अंकल ने मुझे गरम करके पेला

मैं, नेहा, दिल्ली की एक 19 साल की लड़की हूँ। मेरा रंग गोरा है, लंबे काले बाल, और फिगर ऐसा कि लोग दोबारा पलटकर देखें—34-26-34। मुझे टाइट जीन्स और क्रॉप टॉप्स पहनना पसंद है, जो मेरे कर्व्स को और हाइलाइट करते हैं। डांस मेरा जुनून है, खासकर हिप-हॉप और बॉलीवुड स्टाइल। मैं इंस्टा पर रील्स बनाती हूँ, और मेरे 5000 फॉलोअर्स मेरी हॉट पिक्स और डांस वीडियोज़ को लाइक करते हैं। मैं हँसमुख हूँ, लेकिन थोड़ी शरारती भी। सेक्स के बारे में सोचती थी, पर कभी हिम्मत नहीं हुई थी कुछ करने की—बस मूवीज़ में हॉट सीन देखकर मन में ख्याल आते थे। मेरे पड़ोस में रहते हैं राकेश अंकल, जिनकी उम्र 35 के आसपास है। वो लंबे, मस्कुलर, और थोड़े डार्क हैं, चेहरे पर हल्की दाढ़ी और आँखों में एक अजीब सी चमक। वो बिजनेसमैन हैं, हमेशा फॉर्मल शर्ट और ट्राउज़र में दिखते हैं, लेकिन उनकी स्माइल में कुछ ऐसा है जो दिल को छू लेता है। उनकी बीवी, दिव्यांका आंटी, 32 साल की हैं, स्लिम और स्टाइलिश, जो मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड हैं। मम्मी, शालिनी, 40 की हैं, गोरी, थोड़ी भरी हुई, और हमेशा साड़ी में ट्रेडिशनल दिखती हैं। पापा, अजय, 45 के, सरकारी नौकरी करते हैं, सख्त मिजाज़ लेकिन दिल के अच्छे।

हमारा और अंकल का परिवार इतना घुला-मिला है कि कोई फर्क ही नहीं पड़ता। दोनों घरों में आना-जाना, खाना-पीना, और त्योहार साथ मनाना—सब आम बात थी। लेकिन पापा को पिछले कुछ महीनों से शक होने लगा था कि मम्मी और अंकल के बीच कुछ चल रहा है। सच में ऐसा कुछ नहीं था; मम्मी को बस अंकल की हँसी-मज़ाक और तारीफें अच्छी लगती थीं। वो अंकल को “भाभी जी” कहकर चिढ़ाते थे, और मम्मी हँसकर टाल देती थीं। पापा की जलन की वजह से घर में छोटी-मोटी बहस होने लगी थी। मैं सब देखती थी, लेकिन चुप रहती थी। मुझे अंकल का बिंदास अंदाज़ पसंद था, और कहीं न कहीं, उनकी वो गहरी नज़रें मुझे अजीब सा फील देती थीं।

एक दिन दोनों परिवारों ने हरिद्वार जाने का प्लान बनाया। मम्मी को वहाँ किसी रिश्तेदार की पूजा में जाना था, और आंटी भी साथ चलने को तैयार हो गईं। मेरे कॉलेज का एग्ज़ाम था, तो मैं रुक गई। अंकल का भी कोई ज़रूरी मीटिंग था, तो वो नहीं गए। सुबह 3 बजे मम्मी, पापा, आंटी, और मेरी दीदी निकल गए। मम्मी ने जाते-जाते कहा, “नेहा, अंकल को खाना दे देना, गर्म करके।” मैंने “हाँ” बोला, लेकिन मन में कुछ और ही था। अकेले घर में, और अंकल भी अकेले—मुझे मौका मिल रहा था।

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शाम 7 बजे मैंने अंकल के लिए खाना गर्म किया और उनके घर चली गई। मैंने टाइट ब्लैक क्रॉप टॉप और डेनिम शॉर्ट्स पहनी थी, बाल खुले थे, और हल्का सा मेकअप। अंकल अभी-अभी नहाकर निकले थे, सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए। उनके गीले बाल, चौड़ा सीना, और वो मस्कुलर बाज़ू देखकर मेरे गले में कुछ अटक सा गया। वो सोफे पर बैठे नेटफ्लिक्स पर कोई हॉलीवुड मूवी देख रहे थे। मैंने खाना टेबल पर रखा और उनके बगल में बैठ गई। तभी मूवी में एक सीन आया—एक लड़का लड़की को किस कर रहा था, उसकी शर्ट उतार रहा था। मेरे बदन में गर्मी सी दौड़ गई। मैंने सोचा, काश कोई मुझे भी ऐसा टच करे। अंकल ने मेरी तरफ देखा, मेरी आँखों में वो चाहत पढ़ ली।

“क्या देख रही हो?” उन्होंने मज़ाकिया लहजे में पूछा।
“वही जो आप देख रहे हो,” मैंने हँसते हुए जवाब दिया। “आंटी को पता चलेगा तो?”
“अरे, आंटी तो हरिद्वार में हैं,” वो बोले, और उनकी आँखों में शरारत थी। “तुझे पसंद है ना ऐसे सीन?”
मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, थोड़ा-सा। आप दिखाओ ना कुछ और मज़ेदार।”
वो हँसे। “पक्का? मम्मी-पापा को मत बता देना।”
“नहीं बताऊँगी। आज रात रुक जाऊँ?” मैंने हिम्मत करके बोल दिया।
उनके चेहरे पर मुस्कान फैल गई। “रुक जा, देखते हैं क्या-क्या मज़ा होता है।”

अंकल ने जल्दी से खाना खाया और किचन से दो ग्लास व्हिस्की लेकर आए। “पीएगी?”
“मैं तो नहीं पीती,” मैंने कहा।
“अरे, आज की लड़कियाँ सब पीती हैं। ट्राई कर,” उन्होंने ज़िद की।
मैंने एक ग्लास लिया। पहला घूँट गले में जला, लेकिन दूसरा घूँट मज़ेदार लगा। नशा धीरे-धीरे चढ़ रहा था। कमरे में हल्का अंधेरा, टीवी की नीली रोशनी, और अंकल की वो गहरी नज़रें—सब कुछ मेरे दिमाग़ को उलझा रहा था। मैं जानती थी कि आज कुछ होने वाला है।

अंकल मेरे करीब आए। उनकी उंगलियाँ मेरे कंधे पर फिसलीं, फिर मेरे गाल पर। “तू बहुत हॉट है, नेहा,” उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाया। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। अगले ही पल, उनके होंठ मेरे होंठों पर थे। वो किस इतना गहरा था कि मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई। उनके हाथ मेरे क्रॉप टॉप के नीचे गए, मेरी कमर को सहलाया, और फिर एक झटके में टॉप उतार दिया। मैं सिर्फ़ ब्रा और शॉर्ट्स में थी। मेरी साँसें तेज़ थीं, और दिल धक-धक कर रहा था।

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अंकल ने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गए। बेड पर लिटाते ही वो मेरे ऊपर झुक गए। मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया, फिर ब्रा उतार दी। मेरी छोटी-छोटी चूचियाँ, जो सख्त और गोल थीं, उनके सामने थीं। “क्या मस्त है ये,” वो बोले, और मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगे। उनके दाँत मेरे निप्पल्स पर हल्के से चुभे, और मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। उनके हाथ मेरी शॉर्ट्स में गए, और एक पल में वो भी उतर गई। मेरी चूत, जो अभी तक वर्जिन थी, उनके सामने थी। मैं शरमा रही थी, लेकिन उनकी आँखों में वो भूख देखकर मेरी शर्म गायब हो गई।

उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसलीं। “कितनी गीली हो गई तू,” वो बोले, और अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगे। मैं पागल सी हो रही थी—वो गर्मी, वो नशा, सब कुछ मेरे होश उड़ा रहा था। फिर उन्होंने अपना तौलिया हटाया। उनका लंड, मोटा और सख्त, मेरे सामने था। मैंने डरते हुए उसे टच किया—वो गर्म और भारी था। “ले पाएगी?” उन्होंने पूछा। मैंने हल्के से हाँ बोला।

उन्होंने मेरी टाँगें फैलाईं और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। मैं गीली थी, लेकिन मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उनका लंड आसानी से अंदर नहीं जा रहा था। “थोड़ा सहन कर,” उन्होंने कहा, और एक धक्का मारा। मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत में जलन सी हुई, जैसे कुछ फट गया हो। “बस, बस,” वो बोले, और मेरे मुँह पर हाथ रख दिया। धीरे-धीरे उन्होंने फिर धक्के शुरू किए। पहला मिनट दर्द भरा था, लेकिन फिर मज़ा आने लगा। मेरी चूत उनके लंड को पूरा ले रही थी, और हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं।

“मज़ा आ रहा है?” अंकल ने पूछा, उनकी साँसें भी तेज़ थीं।
“हाँ… और करो,” मैंने सिसकारते हुए कहा।
वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मेरी चूत से “चप-चप” की आवाज़ आ रही थी। मैंने अपनी टाँगें और फैला दीं, ताकि उनका लंड और गहरा जाए। वो मेरी चूचियों को मसल रहे थे, मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे, और साथ ही अपनी कमर को तेज़ी से हिलाते जा रहे थे। मैं अब पूरी तरह से उनके साथ थी—हर धक्के का जवाब मेरी कमर दे रही थी।

पहली बार की चुदाई थी मेरी। दर्द और मज़े का मिक्स ऐसा था कि मैं सब कुछ भूल गई थी। हमने रात भर अलग-अलग तरीके ट्राई किए। कभी मैं उनके ऊपर थी, उनकी कमर पर बैठकर उनकी सवारी कर रही थी। कभी वो मेरे पीछे थे, मेरी गाँड को सहलाते हुए धक्के मार रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरे कूल्हों पर गड़ रही थीं, और हर बार वो मेरे कान में कुछ न कुछ बोलते—कभी “क्या टाइट चूत है तेरी,” तो कभी “और ले, बेबी।” मैं भी कम नहीं थी—मैंने भी अपनी वासना को पूरा होने दिया।

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सुबह मेरा बदन टूट रहा था। मेरी चूत में हल्की जलन थी, और चलने में दिक्कत हो रही थी। अंकल ने मुझे एक दर्द की गोली दी और बोले, “ये ले, आराम मिलेगा।” फिर उन्होंने मेरे लिए अंडे का ऑमलेट और कॉफी बनाई। “कैसा लगा?” उन्होंने पूछा, उनकी आँखों में वही शरारत थी। मैंने शरमाते हुए कहा, “बोहोत अच्छा।”

उस दिन अंकल ने ऑफिस से छुट्टी ले ली। आंटी को फोन करके बोला कि वो मीटिंग में हैं। मैं 9 बजे उनके घर से निकली, लेकिन मन में वही आग थी। “मैं 2 बजे वापस आ जाऊँगी,” मैंने कहा, और सचमुच, दोपहर को फिर उनके घर पहुंच गई। उस रात भी हमने वही आग बुझाई। अंकल ने मुझे फिर से बाहों में लिया, मेरी चूचियों को मसला, मेरी चूत को चाटा, और अलग-अलग पोज़ में मुझे चोदा। कभी वो मेरी गाँड पर हल्के से थप्पड़ मारते, कभी मेरे बाल पकड़कर धक्के देते। मैं भी पूरी तरह से खुल चुकी थी—हर पल का मज़ा ले रही थी।

अगले दिन मम्मी-पापा लौट आए। लेकिन मेरे और अंकल के बीच वो रातें हमारा सीक्रेट थीं। जब भी मौका मिलता, हम चोरी-छुपे मिलते, और वो आग फिर से भड़क उठती। मेरी ज़िंदगी में वो पहला अनुभव था, जिसने मुझे औरत बनाया, और मैं आज भी उस गर्मी को याद करती हूँ।

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