साली की मस्त चुदाई – Jiju Sali Chudai Story

दोस्तो! आज मैं अपनी साली की चुदाई का किस्सा लेकर आया हूँ कि किस तरह मैंनें अपनी साली को कुतिया बना के चोदा जो अभी महीनें भर पहले की बात है।
दोस्तो! यूँ तो सब कहते हैं कि साली आधी घरवाली होती है और यह भी कहते हैं कि जिस तरह पेट की भूख मिटाना जरूरी है! उसी तरह तन की भूख मिटाना भी जरूरी होता है।


यह किस्सा भी कुछ इसी तरह का है दोस्तो…
मैं शादीशुदा हूँ तो मेरी बीवी नें मुझे उसके बारे में बताया था।
वो मेरे दूर के रिश्ते में मामा ससुर की लड़की है! नाम है पूनम! उसकी शादी को अभी पूरा एक साल भी नहीं हुआ कि उसका रिश्ता बिगड़ गया और कोर्ट में केस चल रहा है और वो पिछले 6 महीनें से अपनें मायके में है।
मैंनें मेरी बीवी को कहा:- यार जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ। पूनम के ऊपर क्या बीती होगी वो ही जानती है।

हालाँकि मैंनें कभी मैंनें उसको देखा नहीं था।
फिर मैं और मेरी बीवी महीनें भर पहले अपनी बुआ सास के बच्चों की शादी में गये थे।
वहाँ पूनम भी आई हुई थी! जिसका हम दोनों को पता नहीं था कि शादी में वो भी आएगी।
मेरे फूफा ससुरजी नें मेहमानों के रुकनें के लिए अच्छी व्यवस्था की हुई थी! उन्होंनें एक पूरी धर्मशाला किराये पर की हुई थी! जिसमें करीब बीस कमरे थे! हम दोनों को भी एक अलग कमरा दिया।
मैं सफ़र से थका हुआ था तो फ्रेश होकर मैं वहाँ शामियानें के नीचे कुर्सी लगाकर बैठ गया और अपना मोबाइल निकाल कर गेम खेलनें लग गया।

करीब आधे घंटे बाद एक लड़की मेरे पास आई और मुझसे बोली! जीजाजी…
मैंनें उसे देखा तो तो मैं तो उसे देखता ही रह गया।

क्या तारीफ करूँ दोस्तों उसकी… वो तो अपनें आप में खूबसूरती की मिसाल थी।

बड़ी बड़ी काली आँखें! भरा भरा गदराया बदन! 36:-32:-36 के भरे भरे उसके मम्मे थे जिन्हें देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया कि अभी इन्हें मसल कर इनका दूध पी जाऊँ! और होंठ तो गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे पतले थे जिन्हें एक बार चूसो तो छोड़नें का मन न करे।
खैर! फिर मैंनें अपनें आप को कण्ट्रोल करते हुए उससे उसका परिचय पूछा तो मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी।
मैंनें उससे पूछा:- क्या हुआ?
तो वो बोली कुछ नहीं और वो हंसनें लगी।

शायद वो मेरे मन की स्थिति जान चुकी थी! वो बोली:- मेरा नाम पूनम है और मैं आपके मामा ससुर की लड़की हूँ।
फिर मैं बोला:- ओह तो आप है पूनम! हाँ आपकी दीदी नें बताया था आपके बारे में।
मैंनें उससे पूछा:- मैंनें तो आपको पहले कभी देखा नहीं तो अपनें मुझे कैसे पहचाना?
वो बोली:- इससे पहले जब आप दिनेंश (छोटे मामा ससुर का लड़का) की शादी में आये थे तो मैंनें आपको वहाँ देखा था लेकिन हम मिल नहीं पाए थे।
मैं बोला:- कोई बात नहीं! अब मिल लिए न।
वो बोली:- जीजाजी बहुत तारीफ सुनी आपकी।
मैं बोला:- वो क्या?
उसनें कहा:- आप किस तरह दीदी का पूरा पूरा ख्याल रखते हो! उनकी हर विश पूरी करते हो! उन्हें किसी तरह की कोई कमी महसूस होनें देते। वो बहुत खुश है आपके साथ। परिवार में सब आपकी तारीफ करते नहीं थकते। मेरी बहुत इच्छा थी आपसे मिलनें की।

मैं बोला:- साली जी! वो तो हर पति का कर्तव्य है और वैसे भी बीवी की सेवा नहीं करेंगे तो मेवा कैसे मिलेगा।
मेरे इस जवाब से वो थोड़ी शरमा गई।
मैं बोला:- चलो आपको शरमाना भी आता है।
वो बोली:- जीजाजी! सचमुच दीदी बड़ी लकी है जो आप उसे मिले।
इतनें में मेरी बीवी वहाँ आ गई और बोली:- मिल लिए पूनम से?
मैंनें कहा:- मैं तो इसे जानता तक नहीं था! इसी नें पहचाना मुझे।
फिर हम काफी देर तक वहाँ बैठकर बातें करते रहे लेकिन मेरा पूरा ध्यान पूनम पर था।
मैं बार बार उसे और उसके वक्ष उभारों को देख रहा था।
वो भी समझ चुकी थी कि जीजाजी की नज़र कहाँ है और वो मुझे हल्की हल्की मुस्कान दे रही थी।
मैं भी मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था।
फिर हम शाम को निकासी में मिलनें को कह कर अपनें अपनें कमरे में चले गये।
शाम को निकासी में जानें के लिए सब तैयार होकर नीचे धर्मशाला के चौक में इकट्ठे हो रहे थे लेकिन मेरी नज़र तो सिर्फ पूनम को खोज रही थी।
काफी देर के बाद वो भी आई! क्या क़यामत लग रही थी दोस्तो! वो नील रंग की साड़ी में और ब्लाउज तो काफी खुला था जिस कारण उसके मम्मों की गहराई बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी।
पूनम के मम्मों को देख कर तो मुझे पता नहीं क्या हुआ जो मैं उन्हें ही ललचाई नजरों से देख रहा था।
पूनम मुस्कुराते हुए बोली:- जीजाजी! क्या हुआ?
एकदम से मैं बोला:- कुछ नहीं कुछ नहीं।
वो हंसते हुए भाग गई और मैं उसे देखता रह गया।
थोड़ी देर के बाद निकासी धर्मशाला से लड़की वाले के घर के लिए रवाना हुई! चूँकि लड़की भी वहीं की थी।
सब नाच रहे थे! मैं भी नाच रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान पूनम पर था।
मैं नाचते हुए उसे देख रहा था और वो मेरी पत्नी के साथ नाचनें में मगन थी।
फिर तो मैं अपनी मस्ती में नाचनें में मशगूल हो गया।
आधे घंटे के बाद मेरी बीवी मेरे पास आई और साइड में ले गई जहाँ पूनम उल्टियाँ कर रही थी।
मैंनें भी पूछा:- क्या हुआ?
वो बोली:- घबराहट के कारण ऐसा हुआ।
पूनम नें कहा:- जीजाजी मुझे तो आप धर्मशाला में छोड़ आओ! मेरी तबियत बिगड़ रही है।
मेरी पत्नी नें कहा:- आप इसे हॉस्पिटल दिखा कर इसे इसके कमरे पर छोड़ आओ।
मैंनें कहा:- ठीक है।
फिर वो वहाँ से चली गई।
उसके जानें के बाद पूनम नें कहा:- जीजा जी! मुझे हॉस्पिटल नहीं जाना! आप मुझे सीधा रूम पर छोड़ दो।
मैंनें कहा:- ठीक है! चलो।
फिर भी नजदीक के मेडिकल से एक दवा ली और पैदल ही धर्मशाला पहुँच गये।
वहाँ वेटर को चाय की बोलकर पूनम को लेकर उसके रूम में पहुँचा।
उसको टेबलेट खिलाई और थोड़ी देर के बाद वेटर आया और चाय देकर चला गया।
मैं उठा और दरवाजा बंद करके वापस उसके पास आकर बैठा और बोला:- अब कैसा फील हो रहा है?
वो बोली:- अब ठीक है।
मैंनें उससे पूछा:- क्या हुआ था जो तुम उलटियाँ कर रही थी?
मैं फिर बोला:- कहीं पेट में कुछ गड़बड़ तो नहीं है?
पूनम बोली:- मैं कुछ समझी नहीं जीजाजी।
मैं बोला:- मतलब यह सालीजी कि यह गर्भ का मामला तो नहीं है न?
वो हंसते हुए बोली:- नहीं जीजाजी! ऐसी कोई बात नहीं है! और मेरे नसीब में औलाद का सुख ही नहीं है।
मैंनें उससे उसके पति के बारे में पूछा तो वो रोनें लगी और कहनें लगी:- वो पति तो सिर्फ नाम के हैं! वो तो ज्यादा टाइम अपनी भाभी के साथ बिताते हैं। मेरे पास तो सिर्फ सोनें के लिए आते हैं और हर दिन गर्भनिरोधक गोली खिला देते हैं ताकि मैं माँ नहीं बन सकूँ।
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फिर एक दिन रात में मैंनें उन दोनों को सेक्स करते हुए देख लिया और मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंनें अपनें मम्मी पापा को सब कुछ बता दिया। तब से मैं अपनें मायके में रह रही हूँ और पापा नें मेरी ससुराल वालों पे केस दायर कर दिया।
ऐसा कह कर वो रोनें लगी।
मैंनें खेद जताते हुए उसे चुप कराया और उसके करीब जाकर बैठ गया।
हिम्मत करके मैंनें उसके हाथ को अपनें हाथों में लिया और उसे सहलाते हुए उसे समझानें लगा कि जो हुआ उसे वो भूल जाये और एक नए सिरे से अपनी जिन्दगी की शुरुआत करे और इसमें मैं तुम्हारी हर प्रकार से हेल्प करूँगा।
ऐसा कहते हुए मैं सिर्फ उसे ही निहार रहा था! तभी वो रोते हुए मेरे गले से लग गई और धन्यवाद देते हुए बोली:- जीजाजी भगवान करे कि अबकी बार भगवान् मुझे आप जैसा साथी दे।
मैंनें उससे कहा कि वो चिंता न करे! अबकी बार उसके लिए लड़का मैं देखूँगा।
वो थैंक्स कहते हुए मुझसे लिपट गई।
उसके ऐसा करनें से मेरा लंड खड़ा हो गया जब उसके उरोज़ मेरे सीनें से चिपक के दब गए।
मैंनें भी उसे दबाते हुए अपनी बाँहों में भर लिया।
अलग होते हुए वो मुझसे बोली:- जीजा जी! आपसे कुछ मांगूं तो आप मुझे देंगे?

मैंनें उसे वादा देते हुए हामी भरी तो पूनम बोली:- जीजाजी क्या आप मुझे दीदी के हिस्से में से थोड़ा प्यार मुझे देंगे…?
और बड़ी मासूमियत के साथ मुझे देखनें लगी।
मैंनें भी थोड़ा सोचा और फिर उसे गले से लगा लिया।
उसकी आँखों में देखते हुए मैंनें अपनें होंठों को उसके लरजते हुए होंठों से मिला दिया और उसके होंठों का रसपान करनें लगा।
हम दोनों बड़ी तल्लीनता के साथ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
उसके लबों को चूसते हुए मेरा एक हाथ रेंगते हुए उसके एक स्तन को मसलनें लगा।
करीब 8:-10 मिनट के बाद हम अलग हुए और एक दूसरे को देखनें लगे।
मैंनें उसके शरीर से साड़ी को उतारा और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को बड़ी बेरहमी के साथ मसलनें लगा तो वो कसमसानें लगी और कहनें लगी:- सी..सी… ओह… जीजाजी मसलो इन्हें! खूब दबाव इन्हें…
फिर मैंनें उसके ब्लाउज को भी उतार दिया! उसनें काली रंग की ब्रा पहन रखी थी।
उसके गोरे तन पर काली ब्रा उसके चूचों को ढके हुए थी।
मैंनें उसके शरीर से उसे भी उतार दिया।
पूनम के नंगे बोबों को देखते ही मैं पागल हो गया और पागलों की तरह उन्हें जोर जोर से मसलनें लगा।

फिर मैं उसकी एक निप्पल को अपनें मुंह में लेकर चूसनें लगा और दूसरे को बड़े प्यार से दबानें लगा।
पूनम भी मस्ती में आते हुए अपनें मुँह से ‘सी..सी.. आह..आह्ह… उह्ह…उह्ह..’ की आवाज़ें करनें लगी और अपनें होंठों को दांतों से दबाते हुए मचलनें लगी।
इसी दौरान मैंनें उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसके पेटीकोट को भी उतार दिया।
अब उसके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर थी जो उसकी गुलाबी चूत को ढके हुए थी।
मैं बारी बारी से उसके चूचों को चूस रहा था और दबा दबा के मसल रहा था।
पूनम अपनी मस्ती में पागल होते हुए ‘ओह जीजाजी… ओह जीजाजी’ कह रही थी।
फिर मैं अपनें हाथ को उसकी चूत पर ले गया तो उसकी कच्छी पूरी तरह से भीगी हुई थी।
मैंनें उसे ऊपर से ही बड़ी जोर से मसल दिया तो पूनम के मुख से ‘आह आह आह’ निकलनें लगी।
मैं उसके शरीर को बड़े प्यार से चूम रहा था तो वो और भी कामुक हुए जा रही थी।
ऐसा करते हुए हमें करीब 15 मिनट हो गये थे।
फिर पूनम नें मुझे धक्का दिया और वो मेरे शरीर के ऊपर आ गई।
उसनें बड़ी फुर्ती से मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को गप्प से अपनें मुँह में लेकर चूसनें लगी।
वो तो मेरे लंड को इस तरह चूस रही थी जेसे कई सालों से प्यासी हो।
वो मेरे लंड की चमड़ी को खींचती और लंड के टोपे को अपनी जुबान से चाटती! जैसे तो वो कोई लंड नहीं लॉलीपॉप चूस रही हो।
वो पूरा लंड गले तक उतारती और उसका रस अपनें मुँह में लेते हुए उसे चूसती और मैं बड़े प्यार से उसके बालों में अपनी अंगुलियाँ फेर रहा था।
जब मैं लास्ट स्टेज पर पहुँचा तो उसके सर को पकड़ कर उसके मुँह में ही लंड के ठोके देनें लग गया और उसके मुँह में ही झड़ गया।

पूनम भी बड़े प्यार से उसे गटक गई और चाट चाट कर लंड को साफ कर दिया।
अब मेरी बारी थी।
मैंनें भी देर न करते हुए उसकी कच्छी को उतारा और उसकी फुद्दी के दर्शन करनें लगा।
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जैसे ही मैंनें अपनी जुबान से उसकी चूत के दानें को छुआ तो वो ‘सी..सी.. सी.. आह..आह..’ करते हुए तिलमिला उठी और बोली:- जीजाजी चाटो इसे! खूब चाटो! खा जाओ इसे! बहुत आग लगा रखी है इसनें मेरे अन्दर। आज इस आग को ठंडा कर दो…
और फिर मैं लग गया उसकी फुद्दी को चाटनें।
मैं अपनें होंठों से उसकी चूत की पलकों को दबाता! काटता और फिर चूसता! और इस कारण वो जोर जोर से अपनी चूत अपनी कमर उचकाते हुए मेरे मुँह पर रगड़नें लगी।

मैं भी बड़े प्यार से चाटते हुए उसकी चूत को अपनी जुबान से चोदनें लगा।
थोड़ी देर के बाद उसकी चूत अब पानी छोड़नें लगी थी।
उसका नमकीन नमकीन टेस्ट मुझे और भी नशा दे रहा था।
वो बोली:- जीजाजी अब और मत तड़पाओ! अपना लंड मेरी चूत में डाल दो…
और जोर जोर से अपनी कमर उचकाते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़नें लगी! लेकिन मैं अपनी जुबान से उसे चोदता रहा।
फिर मैंनें भी उसकी लाचारी को समझते हुए अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर ले जाकर रगड़नें लगा।
वो और भी मचल गई और लंड को डालनें के लिए कहनें लगी।
मैंनें उसकी टांगों को चौड़ा किया और लंड को चूत के मुँह पर ले जा कर एक जोर से धक्का दिया और कच्च की आवाज़ के साथ चूत के अन्दर घुस गया।
चूँकि पूनम बहुत दिनों के बाद चुदवा रही थी तो दर्द के कारण उसके मुख से चिल्लानें की आवाज़ निकल गई।
वो तो शुक्र है कि उस समय वहाँ कोई नहीं था।
फिर थोड़ी देर मैं उसके बोबों को सहलाता रहा और उसे चूमता रहा।
जब उसका दर्द कम हुआ तो फिर दूसरे धक्के में मैंनें अपना लंड पूरा उसकी चूत में उतार दिया! लेकिन अबकी बार उसनें अपना मुंह भींच लिया।
फिर मैं अपनें लंड को अन्दर:-बाहर अन्दर:-बाहर करनें लगा।

थोड़ी देर के बाद पूनम भी अपनी कमर उचकाते हुए लंड को पूरी तरह अपनी चूत में लेनें लगी।
फिर मैं बड़े आराम से उसकी चूत चोद रहा था और वो भी मस्ती में चुदवाते हुए अपनें मुँह से ‘उह्ह… उह्ह… उह… आह…आह… आह… हाय… हाय… मेरे राजा चोद… चोद.. और जोर से चोद… फाड़ दे मेरी चूत… बहुत आग लगा रखी थी इसनें… आह…आह… उह्ह… उह्ह… आह्ह….उई मेरी माँ …. मर गई…’ और ऐसा कहते हुए वो एक बार और झड़ गई।
उस वजह से चूत में से पिच्च ….पिच्च …फच्च ….फच्च…. की आवाज़ें हो रही थी।
लेकिन मैं उसे चोदे जा रहा था।
वो भी बड़े मज़े के साथ मस्त होकर बराबर अपनी कमर को उचका कर लंड के धक्के का जवाब अपनी कमर उचका के अपनी चूत से दे रही थी।
फिर एकदम से मैंनें अपनें लंड को बाहर निकाला ओर उसे कुतिया बनाकर चोदनें लगा।
आगे से मैं उसके दोनों बोबो को मसल रहा था और नीचे से मेरा लंड उसकी चूत चोद रहा था।
पूनम मज़े में चुदते हुए ‘उह्ह.. उह्ह.. उह्ह… हाय… हाय… आह.. आह… और चोदो… और.. और… और… आह… आह… आह…’ और पता नहीं जानें क्या क्या बक रही थी।
अब मैं लास्ट स्टेज पर पहुँच गया था! 

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मैं बोला:- पूनम मेरा पानी छुटनें वाला है अन्दर छोड़ूँ या फिर बाहर?
वो बोली:- जीजा जी मुझे आपके लंड का पानी और पीना है। फिर मैं जोर जोर से शॉट मारनें लगा। लगभग 2 मिनट के बाद मेरे लंड नें पानी छोड़ दिया तो पूनम गप्प से मुँह में लेकर लंड को चूसनें लगी और आखरी बूंद तक चूसती रही। थोड़ी देर के बाद जब हम नार्मल हुए तो हमनें हमारे कपड़े पहनें।
तभी पूनम मेरे पास आई और मुझे किस करते हुए मुझे थैंक्स बोला और कहा:- यह मेरी लाइफ का सबसे यादगार लम्हा रहेगा जीजाजी। मैं इसे कभी नहीं भूलूँगी। और इतना कहते हुए मुझे गले से लगा लिया।

 

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