आंटी पूजा को उसकी जिंदगी की चाहत दी

हाय, मेरा नाम राह है, मैं हैदराबाद से हूँ, और ये मेरी कहानी है—गर्मागर्म और दिल से निकली हुई। अगर आप मुझसे बात करना चाहते हैं या बताना चाहते हैं कि कहानी कैसी लगी, तो मुझे ईमेल करें: [email protected]।

मैं एक मिडिल क्लास लड़का हूँ, एथलेटिक बॉडी, 5 फीट 9 इंच लंबा। एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करता था, जहाँ मुझे ऑफिस से मोबाइल नंबरों का डेटा मिलता था। मैं कस्टमर्स को कॉल करके अपनी कंपनी की डिटेल्स देता था। दिनभर कॉल करते-करते थक जाता था। एक दिन ऐसे ही एक नंबर पर कॉल लगाया—एक औरत ने फोन उठाया। मैंने उसे इंश्योरेंस की डिटेल्स दीं। तभी उसने कहा, “आपकी बातें फोन पर समझ नहीं आ रही हैं। क्या आप घर आकर डिटेल्स दे सकते हैं?” मैंने बॉस से इजाजत ली और अपनी बाइक से उस आंटी—जिसका नाम पूजा था—के घर चला गया। जैसे ही उसके बताए पते पर पहुँचा, पूजा को देखकर दंग रह गया। वो आंटी नहीं, एकदम माल लग रही थी—मीडियम फिगर, कुंवारी लड़की की तरह ताजा जिस्म। उसने मुझे अंदर बुलाया, सारी डिटेल्स लीं, लेकिन मुझे घूरती रही—जैसे मुझे चबा जाएगी। मैंने डिटेल्स देकर अपना नंबर छोड़ दिया, “कोई शक हो तो कॉल करना,” और निकल लिया।

दो दिन बाद पूजा का कॉल आया। “राह, मुझे आपके प्रोडक्ट में कुछ शक है।” मैंने उसके सवाल साफ किए। अगले दिन फिर कॉल, एक और शक—वो भी सुलझा दिया। फिर रात को एक अनजान नंबर से कॉल आया। मैं गहरी नींद में था, उठा नहीं। सुबह उस नंबर पर कॉल किया—पूजा ही थी। “ये मेरा दूसरा नंबर है,” उसने कहा, “खास कॉल्स के लिए।” मैं चौंका। “इससे मुझे ही क्यों कॉल?” मैंने पूछा। वो चुप। मैंने आगे बढ़ाया, “मुझसे दोस्ती करोगी?” वो हँस पड़ी, “राह, इसलिए तो कॉल किया था—आपसे दोस्ती के लिए।”

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कुछ दिन तक पूजा मुझे कॉल करती रही, इधर-उधर की बातें करती—इंश्योरेंस का जिक्र तक नहीं। मेरे दिमाग में गंदे-गंदे खयाल आने लगे। वो ऐसी थी कि कोई उसे एक बार देख ले, तो जान दे दे। थोड़ा वक्त गुजरा, फिर मैंने सोचा, “क्यों न पूजा को परखूँ? हाँ हुई तो ठीक, नहीं तो कोई बात नहीं।” एक रात कॉल पर पूछा, “आप रात को ही क्यों कॉल करती हैं? आपके पति को दिक्कत नहीं होती?” वो रोने लगी। मैं घबरा गया—कहीं गलत तो नहीं बोल दिया? फिर उसने कहा, “पति पास होते तो दिक्कत होती। वो बहुत दूर हैं—अमेरिका में।” ये सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटे। “तो इसमें रोने की क्या बात है?” मैंने छेड़ा।

पूजा बोली, “वो गए, तब से मैं यहाँ अपनी 2 साल की बेटी के साथ कॉम्प्लेक्स में अकेली हूँ।” मैंने तपाक से कहा, “अकेली कहाँ? मैं हूँ न आपके साथ। कोई परेशानी हो तो बिना सोचे बोलना, ठीक?” वो चुप हो गई, हाँ में सिर हिलाया।

अगले दिन फिर उसका कॉल। हम बकवास करते रहे। मैं हमेशा कहता, “कोई नया टॉपिक लाओ,” और खुद सोचता कि अपनी मन की चाहत—उसके साथ सेक्स—कैसे बताऊँ। सोच ही रहा था कि पूजा ने एक नई फिल्म का जिक्र छेड़ा। “राह, वो फिल्म देखी?” “हाँ,” मैंने कहा। “क्या पसंद आया?” उसने पूछा। मैं थोड़ा डरा—कहीं नाराज न हो जाए—फिर धीरे से बोला, “वो जोश भरा सीन, जो आखिर तक गया—वो मस्त था।” “आखिर तक मतलब?” उसने दबाया। “सेक्स वाला सीन,” मैंने हौले से कहा। वो खामोश। फिर, “राह, तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया या बस फिल्मों में देखा?” “नहीं किया,” मैंने सच बोला। “फिर खुद को कैसे संभालते हो?” उसने पूछा। “जैसे तुम अपने पति के बिना रहती हो, वैसे ही,” मैंने ताना मारा। वो चुप। “पूजा, खामोश क्यों? क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ—उसके बिना तुम्हें पूरा करूँ?” वो सन्न, कॉल काट दिया।

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मैं घबरा गया—कहीं गलत तो नहीं बोल दिया? थोड़ी देर बाद एक मैसेज आया: “हाँ।” मैंने फौरन कॉल किया, “पूजा, कब फ्री रहती हो?” “टाइम फिक्स करके बताऊँगी,” उसने कहा। अगली सुबह उसका मैसेज: “आज 2:30।” मैं ठीक टाइम पर उसके कॉम्प्लेक्स पहुँचा। दरवाजा खुला—पूजा एक पारदर्शी नाइटी में। मैं दंग। अंदर गया, सोफे पर बैठा। वो मेरे बगल वाले सोफे पर। इधर-उधर की बातें करते हुए मैं उसकी आँखों में आँखें डाल रहा था। बातों-बातों में करीब गया, उसका चेहरा पकड़ा, होंठों पर होंठ रखकर चूम लिया। उसे बाँहों में भर लिया, “इजाजत है?” पूजा ने सिर हिलाकर हाँ कहा।

उसे उठाकर बेड पर ले गया। पूजा को लिटाया, चूमना शुरू किया, उसकी नाइटी उतार फेंकी। वो चेहरा फेर रही थी—शायद शरम। मैंने टी-शर्ट और जींस उतारी। अंडरवेयर नीचे किया—मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह तना हुआ था। पूजा ने देखा, उसमें करंट दौड़ गया। मैं चूमता रहा, उसकी ब्रा खींचकर उतारी, उसके चूचों पर हाथ फेरा। पैंटी में हाथ डाला, उसकी चूत के होंठों को सहलाया—वो हाई वोल्टेज की तरह गरम हो गई। पैंटी उतारी—वो मेरे सामने पूरी नंगी। मैंने भी अंडरवेयर फेंका, मेरा लंड हवा में लहराया। वो देखती रही। “मुँह में लो,” मैंने कहा। उसने लंड मुँह में लिया, चूसने लगी—मजा आ गया।

थोड़ी देर बाद पूजा बोली, “राह, अब नहीं रुकता!” उसे लिटाया, लंड उसकी चूत के होंठों पर रगड़ा। वो तड़प उठी, “राह, प्लीज—अंदर डालो—बर्दाश्त नहीं होता!” उसकी टाँगें फैलाईं, चूत पर लंड रखा, धीरे-धीरे अंदर पेला। वो सेक्स से दूर रहने की वजह से टाइट थी। धीरे-धीरे पूरा लंड घुसाया—उसकी हल्की चीख निकली, “आहह!” मैंने स्पीड बढ़ाई, पूजा को चोदता गया। वो मेरा साथ देने लगी। उसे जमकर सेक्स का मजा दिया। वो बार-बार चिल्लाई, “राह, रुकना मत—बस चोदते रहो!” उस दिन तीन बार उसे पेला। अपनी-अपनी प्यास बुझाकर बेड पर लिपटे रहे। इसके बाद सिर्फ दो बार और सेक्स हुआ—फिर उसका पति अमेरिका से लौटा, उसे साथ ले गया। तब से मैं खामोश हूँ।

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