बेटी, अपने पापा को नंगा कर दे…

मेरा नाम श्रेष्ठा है। मैं मेघालय की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 28 साल है, और मैं इतनी खूबसूरत हूँ कि हर लड़का मुझे देखकर पागल हो जाता है। मेरी फिगर ऐसी है कि लोग बस मेरे पीछे पड़ जाते हैं। मेरे मम्मे सख्त और रसीले हैं, जो हर किसी को ललचाते हैं। मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आता है। मेरे चूचे इतने आकर्षक हैं कि हर कोई इन्हें दबाने को बेताब रहता है। कॉलेज में मेरा बॉयफ्रेंड अक्सर मेरे चूचों को दबाकर मज़े लेता है। मैं भी बाथरूम में अपने मम्मों को मसलकर घंटों मज़ा लेती हूँ। अपने निप्पलों को सहलाते हुए, मैं अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर खुद को गर्म करती हूँ, और तब तक नहीं रुकती जब तक मेरा पानी नहीं निकल जाता।

घर में सिर्फ मैं और मेरे पापा रहते हैं। मेरी माँ जब मैं छोटी थी, तभी गुजर गई थीं। मैं बचपन से पापा के साथ रहती हूँ। ये कहानी तीन साल पुरानी है, जब मैं 25 साल की थी। मेरा बदन संगमरमर की तरह चमकता था, और मेरी चूंचियाँ मक्खन की तरह मुलायम थीं। मेरी जवानी को देखकर पापा का लंड भी खड़ा हो जाता था। मैं उनसे कभी शर्माती नहीं थी। बचपन से ही वो मुझे नंगी देखते आए थे। कई बार मैं पापा के सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में घूमती थी। उनकी आँखों में हवस साफ दिखती थी, लेकिन वो कुछ करते नहीं थे। कभी-कभी वो मुझे पकड़कर अपनी छाती से चिपका लेते, और मेरे बदन को छूकर थोड़ा मज़ा ले लेते। मैं भी उनके स्पर्श में एक अजीब सी गर्मी महसूस करती थी।

एक बार पापा सिर्फ अंडरवियर में बैठे थे। मैं उनके पास से गुजर रही थी, तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी गोद में खींच लिया। मैं उनकी गोद में बैठ गई, जैसा कि अक्सर करती थी। लेकिन उस दिन कुछ अलग था। उनकी गोद में बैठते ही मुझे अपनी गांड में कुछ सख्त चुभता हुआ महसूस हुआ। पापा का लंड अंडरवियर में तनकर खम्भे की तरह खड़ा था। मैंने उसे देखा तो मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई। मैं उत्तेजित हो गई, लेकिन पापा कुछ देर बाद उठकर चले गए। मैं वहीँ बैठी अपनी चूत को सहलाने लगी, सोचते हुए कि काश वो मुझे चोद देते।

उस समय मुझे सुहागरात का मतलब ठीक से नहीं पता था। उत्सुकता में मैंने फोन पर सुहागरात के सीन सर्च किए। चुदाई के वीडियो देखकर मेरी चूत गीली हो गई। मैंने अपनी उंगलियाँ चूत में डालकर खुद को शांत करने की कोशिश की, लेकिन मेरी हवस और बढ़ गई। मैं सोचने लगी कि पापा के साथ ऐसा कुछ हो पाएगा क्या?

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फरवरी का महीना था। उस महीने में पापा की शादी की सालगिरह थी। वो हर साल मुझे अपनी शादी की बातें बताते, और मम्मी के ना होने का गम जताते। फिर भी वो मुझे होटल ले जाकर पार्टी देते। इस बार मैंने सोच लिया था कि पापा को उनकी सालगिरह पर मैं अपनी चूत गिफ्ट करूँगी। मन में डर था, लेकिन हवस उस डर को दबा रही थी।

सालगिरह वाले दिन पापा मुझे होटल ले गए। हमने खूब मज़े किए, खाना खाया, और फिर घर लौट आए। मैंने उस दिन पापा के साथ शॉपिंग की थी। पापा ने मेरे लिए एक काले रंग की नेट वाली नाइटी चुनी थी, जो मुझे बहुत पसंद आई। रात को मैंने वही नाइटी पहनी। ये इतनी पारदर्शी थी कि मेरे सख्त निप्पल और चूंचियाँ साफ दिख रही थीं। मैंने जानबूझकर नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। पापा ने मुझे उस नाइटी में देखा तो उनकी आँखें चमक उठीं।

मैंने कॉफी बनाई और पापा से पूछा, “पापा, आप भी मेरे साथ कॉफी पिएंगे?”

पापा ने उदास स्वर में कहा, “चल बेटा, जिसके साथ आज रात गुजारनी थी, वो तो कब की छोड़ गई। अब तो बस तन्हाई है।”

वो मेरे पास आए और मुझे चिपका लिया। उनकी नज़रें मेरी नाइटी के नेट पर टिकी थीं। “श्रेष्ठा, तू इस नाइटी में बहुत हॉट और सेक्सी लग रही है। बिल्कुल अपनी माँ की तरह,” पापा ने तारीफ की।

उनका चिपकना अब कुछ और ही रंग ले रहा था। वो मेरे कंधों को सहलाने लगे, और धीरे-धीरे उनका हाथ मेरे चूचों पर चला गया। “तेरे बूब्स तो बहुत बड़े और रसीले हो गए हैं,” पापा ने कहा।

मैंने शरारत से कहा, “पापा, मैं रोज इनके साथ खेलती हूँ। बहुत मज़ा आता है।”

“तो आज मुझे भी तेरे बूब्स से खेलने दे,” पापा ने हवस भरे लहजे में कहा।

“नहीं पापा, छूने से कुछ होने लगता है,” मैंने शरमाते हुए कहा, लेकिन मेरी चूत पहले से गीली थी।

“तेरी माँ भी ऐसी ही थी। उसके बूब्स छूते ही गर्म हो जाती थी। तुझे भी चुदने का मन करता होगा ना?” पापा ने पूछा।

मैंने शर्म से सिर हिलाया। पापा की आँखों में हवस की चमक थी। उन्होंने मेरे कंधे दबाए और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैं सिमट गई। वो मुझे चिपकाए रहे, फिर अचानक बोले, “चल बेटा, आज तू मेरे साथ बिस्तर पर लेट जा। हम खूब मज़े करेंगे।”

मेरी चूत में आग लग चुकी थी। मैं पापा के बिस्तर पर लेट गई। उन्होंने दरवाजा बंद किया और मेरे बगल में लेट गए। उनके शरीर का स्पर्श मुझे गर्म कर रहा था। मेरी चूत में जैसे ज्वालामुखी फट रहा था। पापा ने मेरे ऊपर अपना पैर रखा और मेरे ऊपर चढ़ गए। उनका भारी शरीर मेरे नाजुक बदन को दबा रहा था।

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“पापा, नीचे उतरो, मेरी जान निकल रही है,” मैंने कहा।

“बेटा, मज़ा लेना है तो थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा,” पापा ने हँसते हुए कहा।

वो मेरे गले को चूमने लगे। पहले तो उन्होंने हल्का सा चूमा, लेकिन फिर फ्रेंच किस शुरू कर दी। मेरे होंठों को वो चूस रहे थे, जैसे मेरी सारी प्यास बुझा देंगे। “आह्ह… पापा…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने कहा, “पापाजी, मुझे कली से फूल बना दो। मेरी चूत तड़प रही है।”

“घबरा मत बेटी, आज तेरे पापा तेरी ऐसी चुदाई करेंगे कि तू सातवें आसमान पर उड़ेगी। मैं तो कब से इस दिन का इंतज़ार कर रहा था,” पापा ने हवस भरे लहजे में कहा।

पापा ने कहा, “चल, अपने पापा को नंगा कर दे।” मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू किए। पहले उनकी शर्ट, फिर पैंट, और आखिर में सिर्फ अंडरवियर बचा। मैंने भी अपनी नाइटी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी। पापा मुझे घूर रहे थे। “श्रेष्ठा, तू तो कमाल की चीज़ है,” कहकर वो मुझे चूमने लगे। मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “आह्ह… उह्ह…”

पापा ने मेरे कानों को चूमा, फिर मेरे होंठों पर गहरा चुम्बन जड़ा। पाँच मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। मेरी चूत में आग लग चुकी थी। पापा ने अपना अंडरवियर उतारा। उनका लंड देखकर मैं डर गई। वो 8 इंच लंबा और मोटा था, जैसे कोई हथियार। मैंने डरते हुए उसे हाथ में लिया। पापा मेरे चूचों को मसल रहे थे, मेरे निप्पल चूस रहे थे। “आह्ह… पापा… धीरे…” मैं सिसकारी।

पापा ने कहा, “अब तू मुझे पापा मत बोल, तू मेरी बीवी है।” वो मेरे चूचों को दांतों से काट रहे थे। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आह्ह… पापा… धीरे करो…”

वो मेरे सिर को अपनी टाँगों के बीच ले गए। मैंने उनके लंड को मुँह में लिया। उनका मोटा लंड मेरे गले तक जा रहा था। मैं उसे चूस रही थी, और वो मेरे चूचों को मसल रहे थे। “आह्ह… बेटी, तू तो रंडी की तरह चूस रही है,” पापा ने कहा।

मैंने कहा, “पापा, ऐसी बातें मत करो, मैं आपकी बेटी हूँ।”

“ऐसी बातों से चुदाई का मज़ा दोगुना होता है,” पापा ने हँसते हुए कहा।

हम 69 की पोजीशन में आ गए। पापा मेरी चूत को चाट रहे थे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को सहला रही थी। “आह्ह… उह्ह… सीईई… पापा…” मैं सिसकार रही थी। पापा ने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं। मेरा पानी बहने लगा। वो मेरे चूत के रस को चाट रहे थे। मैं उनके लंड को पागलों की तरह चूस रही थी। कमरे में हमारी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… सीईई… हा हा हा…”

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मैं झड़ने वाली थी। “पापा, और चाटो… आह्ह…” मैंने कहा। मेरी चूत ने पापा के मुँह में पानी छोड़ दिया। वो सारा रस चाट गए। फिर पापा ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं सिसकारी, “आह्ह… पापा… डाल दो…”

पापा ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर घुसाने लगे। “आह्ह… मम्मी… सीईई… हा हा हा…” मैं दर्द से चीख पड़ी। पापा ने मेरा मुँह दबाया और मेरी चूची को मसलने लगे। उनका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। मेरी चूत फट रही थी। “आह्ह… उह्ह… पापा… धीरे…” मैं चीख रही थी।

पापा ने धक्के मारने शुरू किए। उनकी हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। “आह्ह… उह्ह… सीईई… हा हा हा…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। दस मिनट तक वो मेरी चूत को चोदते रहे। धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मैंने अपने चूतड़ उछालने शुरू किए, “पापा, फाड़ दो मेरी चूत… आह्ह… चोदो मुझे…”

पापा का जोश कम हुआ तो वो मेरे ऊपर लेट गए। मैंने उनके लंड को अपनी चूत से निकाला और उनके ऊपर चढ़ गई। मैं जोर-जोर से उछलने लगी। “आह्ह… उह्ह… हूँ हूँ हूँ… सीईई…” मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं। मैं पागलों की तरह उनकी चुदाई कर रही थी। कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। पापा ने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया। मैं उनके ऊपर लेट गई। उनका माल मेरी चूत से बह रहा था।

रात में हमने कई बार चुदाई की। हर बार पापा मुझे नए तरीके से चोदते। मैं उनकी रंडी बन चुकी थी, और मुझे इसमें मज़ा आ रहा था।

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