व्हिस्की साथ अपनी चूत भी परोसी पति के दोस्त को

मेरे मन में एक अजीब सी उथल-पुथल मच रही है, दोस्तों। ये कहानी लिखते वक्त मेरे दिल में एक गहरी बेचैनी है, क्योंकि ऐसी निजी और संवेदनशील बातें कोई आसानी से बयाँ नहीं करता। खासकर जब आपका अपना पति, जिसके साथ आपने जिंदगी की हर खुशी और गम बाँटने की कसमें खाईं, वो खुद आपको किसी और मर्द के हवाले कर दे। ये सोचकर ही रूह काँप जाती है। लेकिन समय कितना ताकतवर है! जो चीज कभी गलत, शर्मनाक और असंभव लगती थी, वही अब मुझे रोमांच और उत्तेजना से भर देती है। मेरा नाम रंभा यादव है, और ये मेरी कहानी है—एक ऐसी कहानी, जो शायद आपको भी अंदर तक झकझोर दे।

पहले मैं सोचती थी कि मैं अपने पति, देव, के सिवा किसी और मर्द के साथ बिस्तर पर कैसे जा सकती हूँ। ये मेरे लिए सपने में भी नामुमकिन था। मैं एक आम भारतीय औरत थी, जिसने अपने पति के प्रति वफादारी और प्यार को सबसे ऊपर रखा था। लेकिन वक्त ने मुझे ऐसा मोड़ दिखाया कि आज मैं उन पलों को जी रही हूँ, और सच कहूँ, अब ये सब मुझे बुरा नहीं, बल्कि एक अजीब सा सुख देता है। मेरी उम्र 28 साल है, और मैं गुड़गाँव में रहती हूँ। मैं मूल रूप से कानपुर की हूँ, लेकिन शादी के बाद यहाँ आ गई। मेरे पति, देव, एक सॉफ्टवेयर कंपनी में अच्छे पद पर हैं। उनके पास पैसा, रुतबा, सब कुछ है, लेकिन वो एक चीज जो मुझे चाहिए थी, वो वो मुझे कभी नहीं दे पाए। मैंने भी एमबीए की पढ़ाई पूरी की है, लेकिन नौकरी नहीं करती। घर से ही एक छोटा-सा ऑनलाइन बिजनेस चलाती हूँ, जो मुझे व्यस्त रखता है और मेरे खर्चे पूरे करता है।

शादी को चार साल हो चुके हैं, लेकिन मैं माँ नहीं बन पाई। इस बात को लेकर ससुराल वालों का दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता गया। उनकी बातें, उनके ताने, “रंभा, अब और देर मत करो, जल्दी बच्चा करो,” मेरे दिल को चाकू की तरह चीरते थे। लेकिन दोस्तों, ये इतना आसान नहीं था। मेरे पति, देव, में वो मर्दाना जोश नहीं था, जो एक औरत को माँ बनाने के लिए चाहिए। उनका लंड, जो मुश्किल से 4 इंच का होगा, जैसे ही खड़ा होता, कुछ ही पलों में वीर्य बाहर निकल जाता। वो मुझे कभी वो गहरी, जोश भरी चुदाई नहीं दे पाए, जिसकी मुझे चाह थी। जब वो मेरी चूत के पास अपना लंड लाते, वो तुरंत ढीला पड़ जाता। मैंने कभी उनके साथ वो आग भरी, जुनूनी चुदाई का मज़ा नहीं लिया, जिसके बारे में मेरी सहेलियाँ आपस में फुसफुसाकर बातें करती थीं। मैं रात को बिस्तर पर लेटे-लेटे अक्सर सोचती, “क्या यही मेरी जिंदगी है? क्या मैं कभी वो सुख नहीं पाऊँगी?”

मैं गुस्सा हो जाती थी, तड़प जाती थी। कई बार रात को मैं चुपके से अपने हाथों से अपनी चूत को सहलाती, लेकिन वो सुख, वो आग, वो तृप्ति मुझे कभी नहीं मिली। हमने बड़े-बड़े डॉक्टरों के चक्कर काटे, देसी नुस्खे आजमाए, आयुर्वेदिक दवाइयाँ खाईं, नीम-हकीमों के पास गए, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। देव का लंड खड़ा ही नहीं होता था। मेरी जिंदगी जैसे बंजर हो गई थी। मैं माँ बनना चाहती थी, लेकिन जब कोई मुझे चोदेगा ही नहीं, तो मैं माँ कैसे बनूँगी? इस बात को लेकर हमारे बीच आए दिन झगड़े होने लगे। मैं तंग आ चुकी थी। एक रात, गुस्से और निराशा में डूबकर मैंने देव से साफ कह दिया, “बताओ, अब क्या होगा? बच्चा कैसे होगा? ससुराल वाले ताने मार रहे हैं, मोहल्ले वाले तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं, ‘रंभा में कोई कमी होगी।’ मैं और ये सब नहीं सह सकती। या तो तुम मुझे बच्चा दो, या मुझे आज़ाद कर दो। मैं अपने मायके चली जाऊँगी और दूसरी शादी कर लूँगी।”

मेरे ये शब्द सुनकर देव सन्न रह गए। उनकी आँखों में डर और लाचारी साफ दिख रही थी। वो जानते थे कि अगर वो मुझे संतुष्ट नहीं कर सकते, तो किसी और औरत के साथ भी उनका यही हाल होगा। मैंने उनसे दो टूक कह दिया, “जो करना है, जल्दी करो। मेरे पास वक्त नहीं है। मेरे पास तो दूसरी शादी का रास्ता है, लेकिन तुम क्या करोगे?” मेरे शब्दों ने उन्हें अंदर तक हिला दिया। फिर एक रात, जब हम दोनों रसोई में चुपचाप खाना खा रहे थे, देव ने साफ-साफ कह दिया, “देखो, रंभा, मैं तुम्हें माँ नहीं बना सकता। ये बात तुम भी जानती हो। डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया है। अगर तुम चाहो, तो अपने किसी पुराने बॉयफ्रेंड या किसी दोस्त से चुद लो और माँ बन जाओ। मैं तुम्हें नहीं रोकूँगा।”

मैंने हैरानी और गुस्से में कहा, “क्या बकवास कर रहे हो, देव? मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, ना ही ऐसा कोई दोस्त। अगर तुम्हारे पास कोई रास्ता है, तो बताओ।” देव ने तुरंत अपने दोस्त कौशिक का नाम लिया। बोले, “मेरा दोस्त कौशिक है। वो हमेशा कहता रहता है कि तुम बहुत हॉट हो, सेक्सी हो, सुंदर हो। वो तुम्हें बहुत पसंद करता है। अगर तुम कहो, तो वो तुम्हें चोद सकता है।” मैंने सोचा, ये क्या पागलपन है? अपने दोस्त से अपनी बीवी को चुदवाने की बात कोई कैसे सोच सकता है? लेकिन फिर मैंने सोचा, अगर यही रास्ता है, तो क्यों ना आजमाया जाए। मेरे अंदर भी एक आग सुलग रही थी, जो सालों से दबी थी। मैंने हल्की सी हिचकिचाहट के साथ कहा, “ठीक है, अगर तुम्हें कोई दिक्कत नहीं, तो उसे शनिवार को डिनर पर बुलाओ।”

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शनिवार का दिन तय हो गया। कौशिक को डिनर पर बुलाया गया। उनकी पत्नी उस वक्त बंगलौर गई हुई थी, तो वो अकेले आए। मैंने उस दिन खास तैयारी की थी। मैंने एक टाइट, काले रंग की स्पोर्ट्स टी-शर्ट पहनी, जो मेरे 36D साइज़ के बूब्स को पूरी तरह उभार रही थी। जानबूझकर मैंने ब्रा नहीं पहनी, ताकि मेरे सख्त निप्पल्स साफ नज़र आएँ। नीचे मैंने एक फिटिंग वाली नीली केप्री पहनी, जिसमें मेरी बड़ी, गोल गांड की उभार साफ दिख रही थी। मेरे लंबे, घने बाल खुले थे, जो मेरे कंधों पर लहरा रहे थे। मैंने हल्का मेकअप किया, लाल लिपस्टिक लगाई, और अपने जिस्म को इस तरह सजाया कि कोई भी मर्द मुझे देखकर पागल हो जाए। जैसे ही कौशिक ने मुझे देखा, उनकी आँखें चमक उठीं। उनकी नज़र मेरे बूब्स और गांड पर टिक गई, और मैंने देखा कि वो मुझे ललचाई नज़रों से घूर रहे थे। उनकी आँखों में एक भूख थी, जो मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थी।

देव ने दोपहर से ही व्हिस्की पीना शुरू कर रखा था। शायद उन्हें इस बात की शर्मिंदगी थी कि उनकी बीवी, रंभा, आज किसी और मर्द के साथ बिस्तर पर जाने वाली है। वो दोपहर से ही नशे में डूब गए थे। कौशिक शाम सात बजे आए। वो उस दिन काले शर्ट और नीली जींस में बहुत हॉट लग रहे थे। उनकी चौड़ी छाती, मज़बूत कंधे, और वो आत्मविश्वास भरी मुस्कान देखकर मेरे मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी। मैंने सोचा, आज मौका है, तो क्यों ना खुलकर मज़े लिए जाएँ। हम तीनों ड्राइंग रूम में बैठे। टेबल पर व्हिस्की की बोतल, चिकन की प्लेट, और कुछ स्नैक्स रखे थे। व्हिस्की का नशा, चिकन की खुशबू, और मेरे अंदर पहले से ही एक आग सी सुलग रही थी।

देव ने दो पेग लिए और सोफे पर ही ढेर हो गए। वो पहले से ही इतना पी चुके थे कि अब होश में नहीं थे। मैंने और कौशिक ने भी एक-एक पेग लिया, लेकिन वो मेरे बूब्स को घूर-घूरकर पेग पर पेग चढ़ाते जा रहे थे। उनकी नज़र मेरे जिस्म पर थी, और मैं देख रही थी कि वो मेरे निप्पल्स को टकटकी लगाकर देख रहे थे, जो मेरी टाइट टी-शर्ट से साफ दिख रहे थे। मेरे अंदर एक हल्की सी शर्म थी, लेकिन उससे कहीं ज्यादा उत्तेजना थी। मैं जानती थी कि आज रात कुछ खास होने वाला है। जब उन्हें लगा कि देव पूरी तरह नशे में है, वो मेरे करीब आए। उन्होंने मेरा ग्लास उठाया और उसी से पीने लगे, जहाँ मेरी लाल लिपस्टिक लगी थी। उनकी जीभ ग्लास पर मेरी लिपस्टिक को चाट रही थी, और वो मुझे सेक्सी नज़रों से देख रहे थे। मैंने हल्की सी हिचकिचाहट के साथ उनकी तरफ देखा और मुस्कुराई।

मैंने तुरंत अपना पैर उनकी गोद में रख दिया। वो मेरे पैरों को सहलाने लगे और बोले, “रंभा, तुम्हारे ये पैर इतने मुलायम हैं, तो बाकी जिस्म कैसा होगा?” उनकी आवाज़ में एक नशा था, और उनकी बात सुनकर मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। मैंने हल्की सी शर्मिंदगी के साथ कहा, “कौशिक जी, आप भी ना… ऐसी बातें…” लेकिन मेरे मन में आग भड़क रही थी। मैंने तुरंत उनके और करीब होकर अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए। “ओह्ह… आह्ह…” मेरी सिसकारी निकल गई। उनके होंठों का स्वाद, उनकी गर्म साँसें, मेरे अंदर जैसे बिजली दौड़ रही थी। उन्होंने मेरे 36D बूब्स को ज़ोर से दबोच लिया और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उनके होंठों को चूस रही थी। “आह्ह… कौशिक… और चूमो…” मैं सिसकार रही थी।

उन्होंने मेरी टी-शर्ट को एक झटके में उतार दिया। मेरे बड़े-बड़े बूब्स अब उनके सामने थे, और मेरे निप्पल्स सख्त होकर तन गए थे। वो मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगे, कभी हल्के से काटते, तो कभी जीभ से चाटते। “उम्म… आह्ह… और ज़ोर से…” मैं चिल्ला रही थी। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं हर पल मज़े में डूब रही थी। मैंने अपनी केप्री उतार दी, और अब मैं सिर्फ़ लाल रंग की पैंटी में थी। मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी, और मेरी पैंटी पर गीला धब्बा साफ दिख रहा था। कौशिक ने भी अपने कपड़े उतार दिए। उनका मोटा, 7 इंच का लंड मेरे सामने था, जो पूरी तरह खड़ा और सख्त था। मैंने उसे देखकर सोचा, “ये तो मेरी चूत को फाड़ देगा।”

वो मेरे पास आए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। बोले, “रंभा, तुम्हें पता है, मैं तुम्हारी याद में कितनी बार मूठ मार चुका हूँ? तुम्हारी ये चूचियाँ, ये गांड, मैं रात-रात भर सोचता था। आज तुम मेरे सामने नंगी हो, ये मेरा सपना सच हो गया।” उनकी बातें सुनकर मेरी चूत और गीली हो रही थी। मैंने हल्की सी शर्मिंदगी के साथ कहा, “कौशिक, तुम भी ना… ऐसी बातें…” लेकिन मेरे अंदर की आग अब बेकाबू हो रही थी। उन्होंने मुझे सोफे के बगल वाले सिंगल बेड पर लिटा दिया। मेरी जाँघों को धीरे-धीरे अलग किया और मेरी पैंटी को एक तरफ सरका दिया। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के दाने को सहलाने लगीं। “आह्ह… ओह्ह… कौशिक…” मैं सिसकार रही थी। फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। “उम्म… आह्ह… और चाटो… मेरी चूत को चूस लो…” मैं चिल्ला रही थी।

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उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और वो मेरे गीलेपन को चूस रहे थे। मेरी चूत बार-बार गीली हो रही थी, और वो उसे चाट-चाटकर साफ कर रहे थे। कभी वो मेरे बूब्स को ज़ोर से दबाते, तो कभी मेरे निप्पल्स को मसलते। उनकी एक उंगली मेरी गांड के छेद में जा रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… कौशिक… मेरी गांड में… और करो…” मैं बेकाबू हो रही थी। वो मेरे कानों को हल्के से काटते, मेरे गले पर चूमते, और फिर मेरे बूब्स को मसलते। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और मैं हर पल मज़े में डूब रही थी। “आह्ह… ओह्ह… और ज़ोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैं चीख रही थी।

फिर उन्होंने मेरी पैंटी को पूरी तरह उतार दिया। मेरी चूत अब उनके सामने पूरी तरह नंगी थी। उन्होंने मेरे दोनों पैर और चौड़े किए। उनका मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर था। “तैयार हो, रंभा?” उन्होंने पूछा, और मैंने हल्की सी हिचकिचाहट के साथ सिर हिलाकर हाँ कहा। मेरे मन में एक डर था, लेकिन उससे कहीं ज्यादा उत्तेजना थी। उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा 7 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… ओह्ह… कितना मोटा है… मेरी चूत फट जाएगी…” मैं चीख पड़ी। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे, और हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। “पच… पच…” उनके धक्कों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने अपनी टाँगें उनकी कमर पर लपेट लीं, और वो मुझे और ज़ोर से चोदने लगे। “आह्ह… कौशिक… और ज़ोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी।

वो मेरे बूब्स को मसलते हुए, मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे चोद रहे थे। कभी वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारते, तो कभी मेरे निप्पल्स को काटते। “उम्म… आह्ह… चोदो मुझे… और ज़ोर से…” मैं बेकाबू हो रही थी। फिर उन्होंने मुझे पलट दिया और पीछे से मेरी गांड को सहलाने लगे। मेरी गांड की उभार को देखकर वो बोले, “क्या मस्त गांड है तेरी, रंभा… इसे तो मैं रोज़ चोदना चाहता हूँ।” उन्होंने मेरी गांड पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… और मारो…” फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से डाला और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। “पच… पच… फच… फच…” चुदाई की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैं नीचे से अपनी गांड को हिलाकर उनके धक्कों का जवाब दे रही थी। “आह्ह… ओह्ह… और ज़ोर से… मेरी चूत को चोद डालो…” मैं चिल्ला रही थी।

वो कभी मुझे गोद में उठाकर चोदते, तो कभी मुझे बेड पर लिटाकर मेरे ऊपर चढ़ जाते। मैंने अपनी टाँगें उनकी कंधों पर रख दीं, और वो मेरी चूत में और गहराई तक धक्के मारने लगे। “आह्ह… कौशिक… तुम्हारा लंड… कितना मज़ा दे रहा है…” मैं सिसकार रही थी। मैं दो बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत से पानी बह रहा था। तभी अचानक देव की आँख खुल गई। वो सोफे पर बैठे थे, उनके हाथ में अभी भी व्हिस्की का ग्लास था। उनकी आँखें लाल थीं, और चेहरा नशे में चूर था, लेकिन वो पूरी तरह होश में आ चुके थे। वो हमें देख रहे थे—मुझे, जो पूरी तरह नंगी थी, और कौशिक को, जो मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाले ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था।

कौशिक घबरा गए और उन्होंने लंड बाहर निकाल लिया। “अरे… देव… मैं…” वो हकलाने लगे, उनकी आवाज़ में डर और शर्मिंदगी थी। लेकिन मैंने उनकी तरफ देखकर कहा, “रुकना नहीं, कौशिक… चोदो मुझे… मुझे और चाहिए…” मेरी आवाज़ में एक अजीब सी बेताबी थी। मैं नहीं चाहती थी कि ये सुख, ये आग, ये जुनून रुके। मैंने कौशिक का हाथ पकड़ा और उन्हें फिर से अपनी तरफ खींच लिया। देव ने हमें देखा, और उनकी आँखों में एक अजीब सा भाव था—शायद शर्मिंदगी, शायद जलन, लेकिन साथ ही एक अजीब सी उत्तेजना भी। वो चुपचाप सोफे पर बैठे रहे, ग्लास को मुँह से लगाए, और हमें देखने लगे। “चालू रखो, मज़े लो,” उन्होंने धीमी, नशे में डूबी आवाज़ में कहा। फिर वो एक और पेग बनाने लगे, लेकिन उनकी नज़र हम पर टिकी थी।

मैंने देखा कि देव का चेहरा लाल हो रहा था। वो बार-बार ग्लास को मुँह से लगाते, लेकिन उनकी आँखें मेरे नंगे जिस्म और कौशिक के मोटे लंड पर थीं। उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और मुझे लगा कि वो इस दृश्य से उत्तेजित हो रहे थे। “आह्ह… कौशिक… और ज़ोर से…” मैं चिल्ला रही थी, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। कौशिक ने फिर से मेरी चूत में अपना लंड डाला और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। “पच… पच… फच… फच…” चुदाई की आवाज़ अब और तेज़ हो गई थी। मैंने अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं, और कौशिक ने मेरे बूब्स को ज़ोर से दबोच लिया। “रंभा, तेरी चूत कितनी टाइट है… कितना मज़ा दे रही है…” वो बोले, और उनकी आवाज़ में एक जुनून था।

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देव अब और करीब आ गए। वो सोफे से उठकर एक कुर्सी खींच लाए और बेड के पास बैठ गए। उनकी आँखें मेरे बूब्स पर थीं, जो कौशिक के हर धक्के के साथ उछल रहे थे। “आह्ह… ओह्ह… चोदो मुझे, कौशिक…” मैं चीख रही थी। देव की साँसें और तेज़ हो रही थीं। मैंने देखा कि वो अपने पैंट के ऊपर से अपने लंड को सहला रहे थे। उनकी उंगलियाँ उनके छोटे, ढीले लंड पर चल रही थीं, और वो हमें देखते हुए अपने आप को छू रहे थे। “रंभा, तुम बहुत हॉट लग रही हो…” देव ने धीमी आवाज़ में कहा, और उनकी आवाज़ में एक अजीब सी उत्तेजना थी। मैंने उनकी तरफ देखा, और मेरे मन में एक अजीब सा रोमांच हुआ। मेरे पति मुझे किसी और मर्द के साथ चुदते हुए देख रहे थे, और उन्हें ये पसंद आ रहा था।

“आह्ह… कौशिक… और ज़ोर से… मेरी चूत को फाड़ डालो…” मैं चिल्ला रही थी। कौशिक ने मुझे पलट दिया और अब पीछे से मेरी चूत में धक्के मारने लगे। मेरी गांड की उभार उनके हर धक्के के साथ हिल रही थी। “पच… पच…” चुदाई की आवाज़ अब और तेज़ थी। देव की आँखें मेरी गांड पर टिकी थीं। वो बार-बार ग्लास को मुँह से लगाते, लेकिन उनकी नज़र मेरे नंगे जिस्म से नहीं हट रही थी। “रंभा, तुम्हारी गांड… कितनी मस्त है…” देव ने नशे में डूबी आवाज़ में कहा। मैंने उनकी तरफ देखा और मुस्कुराई। “देखते रहो, देव… देखो कैसे चुद रही हूँ…” मैंने कहा, और मेरी आवाज़ में एक अजीब सा आत्मविश्वास था।

कौशिक ने मेरी गांड पर एक और थप्पड़ मारा। “आह्ह… और मारो…” मैं चीख पड़ी। वो मेरे बालों को पकड़कर मुझे और ज़ोर से चोदने लगे। “रंभा, तू कितनी सेक्सी है… तेरी चूत को चोदने का मज़ा ही अलग है…” कौशिक बोले। मैंने अपनी टाँगें उनकी कंधों पर रख दीं, और वो मेरी चूत में और गहराई तक धक्के मारने लगे। “आह्ह… ओह्ह… तुम्हारा लंड… कितना मज़ा दे रहा है…” मैं सिसकार रही थी। मैं तीन बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत से पानी बह रहा था। देव अब और बेचैन हो रहे थे। वो अपनी कुर्सी पर बार-बार हिल रहे थे, और उनकी उंगलियाँ उनके पैंट के ऊपर तेज़ी से चल रही थीं। “रंभा, तुझे ऐसा चुदते देख… मैं…” वो हकलाए, और उनकी आवाज़ रुक गई।

“क्या, देव? बोलो ना…” मैंने सिसकारी के बीच कहा। “तुझे देखकर… मज़ा आ रहा है…” उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और मुझे लगा कि वो इस दृश्य से पूरी तरह उत्तेजित हो चुके थे। कौशिक ने मेरी चूत में और तेज़ धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… फच… फच…” चुदाई की आवाज़ अब पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैं चीख रही थी, “आह्ह… कौशिक… और ज़ोर से… मेरी चूत को चोद डालो…” देव की साँसें अब और तेज़ हो गई थीं। वो अपनी कुर्सी पर तड़प रहे थे, और उनकी उंगलियाँ उनके लंड को और ज़ोर से सहला रही थीं। मैंने देखा कि उनके पैंट पर एक गीला धब्बा बन गया था। शायद वो अपने आप को रोक नहीं पाए थे।

उस रात के बाद से कौशिक हर रात हमारे घर आते हैं। मेरे पति, देव, के सामने ही वो मुझे चोदते हैं, और मैं हर बार नए-नए तरीकों से मज़े लेती हूँ। देव अब हर बार कुर्सी पर बैठकर हमें देखते हैं, और उनकी आँखों में वही उत्तेजना, वही जुनून होता है। मैं अब पहले से कहीं ज़्यादा खुश हूँ। मुझे लगता है कि जल्द ही मैं माँ बन जाऊँगी, और आपको ये खुशखबरी दूँगी। दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? क्या आपको लगता है कि ज़िंदगी में मज़े लेना चाहिए, चाहे वो किसी भी तरह से हो? नीचे कमेंट में ज़रूर बताएँ।

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