दोस्तों, आज मैं आपको अपनी सहेली रश्मि यादव की एक छोटी सी कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये कहानी बिल्कुल सच्ची है। रश्मि पिछले डेढ़ साल से चंडीगढ़ के एक कॉल सेंटर में काम कर रही थी। उसकी ज्यादातर शिफ्ट रात में ही होती थी और उसका परफॉर्मेंस भी कमाल का था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी उसकी शादी तय हो गई। अब रश्मि को नौकरी छोड़ना तो नहीं था, लेकिन समस्या ये थी कि शादी के बाद रात की शिफ्ट करना उसके लिए मुश्किल हो जाता। आखिर पति रात को उसकी टाइट चूत को पेलने वाला था, ऐसे में वो भला नौकरी कैसे कर सकती थी?
रश्मि ने अपनी ये परेशानी अपनी सीनियर नेहा को बताई। नेहा ने तुरंत सलाह दी, “तू महेश सर से बात कर, वो जरूर कुछ मदद करेंगे।” महेश शिफ्ट सुपरवाइजर था और कर्मचारियों का समय वही तय करता था। लेकिन रश्मि और बाकी लड़कियों को अच्छे से पता था कि महेश एक नंबर का चुदक्कड़ और वहशी इंसान है। वो लड़कियों को सिर्फ चोदने की मशीन समझता था और मौका मिलते ही उनकी टाइट चूत पर नजर गड़ा देता था।
फिर भी, नौकरी का सवाल था। रश्मि को मजबूरी में महेश के पास जाना पड़ा। उसने हिम्मत जुटाकर अपनी बात रखी। महेश ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “टाइम तो मैं सेट कर दूंगा, लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?” रश्मि ने थोड़ा सकपकाते हुए पूछा, “सर, आपको क्या चाहिए?” महेश ने फिर वही शातिर हंसी हंसी और बोला, “जो तू बड़े प्यार से मुझे दे दे, वही काफी है।”
रश्मि अभी भी उसकी बात का मतलब पूरी तरह नहीं समझ पाई थी। उसकी मासूमियत देखकर महेश ने खुलकर कह ही दिया, “देख रश्मि, मैं प्यार का भूखा हूँ। तू मुझे थोड़ा सा प्यार दे दे, बस!” ये सुनकर रश्मि के होश उड़ गए। ये साला महेश तो खुल्लमखुल्ला उसकी चूत मांग रहा था! उसका मन तो हुआ कि महेश की नौकरी को ठोकर मारकर वहां से निकल जाए, लेकिन नौकरी की जरूरत ने उसे रोक लिया। आखिरकार, उसने अपनी टाइट चूत का सौदा करने का फैसला कर लिया।
महेश की तो जैसे लॉटरी लग गई। उसकी आंखों में चमक आ गई जब रश्मि ने हां कर दी। उसने तुरंत शर्त रखी, “मैं तुझे हमेशा दोपहर की शिफ्ट दूंगा, लेकिन हर महीने तुझे मुझे एक बार ये प्यार देना होगा।” रश्मि ने थोड़ा सोचा और फिर हामी भर दी।
मेरी सहेली बताती है कि उसने कई बार देखा है कि महेश के केबिन से “आह्ह… ऊह्ह…” की सिसकारियां गूंजती रहती हैं। महेश इतना कमीना था कि उसने कॉल सेंटर की कई लड़कियों की टाइट चूत का सील तोड़ दिया था। उसे कुंवारी लड़कियों की चूत का बड़ा शौक था। वो जानबूझकर ऐसी लड़कियों को पहले रात की शिफ्ट देता, फिर कुछ दिन बाद दिन की शिफ्ट देने के बहाने उनके साथ चुदाई का सौदा करता। और हैरानी की बात ये कि वो हर बार कामयाब भी हो जाता।
अब रश्मि की जिंदगी भी उसी राह पर चल पड़ी थी। पहले महीने की बात है। महेश ने उसे अपने केबिन में बुलाया। रश्मि को अंदर जाते ही घबराहट होने लगी। केबिन की लाइट्स हल्की थीं और महेश अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ उसकी ओर भूखी नजरों से देख रहा था। उसने रश्मि को पास बुलाया और बोला, “तो, तैयार हो ना मेरे प्यार के लिए?” रश्मि ने नजरें झुकाकर हल्के से सिर हिलाया।
महेश उठा और दरवाजा लॉक कर दिया। फिर उसने रश्मि को अपनी बांहों में खींच लिया। रश्मि का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, लेकिन अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था। महेश ने धीरे से उसकी कमीज़ के बटन खोलने शुरू किए। रश्मि की सांसें तेज हो गईं। उसकी ब्रा में कैद चूचियां बाहर निकलने को बेताब थीं। महेश ने ब्रा का हुक खोला और उसकी गुलाबी चूचियों को आजाद कर दिया। उसने उन्हें अपने हाथों में लिया और जोर-जोर से मसलने लगा। रश्मि के मुंह से हल्की सी “आह” निकल गई।
महेश अब और रुक नहीं सका। उसने रश्मि की जींस नीचे खींच दी और उसकी टाइट पैंटी को भी उतार फेंका। रश्मि की चिकनी, टाइट चूत देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। उसने रश्मि को टेबल पर बिठाया और उसकी टांगें चौड़ी कर दीं। फिर उसने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और चाटने लगा। रश्मि को ऐसा मजा पहले कभी नहीं मिला था। उसकी सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं, “आह्ह… सर… ऊह्ह…”
महेश ने अब अपनी पैंट उतारी और अपना मोटा, कड़क लंड बाहर निकाला। रश्मि ने उसे देखा तो थोड़ा डर गई। उसका लंड इतना बड़ा था कि उसकी टाइट चूत में कैसे जाएगा, ये सोचकर ही वो सहम गई। लेकिन महेश को अब कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसने रश्मि की चूत पर लंड सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। रश्मि की चीख निकल गई, “आह्ह… मर गई!” उसकी चूत फटने जैसी हो गई थी।
महेश ने रुकने का नाम नहीं लिया। वो धक्के पर धक्के मारता रहा। रश्मि का दर्द धीरे-धीरे मजे में बदलने लगा। उसकी चूत अब गीली हो चुकी थी और लंड को अंदर-बाहर होने में आसानी हो रही थी। महेश ने रश्मि को टेबल से उतारा और उसे घोड़ी बनाकर पीछे से पेलना शुरू कर दिया। उसका लंड रश्मि की चूत की गहराइयों तक जा रहा था। रश्मि अब चिल्ला रही थी, “आह्ह… सर… और जोर से… चोद दो मुझे!”
करीब बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद महेश ने अपना माल रश्मि की चूत में ही छोड़ दिया। रश्मि की सांसें अभी भी तेज थीं। वो टेबल पर लेटी हुई हांफ रही थी। महेश ने उसकी चूत को सहलाया और बोला, “मजा आया ना? अब हर महीने ऐसा ही मजा मिलेगा।” रश्मि ने सिर्फ मुस्कुराकर जवाब दिया।
इसके बाद रश्मि को दोपहर की शिफ्ट मिलने लगी। लेकिन हर महीने महेश का “प्यार” उसे देना पड़ता था। धीरे-धीरे रश्मि को भी इस चुदाई में मजा आने लगा। वो अब खुद महेश के केबिन में बिना झिझक के चली जाती थी। मेरी सहेली बताती है कि रश्मि अब पहले से कहीं ज्यादा खुल गई है। उसकी टाइट चूत ने ना सिर्फ महेश को दीवाना बनाया, बल्कि उसकी जिंदगी को भी एक नया रंग दे दिया।
तो दोस्तों, ये थी रश्मि की कहानी। आपको कैसी लगी, जरूर बताना!