बहकती बहू-17
Bahu ki shuhagrat Sasur ke sath – कहानी का पिछला भाग: बहकती बहू-16 काम्या की टाँगें हवा में थीं, और उसके जाँघों के बीच का जन्नत का नजारा मदनलाल की आँखों के सामने चमक रहा था। उसका मुँह लार से भर गया, मानो कोई भूखा शेर रसीले मांस को देख रहा हो। लेकिन इस बार …