मेरा नाम आसिफ है। मेरी फेमिली में सिर्फ मेरी अम्मी शबीना और अब्बू समीम ही हैं। थोड़ा सा इंट्रोडक्शन दे दूँ। मेरी अम्मी 47 साल की हैं, लेकिन इस उम्र में भी वो बिल्कुल फिट और जवान दिखती हैं। उनकी बॉडी इतनी टाइट और सेक्सी है कि करीना कपूर भी फेल हो जाए। उनके बूब्स आयशा टाकिया जैसे भरे हुए, रसीले और गोल-मटोल हैं। उनकी गांड का तो कहना ही क्या, इतनी उभरी और मस्त कि कोई देखे तो बस देखता ही रह जाए। हर मर्द की नजर उनकी कमर पर अटक जाए, और लंड खड़ा हो जाए। मेरे अब्बू 54 के हैं, एक दवा कंपनी में बड़ी पोस्ट पर हैं और तीन लाख की मोटी पगार कमाते हैं। मेरी अम्मी स्कूल में टीचर हैं, उनकी सैलरी 80 हजार है। दोनों ने लव मैरिज की थी, और हमारा खानदान मुस्लिम होने के बावजूद खुले ख्यालों वाला है।हमारे घर में कोई पाबंदी नहीं। अम्मी-अब्बू कभी-कभी शराब पीते हैं, और मैं भी उनके सामने कई बार बीयर पी चुका हूँ। कुल मिलाकर, मैं एक आजाद और मॉडर्न परिवार से हूँ। मेरी उम्र 19 साल है, और मैं बचपन से ही अपनी बॉडी को मेंटेन करता हूँ। जिम में घंटों पसीना बहाने की वजह से मेरी बॉडी किसी हीरो जैसी है। मेरी हाइट 6 फुट है, डोले-शोले कसे हुए, और चेहरा इतना स्मार्ट कि लड़कियाँ घायल हो जाएँ। कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ मेरा पहला सेक्स एक्सपीरियंस हुआ। वो था गे सेक्स, और मैंने वहाँ 7-8 लड़कों की गांड मारी थी। मेरा लंड 8 इंच का है, पूरा लाल सुपाड़ा, हमेशा साफ-सुथरा और चमकता हुआ। लंड चुसवाने में मुझे गजब का मजा आता है, और जब कोई मेरी गांड का छेद जीभ से चाटता है, तो मेरा लंड किसी जंगली हब्शी जैसा तन जाता है।मेरे पास महंगा मोबाइल है, और फेसबुक पर मेरा अकाउंट है, जहाँ मैं लड़कियों और औरतों से सेक्सी-सेक्सी बातें करता हूँ। लेकिन अभी तक मुझे चूत मारने का मौका नहीं मिला था। कॉन्वेंट छोड़े चार साल हो गए, और मैं अब भी सेक्सी फिल्में और किताबें पढ़कर मुठ मारता था। मेरे बचपन का दोस्त वसीम भी मेरी तरह सेक्स का भूखा था। उसने कई रंडियों को चोदा था, और मैं भी अब रंडी चोदना चाहता था। मुठ मारने और गांड मारने से मैं तंग आ चुका था।एक दिन कॉन्वेंट के हॉस्टल की छत पर मैं एक लड़के की गांड मार रहा था, तभी मेरे टीचर विपिनचंद्र ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया। वो लड़का तो भाग गया, लेकिन मुझे टीचर ने पकड़ लिया। मैं डर गया कि अब क्या होगा। लेकिन विपिन सर, जो 45-50 साल के थे और हमें साइंस पढ़ाते थे, ने मुझे डांटा नहीं। बल्कि उन्होंने समझाया, “आसिफ, गांड मारने में उतना मजा नहीं जितना चूत मारने में आता है। मेरे पास एक मस्त चूत का इंतजाम है।” मैं हैरान रह गया। उन्होंने कहा कि संडे को वो मुझे अपने साथ ले जाएँगे और चूत चुदवाएंगे। मेरे लिए ये पहला मौका था, वो भी फ्री में। उस दिन शुक्रवार था, यानी दो दिन का इंतजार। रात को मैंने मोबाइल पर ब्लू फिल्म देखी, तकिए पर जुराब चढ़ाकर लंड रगड़ा और मुठ मारकर सो गया।कॉन्वेंट में दो दिन में एक बार तीन घंटे बाहर जाने की छुट्टी थी, और संडे को चार घंटे की। शनिवार को वसीम मिला और बोला कि उसकी एक नई रंडी से सेटिंग हुई है, जो अपने घर में चुदवाती है और सिर्फ 500 रुपये लेती है। मेरा मन ललचाया, लेकिन मैंने मना कर दिया। अगर मैं शनिवार को बाहर जाता, तो संडे को छुट्टी नहीं मिलती, और विपिन सर मुझे चूत चुदवाने ले जाने वाले थे। शाम को विपिन सर मिले और याद दिलाया कि संडे को उनके साथ जाना है। मैंने हामी भर दी। रात को मैंने एक दोस्त को पकड़ा, उससे लंड चुसवाया और सो गया, क्योंकि अगले दिन मेरा पहला चूत चोदने का मौका था।संडे सुबह मैं उठा, नहाया, अपनी झांटें साफ कीं, डियो लगाया और तैयार हो गया। 12 बजे मैंने वार्डन से शाम तक की छुट्टी मांगी, और वो मान गए। बाहर निकला तो विपिन सर अपनी कार लेकर खड़े थे। मैं उनके साथ कार में बैठा, और वो मुझे शहर की तरफ ले गए। हमारा कॉन्वेंट शहर से थोड़ा बाहर था। रास्ते में सर ने एक जगह कार रोकी, एक बोतल शराब और दो बीयर खरीदीं। थोड़ी दूर चलकर एक मेडिकल स्टोर से क्रीम और निरोध ले आए। ये सब देखकर मेरा लंड मचलने लगा। मेरी आँखों के सामने चूत का सपना तैरने लगा। सर मेरी तरफ देखकर मुस्कुराए और बोले, “बेटा, बस पाँच मिनट, फिर तुझे मस्त और कसी हुई चूत मिलेगी।”उन्होंने मेरा लंड पैंट के ऊपर से दबा दिया। मेरे लंड ने तंबू बनाना शुरू कर दिया, और सर उसे गौर से देख रहे थे। चार-पाँच मिनट बाद हम एक नई बनी सोसाइटी में पहुँचे, जहाँ कुछ ही घरों में लोग रहते थे। सर ने एक मकान के सामने कार रोकी और मुझे उतरने को कहा। मैंने सारा सामान उठाया और कार से उतर गया। सर ने कार साइड में पार्क की और मुझे अपने साथ अंदर ले गए। उन्होंने घंटी बजाई, और दरवाजा खुला।वाह! क्या माल थी वो! एकदम मेरी पसंद। गोल-मटोल चेहरा, भरी हुई गांड, और बड़े-बड़े बूब्स। उसकी सेक्सी मुस्कान तो कयामत ढा रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड पैंट में पागल हो गया। वो औरत हमें अंदर ले गई। घर सजा हुआ था, और वहाँ कोई और नहीं था। मैंने सामान का बैग उसे दे दिया, तभी मुझे याद आया कि निरोध का पैकेट भी उसी में था। मैंने ये बात सर को बताई तो वो हँसे और बोले, “कोई बात नहीं, बेटा। ये सब उसी के काम आएगा। डर मत, आसिफ।”वो औरत, जिसका नाम रोजा था, सामान अंदर रखकर वापस आई और मेरे पास सटकर बैठ गई। सर ने पूछा, “रोजा, वंदना को छुट्टी दे दी न?” रोजा ने कहा, “हाँ, वो कल सुबह आएगी। इसका नाम क्या है?” सर ने जवाब दिया, “ये आसिफ है।” रोजा ने मुझे देखकर कहा, “ये तो बहुत छोटा लग रहा है।” सर हँसे और बोले, “रोजा, इसके चेहरे पर मत जाओ। ये हरामी है, और इसका लंड इतना बड़ा है कि तुझे पता नहीं कितनों की गांड मार चुका है। तू जब लेगी, तब पता चलेगा।”ये सुनकर रोजा ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। पहली बार किसी औरत का हाथ मेरे लंड पर था। मैं सनसना गया। रोजा ने मेरे गालों पर हाथ रखा, मेरी आँखों में देखा, और मेरे होंठों पर किस कर लिया। उसने मेरे गालों को हल्के से काटा भी। मेरा लंड पैंट में कैद होकर तड़प रहा था। रोजा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बड़े-बड़े बूब्स पर रख दिया। वो बोली, “क्या देख रहा है, आसिफ? आजा, इस जवानी का मजा लूट ले। अपनी मर्दानगी दिखा और हवस की भूख मिटा। देर मत कर।”लेकिन सर के सामने मुझे झिझक हो रही थी। रोजा ने ये भांप लिया और सर से बोली, “आप अंदर जाकर शराब के पेग बनाइए।” सर तुरंत अंदर चले गए। उनके जाते ही रोजा मुझ पर टूट पड़ी। उसने मेरी शर्ट उतार दी और मुझे पैंट उतारने को कहा। मैंने जल्दी से पैंट उतारी, और रोजा ने मेरा अंडरवियर नीचे खींच दिया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैंने पहले भी कई बार लंड चुसवाया था, लेकिन रोजा का चूसना अलग ही था। मेरे बदन में सनसनी दौड़ रही थी। सब कुछ नया और मस्त लग रहा था।तभी सर अंदर आए, शराब का पेग और मेरे लिए बीयर लेकर। मैं हड़बड़ा गया और जल्दी से अंडरवियर ऊपर खींच लिया। रोजा को सर का इस तरह आना पसंद नहीं आया। उसने सर के हाथ से पेग लिया और बोली, “आप बाजार जाकर घर का सामान ले आइए। मैंने लिस्ट बना रखी है। दो पेग लो और निकल जाओ।” सर चुपचाप हामी भरकर बाहर चले गए।अब रोजा ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे। वो इतने कसे और रसीले थे कि मेरे लंड ने 90 डिग्री का टेंट बना लिया। वो फनफनाता हुआ सांप जैसा तन गया। मैंने रोजा का गाउन उतार दिया। नीचे वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसके बूब्स ब्लाउज में कैद दूध की टंकियों जैसे लग रहे थे। उसने मुझे अपने ऊपर आने को कहा। तभी बाहर से सर की आवाज आई, “रोजा, मैं बाजार जा रहा हूँ। एक घंटे में लौटूँगा।” रोजा ने जवाब दिया, “बाहर से ताला मार के जाओ और आराम से आना।”रोजा मुझे अपने बेडरूम में ले गई। हम बिस्तर पर बैठ गए। वो लेट गई, और मैं उसकी नाभि और पेट चूमने लगा। वो गर्म होने लगी थी, और मैं भी। मैंने उसके बूब्स को टटोला, और वो मेरी पीठ सहलाने लगी। फिर उसने मुझे लिप-किस करना शुरू किया। उसके होंठों का स्वाद गजब का था। शराब और सेक्स का नशा चढ़ रहा था। रोजा ने एक पेग गटक लिया और मेरे लिए बीयर लाई। उसने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार फेंका। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। उसके बूब्स थरथरा रहे थे, जैसे मुझे बुला रहे हों। उसने मेरा मुँह पकड़कर अपनी छातियों पर रख दिया। मैं किसी बच्चे की तरह उसके बूब्स चूसने लगा। एक बूब मेरे मुँह में था, और दूसरे को मैं जोर-जोर से दबा रहा था। रोजा ने मेरा अंडरवियर उतार दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी।कुछ देर बाद वो मुझे बिस्तर पर ले गई और सीधी लेट गई। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके बूब्स दबाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी निप्पल मुँह में ली और चूसने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी। फिर उसने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर ले गई। उसकी चूत पर हल्की-हल्की झांटें थीं, और गुलाबी छेद साफ दिख रहा था। वो बोली, “चाट ले इसे, आसिफ। अपनी जीभ से इसका स्वाद ले। ये तुझे नई दुनिया दिखाएगी।”मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसका नमकीन स्वाद मुझे भड़का रहा था। रोजा सिसकार रही थी, “आहा… आसिफ, ऐसे ही चाट… सीस… ओह माँ… तेरी जीभ कमाल है… मेरे पति से कुछ नहीं होता। सात साल हो गए, आज तक मेरी चूत सही से नहीं चोद पाए।”मैं हैरान था कि रोजा सर की बीवी थी, और सर मुझे अपनी ही बीवी चुदवाने लाए थे। लेकिन मैं चुप रहा और उसकी चूत चाटता गया। फिर वो 69 की पोजीशन में आई और मेरा लंड चूसने लगी। उसका चूसना इतना मस्त था कि मैं सातवें आसमान पर था। करीब 15-20 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूसते रहे। फिर वो मुतने गई, और मैं भी साथ गया। हमने बाथरूम में एक साथ पेशाब किया। रोजा ने मेरा लंड साबुन से धोया और अपनी चूत भी साफ की।वापस बेड पर आए। मेरा लंड थोड़ा ढीला हो गया था। रोजा ने एक पेग बनाया, उसमें से चुस्की ली और मुझे दी। फिर उसने गिलास में मेरा लंड डुबोया और चूसने लगी। मेरा लंड फिर से तन गया। वो मेरे सुपाड़े और अंडकोष को बारी-बारी चूस रही थी। मैंने उसे पीछे से पकड़ा और उसके बूब्स जोर-जोर से दबाने लगा। वो कराह रही थी, लेकिन मजा ले रही थी। मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। मेरा लंड गर्म होकर तप रहा था।रोजा से अब रहा नहीं गया। उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया। उसने कहा, “धीरे-धीरे धक्के मार, आसिफ।” जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में गया, मुझे गर्माहट का अहसास हुआ। चूत का मजा गांड से कहीं ज्यादा था। मैंने लंड पूरा अंदर उतार दिया और चोदने लगा। रोजा के बूब्स उछल रहे थे, और मैं उन्हें चूस रहा था। वो मुझे लिप-किस कर रही थी। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “हाँ… आसिफ… चोद मुझे… फाड़ दे मेरी चूत… आहा… सीस… उह… माँ… और जोर से…”मैंने रफ्तार बढ़ा दी। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। रोजा की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और गर्म हो रहा था। उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं। मैंने उसके बूब्स को मसलना जारी रखा, और वो मेरे कंधों को नाखूनों से खुरच रही थी। उसकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह… आसिफ… मेरी चूत फाड़ दे… तेरा लंड कमाल है… और जोर से… उह… माँ… चोद दे मुझे…”मैंने उसे कुतिया की तरह घुमाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। उसकी गांड मेरे सामने थी, और मैं उसे थप्पड़ मार रहा था। हर थप्पड़ के साथ उसकी गांड लाल हो रही थी, और वो और जोर से सिसकार रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से धक्के मारे। उसकी चूत से रस टपक रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। करीब 25 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी मिशनरी, कभी डॉगी, कभी उसे मेरे ऊपर बिठाकर। वो हर धक्के के साथ चिल्ला रही थी, “हाँ… मेरे राजा… चोद… मेरी चूत तेरी है… फाड़ दे इसे…”आखिरकार मेरा लंड झड़ने को हुआ। मैंने पूछा, “रोजा, कहाँ निकालूँ?” उसने कहा, “अंदर ही छोड़ दे, मेरे राजा। मेरी चूत को तेरे माल से भर दे।” मैंने पूरी ताकत से आखिरी धक्के मारे, और मेरा लंड फव्वारे की तरह झड़ गया। उसकी चूत मेरे माल से भर गई। मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया, और वो मेरे सीने से चिपक गई। हम दोनों पसीने से तर थे, लेकिन संतुष्ट थे।थोड़ी देर बाद रोजा उठी, मेरे लंड को फिर से चूमा और बोली, “आसिफ, तूने तो मेरी चूत की प्यास बुझा दी। तेरे सर ने कभी इतना मजा नहीं दिया।” मैंने हँसकर कहा, “रोजा, तू भी तो कमाल की माल है।” हम दोनों हँसने लगे। फिर हमने बाथरूम में जाकर एक साथ नहाया। वो मेरे लंड को फिर से सहलाने लगी, और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। लेकिन तभी सर की कार की आवाज आई। रोजा ने कहा, “अब तू तैयार हो जा, वरना सर को शक हो जाएगा।”हमने कपड़े पहने और बाहर आए। सर सामान लेकर आए थे और मुस्कुराते हुए बोले, “क्या बात है, आसिफ? मजा आया?” मैंने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया। रोजा ने मेरी तरफ देखकर आँख मारी और बोली, “फिर आना, मेरे राजा।” मैंने मन ही मन सोचा, ये चूत का स्वाद ऐसा था कि अब मैं बार-बार आऊँगा।हम कार में बैठे, और सर मुझे वापस कॉन्वेंट छोड़ गए। रास्ते में वो बोले, “आसिफ, रोजा मेरी बीवी है। लेकिन मैं चाहता हूँ कि वो खुश रहे। तूने आज उसे वो सुख दिया, जो मैं नहीं दे पाया।” मैं चुप रहा, लेकिन मन में सोच रहा था कि ये मौका फिर से चाहिए। उस रात मैंने रोजा की चूत के बारे में सोचकर फिर मुठ मारी और सो गया।मेरा नाम आसिफ है। मेरी फेमिली में सिर्फ मेरी अम्मी शबीना और अब्बू समीम ही हैं। थोड़ा सा इंट्रोडक्शन दे दूँ। मेरी अम्मी 47 साल की हैं, लेकिन इस उम्र में भी वो बिल्कुल फिट और जवान दिखती हैं। उनकी बॉडी इतनी टाइट और सेक्सी है कि करीना कपूर भी फेल हो जाए। उनके बूब्स आयशा टाकिया जैसे भरे हुए, रसीले और गोल-मटोल हैं। उनकी गांड का तो कहना ही क्या, इतनी उभरी और मस्त कि कोई देखे तो बस देखता ही रह जाए। हर मर्द की नजर उनकी कमर पर अटक जाए, और लंड खड़ा हो जाए। मेरे अब्बू 54 के हैं, एक दवा कंपनी में बड़ी पोस्ट पर हैं और तीन लाख की मोटी पगार कमाते हैं। मेरी अम्मी स्कूल में टीचर हैं, उनकी सैलरी 80 हजार है। दोनों ने लव मैरिज की थी, और हमारा खानदान मुस्लिम होने के बावजूद खुले ख्यालों वाला है।हमारे घर में कोई पाबंदी नहीं। अम्मी-अब्बू कभी-कभी शराब पीते हैं, और मैं भी उनके सामने कई बार बीयर पी चुका हूँ। कुल मिलाकर, मैं एक आजाद और मॉडर्न परिवार से हूँ। मेरी उम्र 19 साल है, और मैं बचपन से ही अपनी बॉडी को मेंटेन करता हूँ। जिम में घंटों पसीना बहाने की वजह से मेरी बॉडी किसी हीरो जैसी है। मेरी हाइट 6 फुट है, डोले-शोले कसे हुए, और चेहरा इतना स्मार्ट कि लड़कियाँ घायल हो जाएँ। कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ मेरा पहला सेक्स एक्सपीरियंस हुआ। वो था गे सेक्स, और मैंने वहाँ 7-8 लड़कों की गांड मारी थी। मेरा लंड 8 इंच का है, पूरा लाल सुपाड़ा, हमेशा साफ-सुथरा और चमकता हुआ। लंड चुसवाने में मुझे गजब का मजा आता है, और जब कोई मेरी गांड का छेद जीभ से चाटता है, तो मेरा लंड किसी जंगली हब्शी जैसा तन जाता है।मेरे पास महंगा मोबाइल है, और फेसबुक पर मेरा अकाउंट है, जहाँ मैं लड़कियों और औरतों से सेक्सी-सेक्सी बातें करता हूँ। लेकिन अभी तक मुझे चूत मारने का मौका नहीं मिला था। कॉन्वेंट छोड़े चार साल हो गए, और मैं अब भी सेक्सी फिल्में और किताबें पढ़कर मुठ मारता था। मेरे बचपन का दोस्त वसीम भी मेरी तरह सेक्स का भूखा था। उसने कई रंडियों को चोदा था, और मैं भी अब रंडी चोदना चाहता था। मुठ मारने और गांड मारने से मैं तंग आ चुका था।एक दिन कॉन्वेंट के हॉस्टल की छत पर मैं एक लड़के की गांड मार रहा था, तभी मेरे टीचर विपिनचंद्र ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया। वो लड़का तो भाग गया, लेकिन मुझे टीचर ने पकड़ लिया। मैं डर गया कि अब क्या होगा। लेकिन विपिन सर, जो 45-50 साल के थे और हमें साइंस पढ़ाते थे, ने मुझे डांटा नहीं। बल्कि उन्होंने समझाया, “आसिफ, गांड मारने में उतना मजा नहीं जितना चूत मारने में आता है। मेरे पास एक मस्त चूत का इंतजाम है।” मैं हैरान रह गया। उन्होंने कहा कि संडे को वो मुझे अपने साथ ले जाएँगे और चूत चुदवाएंगे। मेरे लिए ये पहला मौका था, वो भी फ्री में। उस दिन शुक्रवार था, यानी दो दिन का इंतजार। रात को मैंने मोबाइल पर ब्लू फिल्म देखी, तकिए पर जुराब चढ़ाकर लंड रगड़ा और मुठ मारकर सो गया।कॉन्वेंट में दो दिन में एक बार तीन घंटे बाहर जाने की छुट्टी थी, और संडे को चार घंटे की। शनिवार को वसीम मिला और बोला कि उसकी एक नई रंडी से सेटिंग हुई है, जो अपने घर में चुदवाती है और सिर्फ 500 रुपये लेती है। मेरा मन ललचाया, लेकिन मैंने मना कर दिया। अगर मैं शनिवार को बाहर जाता, तो संडे को छुट्टी नहीं मिलती, और विपिन सर मुझे चूत चुदवाने ले जाने वाले थे। शाम को विपिन सर मिले और याद दिलाया कि संडे को उनके साथ जाना है। मैंने हामी भर दी। रात को मैंने एक दोस्त को पकड़ा, उससे लंड चुसवाया और सो गया, क्योंकि अगले दिन मेरा पहला चूत चोदने का मौका था।संडे सुबह मैं उठा, नहाया, अपनी झांटें साफ कीं, डियो लगाया और तैयार हो गया। 12 बजे मैंने वार्डन से शाम तक की छुट्टी मांगी, और वो मान गए। बाहर निकला तो विपिन सर अपनी कार लेकर खड़े थे। मैं उनके साथ कार में बैठा, और वो मुझे शहर की तरफ ले गए। हमारा कॉन्वेंट शहर से थोड़ा बाहर था। रास्ते में सर ने एक जगह कार रोकी, एक बोतल शराब और दो बीयर खरीदीं। थोड़ी दूर चलकर एक मेडिकल स्टोर से क्रीम और निरोध ले आए। ये सब देखकर मेरा लंड मचलने लगा। मेरी आँखों के सामने चूत का सपना तैरने लगा। सर मेरी तरफ देखकर मुस्कुराए और बोले, “बेटा, बस पाँच मिनट, फिर तुझे मस्त और कसी हुई चूत मिलेगी।”उन्होंने मेरा लंड पैंट के ऊपर से दबा दिया। मेरे लंड ने तंबू बनाना शुरू कर दिया, और सर उसे गौर से देख रहे थे। चार-पाँच मिनट बाद हम एक नई बनी सोसाइटी में पहुँचे, जहाँ कुछ ही घरों में लोग रहते थे। सर ने एक मकान के सामने कार रोकी और मुझे उतरने को कहा। मैंने सारा सामान उठाया और कार से उतर गया। सर ने कार साइड में पार्क की और मुझे अपने साथ अंदर ले गए। उन्होंने घंटी बजाई, और दरवाजा खुला।वाह! क्या माल थी वो! एकदम मेरी पसंद। गोल-मटोल चेहरा, भरी हुई गांड, और बड़े-बड़े बूब्स। उसकी सेक्सी मुस्कान तो कयामत ढा रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड पैंट में पागल हो गया। वो औरत हमें अंदर ले गई। घर सजा हुआ था, और वहाँ कोई और नहीं था। मैंने सामान का बैग उसे दे दिया, तभी मुझे याद आया कि निरोध का पैकेट भी उसी में था। मैंने ये बात सर को बताई तो वो हँसे और बोले, “कोई बात नहीं, बेटा। ये सब उसी के काम आएगा। डर मत, आसिफ।”वो औरत, जिसका नाम रोजा था, सामान अंदर रखकर वापस आई और मेरे पास सटकर बैठ गई। सर ने पूछा, “रोजा, वंदना को छुट्टी दे दी न?” रोजा ने कहा, “हाँ, वो कल सुबह आएगी। इसका नाम क्या है?” सर ने जवाब दिया, “ये आसिफ है।” रोजा ने मुझे देखकर कहा, “ये तो बहुत छोटा लग रहा है।” सर हँसे और बोले, “रोजा, इसके चेहरे पर मत जाओ। ये हरामी है, और इसका लंड इतना बड़ा है कि तुझे पता नहीं कितनों की गांड मार चुका है। तू जब लेगी, तब पता चलेगा।”ये सुनकर रोजा ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया। पहली बार किसी औरत का हाथ मेरे लंड पर था। मैं सनसना गया। रोजा ने मेरे गालों पर हाथ रखा, मेरी आँखों में देखा, और मेरे होंठों पर किस कर लिया। उसने मेरे गालों को हल्के से काटा भी। मेरा लंड पैंट में कैद होकर तड़प रहा था। रोजा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बड़े-बड़े बूब्स पर रख दिया। वो बोली, “क्या देख रहा है, आसिफ? आजा, इस जवानी का मजा लूट ले। अपनी मर्दानगी दिखा और हवस की भूख मिटा। देर मत कर।”लेकिन सर के सामने मुझे झिझक हो रही थी। रोजा ने ये भांप लिया और सर से बोली, “आप अंदर जाकर शराब के पेग बनाइए।” सर तुरंत अंदर चले गए। उनके जाते ही रोजा मुझ पर टूट पड़ी। उसने मेरी शर्ट उतार दी और मुझे पैंट उतारने को कहा। मैंने जल्दी से पैंट उतारी, और रोजा ने मेरा अंडरवियर नीचे खींच दिया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैंने पहले भी कई बार लंड चुसवाया था, लेकिन रोजा का चूसना अलग ही था। मेरे बदन में सनसनी दौड़ रही थी। सब कुछ नया और मस्त लग रहा था।तभी सर अंदर आए, शराब का पेग और मेरे लिए बीयर लेकर। मैं हड़बड़ा गया और जल्दी से अंडरवियर ऊपर खींच लिया। रोजा को सर का इस तरह आना पसंद नहीं आया। उसने सर के हाथ से पेग लिया और बोली, “आप बाजार जाकर घर का सामान ले आइए। मैंने लिस्ट बना रखी है। दो पेग लो और निकल जाओ।” सर चुपचाप हामी भरकर बाहर चले गए।अब रोजा ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे। वो इतने कसे और रसीले थे कि मेरे लंड ने 90 डिग्री का टेंट बना लिया। वो फनफनाता हुआ सांप जैसा तन गया। मैंने रोजा का गाउन उतार दिया। नीचे वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसके बूब्स ब्लाउज में कैद दूध की टंकियों जैसे लग रहे थे। उसने मुझे अपने ऊपर आने को कहा। तभी बाहर से सर की आवाज आई, “रोजा, मैं बाजार जा रहा हूँ। एक घंटे में लौटूँगा।” रोजा ने जवाब दिया, “बाहर से ताला मार के जाओ और आराम से आना।”रोजा मुझे अपने बेडरूम में ले गई। हम बिस्तर पर बैठ गए। वो लेट गई, और मैं उसकी नाभि और पेट चूमने लगा। वो गर्म होने लगी थी, और मैं भी। मैंने उसके बूब्स को टटोला, और वो मेरी पीठ सहलाने लगी। फिर उसने मुझे लिप-किस करना शुरू किया। उसके होंठों का स्वाद गजब का था। शराब और सेक्स का नशा चढ़ रहा था। रोजा ने एक पेग गटक लिया और मेरे लिए बीयर लाई। उसने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार फेंका। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। उसके बूब्स थरथरा रहे थे, जैसे मुझे बुला रहे हों। उसने मेरा मुँह पकड़कर अपनी छातियों पर रख दिया। मैं किसी बच्चे की तरह उसके बूब्स चूसने लगा। एक बूब मेरे मुँह में था, और दूसरे को मैं जोर-जोर से दबा रहा था। रोजा ने मेरा अंडरवियर उतार दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी।कुछ देर बाद वो मुझे बिस्तर पर ले गई और सीधी लेट गई। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके बूब्स दबाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी निप्पल मुँह में ली और चूसने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी। फिर उसने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत पर ले गई। उसकी चूत पर हल्की-हल्की झांटें थीं, और गुलाबी छेद साफ दिख रहा था। वो बोली, “चाट ले इसे, आसिफ। अपनी जीभ से इसका स्वाद ले। ये तुझे नई दुनिया दिखाएगी।”मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसका नमकीन स्वाद मुझे भड़का रहा था। रोजा सिसकार रही थी, “आहा… आसिफ, ऐसे ही चाट… सीस… ओह माँ… तेरी जीभ कमाल है… मेरे पति से कुछ नहीं होता। सात साल हो गए, आज तक मेरी चूत सही से नहीं चोद पाए।”मैं हैरान था कि रोजा सर की बीवी थी, और सर मुझे अपनी ही बीवी चुदवाने लाए थे। लेकिन मैं चुप रहा और उसकी चूत चाटता गया। फिर वो 69 की पोजीशन में आई और मेरा लंड चूसने लगी। उसका चूसना इतना मस्त था कि मैं सातवें आसमान पर था। करीब 15-20 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूसते रहे। फिर वो मुतने गई, और मैं भी साथ गया। हमने बाथरूम में एक साथ पेशाब किया। रोजा ने मेरा लंड साबुन से धोया और अपनी चूत भी साफ की।वापस बेड पर आए। मेरा लंड थोड़ा ढीला हो गया था। रोजा ने एक पेग बनाया, उसमें से चुस्की ली और मुझे दी। फिर उसने गिलास में मेरा लंड डुबोया और चूसने लगी। मेरा लंड फिर से तन गया। वो मेरे सुपाड़े और अंडकोष को बारी-बारी चूस रही थी। मैंने उसे पीछे से पकड़ा और उसके बूब्स जोर-जोर से दबाने लगा। वो कराह रही थी, लेकिन मजा ले रही थी। मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड रगड़ा। मेरा लंड गर्म होकर तप रहा था।रोजा से अब रहा नहीं गया। उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया। उसने कहा, “धीरे-धीरे धक्के मार, आसिफ।” जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में गया, मुझे गर्माहट का अहसास हुआ। चूत का मजा गांड से कहीं ज्यादा था। मैंने लंड पूरा अंदर उतार दिया और चोदने लगा। रोजा के बूब्स उछल रहे थे, और मैं उन्हें चूस रहा था। वो मुझे लिप-किस कर रही थी। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “हाँ… आसिफ… चोद मुझे… फाड़ दे मेरी चूत… आहा… सीस… उह… माँ… और जोर से…”मैंने रफ्तार बढ़ा दी। मेरा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। रोजा की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और गर्म हो रहा था। उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं। मैंने उसके बूब्स को मसलना जारी रखा, और वो मेरे कंधों को नाखूनों से खुरच रही थी। उसकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह… आसिफ… मेरी चूत फाड़ दे… तेरा लंड कमाल है… और जोर से… उह… माँ… चोद दे मुझे…”मैंने उसे कुतिया की तरह घुमाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। उसकी गांड मेरे सामने थी, और मैं उसे थप्पड़ मार रहा था। हर थप्पड़ के साथ उसकी गांड लाल हो रही थी, और वो और जोर से सिसकार रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से धक्के मारे। उसकी चूत से रस टपक रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। करीब 25 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी मिशनरी, कभी डॉगी, कभी उसे मेरे ऊपर बिठाकर। वो हर धक्के के साथ चिल्ला रही थी, “हाँ… मेरे राजा… चोद… मेरी चूत तेरी है… फाड़ दे इसे…”आखिरकार मेरा लंड झड़ने को हुआ। मैंने पूछा, “रोजा, कहाँ निकालूँ?” उसने कहा, “अंदर ही छोड़ दे, मेरे राजा। मेरी चूत को तेरे माल से भर दे।” मैंने पूरी ताकत से आखिरी धक्के मारे, और मेरा लंड फव्वारे की तरह झड़ गया। उसकी चूत मेरे माल से भर गई। मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया, और वो मेरे सीने से चिपक गई। हम दोनों पसीने से तर थे, लेकिन संतुष्ट थे।थोड़ी देर बाद रोजा उठी, मेरे लंड को फिर से चूमा और बोली, “आसिफ, तूने तो मेरी चूत की प्यास बुझा दी। तेरे सर ने कभी इतना मजा नहीं दिया।” मैंने हँसकर कहा, “रोजा, तू भी तो कमाल की माल है।” हम दोनों हँसने लगे। फिर हमने बाथरूम में जाकर एक साथ नहाया। वो मेरे लंड को फिर से सहलाने लगी, और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। लेकिन तभी सर की कार की आवाज आई। रोजा ने कहा, “अब तू तैयार हो जा, वरना सर को शक हो जाएगा।”हमने कपड़े पहने और बाहर आए। सर सामान लेकर आए थे और मुस्कुराते हुए बोले, “क्या बात है, आसिफ? मजा आया?” मैंने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया। रोजा ने मेरी तरफ देखकर आँख मारी और बोली, “फिर आना, मेरे राजा।” मैंने मन ही मन सोचा, ये चूत का स्वाद ऐसा था कि अब मैं बार-बार आऊँगा।हम कार में बैठे, और सर मुझे वापस कॉन्वेंट छोड़ गए। रास्ते में वो बोले, “आसिफ, रोजा मेरी बीवी है। लेकिन मैं चाहता हूँ कि वो खुश रहे। तूने आज उसे वो सुख दिया, जो मैं नहीं दे पाया।” मैं चुप रहा, लेकिन मन में सोच रहा था कि ये मौका फिर से चाहिए। उस रात मैंने रोजा की चूत के बारे में सोचकर फिर मुठ मारी और सो गया।
Hello bhai
Aaj kal badi age ki aourate ladko se khoob chudwati hai