पागल जेठ से चुदने को बोला सास ने

पागल जेठ से चुदने को बोला सास ने

मैं, प्रियंका, एक शादीशुदा औरत हूँ, गौतम बुद्ध नगर में अपनी ससुराल में रहती हूँ। दो बच्चों की माँ हूँ और हाउसवाइफ होने की वजह से सारा दिन घर पर ही बीतता है। खाली वक्त में मुझे सेक्स वीडियो देखना और हॉट-हॉट सेक्स कहानियाँ पढ़ना पसंद है। मेरी एक सहेली ने मुझे ऐसी कहानियों का चस्का लगाया था, और तब से मैं रोज़ नई-नई कहानियाँ पढ़ती हूँ। आज मैं अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची और मसालेदार कहानी आपको सुनाने जा रही हूँ, जो मेरी ससुराल में घटी। उम्मीद है ये कहानी आपको उतना ही मज़ा देगी, जितना मुझे इसे जीने में आया।

मेरे पति, राहुल, मुझे बहुत प्यार करते हैं। हर रात वो मेरी चूत को ऐसे चोदते हैं जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ता हो। उनकी ताकत और जोश से मेरी ज़िंदगी मज़े से चल रही थी। मेरे दो बच्चे, एक 6 साल का और दूसरा 4 साल का, घर में चहल-पहल बनाए रखते हैं। लेकिन दो साल पहले मेरी इस हसीन ज़िंदगी में एक तूफान आया, जिसने सब कुछ उलट-पुलट कर दिया। मेरे जेठ, रमेश, और जिठानी, रागिनी, के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा था। रागिनी अक्सर मुझसे शिकायत करती थी कि जेठ जी का लंड अब वैसा जोश नहीं दिखाता। वो कहती, “प्रियंका, तेरा जेठ तो अब बूढ़ा हो गया है, कायदे से चोद भी नहीं पाता। बस दो मिनट में हाँफने लगता है।”

धीरे-धीरे उनकी शिकायतें बढ़ती गईं। जेठ और जिठानी में रोज़ तू-तू मैं-मैं होने लगी। रागिनी का गुस्सा इतना बढ़ गया कि वो ज़्यादातर वक्त अपने मायके में ही रहने लगी। कुछ महीनों बाद हमें पता चला कि रागिनी ने मायके में नितेश नाम के एक जवान लड़के से चक्कर चला लिया है। वो उससे जी भरकर चुदवाती थी। ये बात ससुराल में आग की तरह फैल गई। मेरे ससुर, सास, और पूरे गाँव में बदनामी होने लगी। जेठ गुस्से में कहते, “ये छिनाल मायके में मोटा लंड ढूंढ लिया, अब यहाँ क्या आएगी? तीन-तीन, चार-चार महीने मायके में पड़ी रहती है!”

ससुराल में हंगामा मच गया। ससुर और सास तो रागिनी को जान से मारने की बात करने लगे। गाँव में लोग कानाफूसी करने लगे, “अरे, रमेश की बीवी तो नितेश के साथ सो रही है। ससुराल की इज्ज़त मिट्टी में मिला दी।” पर जब जेठ रागिनी को मनाने उसके मायके गए, तो उसकी खूबसूरती देखकर फिर पिघल गए। जेठ ने भरी महफिल में कहा, “रागिनी, जो तूने नितेश के साथ किया, मैं सब माफ करता हूँ। बस अब और बदनामी मत करवा, चुपचाप घर चल!”

लेकिन रागिनी ने साफ मना कर दिया। उसने सबके सामने चिल्लाकर कहा, “नहीं! मैं अब नितेश के साथ ही रहूँगी। मैं उससे प्यार करती हूँ। मैंने उससे कई बार चुदवाया है, और मुझे उसका लंड ही चाहिए!” वहाँ 60 लोग थे, और रागिनी की बात सुनकर सबके होश उड़ गए। मेरे पति, सास, ससुर, और जेठ की इज्ज़त सरेराह नीलाम हो रही थी। जेठ ने गुस्से में धमकी दी, “रागिनी, प्यार से समझा रहा हूँ, मान जा, वरना तेरी बोटी-बोटी काट दूँगा!” पर रागिनी पर कोई असर नहीं पड़ा। वो नितेश के लंड की दीवानी हो चुकी थी।

मामला सुलझाने के लिए हर कोई अलग-अलग सलाह दे रहा था। ससुर और रागिनी के पिता तो उसे ज़हर देकर मारने की बात करने लगे। लेकिन जेठ, जो रागिनी से बेहद प्यार करते थे, उसे वापस अपनाने को तैयार थे, भले ही वो बदचलन थी। गाँव के कुछ लोग डर रहे थे कि कहीं रागिनी नितेश के साथ भाग न जाए। बड़े-बूढ़ों का दिमाग भी काम नहीं कर रहा था। इसी बीच, जेठ, ससुर, और गाँव के कुछ लोगों ने मिलकर नितेश को गोली मार दी। उनका सोचना था, “अगर नितेश ही नहीं रहेगा, तो रागिनी किसके साथ जाएगी?”

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लेकिन ये चाल उलटी पड़ गई। जब रागिनी को पता चला कि नितेश को मार दिया गया, वो टूट गई। उसने नितेश के साथ जीने-मरने की कसमें खाई थीं। गुस्से और गम में उसने घर में गेहूँ के ढेर में रखी सल्फास की चार गोलियाँ खा लीं। अस्पताल ले जाते-जाते उसकी मौत हो गई। असली ड्रामा तो अब शुरू हुआ। जेठ, जो 40 की उम्र में बड़ी मुश्किल से शादी करके रागिनी को लाए थे, अब पूरी तरह टूट गए। रागिनी भले ही बदचलन थी, पर जेठ की आँखों का तारा थी। उनकी याद में जेठ पागल होने लगे। वो दिन-रात उसका नाम पुकारते, उसकी साड़ियाँ पकड़कर रोते। उनका दिमाग जैसे सुन्न पड़ गया था।

मेरे पति, सास, और ससुर को कभी नहीं लगा था कि रागिनी इतना बड़ा कदम उठा लेगी। आजकल कौन इतनी जल्दी ज़हर खा लेता है? रागिनी के मायके वाले भी सोच रहे थे कि नितेश के हटने के बाद वो ससुराल लौट आएगी। पर सब गलत हो गया। मेरे पति और ससुर जेठ को मोटरसाइकिल पर बिठाकर जिला अस्पताल ले गए। वहाँ मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया, “रमेश को अपनी पत्नी की मौत का गहरा सदमा लगा है। अगर कोई खूबसूरत औरत रात में उनके कमरे में रागिनी बनकर जाए और उन्हें यकीन दिलाए कि उनकी बीवी ज़िंदा है, तो वो उससे चुदाई करेंगे और धीरे-धीरे ठीक हो जाएँगे।”

अब सवाल ये था कि ऐसी औरत कौन होगी? सास, ससुर, और मेरे पति परेशान थे। एक दिन सास ने मुझसे कहा, “बेटी प्रियंका, अब तुझे ही रागिनी बनकर रमेश के कमरे में जाना होगा। तू उसे खुश कर दे, उसके साथ सो जा। धीरे-धीरे मेरा बेटा ठीक हो जाएगा।” ससुर भी बोले, “बहू, तू तो पहले से चुदाई में माहिर है। बस कुछ दिन रागिनी का नाटक कर, रात में उसके कमरे में चली जा। मेरा बेटा वापस मिल जाएगा।” मेरे पति भी रोज़ मुझसे यही गुज़ारिश करने लगे। मैं असमंजस में थी। अपने जेठ से चुदवाना? ये तो मेरे लिए अजीब था। लेकिन जेठ की हालत देखकर और ससुराल वालों की मिन्नतों के आगे मुझे हाँ करना पड़ा।

अगली रात, मैंने रागिनी की तरह साड़ी पहनी, लंबा घूँघट लिया और जेठ के कमरे में गई। उनका कमरा अंधेरे में डूबा था, और वो बिस्तर पर पड़े रागिनी का नाम पुकार रहे थे। मैंने उनके पैर दबाने शुरू किए। मेरा दिल धक-धक कर रहा था। मन में डर था कि अगर जेठ ने मुझे पहचान लिया तो? पर उनके दिमाग में सदमा था, वो मुझे रागिनी ही समझ रहे थे। “रागिनी, तुम आ गई?” जेठ की आवाज़ में खुशी थी। मैंने घूँघट में मुँह छिपाकर रागिनी की तरह जवाब दिया, “हाँ पति देव, मैं नितेश को छोड़कर आपके पास लौट आई हूँ।”

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जेठ को यकीन हो गया कि उनकी बीवी ज़िंदा है। मैंने जल्दी से कमरे की लाइट बंद कर दी ताकि वो मुझे पहचान न सकें। फिर जो हुआ, वो मेरी ज़िंदगी का सबसे अलग अनुभव था। जेठ ने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन, और चेहरे पर चुम्मियों की बरसात कर दी। उनका गर्म स्पर्श मेरे जिस्म में सिहरन पैदा कर रहा था। मैं डर रही थी, पर कहीं न कहीं मुझे भी मज़ा आने लगा। जेठ मुझे रागिनी समझकर मेरे गाल चूम रहे थे, मेरे कान के पास फुसफुसा रहे थे, “रागिनी, मेरी जान, तुम लौट आई। अब कभी मत जाना।”

धीरे-धीरे जेठ ने मेरी साड़ी खींचकर उतार दी। मेरे काले ब्लाउज़ की बटनों को एक-एक करके खोलने लगे। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। मैं सोच रही थी, “प्रियंका, तू अपने जेठ से चुदवाने जा रही है, और तेरे पति, सास, ससुर ही तुझे ये करने को कह रहे हैं!” गाँव में औरतें कम ही ब्रा-पैंटी पहनती हैं, और मैंने भी कुछ नहीं पहना था। जैसे ही जेठ ने मेरा ब्लाउज़ उतारा, मेरी 40 इंच की भारी-भरकम चूचियाँ नंगी हो गईं। जेठ की आँखों में चमक आ गई। वो बोले, “रागिनी, तेरे ये मम्मे तो वैसे ही हैं, जैसे पहले थे। कितने रसीले हैं!”

वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगे। उनके मुँह की गर्मी और दाँतों की चुभन मेरे जिस्म में आग लगा रही थी। मैं कराह उठी, “उह्ह… अह्ह… जेठ जी, धीरे… ओह्ह!” पर जेठ तो जैसे पागल हो गए थे। वो मेरी एक चूची को चूसते, दूसरी को अपने बड़े-बड़े हाथों से मसलते। “रागिनी, तेरे मम्मे तो दूध से भरे हैं, आज तुझे चोद-चोदकर तेरा सारा रस निकाल दूँगा,” वो गंदी बातें करते हुए मेरी चूचियों को लप-लप चूस रहे थे। मुझे दर्द हो रहा था, पर मज़ा भी इतना आ रहा था कि मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी।

जेठ ने मेरा पेटीकोट खींचकर उतार दिया। मेरी चूत, जो घनी काली झांटों से ढकी थी, उनके सामने थी। रागिनी कभी अपनी चूत के बाल नहीं हटाती थी, और जेठ को ये बेहद पसंद था। वो मेरी झांटों में उंगलियाँ फिराने लगे, जैसे कोई जंगल में रास्ता ढूंढ रहा हो। “रागिनी, तेरी चूत की ये घास कितनी मुलायम है,” वो बोले और मेरी चूत पर मुँह रख दिया। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूसने लगी। मैं तो पागल हो रही थी। “आआह्ह… मम्मी… जेठ जी… उह्ह… और चूसो… मेरी चूत को खा जाओ!” मैं रागिनी की आवाज़ में चिल्लाई। मेरे पति ने कभी मेरी चूत नहीं चूसी थी, और जेठ की जीभ का ये खेल मेरे लिए बिल्कुल नया था। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, मेरे दाने को दाँतों से हल्के-हल्के काट रही थी। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर चिल्ला रही थी, “ओह्ह… माँ… सीस्स… अह्ह… जेठ जी, और करो!”

जेठ की जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मेरे जिस्म में वासना की आग भड़क चुकी थी। मैं सोच रही थी, “प्रियंका, तू आज अपने जेठ से चुदवाने जा रही है। ये गलत है, पर कितना मज़ा दे रहा है!” जेठ ने मेरी चूत के गुलाबी होंठों को दाँतों से काटना शुरू किया। मैं पागल हो रही थी, मेरी चूत गीली हो चुकी थी। “जेठ जी, अब बस… मुझे चोद दो… मेरी चूत में अपना लंड डाल दो!” मैंने रागिनी की आवाज़ में कहा। जेठ ने अपने कपड़े उतारे और अपना 12 इंच का मोटा लौड़ा मेरे सामने लहराया। मैं डर गई। मेरे पति का लंड 7 इंच का था, पर जेठ का लंड तो जैसे कोई हथियार था।

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जेठ ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “उई माँ… अह्ह… जेठ जी, धीरे!” मैं चिल्लाई। उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। मैंने जेठ को अपनी बाँहों में कस लिया। वो मुझे रागिनी समझकर चोद रहे थे, और मैं भी उनके मोटे लंड का मज़ा ले रही थी। “रागिनी, तेरी चूत तो अभी भी उतनी ही टाइट है,” जेठ बोले और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। मैंने अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं ताकि उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जाए। “अह्ह… जेठ जी… चोदो मुझे… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दो!” मैं गंदी बातें करते हुए चिल्ला रही थी।

जेठ का लंड मेरी चूत में सट-सट फिसल रहा था। उनकी कमर मटक-मटक कर मुझे पेल रही थी। मेरे 40 इंच के मम्मे इधर-उधर उछल रहे थे। “उह्ह… सीस्स… हा हा… जेठ जी… और ज़ोर से… मेरी चूत को रगड़ दो!” मैं चिल्ला रही थी। जेठ किसी जंगली घोड़े की तरह मुझे चोद रहे थे। उनकी हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। मुझे डर था कि कहीं मेरी चूत फट न जाए, पर मज़ा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी।

जेठ ने मुझे डेढ़ घंटे तक नॉन-स्टॉप चोदा। उनकी गंदी बातें, “रागिनी, तेरी चूत का रस आज मैं पूरा पी जाऊँगा,” मेरे जिस्म में और आग लगा रही थीं। आखिरकार, वो मेरी चूत में ही झड़ गए। मैं हाँफ रही थी, मेरा जिस्म पसीने से भीगा था। उस रात के बाद, मैं दो महीने तक हर रात जेठ के कमरे में गई। हर बार वो मुझे रागिनी समझकर चोदते, और मैं भी उनके मोटे लंड का मज़ा लेती। धीरे-धीरे जेठ की हालत सुधरने लगी। दो महीने बाद वो पूरी तरह ठीक हो गए और रागिनी को भूल गए।

लेकिन मेरे मन में एक सवाल रह गया। क्या मैंने जो किया, वो सही था? मैंने अपने जेठ से चुदवाया, अपने पति, सास, और ससुर की रज़ामंदी से। पर वो रातें, वो मज़ा, वो गंदी बातें… मैं उन्हें कभी नहीं भूल पाऊँगी। दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? अपनी राय ज़रूर बताएँ, मैं इंतज़ार करूँगी!

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