स्नेहा भाभी की चूत में मेरा लंड

मेरा नाम जय है, उम्र 23 साल, लंबाई 5 फीट 10 इंच, गोरा रंग, और एक ऐसा लंड जो 7 इंच का है और हर औरत की चूत में आग लगाने के लिए तैयार रहता है। मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हूँ, जो अपने गाँव से शहर पढ़ाई के लिए आया था। मेरी बॉडी एथलेटिक है, क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ और अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखता हूँ। मेरा दोस्त राजेश, 24 साल का, थोड़ा मोटा, लेकिन दिल का बहुत अच्छा इंसान है। वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था और मैं उसके घर पर किराएदार की तरह रहता था। राजेश की माँ उर्मिला भाभी, 38 साल की, गेहुँआ रंग, भरे हुए बदन वाली, बड़े-बड़े दूध और मोटी गांड वाली औरत थीं, जिनके साथ मेरा पहले से ही चक्कर चल रहा था। उनकी बेटी रिमी, 19 साल की, पतली कमर, छोटे-छोटे दूध और चुलबुली सी लड़की थी, जिसे मैंने भी कई बार चोदा था। लेकिन आज की कहानी स्नेहा भाभी की है, जो मेरे सपनों की रानी थी। स्नेहा भाभी, 22 साल की, गोरी-चिट्टी, 34-28-36 की फिगर, लंबे काले बाल, होंठों के पास एक काला तिल जो उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगाता था। उनकी आँखें ऐसी थीं कि किसी का भी लंड खड़ा कर दें। उनका 2 साल का बच्चा था, और उनके पति, 40 साल के, एक शराबी और रंडीखाने का आदी इंसान, जो स्नेहा भाभी को कभी प्यार नहीं दे पाया।

जब मैं पहली बार राजेश के घर गया, तो बाहर स्नेहा भाभी को देखा। वो साड़ी में थीं, लाल ब्लाउज, जिसके नीचे से उनकी ब्रा की लाइन साफ दिख रही थी। उनकी चाल ऐसी थी कि उनके दूध हिलते हुए मेरे लंड में आग लगा रहे थे। मैंने उसी वक्त ठान लिया कि एक दिन इस चूत को जरूर चोदूंगा। लेकिन स्नेहा भाभी बहुत शर्मीली थीं। जब भी मैं उन्हें देखता, वो सिर झुकाकर अपने फ्लैट में चली जाती थीं। उनके पति और राजेश के पापा एक ही ऑफिस में काम करते थे और दोनों शराब के गुलाम थे। रात को देर से घर आते, नशे में धुत, और रंडियों के पास जाकर अपनी हवस मिटाते। स्नेहा भाभी की शादी को दो साल हुए थे, लेकिन उनके पति ने उन्हें कभी ठीक से चोदा नहीं। शुरू में महीने में एक-दो बार, वो भी नशे में, और बच्ची के जन्म के बाद तो उन्होंने स्नेहा भाभी को हाथ तक नहीं लगाया। बेचारी स्नेहा भाभी अपनी जवानी की आग में जल रही थीं, लेकिन कोई उनके दुख को समझने वाला नहीं था।

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उर्मिला भाभी ने मुझे बताया कि स्नेहा भाभी ने उनसे अपने दिल का हाल साझा किया था। वो अपने पति से प्यार और चुदाई की भूखी थीं। ये सुनते ही मेरे दिमाग में लड्डू फूटने लगे। मैंने उर्मिला भाभी से कहा, “भाभी, आप उनकी मदद करो, मुझे उनके साथ मौका दो।” उर्मिला भाभी हंस पड़ीं और बोलीं, “जय, अगर तू स्नेहा की चूत की आग बुझा दे, तो उस बेचारी की जिंदगी में भी कुछ रंग आ जाएंगे। बस, हमें माँ-बेटी को मत भूल जाना।” मैंने हंसकर कहा, “भाभी, आप दोनों मेरी जान हो, आपको कैसे भूल सकता हूँ?” इसके बाद उर्मिला भाभी और रिमी ने मिलकर स्नेहा भाभी को मेरे बारे में बताना शुरू किया। रोज मेरी तारीफें, मेरी मर्दानगी की बातें, और ये कि मैं कितना अच्छा लड़का हूँ। धीरे-धीरे स्नेहा भाभी का मेरे प्रति रवैया बदला। पहले वो मुझे देखकर भागती थीं, लेकिन अब मुस्कुराने लगीं।

एक दिन उर्मिला भाभी ने स्नेहा भाभी को मेरे सामने लाकर हमारी बात करवाई। स्नेहा भाभी शर्म से सिर झुकाए मेरे साथ हल्की-फुल्की बातें करने लगीं। उनकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी, जो मेरे लंड को और तड़पाती थी। धीरे-धीरे मैंने उन्हें छेड़ना शुरू किया। कभी उनकी साड़ी की तारीफ, कभी उनके बालों की, और कभी उनकी मुस्कान की। वो अब मेरे साथ हंसी-मजाक करने लगी थीं। उर्मिला भाभी ने एक दिन उनसे पूछा, “स्नेहा, जय कैसा लगता है तुझे? अगर तू कहे तो मैं इसे तेरे लिए पटा दूँ, तेरी चुदाई के लिए।” स्नेहा भाभी पहले तो डर गईं, लेकिन फिर मुस्कुराकर चली गईं। पिछले 8 महीनों से उनकी चूत में आग लगी थी, और अब वो भी इस मौके को नहीं छोड़ना चाहती थीं।

एक दिन मैंने हिम्मत करके उनके घर चला गया। उनके पति ऑफिस गए थे, और उनकी बेटी सो रही थी। स्नेहा भाभी मुझे देखकर समझ गईं कि उर्मिला भाभी ने मुझे भेजा है। मैंने उनसे इधर-उधर की बातें शुरू कीं। बातों-बातों में मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। वो डर गईं और हाथ छुड़ाकर बेडरूम में चली गईं। मैं उनके पीछे गया और उन्हें अपनी बाहों में भर लिया। उनके होंठों पर मैंने जोरदार किस किया। वो थोड़ा घबरा रही थीं, लेकिन मैंने उन्हें सोफे पर बिठाया और समझाया, “स्नेहा, तुम कुछ गलत नहीं कर रही हो। तुम्हारी जवानी का हक है कि तुम इसका पूरा मजा लो। मैं तुम्हें वो सुख दूंगा जो तुम्हारा पति तुम्हें कभी नहीं दे पाया।” मेरी बातों ने उनका डर कम किया।

मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके दूध दबाने शुरू किए। उनके दूध इतने भरे हुए थे कि ब्रा के बाहर उभर रहे थे। उनकी बेटी अभी दूध पीती थी, इसलिए उनके दूध भारी और नरम थे। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले और सफेद ब्रा के ऊपर से उनके भूरे निप्पल साफ दिख रहे थे। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनके दूध चूसने शुरू किए। तभी उनकी बेटी जाग गई और रोने लगी। स्नेहा तुरंत उठीं और बेड पर लेटकर अपनी बेटी को दूध पिलाने लगीं। मैं उनके पीछे लेटा, उनकी कमर पर हाथ रखकर उन्हें सहलाता रहा। उनकी बेटी सो गई तो स्नेहा ने उसे पालने में सुलाया और मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गईं।

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वो अपने सारे दुख रोने लगीं। बोलीं, “जय, मेरी सुहागरात को भी मेरे पति नशे में आए थे। उनकी सांसों से शराब की बदबू आ रही थी। उन्होंने मेरी घूंघट उठाई, मेरे चेहरे पर किस किया, और बिना मेरे कपड़े उतारे मेरी पैंटी खींचकर चोदने लगे। मेरा पहला बार था, मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं चिल्लाई, लेकिन वो नशे में थे, उन्हें कुछ नहीं पता था। 10-12 मिनट में वो झड़ गए और मेरी चूत में सारा माल छोड़कर बेहोश हो गए। मैं पूरी रात दर्द से तड़पती रही। इसके बाद भी वो मुझे कभी ठीक से नहीं चोद पाए। मैं प्रेग्नेंट हो गई, और फिर उन्होंने मुझे हाथ तक नहीं लगाया।” उनकी आँखों में आंसू थे। मैंने उनके माथे को चूमा और कहा, “अब मैं हूँ ना, स्नेहा। तुम्हें वो सुख दूंगा जो तुम्हें मिलना चाहिए।”

मैंने उन्हें अपने ऊपर लिटाया और उनके दूध चूसने लगा। वो मेरे लंड को सहलाने लगीं। फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतारे और मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट खोल दिया। उनकी चूत पर हल्के भूरे बाल थे, जो उनकी गोरी स्किन के साथ बहुत सेक्सी लग रहे थे। मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उनके मुँह से “शhhh अहhhh” की आवाज निकली। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लगता था जैसे कभी ठीक से चोदी ही नहीं गई। मैंने उनकी चूत के होंठ खोले, गुलाबी दीवारें दिखीं, और पानी टपक रहा था। मैंने उनकी चूत पर टूट पड़ा और चूसने लगा। वो मेरे बाल पकड़कर अपनी चूत में दबाने लगीं। उनकी चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। वो चिल्ला रही थीं, “ओहhh शhhh, जय, क्या कर रहे हो!” 5 मिनट चूसने के बाद वो चीखकर झड़ गईं और सारा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया।

मैंने उन्हें मेरा लंड चूसने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बोलीं, “मैंने कभी अपने पति का भी लंड नहीं चूसा।” मैंने उन्हें समझाया, “स्नेहा, इसे आइसक्रीम की तरह चूसो, मजा आएगा।” काफी मनाने के बाद उन्होंने मेरा लंड मुँह में लिया, लेकिन बार-बार निकाल देती थीं। मैंने कहा, “इसे चॉकलेट की तरह चूसो, पूरा मुँह में लो।” फिर वो धीरे-धीरे चूसने लगीं। उनका अजीब सा चूसना मुझे बहुत मजा दे रहा था। मैं उनकी चूत पर हाथ फेर रहा था, और मेरा लंड लोहे की रॉड बन गया था।

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मैंने स्नेहा को उठाया, बेड पर लिटाया, और उनके पैर फैलाकर उनकी चूत पर लंड रगड़ने लगा। वो बहुत सेंसिटिव थीं, मेरे छूते ही सिहर उठती थीं। मैंने उनकी चूत के होंठ खोले और लंड अंदर डालने की कोशिश की। लेकिन उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड बार-बार फिसल रहा था। मैंने थूक लगाकर जोर से धक्का मारा, लेकिन स्नेहा चिल्ला उठीं। मैं रुक गया और उनके मुँह को चूमकर चुप कराया। फिर मैं उनके ऊपर लेट गया और एक जोरदार धक्के के साथ आधा लंड उनकी चूत में घुसा दिया। वो तड़प उठीं, उनके नाखून मेरी पीठ में गड़ने लगे। मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिए और धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। उनकी चूत से खून निकलने लगा, शायद उनके पति ने कभी पूरा लंड नहीं डाला था। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और वो “शhhh अहhhh” करती रहीं।

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कुछ देर बाद मैंने पूरा लंड उनकी चूत में पेल दिया। वो दर्द से चीख पड़ीं, लेकिन मैंने उन्हें चूमकर शांत किया। उनकी चूत की गर्मी मेरे लंड को पागल कर रही थी। मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और अब स्नेहा भी मेरा साथ देने लगीं। वो मेरे शरीर पर हाथ फेर रही थीं, और हम दोनों चुदाई की मस्ती में डूब गए। कुछ देर बाद मैंने उन्हें उल्टा किया और उनकी गांड चोदने की बात की। वो डर गईं, बोलीं, शिक्षित करें।

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