मेरा नाम सोनिया विश्नोई है, मैं 25 साल की हूँ, और एक छोटे से गाँव में रहती हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, लंबे काले बाल, गोरी रंगत, और आँखें जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेती हैं। मैं पढ़ाई में मस्त रहती हूँ, और अभी तक नौकरी नहीं मिली, इसलिए अक्सर अपनी दोस्तों के पास चली जाती हूँ। मेरी सबसे पक्की दोस्त माया सिंह शेखावत, 23 साल की, एक नर्स है, जो चूरू के पास हाईवे पर एक गाँव के हॉस्पिटल में काम करती है। माया का फिगर 32-26-34 है, उसकी हल्की भूरी आँखें और मुलायम गोरी त्वचा हर किसी को दीवाना बना देती है। वो चुलबुली, हँसमुख, और थोड़ी शरारती है, लेकिन उसकी समझदारी उसे सबसे अलग बनाती है। मेरी दूसरी दोस्त सुषमा ढाका, 26 साल की, उसी गाँव में स्कूल टीचर है। सुषमा का फिगर 36-30-38 है, उसकी भारी-भरकम चूचियाँ और मोटी गाँड देखकर कोई भी बेकाबू हो जाए। वो थोड़ी गंभीर है, लेकिन जब बात चुदाई की आती है, तो उसकी आँखों में वही भूख दिखती है जो हम तीनों में कॉमन है।
हम तीनों का फिगर इतना लाजवाब था कि गाँव के मर्द हमें देखकर बस लार टपकाते रहते थे। माया और मैं तो बचपन से एक-दूसरे की चूत में उंगली डालकर पानी निकाल लेते थे। माया, नर्स होने के नाते, हमें ऐसी एक्सरसाइज बताती थी जिससे हमारी चूत और गाँड टाइट रहती थी। वो कहती थी, “चूत को टाइट रखने के लिए चूतड़ों की मालिश बहुत जरूरी है।” हम एक-दूसरे के चूतड़ तेल से मालिश करते थे, लेकिन माया क्रीम से मालिश करवाती थी, जिससे उसकी पैंटी के अंदर का हिस्सा इतना मुलायम और गोरा हो गया था कि देखकर लंड खड़ा हो जाए। हमारे गाँव से एक टैक्सी चलती थी, जो माया और सुषमा को उनकी ड्यूटी पर छोड़ती थी, और मैं भी कभी-कभी उनके साथ उस टैक्सी में चली जाती थी।
टैक्सी ड्राइवर रेहान, 20-21 साल का, पतला-दुबला, लेकिन एकदम गोरा और लंबा लड़का था। उसका चेहरा ऐसा था कि कोई भी लड़की उसे हीरो समझ ले। हम उसे छेड़ते थे, और वो शर्म के मारे लाल हो जाता था। एक दिन सुषमा ने टैक्सी में बैठते वक्त उसके जांघ पर, उसके औजार के बिल्कुल पास, चिकोटी काट दी। रेहान तो पागल हो गया, टैक्सी चलाते-चलाते उसका लंड पैंट के अंदर फड़फड़ाने लगा, और उसकी साँसें तेज हो गईं। पैंट के ऊपर से ही साफ दिख रहा था कि उसका नाग 9.25 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा होगा। माया ने तो पक्का अनुमान लगा लिया था, क्योंकि वो हॉस्पिटल में डॉक्टर के साथ चेकअप के दौरान लंड और चूत देख-देखकर एक्सपर्ट हो गई थी। वो कहती थी, “पतला लड़का हो, तो उसका लंड लंबा और मोटा होता है।”
नवंबर 2014 के आखिरी हफ्ते में हम तीनों ने प्लान बनाया कि रेहान का लंड ही हमारी बदन की आग बुझाएगा। उस चिकोटी वाली घटना के बाद रेहान भी अब कम शर्माता था। माया और सुषमा ने एक दिन की छुट्टी ली, लेकिन घर पर किसी को नहीं बताया। हम तीनों टैक्सी से शहर आए और एक कमरा किराए पर लिया। माया ने पहले से ही चुदाई के लिए कंडोम, क्रीम, और तेल का इंतजाम कर लिया था। वो सबसे छोटी थी, लेकिन चुदने के लिए सबसे ज्यादा उत्साहित भी वही थी। सुषमा ने रेहान को फोन करके कहा कि हॉस्पिटल और स्कूल की बजाय हमें उस गली में ले जाए जहाँ हमारा कमरा था। रेहान ने पूछा, “आज ड्यूटी नहीं जाना?” हमने कहा, “नहीं, आज हमें यहीं रहना है, कल सुबह जल्दी ड्यूटी है।”
रेहान ने कहा, “फिर तो मैं टैक्सी को सर्विस के लिए दे देता हूँ।” हमारे कमरे की गली के पास ही टैक्सी सर्विस सेंटर था, जहाँ वो अपनी गाड़ी ठीक करवाता था। उसने हमें कमरे पर छोड़कर टैक्सी सर्विस के लिए दे दी। फिर सुषमा ने रेहान को फोन किया, “हमारे कमरे की चाबी खो गई है, लॉक तोड़ने में मदद करो।” हम तीनों मन ही मन इतनी उत्साहित थीं कि आज रेहान आएगा, और फिर पता चलेगा कि कितने ताले टूटेंगे। रेहान 10 मिनट में एक लोहे की रॉड लेकर आ गया और एक ही झटके में ताला तोड़ दिया।
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माया तेजी से कमरे में गई और अपने कपड़े बदलने लगी—ये सब हमारा प्लान था। मैंने ताला तोड़ते वक्त उंगली में चोट लगने का बहाना बनाया और रेहान को क्रीम लाने के लिए अंदर भेजा। मेरे दर्द के नाटक में फंसकर वो भागता हुआ कमरे में गया। वहाँ उसने खिड़की पर रखी क्रीम देखी, और उसी वक्त माया को पीछे से पूरी नंगी देख लिया। साथ ही, खिड़की पर रखे कंडोम और तेल भी उसकी नजर में आ गए। उसने मेरी उंगली पर क्रीम लगाई, लेकिन मैंने देखा कि उसका लंड पैंट के अंदर टाइट हो गया था। वो हमारे इरादे समझ गया और मन ही मन उत्साहित हो गया।
हम सब कमरे में बैठ गए। रेहान को पानी दिया, तो उसने एक ही साँस में पूरी ग्लास गटक ली। सुबह के 11:15 बजे थे, और हमारा कमरा गली के आखिरी छोर पर था, जहाँ कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था। सुषमा ने कमरे को अंदर से बंद कर दिया। मैं और सुषमा किचन में गए, जहाँ से रेहान को सब कुछ दिख रहा था। माया ने घुटनों से ऊपर तक स्कर्ट पहनी थी, और पैंटी तो थी ही नहीं। वो रेहान के सामने टाँगें फैलाकर बैठ गई, जिससे उसकी गदराई, गुलाबी चूत रेहान को साफ दिख रही थी। सुषमा और मैं चाय बनाने लगे, क्योंकि रेहान आज हमारा खास मेहमान था।
मैंने चाय रेहान के सामने रखी और वापस मुड़ते वक्त जानबूझकर लड़खड़ाकर उस पर गिर गई। मेरा हाथ उसके लंड पर गया, और उसका हाथ मेरी चूत पर। हमने एक-दूसरे को कसकर पकड़ लिया। फिर तो हम तीनों—माया, सुषमा, और मैं—रेहान पर भूखी शेरनियों की तरह टूट पड़ीं। उसकी टी-शर्ट और पैंट उतार दी। रेहान ने मेरी पैंटी को एक झटके में मेरी टाँगों से अलग कर दिया। सुषमा भी पूरी नंगी हो गई। माया की स्कर्ट को रेहान ने उतार फेंका।
मैंने रेहान की अंडरवियर उतारी और उसका लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसका लंड वाकई 9.25 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा था, बल्कि उसका टोपा तो और भी मोटा था। उसका लंड इतना सुडौल था कि देखकर ही चूत में आग लग जाए। टोपे की स्किन गायब थी, जिससे लंड का शेप और भी आकर्षक लग रहा था। रेहान ने माया की चूत चाटना शुरू किया, और सुषमा ने मेरी गाँड चाटनी शुरू कर दी। रेहान ने अपनी दो उंगलियाँ सुषमा की चूत में डाल रखी थीं, और दूसरे हाथ से बारी-बारी हम तीनों के निप्पल मसल रहा था। उसने अपनी जीभ से पहले हमारी चूत चाटी, फिर गाँड। हम तीनों ने बारी-बारी उसके लंड को चूसा। मैं तो इतनी पागल हो गई कि उसके लंड और जांघों पर काटकर निशान बना दिए। तभी रेहान ने अपने लंड का टोपा मेरे मुँह में पूरा डालकर धक्के मारे, और उसका रस मेरे मुँह में फव्वारा बनकर छूट गया, जिसे मैंने पूरा गटक लिया।
मैं रेहान से अलग हुई और उसके लंड पर क्रीम लगाकर मालिश करने लगी। लंड फिर से फड़फड़ाने लगा। अब उसने माया को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चूत और गाँड पर रगड़ने लगा। माया पागल हो रही थी—वो लंड इतना लंबा, मोटा, और टाइट था, और उसका टोपा तो लंड से भी ज्यादा मोटा और गुलाबी-लाल रंग का था। हम तीनों ने मिलकर उसके लंड को चूसा, तब जाकर एक घंटे बाद उसने फिर से मेरे मुँह में फव्वारा छोड़ा।
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रेहान ने माया की गाँड और चूत पर लंड रगड़-रगड़कर पूरा निरीक्षण किया, फिर उसकी गोरी, गदराई चूत के होंठों को अलग करके अपने लंड को उसमें धर दिया। उसने माया की टाँगें अपने कंधों पर रखीं और जोर से धक्का मारा। माया जोर से चीख पड़ी, और उसकी चूत से खून निकलने लगा। सुषमा और मैंने उसके मम्मे दबाने शुरू किए। रेहान ने थोड़ा रुककर फिर 2-3 धक्के मारे, तो उसका लंड जड़ तक माया की चूत में समा गया। माया की आँखें फट गई थीं। हमने उसे धीरे-धीरे सहलाया, उसके चूतड़ों पर क्रीम लगाकर मालिश की, तो वो “आह्ह्ह… ऊऊऊ…” की सिसकारियाँ भरने लगी और रेहान के साथ मजा लेने लगी। रेहान ने उसकी चूत को रगड़ते हुए उसके चूतड़ पर जोर से मारा, जिससे चूतड़ लाल हो गया। उसने कहा, “सबसे पहले तूने ही चूत दिखाई थी, तो सबसे पहले तेरा ही ताला तोड़ूँगा।” अचानक रेहान और माया के शरीर में अकड़न आई, रेहान 100 की स्पीड से धक्के मार रहा था, और माया भी चूतड़ों से जोर-जोर से झटके दे रही थी। दोनों सिसकारियाँ भरते हुए झड़ गए। रेहान का रस माया की चूत में, और माया की चूत का पानी बाहर फैल गया, जिसमें खून भी मिला हुआ था।
अब सुषमा ने रेहान के लंड पर क्रीम लगाकर मालिश की, और मैंने उसकी पीठ और जांघों पर तेल लगाया। माया आगे से रेहान को चाट रही थी। हमने उसकी पूरी बॉडी को चाटा और तेल से मालिश की। सुषमा तो उसके लंड को चूस-चूसकर फिर से तैयार कर रही थी। रेहान का लंड फिर से फड़फड़ाने लगा। उसने सुषमा को गोदी बनाकर डॉगी स्टाइल में लिया, लंड को उसकी गाँड और चूत पर रगड़ा, और अचानक टोपा सुषमा की चूत पर लगाकर 2-3 धक्के मारे। उसका लंड जड़ तक सुषमा की चूत में समा गया। करीब 15 मिनट तक रगड़ने के बाद वो रुका, लंड बाहर निकाला, और फिर से सुषमा की चूत को चोदना शुरू किया। दोनों अकड़कर झड़ गए।
उन दोनों की चुदाई देखकर मुझे लगा कि माया और सुषमा तो चुदाई में एक्सपर्ट थीं, जिन्होंने इतने बड़े लंड को झेल लिया। माया की तो चूत फट गई थी, लेकिन मेरा हाल तो और भी बुरा होने वाला था, क्योंकि मेरी चूत में उंगली के अलावा कुछ नहीं गया था। माया तो गाजर और मूली की शौकीन थी, और सुषमा मोमबत्ती इस्तेमाल करती थी—ये माया ने ही बताया था। लेकिन असली चुदाई तो पहली बार ही थी। सुषमा ने शायद पहले कोई छोटा-मोटा लंड लिया होगा, लेकिन उसकी चूत पर इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा था। असल में उसकी चूत का ताला भी रेहान ने ही खोला था।
अब मैंने रेहान के लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। वो फिर से फड़फड़ाने लगा। मैं सोचने लगी कि रेहान क्या खाता है, जो इतना पतला होने के बावजूद दो चूतें फाड़ चुका है और मुँह में भी रस पिला चुका है। तभी माया और सुषमा ने मुझे पकड़ लिया और मेरे मम्मे बेरहमी से दबाने लगीं। मेरे चूतड़ों पर मार-मारकर लाल कर दिया। मैं लेस्बियन नहीं थी, लेकिन वो दोनों थीं। ये देखकर मैं और डर गई, क्योंकि रेहान के लंड से पहले ही मेरी फटी पड़ी थी। माया और सुषमा कह रही थीं, “राजा, इसे अच्छे से चोदो, ये बहुत नखरे करती है।” ये सुनकर रेहान को जोश आ गया, और वो बोला, “सोनिया की चूत और गाँड, दोनों का ताला तोड़ूँगा।”
मैं उनके इरादे समझ गई थी, लेकिन क्या कर सकती थी? मैं अकेली थी, और वो तीनों एक हो गए थे। फिर भी, मैं उत्साहित थी कि आज मेरा राजा रेहान मेरी चूत और गाँड का ताला कैसे तोड़ेगा। माया और सुषमा ने मेरे हाथ-पैर पकड़कर मुझे गोदी बनाया। माया ने रेहान का लंड पकड़कर कभी मेरी गाँड पर, कभी चूत पर, तो कभी मेरे मुँह में रगड़ना शुरू किया। फिर मुझे सीधा लिटाकर रेहान को मेरे ऊपर चढ़ा दिया। उल्टा लिटाकर उसने अपना लंड मेरी गर्दन से लेकर चूतड़ और जांघों तक रगड़ा। फिर डॉगी स्टाइल में लाकर मेरी पूरी बॉडी पर लंड रगड़ा। रेहान के 9.25 इंच लंबे और 3.5 इंच मोटे लंड की रगड़ से मेरी चूत और गाँड पहले ही डर से फट रही थी। उसका टोपा तो और भी मोटा था, गुलाबी-लाल रंग का, जिस पर स्किन भी नहीं थी।
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अचानक रेहान ने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के होंठों के बीच रखा। मैं सिहर उठी। उसने जोर से धक्का मारा, लेकिन टोपा फिसलकर गाँड की तरफ चला गया। मेरी गाँड अंदर से गुदगुदाने लगी, हालाँकि टोपा अंदर नहीं गया था। माया और सुषमा ने मेरा ध्यान भटकाने के लिए मेरे चूतड़ और निप्पल की मालिश और चूसना शुरू कर दिया। रेहान तो मेरे फिगर पर फिदा हो गया था। वो बड़बड़ाने लगा कि ऐसा फिगर तो उसकी कजिन रुखसाना का भी है, जिसने मम्मे दबवाने के अलावा और कुछ नहीं करवाया। रेहान ने मुझे बातों में उलझाकर लंड का टोपा मेरी गाँड पर रखा और जोर से झटका दिया, लेकिन लंड फिसलकर चूत की तरफ चला गया, पर अंदर नहीं गया। हम दोनों हैरान और उत्साहित थे।
माया और सुषमा मेरे नखरों का बदला मेरी चूत और गाँड फड़वाकर लेना चाहती थीं। माया ने मेरी चूत और गाँड पर एक खास तेल और क्रीम मिक्स करके लगाया, जिससे मुझे हल्की जलन के साथ गुदगुदी और उत्तेजना बढ़ गई। मैं रेहान के लंड का टोपा अपनी चूत और गाँड में लेने के लिए तड़पने लगी। मैं बड़बड़ाने लगी, “हाय, मेरी चूत और गाँड को सर्जिकल चाकू से चीर दो, लेकिन रेहान का टोपा अंदर डाल दो।” मैं रेहान से विनती करने लगी, “मेरे राजा, मैं जिंदगी भर तेरी दासी बन जाऊँगी, बस मेरी चूत और गाँड फाड़कर टोपा अंदर डाल दे।” माया ने तेल और क्रीम मिक्स करके रेहान के लंड पर लगाया, तो मेरा शेर और राजा अपने लंड का टोपा मेरी चूत और गाँड पर तेजी से रगड़ने लगा।
अचानक रेहान ने लंड का टोपा मेरी चूत के होंठों के बीच एक सेकंड के लिए रोका और पूरी ताकत से जोश में धक्का मारा। उसका टोपा मेरी चूत को फाड़कर अंदर जाकर फंस गया। मैं जोर से चीखी, संभलने की कोशिश की, लेकिन बेबस थी। माया और सुषमा ने मेरे हाथ पकड़ रखे थे, और मेरे पैर 180 डिग्री तक फैलाए हुए थे। मैं बेहोश हो गई। लंड का टोपा अंदर फंस गया था, जैसे कुत्ता और कुतिया फंस जाते हैं। थोड़ी देर बाद मुझे होश आया, तो माया ने मेरा खून साफ किया और कुछ लगाया, लेकिन टोपा बाहर नहीं निकला था।
माया ने मेरी चूत और गाँड पर ठंडा-ठंडा क्रीम जैसा कुछ लगाया, और रेहान के लंड के बाहर वाले हिस्से पर भी कुछ लगाया। रेहान ने फिर से पोजीशन बनाकर जोरदार झटका दिया, तो लंड और अंदर चला गया। मैं दर्द से तड़प रही थी। सुषमा ने मेरी गाँड में उंगली डालकर रगड़ना शुरू किया, और माया मेरी चूत और रेहान के लंड के आसपास क्रीम लगाकर हमारी चुदाई को अंजाम तक पहुँचाने में लगी थी। तभी रेहान ने एक और धक्का मारा, तो उसका लंड पूरा मेरे अंदर समा गया। मुझे अब मजा आने लगा। मेरी आहें और सिसकारियाँ सुनकर रेहान समझ गया और चोदने की स्पीड बढ़ाने लगा। सुषमा मेरी गाँड में उंगलियाँ डालकर उसे भी चुदने के लिए तैयार कर रही थी। रेहान ने स्पीड बढ़ाई, तो मेरे शरीर में अकड़न आने लगी, और मेरा पानी बाहर फैल गया। मैं पागल हो गई। तभी रेहान भी जोर-जोर से धक्के लगाते हुए झड़ गया, और उसका रस मेरी चूत में भर गया। कुछ देर तक हम चिपके रहे, फिर रेहान ने लंड बाहर निकाला। टोपा फंस गया था, लेकिन एक झटके के साथ बाहर निकला, और वो मेरे पास ही निढाल होकर लेट गया।
10 मिनट तक कोई नहीं बोला, क्योंकि माया और सुषमा भी आपस में उंगली करके हमारे साथ-साथ फिर से झड़ गई थीं। रेहान बहुत थक गया था, लेकिन हम तीनों की गाँड अभी भी उसके लंड की प्यासी थी। रेहान वहीँ लेटा रहा, और हम तीनों उसे सहलाने लगे। पहले उसकी पूरी बॉडी को तौलिये से पोंछा, फिर सिर से पैर तक चाटा। तेल से हल्की मालिश की, तो हमारा राजा फिर से तैयार होने लगा। हम तीनों उसके सामने गोदी बन गईं। रेहान अपने मोटे, ताजे, और फड़फड़ाते लंड के साथ फिर से तैयार था। हमारी गाँड के ताले अभी बंद थे। हम तीनों ने एक-दूसरे की गाँड में क्रीम लगाकर उंगलियों से तैयार किया, और रेहान का लंड बारी-बारी हमारी गाँड पर रगड़ रहा था। बीच-बीच में वो चूत को भी निशाना बना रहा था।
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रेहान ने माया और सुषमा की गाँड 15-15 मिनट तक मारी, तो वो दोनों गाँड मरवाने से फिर से झड़ गईं। उनकी चूत का पानी भी निकल गया, जो मेरे लिए हैरानी की बात थी। अब वो दोनों मेरी गाँड फड़वाने में रेहान के साथ हो गईं। मेरे चूतड़ और चूत के होंठों पर क्रीम से मालिश करने लगीं। मेरी गाँड के छेद पर क्रीम लगाई, जो उंगली के साथ अंदर जा रही थी। मुझे गुदगुदी हो रही थी, और मेरी गाँड भी ताला तुड़वाने के लिए तैयार थी। रेहान फिर से अपने लंड के साथ तैयार था। उसने टोपा मेरी गाँड पर रखा, तो मैं थम-सी गई।
माया और सुषमा ऐसी हूटिंग कर रही थीं, जैसे कोई क्रिकेट मैच चल रहा हो। रेहान ने अपने लंड का टोपा मेरी गाँड के छेद पर टिकाया, अपने मुँह से ढेर सारा थूक लगाया। माया की उंगली से मेरी गाँड थोड़ी खुली थी, लेकिन रेहान का टोपा अंदर नहीं गया। उसका लंड का टोपा ही सबसे बड़ी खासियत और समस्या था। वो जब चूत और गाँड में जाता था, तो सब फाड़ देता था। लेकिन हर लड़की यही टोपा अपनी चूत और गाँड में लेना चाहती थी। माया ने एक खास तेल लगाया, जिससे हमें दोनों को मजा आने लगा। मैं चिल्लाई, “राजा, मेरी गाँड फाड़ दे!” रेहान ने टोपा मेरी गाँड के छेद पर रखा, दो लंबी साँसें लीं, और जोर का झटका दिया। टोपा मेरी गाँड में जाकर फंस गया। मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया।
थोड़ी देर बाद मैं थोड़ा नॉर्मल हुई, तो रेहान ने 2-3 और झटके लगाए। मेरी गाँड का ताला नहीं, पूरा दरवाजा टूट गया। मुझे लगा जैसे चूत और गाँड एक हो गए हों। रेहान रुकने का नाम नहीं ले रहा था, और मुझे भी मजा आने लगा। 25-30 मिनट बाद उसका फव्वारा मेरी गाँड में छूटा। माया मेरी चूत में उंगली कर रही थी, जिससे मेरी चूत का पानी पिचकारी की तरह बाहर निकला, जिसे माया ने पी लिया। रेहान ने मुझे “रानी” कहते हुए जोर से पकड़ा और 10 मिनट बाद लंड बाहर निकाला। मेरी खुली गाँड से उसका रस बाहर निकल रहा था, जिसे माया और सुषमा ने चाट लिया।
शाम के 5 बज गए थे, और हम रेहान को जाने नहीं देना चाहती थीं। उसने 5-6 घंटे में हमारी चूत और गाँड की प्यास बुझाई थी, और हमने भी उसे अपनी चूत का पानी पिलाया था। रेहान को हमने “राजा” कहना शुरू कर दिया था। दो महीने बाद सुषमा की शादी हो गई, लेकिन रेहान ने मुझे और माया को फिर से चोदा। अब वो हमें चोदता है, और हम भी चुदने का मौका नहीं छोड़तीं। माया से मेरी लड़ाई हो गई, क्योंकि मैं रेहान से शादी करना चाहती हूँ, लेकिन माया को डर है कि अगर मैंने शादी कर ली, तो वो रेहान के लंड से वंचित हो जाएगी। आज माया मेरी सबसे बड़ी दुश्मन है। उस पहली चुदाई को 9 महीने होने को हैं, लेकिन वो आज भी ऐसी याद है जैसे रेहान ने अभी-अभी हमें चोदा हो। सुषमा अपने पति के साथ खुश है, लेकिन रेहान के लंड की याद उसे बहुत सताती है। वो जब गाँव आती है, तो मुझसे रेहान से चुदने की रिक्वेस्ट करती है।
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