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

मैं अब भी थोड़ा खुला हूँ।
मैंने भी बनावटी शर्म के साथ पूछा, भाभी, क्या आप मुझे अपने दो खूबसूरत रत्नों को छूने दोगे?

यह सुनकर वह मुझे घूरने लगी, फिर उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान छा गई। मैं अब थोड़ा निराश हो गया था। उसके बच्चे को मैंने खिड़की की ओर सरका दिया।

रात के लगभग 12 बजे हो गए थे और हमारे डिब्बे के लगभग सभी लोग सो चुके थे। मैं भी खड़ा होने लगा। मैं कामुक हो रहा था कि मेरी सीट पर एक अनजान भाभी थी।

मैं खुद उसके पास सरक गया। वह कुछ आगे खिसक कर बैठ गई और कुछ सकपका गई। मैं उसके पास पहुंचा। मैंने धीरे-धीरे एक बार और उससे पूछा।

उसने कुछ नहीं कहा। फिर मैंने एक हाथ अपनी बगल से निकालकर भाभी की बगल में ले जाकर उसकी चूची को छू लिया, दोनों हाथ आगे छाती पर बांधकर।

तब उसने कहा, “बस, अब तुमने जो करना था कर लिया।” अब अपनी सीट पर वापस जाकर बैठ जाओ।
भाभी, एक किस करने दोगी?
उसने कहा कि अगर उसने ज्यादा मांग की तो थप्पड़ पड़ेगा।

मैं थप्पड़ खाने के लिए तैयार हूँ, मैंने कहा। एकमात्र किस करने दो।
मैं उसके गाल पर प्यार से किस करते हुए हंसने लगी।

फिर वह दिखावटी रूप से क्रोधित होने लगी। मैंने देखा कि भाभी तैयार हो रही है। तब तक ट्रेन गुना पहुंच चुकी थी।

गुना स्टेशन पर ट्रेन छूटते ही मैंने भाभी से कहा कि मुझे बस एक किस और चाहिए। आप चाहें तो दो थप्पड़ मार सकते हैं। मैं बाथरूम जा रहा हूँ। राइट साइड वाले बाथरूम के दरवाजे खोलें। मैं अंदर होगा।

यह कहकर मैं उठकर बाथरूम की ओर चला गया, बिना भाभी का उत्तर सुने। मैं बाथरूम में लगभग दो घंटे इंतजार करता रहा। मैंने सोचा कि भाभी नहीं आएगी। फिर मैं बाहर निकलने ही वाला था कि किसी ने गेट पर दस्तक दी।

भाभी ने तुरंत दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही मेरा लंड तन गया और मैंने उनको बांहों में भर लिया। भाभी के शरीर से टकराने लगा। मेरे गले में उनकी बांहें थीं।

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उसने कहा कि यह केवल किस करने तक सीमित रहेगा। तैयार औजार को पैंट के अंदर रखना।
मैंने कहा कि चिंता मत करो भाभी, मैं बिना आपकी अनुमति के कुछ नहीं करूंगा।

फिर मैंने भाभी के बालों को एक तरफ कर दिया। अपने होंठों को उनके होंठों पर टिका दिया और उनके चेहरे को पकड़ा। भाभी ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और दस से बारह मिनट तक वहीं खड़े रहकर किस करते रहे।

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अब मेरा हाथ उनके बूब्स पर था। मैं भी भाभी से नहीं रोका गया। मैं भाभी की चूचियों को दबाने लगा। बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन ट्रेन धीमी होने लगी।

अगला स्टेशन शायद आने वाला था। फिर हम दोनों ने चुपके से वहां से निकलकर अपने कपड़े और बाल धोए। पांच मिनट के बाद ट्रेन स्टेशन पर रुकी।

अबकी बार मैं उठा और भाभी की ओर देखा। उसने भी मेरी ओर देखा। मैं स्माइल करते हुए शौचालय चला गया। मैंने उनसे कोई टिप्पणी नहीं की। मैं जानता था कि उसने गर्म हो लिया है।

फिर दो मिनट बाद भाभी भी बाथरूम में पहुंची। हम एक बार फिर एक दूसरे को चूसा, फिर मैंने भाभी की साड़ी उठा दी।

भाभी की सुंदर जांघें मेरे हाथों से छू रही थीं। भाभी सिर्फ अपने पैर खोलती जाती थी और कुछ नहीं बोलती थी। भाभी की चूत मेरा हाथ था।

फिर कुछ ऐसा हुआ कि मेरी वासना भड़क गई। भाभी की चूत से मेरा हाथ टकरा गया जैसे ही मैं भाभी की जांघों के बीच में गया। उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी।

मैं भाभी की चूत पर हाथ लगाया। चूत पर बाल नहीं थे। मैंने वहीं पर भाभी को खड़ा रखा और खुद नीचे बैठ गया। उसका मुंह उनकी साड़ी में डालकर उसकी चूत को चाटने लगा।

वह भी तुरंत रोई। मैं अपनी जीभ उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा। मेरे कंधे पर भाभी ने एक टांग रखी। अब भाभी की चूत में मेरी जीभ आसानी से जा सकती थी।

भाभी भी बहुत दिनों से प्यासी लग रही थी। जल्दी ही वह गर्म हो गई। मेरे बालों को उसने सहलाया। फिर तीन या चार मिनट के बाद, उसने अपनी टांग कंधे पर से उतार दी और मुझे खड़ा कर दिया।

फिर उसने खुद नीचे बैठकर मेरी पैंट की चेन खोलकर मेरा लंड निकाल लिया। फिर उसने मुंह भरकर मेरा लंड चूसने लगी। मैं खुश हो गया। क्या मज़ा था उसे लंड चूसना!

मैं अब भाभी से चुदाई करना चाहता था। लेकिन मैं कॉन्डम नहीं था। मैंने देखा कि पर्स में दो या तीन बहुत पतली पोलीथीन थीं। मैंने लंड पर पोलीथीन लगाया।

फिर भाभी ने अपना ब्लाउज खोल दिया और अपनी नीचे लटक रही साड़ी को पल्लू से ऊपर बांध दिया, जिससे मैं आराम से उसकी चूत में लंड डाल सकूँ। फिर मैंने भाभी को पीछे से घुमाकर उसकी चूत में लंड डाला।

मैं उसकी कमर को पकड़कर वहीं चोदने लगा। पीछे हाथ लेकर मेरे चूतड़ों पर चुदने लगी। दस मिनट की चुदाई में वह झड़ गई। फिर मैंने पोलीथीन में अपना वीर्य भी निकाला।

हम दोनों का शरीर पसीने से लथपथ था। मैंने उसको सीधी खड़ी करके उसके गले से पसीना निकाल दिया। तब हमने कपड़े साफ करके एक-एक करके बाहर निकले। अब हम दोनों आराम से सीट पर बैठ गए।

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कुछ देर बाद शिवपुरी स्टेशन पहुंचा। चाय वाला तभी ट्रेन के डिब्बे में आया। हमने चाय ली और एक-दूसरे से पीने लगे। मैं फिर से उत्साहित होने लगा जब मैं पीछे से भाभी के चूतड़ों को सहला रहा था।

ग्वालियर पहुंचने के लिए तीन घंटे बाकी थे। मैंने धीरे से भाभी के कान में कहा, “एक बार फिर बाथरूम में चलो।” भाभी।
वह मना करने लगी और गर्दन हिलाने लगी।

मैं उसके हाथ को सहलाता रहा और पूछता रहा। कुछ देर बाद वह मान गई। हम फिर से शौचालय गए। अबकी बार मैंने भाभी को वॉशबेसिन पर झुकाकर उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया।

दूसरा दौर पंद्रह मिनट चला। अब भाभी दो बार झड़ गई। मैंने उसकी चूत में भी माल डाला। लेकिन पोलीथीन लगा हुआ था। फिर मैं उसे अपनी ओर कर लिया। उसके होंठ चूसने लगा।

हम दोनों पांच या सात मिनट तक किस करते रहे, फिर भाभी ने मेरे लिंग को फिर से सहलाना शुरू कर दिया। जब मैं उसकी चूत को सहलाने लगा, तो वह रोने लगी।

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मैंने पूछा: भाभी, क्या हुआ?
उसने कहा कि उसे चूत में जलन हो रही है।
मैंने पूछा: फिर एक बार और नहीं करेंगे?
नहीं, अब मैं चूत में नहीं करवा सकती, गांड में करो।

गांड का नाम सुनते ही मेरा लंड फूट पड़ा। भाभी ने अपनी गांड खुद चुदवाने का आह्वान किया। उसके चूतड़ बहुत मोटे थे। लगता था कि वह भी अपने पति का लंड गांड में लेगी।

मैंने भी देर नहीं की और उसको पलटा। फिर भाभी की गांड पर थूक लगाकर उंगली डाल दी। मैंने उंगली करने के बाद अपने लंड पर भी थूक लगाया। भाभी की गांड और मेरा लंड दोनों चिकने हो गये थे।

मैंने गांड के छेद पर एक झटका दिया। भाभी की गांड मेरे आधे लंड से भर गई। वह चीखने लगी, तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रखकर दूसरे हाथ से उसकी चूची दबाने लगा।

कुछ देर बाद, वह आगे बढ़ने का संकेत देने लगी। मैं भाभी की गांड मारना शुरू कर दिया। अब वह चुदवाने लगी। भाभी की गांड मारने में मुझे और भी मजा आया।

थोड़ी देर गांड मारने के बाद मैंने पोलीथीन लंड फिर से पहना और फिर से उसकी चूत में चोदने लगा। वह भी सेक्स करने लगी। वह दर्द से चुदती रही। दस मिनट के सेक्स के बाद मैं सिर्फ उसकी चूत में झड़ गया।

लंड पर पहनी पोलीथीन उसकी चूत में ही रह गई जब मैंने उसे बाहर निकाला। फिर वह नीचे बैठकर रोने लगी। पोलीथीन भी उसके मूत्र से निकल गया।

फिर हम अपने कपड़े ठीक करके एक-एक करके बाहर आए। बाद में हम दोनों बैठकर चर्चा करते रहे। हम एक घंटे बाद ग्वालियर पहुंचे।

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मैंने भाभी से उनका नंबर लिया और अपना नंबर उनके पास भेजा। जब मैंने उसे फोन करने के लिए कहा, तो उसने कहा कि वह खुद फोन करेगी। तीन-चार दिन बाद वह वापस आना था।

वह तीन दिन बाद इसी ट्रेन में मिलने का अनुबंध करके उतर गई। मैं भी उतर गया। स्टेशन पर हम कुछ देर खड़े रहे। जैसे मेरी स्थिति थी, वे भी नहीं जाना चाहते थे।

लेकिन हमारे मार्ग अलग थे। फिर हम अपने अपने रास्ते चले। मैं उसके बाद अपने मित्रों के यहां गया। मैं रात भर सोया नहीं था, इसलिए मेरी आंखें लाल हो गईं और मैं बहुत थक गया था।

मैं बिना खाए सो गया जब मैं उनके घर पहुंचा। भाभी की चुदाई करना बहुत अच्छा लगा। मैं बहुत प्रसन्न था। ट्रेन में ऐसी खूबसूरत भाभी को चोदने का मौका मिलना मुझे आश्चर्यचकित कर रहा था।

दोस्तो, यह मेरी कहानी थी। यदि आपको ट्रेन में भाभी की चुदाई की कहानी पसंद आई हो तो कृपया मुझे इसके बारे में लिखें। यह पहला ऐसा अनुभव था।

यदि आपको Xxx Train Hindi Sex Stories पसंद आई है, तो मैं आपके लिए भविष्य में कई वास्तविक जीवन अनुभव भी लाऊंगा। इसलिए क्या मुझे और कहानियां लिखनी चाहिए?
आप प्रत्येक जवाब का इंतजार कर रहे हैं..।

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