Cheating Wife Sex Story – Dhokhebaz Biwi: मेरी शादी को दो साल बीत चुके हैं। इन दो सालों में मैंने अपनी जिस्मानी आग को बुझाने का हर मौका लिया। शादी के बाद मैंने अपनी चुदाई की प्यास को सबसे पहले पूरा किया। हर तरह से चुदवाया, जी हाँ, मेरी गाण्ड की भी खूब पिटाई हुई। सुनील, मेरा पति, मुझे बहुत प्यार करता था। मेरी हर अदा पर वो न्योछावर हो जाता था। मेरी चूत को चोद-चोद कर उसने जैसे कोई दरवाजा बना दिया था। अभी वो कनाडा छह महीने के लिए अपने किसी काम से गया हुआ था। शुरुआती कुछ दिन तो मैं ठीक रही, लेकिन फिर मेरी वासना ने मुझे बेचैन करना शुरू कर दिया। मैं पतिव्रता तो हूँ, पर चुदाई के मामले में नहीं। उस पर मेरा बस नहीं चलता। शादी का मतलब ये थोड़े है कि बस पति के साथ बंधकर रह जाओ? क्या मेरी अपनी कोई इच्छा नहीं? मेरे लिए शादी एक तरह का चुदाई का लाइसेंस है। ना कंडोम की जरूरत, ना प्रेगनेंसी का डर, बस पिल्स खाओ और मजे लो। मौका मिले तो दोस्तों से भी चुदवाओ, खूब लंड लो और मस्ती में रहो। इसे धोखा नहीं, आनंद कहते हैं। जब पति नहीं होता, तन्हाई में ये पल गुदगुदाते हैं। चुदाई की यादें आते ही चूत में पानी उतर आता है। पति तो पति है, वो तो जान से भी प्यारा है।
सुबह का वक्त था। मैं पार्क में जॉगिंग कर रही थी। तभी पीछे से विजय की आवाज आई, “अरे नेहा जी, गुड मॉर्निंग!” उसकी आवाज सुनकर मेरी तंद्रा टूटी। “हाय विजय, कैसे हो?” मैंने जॉगिंग करते हुए उसे हाथ हिलाकर जवाब दिया। “आप बताओ, कैसी हैं? थक गईं तो चलो, वहाँ घास पर बैठें?” उसने सामने की नर्म हरी घास की ओर इशारा किया।
मैंने विजय को गौर से देखा। काली बनियान और टाइट स्पोर्ट्स पजामा में वो बेहद स्मार्ट लग रहा था। कॉलेज के दिनों में वो हॉकी का शानदार खिलाड़ी था। उसका शरीर अब भी कसा हुआ, गठीला था। उसकी बाहों और जांघों की मांसपेशियां साफ उभरी हुई थीं। चिकना बदन, हमेशा मुस्कुराता चेहरा, उसकी खासियत थी। मैंने उसे निहारा, फिर हम दोनों घास पर बैठ गए। विजय ने योग शुरू कर दिया। मैं उसे देखती रही। उसकी मांसपेशियां हर आसन के साथ उभर रही थीं, उसकी ताकत का अहसास करा रही थीं। अचानक मेरे दिमाग में उसके लंड का ख्याल आया। कैसा होगा? मोटा, लंबा, तगड़ा, लाल सुपारा? मैं मुस्कुरा उठी। इतना सुपर जवान, मस्त शरीर, खूबसूरत, कुंवारा लड़का। मुझे लगा, ये तो मेरे लिए मुफ्त का माल है। कॉलेज में वो मेरा दोस्त था, मुझ पर लाइन मारता था, पर कभी हिम्मत नहीं हुई उसे मुझे प्रपोज करने की। मैंने ठान लिया, इसे छोडूंगी नहीं।
मैंने अपने टाइट्स और कसी हुई बनियान में अपने जिस्म के उभारों का जादू बिखेरा। मेरे गोल-मटोल चूतड़ों को देखकर वो जैसे पागल हो गया। मैंने जानबूझकर अनजान बनते हुए अपने चूतड़ उसके सामने घुमाए। बस, इतने में ही उसके पजामे में तंबू बन गया। उसका लंड साफ उभर रहा था। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “विजय, तुम तो कोने वाले मकान में रहते हो ना? मैं सुबह वहीं आ जाऊंगी, साथ जॉगिंग करेंगे।” मेरी तिरछी नजर ने एक और तीर मारा। वो बेचैन हो उठा।
हम जूस पी रहे थे। हमारी नजरें कुछ कह रही थीं। शायद दिल को दिल की राह मिल गई थी। मैं स्कूटी उठाकर घर चली गई। इसके बाद ये हमारा रोज का रूटीन बन गया। कुछ ही दिनों में हम घुलमिल गए। मेरे सेक्सी जलवे हर बार नए होते। विजय का हाल ऐसा हो गया कि मुझसे मिले बिना उसे चैन नहीं पड़ता था। उसका लंड मेरे कसे चूतड़ों और चिकनी चूचियों को देखकर फड़फड़ाता रहता। मैंने उसे पागल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक दिन मैंने लो-कट टाइट बनियान और छोटा स्कर्ट पहना, ऊपर से शॉल डाल लिया। सुबह छह बजे मैं उसके घर पहुंच गई।
विजय का कमरा खुला था। वो सो रहा था, मासूम सा लग रहा था। उसका गोरा, बलिष्ठ शरीर किसी को भी ललचा सकता था। मैंने शॉल उतारा। मेरी चूचियां बनियान से बाहर उभर रही थीं। मुझे खुद शर्मिंदगी महसूस हुई। विजय मेरी चूचियों को घूरता हुआ उठा और बाथरूम चला गया। पर उसका तना हुआ लंड मुझसे छिपा नहीं। “नेहा, एक बात कहना चाहता हूँ!” उसकी आवाज से मेरा दिल धड़क उठा। “कहो, क्या बात है?” मैंने शर्माते हुए पूछा। “आप बहुत अच्छी हैं… मतलब, आप मुझे अच्छी लगती हैं।” वो झिझक रहा था। “अरे, इसमें नई बात क्या है? तुम भी तो मुझे अच्छे लगते हो,” मैंने मासूमियत से कहा। “नहीं, मेरा मतलब… मैं आपको चाहने लगा हूँ।” उसके चेहरे पर पसीना था, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
“विजय, मैं शादीशुदा हूँ!” मैंने शर्माने का नाटक किया। “तो क्या हुआ? मुझे बस आपका प्यार चाहिए… दो पल का प्यार,” उसने हकलाते हुए कहा। “पर मैं पराई हूँ, विजय!” मैंने नीचे देखते हुए कहा।
उसने मेरी बांह पकड़ ली। उसका शरीर कांप रहा था। मैं भी सिमट रही थी। उसकी नजर मेरी चूचियों पर थी। उसने मेरी कमर में बांह डालकर मुझे कस लिया। “नेहा, पाप-पुण्य छोड़ो… तुम्हारा जिस्म आग है, मुझे जल जाने दो!” “छोड़ो ना, कोई देख लेगा… हाय, मैं मर जाऊंगी!” मैंने छुड़ाने की कोशिश की, पर मेरा दिल खुशी से फूल रहा था। मेरी चूचियां कड़क हो रही थीं। उसने मेरी चूचियों को भूखी नजरों से देखा। “लाजवाब हैं!” मैंने शॉल खींचकर चूचियां छिपाने की कोशिश की, शर्म से जमीन में गड़ रही थी। “हटा दो, यहाँ कौन देखेगा?” उसने शॉल हटाया। मेरी चूचियां बाहर छलक पड़ीं। “चुप! हाय राम… मैं शर्म से मर रही हूँ!” मैंने कहा, पर मेरे जिस्म में उत्तेजना की आग भड़क रही थी। “बस चुपके से प्यार कर लेंगे, किसी को पता नहीं चलेगा,” उसकी सांसें तेज थीं।
मैंने सर झुकाकर मुस्कुरा दिया। विजय मेरे जिस्म को भोगना चाहता था। उसने मुझे चूम लिया। “तुम क्या जानो, तुम्हारा हर अंग शहद से भरा है… बस एक बार मजे लेने दो!” “विजय, मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है… बदनाम ना हो जाऊं!” मैंने कहा। “जान दे दूंगा, पर तुम्हें बदनाम नहीं होने दूंगा,” उसने मेरी स्कर्ट उतारने की कोशिश की। मैंने खुद स्कर्ट उतार दी। वो मुझे ऊपर से नीचे तक देख रहा था, जैसे सपना हो। उसकी नजर मेरी लाल चड्डी में घुस रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने शरमाते हुए चड्डी की इलास्टिक नीचे खींची। मेरी चूत की झलक देखकर उसका लंड उछलने लगा।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैंने उसका लंड हाथ में लिया, उसकी चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगी। उसने मेरी चूत में एक उंगली डाल दी। उत्तेजना ऐसी थी कि उसका वीर्य निकल पड़ा, और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। “नेहा, ये क्या हो गया?” वो शरमाया। “छी… मेरा भी हो गया,” मैं शर्म से जमीन में गड़ गई। “ये तो हमारी बेकरारी थी,” उसने कहा। हम बाथरूम से बाहर आए। मैंने कपड़े समेटे, शॉल ओढ़ा, और दूध पीकर चल दी। “कल आऊंगी,” मैंने कहा। “मत जाओ, थोड़ा रुको!” वो लपककर मेरे पास आया। “मत रोको, विजय… अगर कुछ हो गया तो?” “होने दो, तुम्हें मेरी जरूरत है,” उसने मुझे बाहों में भरा। मेरी चूचियां उसके हाथों में मचल उठीं। उसका तौलिया गिर गया। मेरा शॉल भी ढलक गया। उसका हाथ मेरी बनियान में घुस गया। स्कर्ट खुल चुका था। मैं सिर्फ लाल चड्डी में थी।
मैं उससे छिटककर दूर हुई और चड्डी भी उतार दी। विजय नंगा था, उसका लंड तना हुआ था। मैं उसके लंड का स्वाद लेने के लिए बैठ गई। उसका सुपारा लाल, मनमोहक था। “नेहा, छी, ये गंदा है, मत करो!” “विजय, चुप रहो… ये मेरा पानी निकालने वाला है,” मैंने उसके लंड को चूसना शुरू किया। वो छटपटाने लगा। मैंने उसके मोटे, लंबे लंड को मसल-मसलकर चूसा।
“नेहा, बिस्तर पर चलो,” उसने कहा। हम बिस्तर पर थे, एक-दूसरे के जिस्म को सहला रहे थे। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था, मैं उसका लंड सहला रही थी। मेरी चूत गीली और गरम थी, लंड का इंतजार कर रही थी। मैंने चादर ओढ़ ली। विजय का लंड मेरी चूत में दबाव डाल रहा था। उसका मोटा सुपारा पहले तो अटक गया। मैंने जोर लगाया, और लंड फंसता हुआ घुस गया। “हाय… कितना मोटा!” मैंने कहा।
विजय का बलिष्ठ शरीर मेरे ऊपर जोर डाल रहा था। मेरी चूत की दीवारें लंड को रगड़ रही थीं। उसने लंड बाहर खींचा और फिर अंदर डाला। मैंने उसे जकड़ लिया। “आह्ह… विजय!” मैं चिल्लाई। चुदाई की रफ्तार बढ़ने लगी। मेरी चूचियां मसली जा रही थीं। मैंने टांगें फैलाईं, जैसे इंडिया गेट खुल गया हो। चादर कहीं गायब थी। विजय मेरी चूचियों को खींच रहा था, मुझे उत्तेजना की चोटी पर ले जा रहा था।
“विजय… आह्ह… मेरा निकलने वाला है!” मैंने उसे भींच लिया। “नेहा… मैं भी गया!” उसका लंड फूल गया। मेरी चूत कस गई, फिर पानी छूट गया। “आह्ह… हाय… बस कर!” मैं झड़ रही थी। विजय का लंड बाहर आया, और उसने वीर्य की पिचकारी मेरे जिस्म पर छोड़ी। मैंने वीर्य अपनी चूचियों और नाभि पर मल लिया।
हमारा ये सिलसिला रोज चलने लगा। फिर एक दिन विजय का दोस्त लाला मिला। वो मुझे देखकर पार्क में आने लगा। मैं चाहती थी कि दोनों मिलकर मुझे चोदें। एक दिन विजय मेरे घर आया। हमने लाला को पटाने की योजना बनाई। मैंने पूजा, मेरी नौकरानी, को भी इसमें शामिल किया। मैंने उसे जींस पहनाकर कॉलेज गर्ल बनाया और विजय से चुदवाया।
एक दिन लाला और विजय मेरे घर आए। विजय ने खुलकर कहा, “लाला, ये नेहा तुझे चोदना चाहता है!” मैं शरमाई। लाला ने मुझे दबोच लिया। “तेरी माँ की फुद्दी… ऐसी चूत और गाण्ड कहाँ मिलेगी!” उसने मुझे गद्दे पर पटका। विजय ने मेरी मैक्सी उतार दी। मैं नंगी थी।
लाला का लंड मेरी चूत में घुसा। “आह्ह… लाला, मर गई!” मैंने चिल्लाया। विजय ने अपना लंड मेरे मुंह में डाला। “चूस, माँ की लौड़ी!” मैं दोनों लंड ले रही थी। लाला ने मुझे पलटाया, मैं उसके ऊपर थी। विजय ने मेरी गाण्ड में लंड डाला। “आह्ह… विजय, गाण्ड में डाल दिया!” मैं लाला से लिपट गई। दोनों लंड मुझे चोद रहे थे। मेरी चूत और गाण्ड एकसाथ चुद रही थीं। “आह्ह… माँ री… कितना मोटा!” मैं सिसक रही थी।
विजय का वीर्य मेरी गाण्ड में निकला। मेरी चूत भी झड़ गई। लाला का लंड भी छूट गया। हम तीनों सोफे पर चाय पी रहे थे। ये सिलसिला छह महीने चला। पूजा भी लाला से चुदवाने लगी। फिर खबर आई कि मेरा पति दो दिन बाद आ रहा है। मैंने विजय और लाला को बताया कि अब ये बंद होगा, पर मौका मिला तो फिर शुरू करेंगे। पूजा उनकी प्यास बुझाएगी।
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