अंकल जी का मस्त अनुभवी लंड

Uncle ke sath chudai sex story – Mota lund chusna: मेरा नाम पूजा है। मैं पुणे में रहती हूँ, और मेरी उम्र 18 साल है। मैं 12वीं कक्षा में पढ़ती हूँ। मेरी हाइट 4 फीट 11 इंच है, और मेरा फिगर 34B-26-36 है। मेरी चूचियाँ गोल, टाइट और भारी हैं, जिनके निप्पल गुलाबी और थोड़े नुकीले हैं। मेरे लंबे, भूरे बाल मेरी कमर तक आते हैं, और मेरी गोरी त्वचा ऐसी है कि लोग मुझे देखकर दोबारा पलटकर देखते हैं। मेरी आँखें बड़ी और नशीली हैं, और मेरे गुलाबी होंठों की मुस्कान किसी का भी दिल चुरा सकती है। मेरी गांड गोल और उभरी हुई है, जो मेरी टाइट जींस में और भी सेक्सी लगती है। मैं अपने लुक को लेकर बहुत कॉन्फिडेंट हूँ, और मुझे पता है कि मेरी अदाएँ किसी को भी पागल कर सकती हैं।

मेरे अंकल, राजेश, 45 साल के हैं। वो मेरे पापा के बचपन के दोस्त हैं। उनकी हाइट 5 फीट 10 इंच है, और उनका शरीर मज़बूत और चौड़ा है। उनका रंग हल्का सांवला है, लेकिन उनकी गहरी आँखें और मज़बूत जबड़ा उन्हें बहुत आकर्षक बनाता है। मेरी आंटी, शालिनी, 40 साल की हैं। वो एक बैंक मैनेजर हैं, और उनका फिगर स्लिम लेकिन कर्वी है। उनकी चूचियाँ 36C की हैं, और उनकी गांड गोल और भारी है, जो उनकी साड़ी में बहुत सेक्सी दिखती है।

मैंने अपने मम्मी-पापा को कई बार चुदाई करते देखा है। रात को उनके बेडरूम से आने वाली मम्मी की सिसकारियाँ, “आह्ह… धीरे… उफ्फ…” और पापा का भारी-भारी साँस लेना सुनकर मेरी चूत में आग सी लग जाती थी। मेरी सहेलियाँ भी अपने चुदाई के किस्से मुझे सुनाती थीं। एक सहेली ने बताया था कि उसने अपने कज़िन और उसके दोस्त के साथ थ्रीसम किया था, और उसे उनके लंड का क्रीम चाटना बहुत पसंद था। ये सब सुनकर और इंटरनेट पर पोर्न देखकर मेरी चूत और चूचियों के साथ खेलने की आदत पड़ गई। मैं हर रोज़ 3-4 घंटे चुदाई की साइट्स ब्राउज़ करती थी। वीडियो में औरतें मोटे-मोटे लंड से चुदती थीं, चीखती थीं, और मज़े लेती थीं। ये देखकर मेरी चूत गीली हो जाती, और मैं बाथरूम में जाकर उंगली करती। मैं अपनी चूचियों को मसलती, अपने निप्पल्स को चुटकी में काटती, और ऑर्गेज़म तक पहुँचती।

ये कहानी पिछले साल गर्मी की छुट्टियों की है, जब मैं मुंबई में अपने अंकल के घर गई थी। अंकल का घर बड़ा और आलीशान था, और उनके घर में एक कंप्यूटर था, जो उनके ऑफिस में रखा था। अंकल एक कंसल्टेंट हैं, और उनका ऑफिस घर पर ही है। आंटी सुबह 10 बजे बैंक चली जाती थीं, और शाम 5 बजे लौटती थीं। दिनभर मैं और अंकल घर में अकेले रहते थे। मैं रोज़ कंप्यूटर पर बैठती और चुपके-चुपके चुदाई की फोटो और वीडियो देखती। एक बार मैंने एक वीडियो देखी, जिसमें एक लड़की को चार मर्द एक साथ चोद रहे थे। एक उसकी चूत में 7 इंच का लंड डाल रहा था, दूसरा उसकी गांड में, तीसरा उसके मुँह में, और चौथा उसकी चूचियों को चूस रहा था। लड़की चीख रही थी, “आह्ह… और ज़ोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” ये देखकर मेरी चूत में इतनी गर्मी चढ़ी कि मैंने तुरंत अपनी पैंटी में हाथ डाला और उंगली शुरू कर दी।

रात को मैंने अंकल और आंटी को उनके बेडरूम में चुदाई करते देखा। मैं की-होल से झांक रही थी। अंकल आंटी की साड़ी उतार रहे थे, उनकी भारी चूचियों को चूस रहे थे, और फिर उनकी चूत में अपना मोटा लंड डाल रहे थे। आंटी की सिसकारियाँ, “आह्ह… राजेश… धीरे… उफ्फ… कितना मोटा है तेरा…” सुनकर मेरी चूत टपकने लगी। मैंने अपनी पैंटी नीचे खींची और अपनी चूत में उंगली डाल दी। उस रात आंटी और मैं दोनों दो-दो बार झड़ गए। अंकल ने आंटी की चूत में अपना पानी छोड़ दिया, और उनका लंड देखकर मेरे होश उड़ गए। वो 7.5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था, बिल्कुल पोर्न स्टार जैसा। उसका लाल सुपारा चमक रहा था, और उससे रस टपक रहा था। मैं सोचने लगी कि काश मैं भी ऐसा लंड अपनी चूत और गांड में लूँ। मैं रोज़ बाथरूम में जाकर अपनी चूत में उंगली करती और लंड का क्रीम चाटने की कल्पना करती।

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फिर मुझे ख्याल आया कि क्यों न अंकल के साथ चुदाई का खेल खेला जाए। आंटी तो दिनभर ऑफिस में रहती थीं, और मैं और अंकल अकेले थे। मैंने प्लान बनाया। मैं जानबूझकर टाइट टॉप और शॉर्ट स्कर्ट पहनती, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड साफ दिखतीं। मैं अंकल के सामने ऐसे बैठती कि मेरी स्कर्ट ऊपर खिसक जाए, और मेरी गुलाबी पैंटी की झलक दिखे। कभी मैं अपनी चूचियों को खुजलाती और कहती, “अंकल, मेरी पीठ में खुजली हो रही है, ज़रा खुजला दो।” अंकल मेरे टॉप के अंदर हाथ डालते, और उनकी उंगलियाँ मेरी नंगी पीठ पर फिरतीं। मैं उनकी आँखों में देखकर मुस्कुराती और आँख मारती। टीवी पर कोई हॉट सीन आता, तो मैं जानबूझकर सिसकारी भरती, “उफ्फ… अंकल, ये तो बहुत गर्म सीन है…” अंकल मुझे घूरते, और मैं देख सकती थी कि उनकी लुंगी में उनका लंड टाइट हो रहा था। धीरे-धीरे मेरी चाल कामयाब हो रही थी।

एक रविवार को आंटी को सिरदर्द था। उन्होंने गोली खाई और अपने कमरे में जाकर सो गईं। मैं और अंकल लिविंग रूम में टीवी देख रहे थे। मैंने मौका देखकर कहा, “अंकल, मेरा सिर बहुत दुख रहा है, ज़रा दबा दो ना।” मैंने अपना सिर उनकी गोद में रख दिया। मैंने एक टाइट सफेद टॉप और नीली शॉर्ट स्कर्ट पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ साफ उभर रही थीं। अंकल ने धीरे-धीरे मेरा सिर दबाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरे बालों में फिर रही थीं, और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने मौका देखकर कहा, “अंकल, मेरा दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा है, ज़रा देखो ना।” ये कहकर मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपनी चूचियों पर रख दिया। मेरा टॉप इतना टाइट था कि मेरे निप्पल्स साफ दिख रहे थे। अंकल ने मेरी चूची को हल्के से दबाया और बोले, “हाँ, पूजा, ये तो नॉर्मल है।” मैंने शरारती अंदाज़ में उनकी आँखों में देखा और कहा, “अंकल, ज़रा ध्यान से देखो ना…” मैंने उनका हाथ अपनी चूची पर ज़ोर से दबाया। अंकल समझ गए। वो मेरी चूचियों को धीरे-धीरे सहलाने लगे। मैंने उनकी लुंगी के ऊपर से उनके टाइट लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।

मैंने अंकल के बाल पकड़े और उनके होंठ अपने होंठों से चिपका दिए। मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी। उनका मुँह गर्म और नमकीन था। मैंने कहा, “अंकल… आप कितने सेक्सी हो… मुझे चूसो ना…” अंकल ने मेरे टॉप को ऊपर खींचा और मेरी सफेद ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगे। फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोला, और मेरी गुलाबी निप्पल वाली चूचियाँ उनके सामने थीं। अंकल ने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। “आह्ह… उफ्फ… अंकल… और चूसो… मेरी चूचियाँ तुम्हारी हैं…” मैं सिसकार रही थी। अंकल ने मेरी दूसरी चूची को दबाया, और उसका निप्पल अपनी उंगलियों से मसला। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर की और अपनी गुलाबी पैंटी दिखाई। अंकल ने मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाया और कहा, “पूजा… तुम्हारी चूत तो पहले से ही टपक रही है।”

अंकल ने उठकर बेडरूम का दरवाज़ा लॉक किया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने मेरी स्कर्ट और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी। मेरी गुलाबी चूत, जिस पर हल्के-हल्के काले बाल थे, उनके सामने थी। अंकल ने मेरी चूत को ध्यान से देखा और कहा, “पूजा… तुम्हारी चूत तो एकदम रसीली है।” उन्होंने मेरी चूत पर हल्का सा किस किया, और फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगे। उनकी जीभ मेरे चूत के दाने पर फिर रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… उफ्फ… अंकल… और चाटो… मेरी चूत को चूस लो… ओह्ह…” मैं चीख रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और अंकल उसे चाट रहे थे। उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। मैं चिल्लाई, “अंकल… कुछ होने वाला है… आह्ह… मुझे बाथरूम जाना है…” लेकिन अंकल नहीं रुके। उनकी उंगली तेज़ी से मेरी चूत में चल रही थी, और अचानक मेरी चूत से पानी की पिचकारी निकल गई। “आह्ह… उई माँ… अंकल… मैं झड़ गई…” मैं हाँफ रही थी। मेरा पूरा शरीर काँप रहा था, और मेरी चूत में एक अजीब सी सुकून भरी गर्मी थी।

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अंकल ने मेरी चूत चाटना बंद किया और अपनी लुंगी उतार दी। उनका 7.5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड मेरे सामने था। उसका लाल सुपारा चमक रहा था, और उससे रस टपक रहा था। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी। “अंकल… आपका लंड तो घोड़े जैसा है… इतना मोटा… उफ्फ…” मैंने कहा। मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। मैं उनके सुपारे को चाट रही थी, और उनका रस मेरी जीभ पर लग रहा था। “उम्म… अंकल… आपका लंड कितना टेस्टी है…” मैंने सिसकारी भरी। 10 मिनट तक चूसने के बाद उनके लंड से गर्म-गर्म क्रीम निकला, जो मैंने पूरा पी लिया। इसका स्वाद नमकीन और तीखा था, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आया।

हम थोड़ी देर एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे। अंकल मेरे होंठ चूस रहे थे, और मैं उनके सीने पर हाथ फेर रही थी। फिर अंकल ने मुझे उल्टा लिटाया और किचन से नारियल का तेल लाए। उन्होंने मेरी गांड के छेद पर तेल लगाया और अपनी उंगली से उसे खोलने लगे। मैं सिहर उठी। “अंकल… ये क्या कर रहे हो?” मैंने शरमाते हुए पूछा। वो बोले, “पूजा… अब तुम्हारी गांड की बारी है… तैयार हो जाओ।” उन्होंने अपने लंड पर भी तेल लगाया और मेरे ऊपर लेट गए। फिर उन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद पर रखा और हल्का सा धक्का मारा। मेरे मुँह से चीख निकल गई, “आह्ह… उई माँ… अंकल… नहीं… बहुत दर्द हो रहा है…” लेकिन अंकल ने मुझे ज़ोर से पकड़ रखा था। मैं चिल्लाई, “अंकल… प्लीज़ रुक जाओ… मेरी गांड फट जाएगी…” लेकिन वो नहीं रुके। उन्होंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका आधा लंड मेरी गांड में चला गया। मैं दर्द से चीख पड़ी, “उई माँ… मर गई… अंकल… प्लीज़…”

अंकल ने मेरी चूत पर हाथ रखा और मेरे दाने को मसलने लगे। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ, और मज़ा आने लगा। अंकल ने फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा लंड मेरी गांड में समा गया। मैं फिर चिल्लाई, “आह्ह… मम्मी… मेरी गांड फट गई…” लेकिन अब अंकल धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत को सहला रही थीं, और मुझे मज़ा आने लगा। मैंने कहा, “अंकल… और ज़ोर से… मेरी गांड मारो… आह्ह… फाड़ दो इसे…” अंकल ने मेरी बात सुनी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी गांड मारने लगे। “चट्ट… चट्ट…” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। 10 मिनट बाद उन्होंने अपनी क्रीम मेरी गांड में छोड़ दी। “आह्ह… पूजा… तेरी गांड तो बहुत टाइट है…” अंकल हाँफते हुए बोले। हम दोनों थककर चूर हो गए। अंकल बाथरूम गए, अपना लंड धोया, और मेरे पास लेट गए। वो मेरी चूचियाँ चूसने लगे, और उनका लंड फिर से खड़ा हो गया।

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आधे घंटे बाद अंकल ने अपना लंड मेरे मुँह में दिया। मैंने 5 मिनट तक उसे चूसा, और उनका लंड फिर से पाइप की तरह टाइट हो गया। अंकल ने कहा, “पूजा… अब तुम्हारी चूत की बारी है… आज तुम कली से फूल बन जाओगी।” उन्होंने मुझे बिस्तर के किनारे लिटाया। मेरे पैर ज़मीन पर थे, और मेरी कमर बिस्तर के किनारे पर थी। अंकल ने मेरी गांड के नीचे एक तकिया रखा और मेरे पैर फैला दिए। उन्होंने मेरी चूत को नारियल के तेल से चिकना किया और अपने लंड पर भी तेल लगाया। फिर उन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ा। मैं सिसकारी भरी, “आह्ह… अंकल… और रगड़ो… मेरी चूत में आग लग रही है…” अंकल ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटा, मेरे दाने को चूसा, और फिर एक उंगली मेरी चूत में डाल दी। मैं तड़प उठी, “उफ्फ… अंकल… और करो… मेरी चूत को चूस लो…”

अंकल ने एक कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ाया। फिर उन्होंने अपने लंड को तेल में डुबोया और मेरी चूत के मुँह पर रखकर हल्का सा धक्का मारा। मेरे मुँह से चीख निकल गई, “आह्ह… उई माँ… अंकल… मेरी चूत फट गई…” उनका सिर्फ़ सुपारा ही अंदर गया था। मैं दर्द से तड़प रही थी। अंकल ने मेरे होंठ चूसे और मेरे निप्पल्स को मसला। फिर उन्होंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया। मैं चिल्लाई, “उई माँ… मर गई… अंकल… बहुत दर्द हो रहा है…” मुझे लगा मेरी चूत में कुछ टूट गया। मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे। मैंने देखा कि मेरी चूत से खून की कुछ बूँदें टपक रही थीं। मैं समझ गई कि मेरी सील टूट गई थी। मैं अब औरत बन चुकी थी।

अंकल थोड़ी देर रुके। उन्होंने मेरे होंठ चूसे, मेरी चूचियों को दबाया, और मेरे दाने को सहलाया। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ। फिर अंकल ने धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। “चप… चप…” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। मुझे अब मज़ा आने लगा। मैंने कहा, “अंकल… और ज़ोर से… मेरी चूत चोदो… आह्ह… फाड़ दो इसे…” अंकल ने मेरी बात सुनी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत मारने लगे। मैं अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर उनके धक्कों का जवाब दे रही थी। “आह्ह… उफ्फ… अंकल… और ज़ोर से… मेरी चूत को बर्बाद कर दो…” मैं चीख रही थी। 10 मिनट बाद मेरा ऑर्गेज़म हुआ। मेरी चूत से पानी निकल रहा था, और मैं हाँफ रही थी। “आह्ह… अंकल… मैं झड़ गई…” मैंने कहा।

अंकल ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला, कंडोम उतारा, और मेरे मुँह में दे दिया। मैंने 5 मिनट तक उनका लंड चूसा, और फिर उन्होंने अपनी क्रीम मेरे मुँह में छोड़ दी। मैंने उनका सारा रस पी लिया। “उम्म… अंकल… आपका क्रीम तो बहुत टेस्टी है…” मैंने कहा। इसके बाद पूरा वेकेशन मैं और अंकल रोज़ चुदाई का खेल खेलते। इस साल भी मैं वेकेशन में अंकल के यहाँ आई हूँ, और हमने फिर से वही मस्ती शुरू कर दी।

बस दोस्तो… अभी के लिए इतना ही। आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय ज़रूर बताएँ।

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