हाय दोस्तो, मेरा नाम लकी है। मैं पंजाब के लुधियाना का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है। मैं मध्यम कद का हूँ, गठीला बदन, हल्की दाढ़ी, और चेहरे पर एक ठहराव जो मेरी बीवी को खूब भाता है। मेरा होजरी का कारोबार है, और मेरी फैक्ट्री घर से बस एक मिनट की पैदल दूरी पर है। मेरी बीवी, प्रिया, 26 साल की है। वो गोरी, पतली, लंबे काले बालों वाली, और चेहरे पर एक मासूम-सी मुस्कान लिए रहती है, लेकिन उसकी आँखों में शरारत झलकती है। हमारी बेटी, रिया, 3 साल की है, और घर में उसकी शरारतों से हमेशा रौनक रहती है। मेरे पापा, 55 साल के, गंभीर मिजाज के, और अक्सर अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताते हैं। मेरी सास 45 साल की हैं। उनका कद छोटा, रंग सांवला, और शरीर थोड़ा भरा हुआ है। उनके बूब्स ज्यादा बड़े नहीं, लेकिन उनकी आँखों में एक गहराई है जो कभी-कभी मुझे बेचैन कर देती है। मेरे ससुर को गुजरे 10 साल हो चुके हैं, और तब से सास अकेली रहती हैं।
ये कहानी तब की है जब मेरी शादी को 6 महीने ही हुए थे। पापा कुछ दिनों के लिए काम से बाहर गए थे। प्रिया ने अपनी माँ, यानी मेरी सास, को कुछ दिन हमारे साथ रहने बुलाया था। मैंने कभी सास के बारे में गलत नहीं सोचा था। मेरे लिए वो बस प्रिया की माँ थीं, जिनका मैं सम्मान करता था। लेकिन उस एक हफ्ते में कुछ ऐसा हुआ कि मेरे मन में अजीब-सी उथल-पुथल मच गई।
पहले दिन मैं शाम को फैक्ट्री से लौटा तो देखा सास रसोई में प्रिया के साथ खाना बना रही थीं। मैंने नहाकर कपड़े बदले और ड्राइंग रूम में बैठ गया। सास ने मुझे देखकर मुस्कुराया, और उनकी मुस्कान में कुछ था—शायद एक अनकही जिज्ञासा। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। रात को हमने खाना खाया। रिया सो चुकी थी। हम तीनों एक ही बेड पर सोने की तैयारी करने लगे। प्रिया बीच में लेटी, मैं एक तरफ, और सास दूसरी तरफ। रात को नींद नहीं आ रही थी। प्रिया की साँसें सुनाई दे रही थीं, लेकिन मेरे दिमाग में सास की वो मुस्कान बार-बार आ रही थी। मैंने खुद को समझाया कि ये मेरा वहम है।
अगली सुबह मैं नाश्ता करके फैक्ट्री चला गया। शाम को प्रिया का फोन आया कि वो जन्माष्टमी के लिए पड़ोस में जा रही है, और सास घर पर अकेली हैं। मैं जल्दी घर लौटा। नहाने के बाद मैं सिर्फ बनियान और अंडरवियर में था। मैं अपने कमरे में कपड़े बदलने गया, तभी सास अचानक कमरे में आ गईं। मैंने जल्दी से पैंट पहनी, लेकिन उनकी नजर मेरे अंडरवियर पर टिक गई थी। वो एक पल रुकीं, फिर बोलीं, “बेटा, चाय पियोगे?” उनकी आवाज में कुछ था—एक अजीब-सी गर्मजोशी। मैंने हाँ में सिर हिलाया, और वो चाय बनाने चली गईं। मेरे मन में हलचल मच रही थी। क्या वो सचमुच मेरी तरफ देख रही थीं? मैंने सोचा, शायद मैं ज्यादा सोच रहा हूँ।
सास चाय लेकर आईं। मैंने चाय पीते हुए उनसे इधर-उधर की बातें की—रिया की शरारतें, लुधियाना का मौसम, बाजार का हाल। लेकिन उनकी नजर बार-बार मेरी पैंट पर जा रही थी। मेरे मन में शरारत जागी। मैंने जानबूझकर अपनी जांघ पर हाथ फेरा, जैसे खुजली हो। उनकी आँखें मेरे हाथों को फॉलो कर रही थीं। मैंने धीरे-से पैंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाया। सास की साँसें जैसे तेज हो गईं। वो कुछ नहीं बोलीं, बस चाय का कप टेबल पर रखकर रसोई में चली गईं। तभी प्रिया घर लौट आई। हमने खाना खाया और सोने की तैयारी की।
रात को नींद नहीं आ रही थी। प्रिया गहरी नींद में थी। सास भी शायद सो रही थीं। मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था, लेकिन मेरा मन बेचैन था। सास की वो नजरें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। मेरा लंड अंडरवियर में तनने लगा। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मन नहीं माना। मैं बाथरूम जाने के बहाने उठा और बाहर गया। थोड़ी देर बाद वापस लौटा। मेरा दिमाग शरारत भरा था। मैं धीरे-से प्रिया और सास के बीच में लेट गया। सास को शायद नहीं पता था कि मैं वहाँ हूँ। मैंने धीरे-से उनकी तरफ करवट बदली। अचानक उनकी आँख खुल गई। वो चौंककर मुझे देखने लगीं। “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” उनकी आवाज में घबराहट थी, लेकिन वो चुप रहीं। मैं डर गया और चुपचाप लेटा रहा, सोने का नाटक करने लगा।
सुबह होने से पहले मैं वापस अपनी जगह लेट गया। सुबह सास ने मुझसे पूछा, “रात को तुम बीच में क्या कर रहे थे?” मैंने हँसकर टाल दिया, “क्या सास जी, मैं तो सो रहा था। आप क्या बात कर रही हैं?” और मैं फैक्ट्री चला गया। लेकिन मेरे मन में एक अजीब-सा तूफान उठ रहा था।
शाम को घर लौटा तो सास घर पर थीं। प्रिया वॉशरूम गई थी। मैंने कमरे में कपड़े बदलने शुरू किए। मैं जानबूझकर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में रहा। मैंने अपने लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाना शुरू किया। सास की नजर मेरी तरफ थी। वो हल्का-हल्का देख रही थीं। मेरा लंड धीरे-धीरे अकड़ने लगा। सास ने अचानक कहा, “ये क्या कर रहे हो?” मैंने हँसकर कहा, “बस खुजली हो रही थी, सास जी।” वो चुप हो गईं, लेकिन उनकी आँखों में कुछ था। मैंने पैंट पहनी और लॉबी में बैठ गया। सास बाहर आईं और बोलीं, “क्या हुआ, बेटा?” मैंने कुछ नहीं कहा और कमरे में चला गया।
रात को खाना खाने के बाद प्रिया बर्तन रखने गई। मैंने फिर से जानबूझकर अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया। सास ने देखा और बाहर चली गईं। रात को सोते वक्त मेरा मन फिर बेचैन था। प्रिया और सास दोनों सो चुकी थीं। मैंने धीरे-से अपना लंड नाइट पैंट से बाहर निकाला। सास की तरफ देखते हुए मैं उसे सहलाने लगा। अचानक मुझे लगा कि सास की आँखें खुली हैं। वो मेरे लंड को देख रही थीं। मैं डर गया और जल्दी से लंड को कपड़ों में छुपाया। लेकिन सास की नजर मुझ पर टिकी रही। मैंने सोने का नाटक किया और आँखें बंद कर लीं।
रात के करीब 4 बजे मेरी नींद खुली। सास सो रही थीं। मैंने हिम्मत करके फिर से उनके और प्रिया के बीच लेट गया। मेरा लंड पैंट में लोहे की तरह सख्त था। मैंने धीरे-से सास के पैरों को अपने पैरों से छुआ। वो सीधी लेट गईं। मैंने फिर से देखा, वो सो रही थीं। मेरे मन में डर था, लेकिन जोश भी था। मैंने धीरे-से अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और सास के हाथ से छुआ। मुझे मजा आने लगा। सास सो रही थीं। मैंने हिम्मत करके अपना लंड उनके हाथ पर रगड़ा। अचानक उनका हाथ हिला। मैं डर गया, लेकिन वो सोती रहीं। मैंने फिर से लंड उनके हाथ पर रगड़ा। अचानक मुझे लगा कि उनका हाथ टाइट हो रहा है। मैंने देखा, सास ने मेरे लंड को पकड़ लिया था। उनकी आँखें बंद थीं, लेकिन उनका हाथ मेरे लंड को कसकर पकड़े हुए था। मैं स्तब्ध रह गया।
कुछ पल बाद सास ने धीरे-से आँखें खोलीं। वो चुप थीं, लेकिन उनके हाथ की पकड़ और सख्त हो गई। मैंने कुछ नहीं कहा। मेरे दिल की धड़कन तेज थी। सास ने धीरे-से मेरे लंड को सहलाना शुरू किया। मैं सिहर उठा। उनका हाथ गर्म था, और उनकी हरकतें जैसे मुझे पागल कर रही थीं। मैंने धीरे-से उनके कंधे पर हाथ रखा। वो चौंकी नहीं। बस चुपचाप मेरे लंड को सहलाती रहीं। मैंने हिम्मत करके उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स को छुआ। वो नरम थे, और उनकी साँसें तेज हो गईं। मैंने धीरे-से उनका ब्लाउज ऊपर किया और उनके बूब्स को दबाया। सास ने एक हल्की-सी सिसकारी भरी।
मैंने अपना लंड उनके हाथ में और जोर से रगड़ा। वो अब खुलकर मेरे लंड को हिलाने लगीं। मैंने उनके पेटीकोट को ऊपर सरकाया और उनकी जांघों को सहलाया। उनकी त्वचा गर्म थी। मैंने धीरे-से उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को छुआ। वो गीली थी। सास ने एक गहरी साँस ली और मेरी तरफ देखा। उनकी आँखों में वासना थी, लेकिन साथ में एक डर भी। मैंने धीरे-से उनकी पैंटी नीचे सरकाई और अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पर फिराईं। वो सिहर उठीं। मैंने अपनी एक उंगली अंदर डाली। सास ने मेरे कंधे को कसकर पकड़ लिया।
मैंने धीरे-से अपना लंड उनकी चूत के पास ले गया। प्रिया पास में सो रही थी, और हम दोनों सावधान थे। मैंने धीरे-से अपना लंड उनकी चूत में डाला। सास ने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक हल्की-सी सिसकारी भरी। मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे होने लगा। उनकी चूत गर्म और टाइट थी। मैंने धीरे-से उनकी कमर पकड़ी और अपनी रफ्तार बढ़ाई। सास ने अपने होंठ काटे और मेरे कंधे को और जोर से पकड़ लिया। मैंने उनके बूब्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। वो अब खुलकर सिसकारियाँ ले रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे, ताकि प्रिया न जागे।
कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरा माल निकलने वाला है। मैंने सास के कान में फुसफुसाया, “सास जी, मैं झड़ने वाला हूँ।” उन्होंने मेरी तरफ देखा और धीरे-से बोलीं, “अंदर मत करना।” मैंने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और उनके पेट पर झड़ गया। सास ने एक गहरी साँस ली और मेरी तरफ देखा। उनकी आँखों में संतुष्टि थी, लेकिन साथ में एक अजीब-सा डर भी।
हम दोनों चुपचाप अपनी-अपनी जगह लेट गए। सुबह होने से पहले मैं अपनी जगह वापस चला गया। सुबह सास ने मुझसे कुछ नहीं कहा, बस उनकी नजरें मुझसे मिलने से बच रही थीं। मैं भी चुप रहा। लेकिन मेरे मन में एक तूफान मचा हुआ था। ये सब गलत था, लेकिन उस रात का मजा मेरे दिमाग से निकल नहीं रहा था।
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