ससुर ने बहु को शादी से पहले ही पेल दिया

यह वह समय था जब मैं अपने बेटे के लिए बहू देखने गया था। लड़की वालों ने मुझे दो दिन के लिए रुकने का अनुरोध किया और अपनी बेटी को मेरी सेवा के लिए भेज दिया। जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मेरा लंड फंफाना के खड़ा हो गया।

रीति-रिवाजों के अनुसार, मैं समधी हरवीर के अनुरोध पर उनके घर दो दिन के लिए रुक गया। रात को मीना मेरे पास आई। उसने कहा, “अंकल जी, मैं आपकी तेल मालिश करने आई हूं।”

मैंने उसकी ओर देखा और पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है, बेटी?”

उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरा नाम मीना है।”

उसकी मासूमियत और खूबसूरती ने मुझे पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया। मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा, “बहुत सुंदर नाम है।”

मीना ने कहा, “आप अपनी धोती-कुर्ता उतार दीजिए, वरना तेल लग जाएगा।”

मैंने अपनी धोती-कुर्ता उतार दी और चित लेट गया। जैसे ही वह मेरे पैरों और टांगों पर तेल लगाने लगी, मेरे लंड का सर्प अंडरवियर में खड़ा होने लगा।

तेल लगाते हुए उसके हाथ से मेरे लंड का स्पर्श हुआ, और मेरे मन में उसके साथ सेक्स का ख्याल आने लगा। तभी उसने कहा, “अंडरवियर उतार दीजिए, टांगों के बीच में मालिश करनी है।”

मैंने तुरंत अपना अंडरवियर उतार दिया और लेट गया। मीना ने मेरे लंड की मालिश शुरू कर दी।

उसकी कोमल उंगलियों का स्पर्श मेरे अंदर उत्तेजना भरने लगा। मैं अपने आप को रोक नहीं सका। मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। उसकी छोटी-छोटी चूचियों को मसलते हुए मैंने उससे कहा, “तुम्हें अच्छा लग रहा है, है ना?”

लेकिन उसने शर्माते हुए कहा, “मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।”

मैंने उसे समझाते हुए कहा, “अरे, ऐसा क्यों कह रही हो? हम तो तुम्हें प्यार कर रहे हैं।”

मैंने मीना की नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर खींचा और उसे पूरी तरह से उतार दिया। उसकी छोटी, संतरे जैसी चूचियां मेरे सामने थीं। मैंने एक को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा। उसकी चूचियों की कोमलता और गर्माहट ने मेरी उत्तेजना को और बढ़ा दिया।

उसका शरीर एकदम बेजोड़ था। मैंने अपने हाथ को उसकी चड्डी के ऊपर रखा और उसकी चूत को सहलाने लगा। वह सिसकारी भरने लगी। उसकी हल्की आवाजें मुझे और पागल कर रही थीं।

मैंने धीरे से उसकी चड्डी उतारी और उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। वह कुछ नहीं बोली। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी पतली टांगों को फैलाया। उसकी गुलाबी चूत को देखते ही मैं अपने होश खो बैठा।

मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर लगाया और अपनी जीभ से उसे चूसने लगा। उसकी चूत से एक रस निकलने लगा, जिसे मैंने प्रसाद की तरह पी लिया। मीना सिसकारी भरते हुए बोली, “मेरी बुर के अंदर खुजली हो रही है। आप इसे मिटा दीजिए।”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी बुर की खुजली मिटाने के लिए मेरी सुसु को अंदर जाना पड़ेगा।”

वह बोली, “तो जल्दी कीजिए। मेरी बुर की खुजली मिटा दीजिए।”

मैंने अपने लंबे और मोटे लंड को उसके गुलाबी छेद पर रखा। जैसे ही मैंने हल्का धक्का दिया, उसका चेहरा दर्द से सिकुड़ गया। वह कराहती हुई बोली, “ऊई मां, मर गई। मेरी बुर में बहुत दर्द हो रहा है। इसे निकाल लीजिए।”

लेकिन मैं अपनी उत्तेजना के वशीभूत था। मैंने उसकी बात अनसुनी कर दी और एक और धक्का मारते हुए अपने लंड को पूरी तरह से उसकी चूत में ठोक दिया। उसके बिस्तर पर खून की धार बहने लगी।

मीना ‘ऊई मां, ऊई मां’ कहते हुए रोने लगी। मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया ताकि कोई आवाज बाहर न जाए। मैंने उससे कहा, “तुम हमारी होने वाली बहादुर बहू हो और इतने से डर गई? बोलो, खुजली मिटी न?”

कुछ पल के बाद उसने धीरे से कहा, “हां, खुजली तो मिट गई, लेकिन बुर में बहुत दर्द हो रहा है।”

मैंने उसे समझाते हुए कहा, “जब खुजली मिट गई है, तो दर्द भी थोड़ी देर में मिट जाएगा। अभी तुम खुद ही बताओगी कि तुम्हें मजा आ रहा है।”

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और वाकई, पांच मिनट बाद उसने खुद ही कहा, “हां, अब दर्द ठीक हो गया है, लेकिन बुर के अंदर गुदगुदी हो रही है।”

उसके मुँह से यह सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और अपनी कमर हिलाते हुए दनादन उसे चोदने लगा। मीना भी अब पूरी तरह से इस खेल में शामिल हो गई थी। वह अपनी गांड को ऊपर उठाते हुए बोली, “आह, सच में बहुत मजा आ रहा है। और जोर से धक्का मारिए न!”

मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी सिसकारियां अब तेज हो गई थीं। वह बार-बार कह रही थी, “ओह, आह, और जोर से धक्का मारिए। मेरी बुर को फाड़ दीजिए। बहुत मजा आ रहा है। आह, आह, ओह।”

मीना की यह हालत देखकर मेरी उत्तेजना चरम पर थी। मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और उसे दनादन चोदने लगा। हर धक्के के साथ बिस्तर की आवाज गूंज रही थी। कमरे में सिर्फ हमारे शरीरों की फच-फच और उसकी सिसकारियां सुनाई दे रही थीं।

मैंने अपने लंड को उसके अंदर तेजी से अंदर-बाहर किया और कहा, “मीना, तुम सच में कितनी सुघड़ और प्यारी हो। मेरी होने वाली बहू, ले मेरे लंड का स्वाद।”

उसकी चूत अब पूरी तरह से लिसलिसी हो चुकी थी। मैं लगातार उसे जोर-जोर से चोदता रहा। उसकी आवाजें और तीव्र होती जा रही थीं। वह बोली, “हां, बस ऐसे ही चोदते रहिए। और जोर से कीजिए। आह, ओह, बहुत मजा आ रहा है।”

कुछ समय बाद, मैं झड़ने के करीब था। मैंने अपना लंड उसकी बुर के अंदर ही झाड़ दिया। उसकी बुर ने मेरे वीर्य को पूरी तरह से समा लिया। मीना ने सिसकारी भरते हुए अपनी कमर को मेरी तरफ दबाया और अपनी तृप्ति जाहिर की।

चुदाई खत्म होने के बाद मैंने उसके मुँह को चूमा और उसकी पीठ थपथपाई। मैंने अपना गमछा उठाया और अपने लंड को साफ किया। फिर मैंने मीना की चूत को भी साफ किया और मुस्कुराते हुए कहा, “मीना, तुम पास हो गई।”

वह उठी, अपनी चड्डी और नाइटी पहनी और मेरे पैर छूकर बाहर चली गई। मैं उसे जाते हुए देखता रहा। उसकी पतली कमर लचकते हुए इतनी सुंदर लग रही थी कि मेरा दिल फिर से उसकी तरफ खिंचने लगा।

मीना के जाने के बाद भी मेरी नजरें उसके लचीले शरीर पर टिकी हुई थीं। उसकी कमर की हरकत ने मेरे अंदर एक बार फिर से उत्तेजना भर दी थी। लेकिन मैं खुद को संभालते हुए अपनी धोती-कुर्ता पहनने लगा।

अगले दिन सुबह, मैंने अपने समधी हरवीर से बातचीत की और तय कर लिया कि मीना को अपने बेटे सोहन की बहू बनाऊंगा। इस फैसले ने दोनों परिवारों में खुशी भर दी।

एक सप्ताह बाद, बिना किसी दहेज के शादी संपन्न हो गई। शादी के दूसरे दिन, मीना को विदा कराकर हम अपने गांव लौटने लगे। मैं ऑटो चला रहा था, और मेरे साथ ऑटो में सोहन और नई नवेली बहू मीना बैठे थे। रास्ते में शाम हो चुकी थी।

ऑटो चलाते हुए मुझे पिछली रात की चुदाई याद आ गई। मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया। मैंने अपनी नजरें मीना पर डालीं, और उसने भी मेरी नजरों को महसूस किया। उसकी आंखों में वही इच्छा दिखी। वह सोहन से बोली, “ए जी, बाबूजी थक गए लगते हैं। आप आगे जाकर ऑटो चला लीजिए, ताकि बाबूजी आराम कर सकें।”

सोहन मान गया और आगे जाकर ऑटो चलाने लगा। जैसे ही वह ऑटो चलाने में व्यस्त हुआ, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और मीना के हाथ में दे दिया। उसने अपनी चड्डी उतार दी और अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर बैठ गई।

मैंने धीरे-धीरे धक्का देते हुए अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। खराब सड़क और गड्ढों की वजह से ऑटो उछल रहा था, जिससे हमारी चुदाई का मजा दोगुना हो गया। हर गड्ढे में ऑटो के झटकों से हमारा लंड और चूत एक-दूसरे से और तेजी से रगड़ने लगे।

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मैंने अपने हाथ उसके संतरों पर रखे और उन्हें जोर-जोर से मसलने लगा। मीना ने अपनी आवाज को दबाने की कोशिश की, लेकिन उसकी हल्की-हल्की सिसकारियां मुझे और उत्तेजित कर रही थीं।

ऑटो में अंधेरा हो चुका था, और हम दोनों आसन बदल-बदलकर चुदाई करने लगे। हर झटके के साथ हमारा शरीर एक नई तीव्रता से भर रहा था।

कुछ देर बाद, सोहन की आवाज आई, “पापा जी, घर आ गया है।”

मैंने तुरंत अपने कपड़े ठीक किए और मीना ने भी अपनी साड़ी और चड्डी पहन ली। हम दोनों ने खुद को सामान्य दिखाने की पूरी कोशिश की।

जैसे ही हम घर पहुंचे, सोहन ने अंदर जाकर खुशी से चिल्लाते हुए कहा, “बहू आ गई है!”
घर की सभी महिलाएं बाहर निकलीं और खुशी से बहू का स्वागत करने लगीं। वे बोलीं, “हमारी चांद सी बहू आ गई।”

मैंने मुस्कुराते हुए ऑटो से उतरकर अपनी मूंछों पर ताव दिया और अपनी जगह खड़ा हो गया। बहू मीना को बड़े आदर-सत्कार के साथ अंदर ले जाया गया। इस दौरान मेरी नजरें बार-बार मीना पर जा रही थीं। उसकी चाल और लचकती हुई कमर मेरी उत्तेजना को फिर से जगा रही थी।

घर में सोहन और मीना की सुहागरात की तैयारियां शुरू हो गईं। रीति-रिवाजों को पूरा करने के बाद, बहू को सोहन के कमरे में भेज दिया गया। मेरा कमरा उनके कमरे के बगल में था, और बीच में एक दरवाजा था जो थोड़ा खुला हुआ था।

रात को मैंने देखा कि सोहन मीना के पास गया और उसे प्यार करने लगा। उसने धीरे-धीरे बहू की साड़ी, ब्लाउज और चड्डी उतारी। बहू चुपचाप लेटी रही, लेकिन उसके चेहरे पर कोई खास उत्साह नहीं था। सोहन ने अपना लंड निकाला और उसे मीना के हाथ में देकर सहलाने को कहा।

मीना ने अनमने ढंग से उसका लंड पकड़ा और बोली, “जो करना है, जल्दी से कर लो।”

सोहन ने ज्यादा देर नहीं लगाई। उसने चुम्मा-चाटी करते हुए अपना लंड मीना की चूत में डाल दिया। वह बस कुछ ही देर में झड़ गया। मीना के चेहरे पर साफ झलक रहा था कि उसे संतुष्टि नहीं मिली।

चुदाई के दौरान मीना ने पूछा, “आपके घर में कितने सदस्य हैं?”
सोहन ने जवाब दिया, “बस मैं और बाबूजी। अब तुम बहू बनकर आ गई हो, तो तीन हो गए।”

मीना ने फिर पूछा, “आपके बाबूजी कहां सोते हैं?”
सोहन ने बगल वाले कमरे की ओर इशारा करके कहा, “वहां सोते हैं। जब उन्हें जरूरत होती है, तो आवाज लगाते हैं। अब तुम हो, तो उनकी सेवा तुम कर सकती हो।”

मीना ने यह सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?”
सोहन ने जवाब दिया, “बाबूजी बूढ़े हो गए हैं। शादी करके तुम्हें इसलिए लाया गया है ताकि घर की जिम्मेदारियां संभाल सको।”

सोहन की इस बात ने मीना के चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कान ला दी। उसने कहा, “अरे हां, बाबूजी तो आज थक गए होंगे। मुझे उनके हाथ-पैर में तेल लगाना चाहिए। क्या मैं जाकर उनकी सेवा कर सकती हूं?”

सोहन ने हंसते हुए कहा, “हां, जाओ। नेकी और पूछ-पूछ!”

मीना ने खुशी-खुशी कमर लचकाते हुए मेरे कमरे की ओर रुख किया।

मीना मेरे कमरे में आई और मैंने देखा कि उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। मेरा लंड फनफनाते हुए खड़ा हो गया था। उसने मेरी तरफ देखा और धीरे से मुस्कुराई। मैं समझ गया कि वह क्या चाहती है।

वह मेरे पास आई और बोली, “बाबूजी, आपके हाथ-पैर में तेल लगाने आई हूं। आप लेट जाइए।”

मैंने तुरंत लेटते हुए उसे कहा, “तेल लगाने से पहले तुम भी आराम से बैठ जाओ।”

मीना ने मेरी बात मानते हुए मेरी तरफ देखा और फिर धीरे-धीरे मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने अपना लंड निकाल लिया और उसने बिना कुछ कहे उसे अपने हाथों में पकड़ लिया। उसकी उंगलियों का स्पर्श इतना कोमल था कि मेरा पूरा शरीर झनझना उठा।

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उसने अपनी चड्डी उतार दी और अपनी प्यासी चूत को मेरे लंड पर सेट कर लिया। धीरे-धीरे उसने खुद को मेरे लंड पर बैठा लिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में गया, उसने एक लंबी सिसकारी भरी।

मैंने अपना हाथ उसके संतरों पर रखा और उन्हें जोर से मसलने लगा। उसकी आवाजें कमरे में गूंजने लगीं। वह बोली, “ओह, बाबूजी, आह, और जोर से कीजिए। बहुत मजा आ रहा है।”

मैंने अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू किया। हर धक्के के साथ उसकी चूत मेरे लंड को कसकर पकड़ रही थी। मीना ने अपने हाथ मेरे कंधों पर रखे और बोली, “बाबूजी, आपकी सुसु बहुत मोटी है। इससे मेरी बुर की खुजली मिट रही है।”

हमारी चुदाई इतनी जोरदार थी कि कमरे में फच-फच की आवाजें गूंजने लगीं। मैंने अपने लंड को उसकी चूत में और गहराई तक धक्का दिया। वह बार-बार सिसकारियां भरते हुए कह रही थी, “आह, बाबूजी, और तेज। मेरी चूत को फाड़ दीजिए। बहुत मजा आ रहा है।”

कुछ देर बाद, मैं झड़ने के करीब पहुंच गया। मैंने अपने लंड को उसकी चूत में जोर से धकेला और अपना सारा वीर्य उसके अंदर छोड़ दिया। मीना ने अपनी कमर को कसकर मेरी ओर दबाया और सुकून की लंबी सांस ली।

हम दोनों कुछ देर तक एक-दूसरे को पकड़े रहे। फिर मीना उठी, अपनी चड्डी पहनी और बोली, “बाबूजी, अब आप आराम कीजिए।”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “मीना, तुम सच में एक सुघड़ बहू हो।”

वह धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकल गई और सोहन के पास जाकर सो गई।

अगली सुबह, घर में सभी ने सोहन और मीना को सुहागरात की बधाई दी। घर में अब सिर्फ तीन लोग बचे थे—मैं, सोहन, और मेरी नई बहू मीना।

मीना अब घर में पूरी तरह से रम चुकी थी। उसकी दिनचर्या में मेरा खास ख्याल रखना भी शामिल हो गया था। वह मेरे हाथ-पैर दबाने के बहाने मेरे पास आती और हम दोनों एक बार फिर से अपनी इच्छाओं को पूरा करते।

धीरे-धीरे मीना और मेरी यह गुप्त चुदाई दिनचर्या का हिस्सा बन गई। वह हर बार मुझे अपने शरीर के नए अंदाज में प्रस्तुत करती और मेरी उत्तेजना को नई ऊंचाइयों पर ले जाती।

सोहन को इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उसकी बहू अब मेरे साथ पूरी तरह से जुड़ चुकी है। मीना के लिए सोहन का लंड अब मायने नहीं रखता था। वह हमेशा मेरे लंड की ओर खिंचती रहती।

कुछ महीनों के बाद, मीना गर्भवती हो गई। यह खबर पूरे घर के लिए खुशी लेकर आई। सोहन बहुत खुश था और उसने सोचा कि यह बच्चा उसका है।

लेकिन मैं जानता था कि यह बच्चा मेरा था। मीना की चूत से पैदा हुआ यह बच्चा मेरी विरासत का हिस्सा था। जब बच्चा पैदा हुआ, तो सभी ने कहा कि बच्चा बिल्कुल अपने दादा पर गया है। यह सुनकर मैं और मीना मुस्कुरा उठे।

बच्चे के जन्म के बाद भी, मेरा और मीना का रिश्ता वैसा ही बना रहा। वह मेरे पास आती और मैं उसकी चूत को तृप्त करता। सोहन अब भी अनजान था कि उसका घर अब ससुर और बहू के रिश्ते की गुप्त कहानियों(Sasur Bahu ki Chudai Ki kahani – Hindi Sex Story) से भर गया है।

 

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