बड़ी चुचियों वाली विधवा आंटी ने चूत की खुजली मिटाई बड़े लंड से

Widow milf sex story – Widhwa aunty sex story: मेरा नाम राज है, मैं जबलपुर का रहने वाला हूँ, उम्र चालीस साल, शादीशुदा हूँ और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ, हमारा ऑफिस एक पॉश अपार्टमेंट में है। उसी बिल्डिंग में ऊपरी माले पर एक विधवा आंटी रहती हैं, नाम है सुनीता, उम्र पचपन साल, लेकिन शरीर और चेहरा ऐसा कि चालीस की लगती हैं, दो बेटे हैं, दोनों की शादी हो चुकी, विदेश में सेटल हैं, आंटी अकेली जबलपुर में रहती हैं।

उनकी चूचियाँ अभी भी टाइट और भारी, कमर पतली, गांड एकदम गोल-मटोल, हर बार लिफ्ट में मिलती तो मेरे लंड में करंट दौड़ जाता। कभी-कभी बालकनी में या लिफ्ट में हाय-हैलो हो जाती थी, बस।

एक ठंड की सुबह ऑफिस जल्दी खुल गया था, मैं बाहर धूप सेंक रहा था, तभी ऊपर वाली बालकनी में आंटी भी धूप ले रही थीं, साड़ी में थीं, लेकिन पल्लू थोड़ा सरका हुआ, क्लीवेज साफ दिख रहा था। मैंने हाथ जोड़कर नमस्ते किया, उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा, “आज ऑफिस जल्दी खुल गया क्या?” मैंने कहा, “हाँ आंटी, लेकिन अभी बॉस नहीं आए, थोड़ी देर धूप ले लूँ।” वो बोलीं, “अरे तो ऊपर आ जाओ ना, चाय पी लो, मैंने भी अभी नहीं पी है।”

मैंने सोचा मौका अच्छा है, ऊपर चला गया। डोर बेल बजाई तो आंटी ने ही दरवाजा खोला, हल्का गाउन पहना था, बाल खुल्ले, खुशबू कमाल की। घर में घुसते ही देखा, सेंटर टेबल पर दो-तीन इंग्लिश सेक्स मैगज़ीन खुली पड़ी थीं, बड़ी-बड़ी नंगी फोटो, मेरे लंड ने तुरंत सलामी दे दी। मैं खुद को रोक नहीं पाया, एक मैगज़ीन उठाकर पलटने लगा, लंड पैंट में खड़ा होकर तकलीफ दे रहा था।

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तभी आंटी चाय का ट्रे लेकर आईं, मुझे मैगज़ीन देखकर मुस्कुराईं, “अरे वाह, पसंद आई?” मैं हड़बड़ाया, मैगज़ीन रख दी, लेकिन लंड का उभार छुप नहीं रहा था। वो ट्रे रखने झुकीं तो गाउन का गला और खुल गया, ब्रा नहीं थी, भूरी निप्पल साफ दिख रहे थे, वो मेरे उभार को घूर रही थीं, जैसे सालों से लंड नहीं देखा।

हम सोफे पर बैठकर चाय पीने लगे, मैंने अपना परिचय दिया, वो बोलीं, “मेरे हसबैंड नेवी में थे, मैं उस वक्त सिर्फ पैंतीस की थी जब वो गुजर गए, तब से अकेली हूँ, बेटे बड़े होकर चले गए, अब बस मैं और मेरी यादें।” बातों-बातों में उनकी आँखें भर आईं। मैंने सहानुभूति जताई, “आंटी आप अकेला बिल्कुल मत समझिए, मैं तो हूँ ना, कोई भी काम हो बुला लीजिए।”

वो एकदम से बोलीं, “राज, सच कहूँ? मुझे एक मर्द चाहिए जो मेरे जिस्म की आग बुझा सके, बीस साल हो गए किसी ने छुआ तक नहीं, जब से तुम्हें देखा है, रातों में नींद नहीं आती, बस तुम्हारा लंड चूत में घुसने का ख्याल आता है।” मैं तो खुशी से पागल, तुरंत उनकी ओर बढ़ा, होंठों पर होंठ रख दिए, वो बेतहाशा किस करने लगीं, जीभ अंदर डाल दी, साँसें तेज, हाथ मेरे लंड पर।

मैंने उन्हें गोद में उठाया, बेडरूम में ले गया, गाउन ऊपर से खींचकर फेंका, अंदर कुछ नहीं था, एकदम नंगी खड़ी थीं, फिगर कमाल का, चूचियाँ अभी भी टाइट, पेट पर हल्की-हल्की लाइनें, चूत एकदम क्लीन शेव, फटी हुई थी लेकिन टाइट। मैंने दोनों चूचियों को जोर से दबाया, निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा, वो बोलीं, “आह्ह्ह राज, जोर से चूसो, सालों से तरस रही हूँ, ओह्ह्ह्ह इह्ह्ह्ह” उनकी सिसकियाँ कमरे में गूँजने लगीं।

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फिर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया, पैर फैलाए, चूत पर जीभ फेरी, हल्की नमकीन स्वाद, वो तड़प उठीं, “आह्ह्ह्ह्ह ऊईईई राज, चाटो जोर से, ह्ह्ह्हा आह्ह्ह” मैंने दो उंगलियाँ अंदर डालीं, जीभ से क्लिट चाटता रहा, पाँच मिनट में ही उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया, कमर ऊपर उठाकर चिल्लाईं, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ रही हूँ, आह्ह्ह्ह्ह्ह” पूरा बेड गीला।

वो उठीं, मेरे सारे कपड़े फाड़कर उतार दिए, मेरा आठ इंच का मोटा लंड देखकर आँखें चौड़ी, “वाह राज, इतना बड़ा? आज मेरी चूत फट जाएगी” फिर घुटनों पर बैठ गईं, लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग, पूरा गले तक उतार रही थीं, आँखें लाल, लार टपक रही थी, मैंने उनके बाल पकड़कर मुँह चोदा, वो खुशी से गों गों कर रही थीं।

मैंने पूछा, “चुदाई के लिए तैयार हो आंटी?” वो बोलीं, “हाँ राज, मारो जोर जोर से, फाड़ दो मेरी चूत” मैंने लंड चूत पर रगड़ा, धीरे से सुपारा अंदर किया, बहुत टाइट, वो दर्द से चीखीं, “आह्ह्ह्ह धीरे राज, बीस साल बाद जो आ रहा है” मैंने एक जोर का धक्का मारा, आधा लंड अंदर, वो चिल्लाईं, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह माँ मर गई, निकालो” मैं रुक गया।

फिर मैंने बादाम तेल लिया, लंड और चूत दोनों पर अच्छे से मला, अब आराम से पूरा लंड अंदर चला गया, वो बोलीं, “अब ठीक है, अब चोदो मुझे” मैंने धीरे-धीरे पेलना शुरू किया, दस-पंद्रह धक्कों में उनकी चूत ढीली पड़ने लगी, वो कमर उठाकर साथ देने लगीं, “आह्ह्ह ह ह ह जोर से राज, फाड़ दो, ओह्ह्ह्ह ऊईईई मैं फिर झड़ने वाली हूँ” मैंने स्पीड बढ़ाई, चूचियाँ दबाते हुए जोर-जोर से ठोकने लगा, वो दो बार झड़ चुकी थीं, बेडशीट पूरी गीली।

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जब मैं झड़ने वाला था, बोला, “आंटी कहाँ डालूँ?” वो बोलीं, “मुँह में दे, माल पीना है” मैंने लंड निकाला, उनके मुँह में डाल दिया, वो जोर जोर से चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग्ग, मैंने पूरा माल उनके गले में उड़ेल दिया, वो एक बूंद नहीं छोड़ी, लंड चाटकर साफ कर दिया।

फिर हम बाथरूम गए मूतने, मैंने उन्हें मूतते देखा, चूत से पेशाब की तेज धार, मेरा लंड फिर खड़ा, मैंने वहीं शावर के नीचे उन्हें दीवार से सटा कर फिर चोदा, इस बार बिना तेल के आसानी से घुस गया, वो बोलीं, “आह्ह्ह्ह राज, रोज चोदोगे ना?” मैंने कहा, “जब मन करे बुला लेना आंटी, तुम्हारी चूत की खुजली हमेशा मिटाया करूँगा” वो हँस पड़ीं और एक और जोरदार झड़ गईं।

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