मेरा नाम अश्मिता है। मैं 20 साल की हूँ, एक ऐसी लड़की जो अपनी खूबसूरती और जिस्म की गर्मी से किसी का भी दिल धड़का सकती है। आज मैं आपको अपनी जिंदगी की उस कहानी के बारे में बताने जा रही हूँ, जिसमें मेरे सौतेले पापा सौरभ के साथ मेरा जिस्मानी रिश्ता बन गया। ये रिश्ता इतना गहरा और जुनूनी है कि वो अब मम्मी को कम और मुझे ज्यादा चोदते हैं। कभी-कभी तो उनकी वाइल्डनेस ऐसी होती है, मानो वो कोई विदेशी पोर्न स्टार हों। मैं अपने जिस्म पर गर्व करती हूँ। मेरा बदन जिम और योग की मेहनत से तराशा हुआ है। मेरी चूचियाँ टाइट और उभरी हुई हैं, और मेरी चूत इतनी टाइट है कि लंड आसानी से अंदर नहीं जाता। जो भी मुझे चोदता है, उसे लगता है कि वो किसी कुंवारी लड़की को पहली बार चोद रहा है। मेरी चूत की बनावट ही ऐसी है। मेरे गाल गुलाबी, होंठ लाल, और गोरा बदन मेरी खूबसूरती को चार चाँद लगाता है। मैं अपने बालों में कलर करवाती हूँ, जिससे मेरी हॉटनेस और बढ़ जाती है। मेरी गांड का उभार इतना सेक्सी है कि उसे देखकर कोई भी मर्द पागल हो जाए। जब मैं चलती हूँ, तो मेरी चाल हिरणी सी लगती है। भगवान ने मुझे सुंदरता से नवाजा है, और मैं उसका शुक्रिया अदा करती हूँ।
मेरे पापा, सौरभ, एक कंपनी में मैनेजर हैं। मेरी मम्मी स्कूल टीचर हैं। ये उनकी दूसरी शादी है, यानी सौरभ मेरे सौतेले पापा हैं। मेरे असली पापा का देहांत कोरोना में हो गया था। मम्मी को सौरभ पसंद आए, जो तलाकशुदा थे, और दोनों ने जल्दी शादी कर ली। सौरभ मम्मी से 5 साल छोटे हैं, और मुझसे 15 साल बड़े। यानी हमारी जोड़ी जबरदस्त है—एक कमसिन लड़की और एक जवान मर्द। घर में सब कुछ ठीक-ठाक है। हम तीनों साथ रहते हैं, और मम्मी बहुत अच्छी इंसान हैं। उनके और पापा के बीच रिश्ता बहुत प्यारा है, लेकिन अब पापा मम्मी को कम और मुझे ज्यादा चोदते हैं। इसका कारण मैं आपको आगे बताऊँगी।
बात उस दिन की है जब मुझे वाराणसी में एग्जाम देने जाना था। ट्रेन का टिकट नहीं मिला, तो पापा ने कहा कि वो मुझे गाड़ी से ले जाएँगे। नोएडा से वाराणसी तक का सफर करीब 12 घंटे का था। मेरा पेपर दोपहर 2 बजे था, इसलिए हम सुबह 4 बजे निकल पड़े। पापा गाड़ी चलाते रहे, और हम समय से पहले वाराणसी पहुँच गए। पेपर 5 बजे खत्म हुआ। मम्मी का फोन आया, उन्होंने पूछा, “पेपर कैसा गया?” मैंने कहा, “बहुत अच्छा गया, मम्मी।” फिर वो पापा से बात करने लगीं। पापा ने कहा कि हम आज ही नोएडा के लिए निकल जाएँगे, लेकिन मम्मी ने मना कर दिया। पापा सुबह से गाड़ी चला रहे थे और बहुत थक गए थे। रात में गाड़ी चलाना मुश्किल होता, तो हमने होटल में रुकने का फैसला किया।
हमने एक होटल में डबल बेड वाला कमरा लिया। खाना खाने के लिए हम रेस्तराँ गए। वहाँ मम्मी से फिर बात हुई, और वो सोने चली गईं। होटल वापस आने पर पापा बहुत थके हुए थे। हम दोनों ने कपड़े बदले। मैंने एक सेक्सी नाइटी पहनी थी, जो मेरे जिस्म को और उभार रही थी। मेरी चूचियों का उभार और निप्पल साफ दिख रहे थे। मेरी गांड की दरार इतनी गहरी थी कि कोई भी मर्द उसे देखकर डूब जाना चाहे। हम दोनों एक ही बेड पर लेट गए। तब तक हमारे इरादे साफ थे। हम बातें करने लगे। मैंने देखा कि पापा थके हुए लग रहे थे, तो मैंने कहा, “पापा, आप बहुत थके हुए लग रहे हैं। मैं आपके पैर दबा दूँ?”
मैंने उनके पैर दबाने शुरू किए, फिर उनकी पीठ और कंधे। मेरे मुलायम और सेक्सी हाथों की मालिश से पापा बेचैन होने लगे। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। शायद मेरे जिस्म की गर्मी और मेरी हॉट नाइटी ने उनका लंड खड़ा कर दिया था। मैं भी जानबूझकर थोड़ा और करीब गई। मेरी चूचियाँ मेरी नाइटी से बाहर झाँक रही थीं। पापा की नजरें मेरे जिस्म पर टिक गईं। धीरे-धीरे वो मेरे इतने करीब आ गए कि उनकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस होने लगीं। उनकी आँखों में वासना थी। अचानक उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मैं हड़बड़ा गई, लेकिन मेरे जिस्म में भी आग लग रही थी। मैंने कोई विरोध नहीं किया। मैंने आँखें बंद कीं और उनके होंठों को चूमने लगी। उनकी जीभ मेरे मुँह में घुसी, और मैं उसे कुल्फी की तरह चूसने लगी। “आह्ह… पापा…” मैंने सिसकारी भरी।
वो रुके नहीं। उन्होंने मेरी नाइटी को धीरे-धीरे खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। पापा की आँखें मेरे जिस्म को निहार रही थीं। “अश्मिता, तू इतनी हॉट है… तेरी चूचियाँ, तेरी गांड… उफ्फ!” उन्होंने कहा और मेरी ब्रा उतार दी। मेरी टाइट चूचियाँ आजाद हो गईं। पापा ने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को जोर-जोर से मसलना शुरू किया। “आह्ह… उफ्फ… पापा… धीरे…” मैं कराह रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मेरी पैंटी में नमी साफ महसूस हो रही थी। पापा ने मेरे निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगे। “ओह्ह… आह्ह… पापा… उफ्फ…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं।
मैंने उनकी पैंट की ओर देखा। उनका लंड जांघिया फाड़ने को तैयार था। मैंने उनकी पैंट और जांघिया उतार दिया। उनका मोटा, काला, 7 इंच का लंड मेरे सामने था। “पापा… ये तो बहुत बड़ा है…” मैंने शरमाते हुए कहा। “ले इसे, अश्मिता… चूस इसे…” पापा ने कहा। मैंने उनका लंड अपने मुँह में लिया। उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। “उफ्फ… अश्मिता… तू तो जादू करती है… आह्ह…” पापा सिसकारियाँ ले रहे थे। मैं उनके लंड को गले तक ले रही थी, और वो मेरी चूचियों को मसल रहे थे।
पापा ने मुझे बेड पर लिटाया। मेरी पैंटी अभी भी मेरे जिस्म पर थी। उन्होंने मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सूँघा। “उफ्फ… तेरी चूत की खुशबू… ये तो जन्नत है…” उन्होंने कहा और मेरी पैंटी उतार दी। मेरी टाइट, गुलाबी चूत उनके सामने थी। वो उसे चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। “आह्ह… पापा… उफ्फ… ये क्या कर रहे हो… ओह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था, और पापा उसे चाट-चाटकर साफ कर रहे थे। मैं गुदगुदी और वासना के मिश्रण में डूब रही थी।
पापा ने मेरे दोनों पैर फैलाए। उनका मोटा लंड मेरी चूत के छेद पर था। “पापा… धीरे… मेरी चूत बहुत टाइट है…” मैंने डरते हुए कहा। “चिंता मत कर, मेरी रानी… मैं तुझे बहुत प्यार से चोदूँगा…” उन्होंने कहा और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में घुसाया। “आह्ह… उफ्फ… पापा… दर्द हो रहा है…” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उनका लंड मुश्किल से अंदर जा रहा था। लेकिन पापा ने धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया। “चप… चप… चप…” उनकी चुदाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। “आह्ह… ओह्ह… पापा… और जोर से… उफ्फ…” मैं अब दर्द के साथ मजा भी ले रही थी।
पापा ने मेरी चूचियों को मसलते हुए अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “अश्मिता… तेरी चूत तो जन्नत है… उफ्फ… कितनी टाइट है…” वो बोले। “पापा… चोदो मुझे… और जोर से… आह्ह…” मैं भी वासना में डूब चुकी थी। वो मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदने लगे। पहले मिशनरी, फिर डॉगी स्टाइल। मेरी गांड हवा में थी, और पापा पीछे से मेरी चूत में लंड पेल रहे थे। “थप… थप… थप…” उनकी चुदाई की आवाजें मेरे कानों में म्यूजिक की तरह बज रही थीं। “आह्ह… ओह्ह… पापा… और गहरा… उफ्फ…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत सूज चुकी थी, लेकिन मजा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी।
करीब दो घंटे तक पापा मुझे चोदते रहे। मेरी चूचियों पर उनके नाखूनों के निशान पड़ गए थे। मेरी चूत लाल हो चुकी थी। रात के 1 बज गए थे। हम दोनों बाथरूम गए। वहाँ पापा ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और फिर से चोदना शुरू किया। “आह्ह… पापा… यहाँ भी… उफ्फ…” मैं सिसकारी ले रही थी। गर्म पानी हमारे जिस्म पर बह रहा था, और पापा का लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। “चप… चप… चप…” चुदाई की आवाज बाथरूम में गूँज रही थी।
नहाने के बाद हम बाहर आए। मैंने सिर्फ तौलिया लपेटा था, और पापा ने भी। पापा ने होटल से एक शराब की बोतल मँगवाई। उन्होंने पेग बनाया और मुझे भी ऑफर किया। मैंने पहले भी शराब पी थी, तो मैंने ले लिया। “पापा, आप तो बहुत नॉटी हो…” मैंने हँसते हुए कहा। “तू भी कम नहीं, अश्मिता… तेरी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया…” उन्होंने कहा। हमने शराब पी, और फिर पापा ने मेरी चूत में शराब डालकर उसे चाटा। “उफ्फ… पापा… ये क्या… आह्ह…” मैं फिर से गर्म हो गई। उन्होंने मुझे फिर से चोदा। रात के 3 बजे तक हमारी चुदाई चलती रही।
अगले दिन दोपहर 2 बजे हम होटल से निकले। निकलने से पहले भी हमने साथ में नहाया और फिर से चुदाई की। रास्ते में पापा मेरी चूचियों को दबाते रहे, मेरे होंठ चूमते रहे। घर पहुँचने पर वो मम्मी के साथ सो गए, लेकिन मैं अपने बेड पर लेटकर उस रात को याद कर रही थी। सुबह मम्मी 8 बजे स्कूल चली गईं, और पापा मेरे बेड पर आ गए। “अश्मिता… तू तैयार है ना?” उन्होंने पूछा। “हाँ, पापा… चोदो मुझे…” मैंने कहा। तब से पापा मुझे रोज चोदते हैं। मम्मी को कम, मुझे ज्यादा।
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