मेरी पत्नी रश्मिका, मेरी जान, मेरा प्यार। उसकी खूबसूरती ऐसी कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए। शादी के बाद से ही मैं उस पर फिदा हूँ, और आज भी उसका जादू कम नहीं हुआ। उसकी आँखों में चमक, चाल में नजाकत, और सेक्स में वो जोश कि हर बार कुछ नया आजमाने की चाहत। मेरी हर रंगीन फंतासी को हकीकत में बदलने में वो मेरा साथ देती है। इन्सेस्ट हो या कोई और फंतासी, रश्मिका मेरे साथ हर कदम पर है।
कभी हमने पार्क में पेड़ के पीछे छुपकर उसके ब्लाउज के बटन खोले और मैंने उसके मुलायम, गोल स्तनों को चूसा। कभी रस्सियों से उसके हाथ-पैर बांधकर मैंने उसे बिस्तर पर प्यार किया। एक बार तो झील में नहाते वक्त मैंने पानी के अंदर ही उसकी सारी सलवार-कमीज उतार दी और कपड़े किनारे पर फैलाकर रख दिए, ताकि कोई देखे तो समझ जाए कि पानी में वो पूरी नंगी है। मैंने उसके सूखे कपड़े पेड़ की डाल पर टांग दिए और थोड़ा दूर चला गया। रश्मिका बड़ी मुश्किल से पानी से बाहर निकली, उसका गीला, नंगा बदन चाँदनी में चमक रहा था। मैं छुपकर उसकी हर अदा देख रहा था। उसने मुझे जो डांट लगाई, उसका बदला रात को बिस्तर पर जमकर लिया।
एक बार दिल्ली से चंडीगढ़ हाईवे पर कार में मैंने उसकी साड़ी का पल्लू खोल दिया और खिड़की नीचे कर दी। ठंडी हवा से उसके स्तन और चूचुक कड़क हो गए, और साड़ी का पल्लू हवा में लहराता रहा। उस दिन सड़क पर कितनी गाड़ियाँ टकराने से बचीं, भगवान ही जानता है।
पहले बच्चे के बाद भी हमारे बिस्तर का जोश वही रहा। लोग हमारी दीवानगी देखकर जलते थे, और हम खुद को खुशकिस्मत समझते थे। लेकिन दूसरे बच्चे के बाद वो पुराना रस, वो रोमांच कहीं खो सा गया। दस साल की शादी ने हमारी जिंदगी में एकरसता घोल दी थी। मैं पति हूँ, तो कुछ नया करने की जिम्मेदारी मेरी थी। मन में स्वैपिंग की इच्छा थी, पर किसी दूसरी औरत के सहारे रश्मिका में उत्साह लाना मुझे ठीक नहीं लगा। मुझे अपनी पत्नी में ही वो पुराना जादू चाहिए था। मैं सोचता रहा कि ऐसा क्या करूँ कि शादी के शुरुआती दिनों का चटखारा फिर लौट आए।
रश्मिका का पुराना शौक था गुदना यानी टैटू। वो हमेशा चाहती थी कि शादी की याद में उसके शरीर के किसी खास हिस्से पर टैटू बनवाए। लेकिन मैं उसके गोरे, बेदाग जिस्म पर इतना फिदा था कि टैटू मुझे धब्बा सा लगता था। रश्मिका अपने फिगर को लेकर बहुत सजग थी। प्रसव के बाद उसने मेरी माँ की देसी नुस्खों को ठुकराकर डॉक्टर की सलाह मानी। खीरे की सलाद और प्रोटीन से भरी दालें खाकर उसने अपने पेट पर चर्बी नहीं जमने दी। दो बच्चों के बाद भी उसका बदन कसा हुआ, आकर्षक था।
मैंने सोचा, क्यों न उसकी इस इच्छा को पूरा करके जिंदगी में फिर से हरियाली लाई जाए। हमारी शादी की अगली सालगिरह नजदीक थी। मैंने उसे बताया कि मैं उसे टैटू गिफ्ट करूँगा, वो भी ऐसी जगह जो सिर्फ हम दोनों देख सकें। सुनकर वो उछल पड़ी। उसके गाल शर्म से लाल हो गए, लेकिन आँखों में उत्साह चमक रहा था। उसने पूछा, “टैटू बनाने वाला मेरे उस हिस्से को देखेगा तो?” मैंने हँसकर कहा, “कोई मर्द देखेगा तो ऐतराज मत करना।” उसकी हैरानी भरी नजर और “क्या?” सुनकर मैंने उसका मुँह दबा दिया और साफ कहा कि किसी औरत से नहीं, मर्द से ही करवाएँगे।
मैंने दिल्ली में एक अच्छी टैटू शॉप ढूंढी। बड़े सैलून तो शानदार थे, पर मुझे वो जज्बा नहीं मिला जो मैं चाहता था। मैं चाहता था कि कोई नौजवान, प्रोफेशनल आर्टिस्ट हो। फिर मुझे माइकल मिला। वो अमेरिकी था, लेकिन भारत के प्रति दीवानगी के चलते यहीं बस गया था। डॉक्टरी पढ़ा था, गायनी सर्जन था, पर बीमार औरतों को देखने की बजाय उसने खूबसूरत भारतीय औरतों की “असली” सुंदरता देखने के लिए टैटू और पियर्सिंग की दुकान खोल ली थी। उसकी दुकान बिल्कुल प्रोफेशनल थी—स्वच्छ, हाइजीनिक, और आधुनिक मशीनों से लैस। मैंने उससे बात पक्की कर ली।
माइकल ने सुझाया कि टैटू के साथ भगनासा की छिदाई भी करवा लें। “It will add much more spice!” उसने कहा कि टैटू की खूबसूरती तो रोशनी में दिखेगी, पर भगनासा में रिंग का मजा अंधेरे में भी मिलेगा। मैंने पूछा, “चाटते वक्त जीभ में नहीं चुभेगा?” वो हँसा, “उल्टा, रिंग की टकराहट तुम्हारी वाइफ को और मस्त कर देगी।” उसने बताया कि कई औरतें उससे ये करवा चुकी हैं और बहुत खुश हैं। मैंने साफ कह दिया कि पूरी प्रक्रिया में मैं मौजूद रहूँगा और वीडियो रिकॉर्ड करूँगा।
जब मैंने रश्मिका को भगनासा की छिदाई की बात बताई, तो वो डर गई। “बाप रे! कितना दर्द होगा!” मैंने प्यार से समझाया, “कुछ नहीं होगा, मैं तो साथ रहूँगा।” वो शरमाई, “कितनी शर्म आएगी!” मैंने उसके माथे को चूमा, “एक बार टाँगें खोल दीं तो शर्म कैसी?” उस रात उसकी साँसों में फूलों की महक थी, और उसकी चूत में खट्टी-मीठी शराब का स्वाद। अगले दस दिन बस रोमांच में गुजरे। लग रहा था कि हमारी काम-बगिया में फिर से बसंत आ गया है।
21 मई, हमारी शादी की सालगिरह। रश्मिका को उसका तोहफा देने का दिन। मैंने एक दिन पहले ही उसकी चूत का मुंडन कर दिया ताकि रेजर की जलन खत्म हो जाए। सुबह-सुबह, जब बच्चे अभी सो रहे थे, मैंने पानी गर्म किया। रश्मिका आधी नींद में थी। उसकी गोरी जाँघें और बीच में उभरी मलाई-सी चूत देखकर मेरा मन डोल गया। मैंने उसके चूतड़ों के नीचे प्लास्टिक शीट बिछाई, गर्म पानी में तौलिया भिगोकर उसकी चूत पर रख दिया। पाँच मिनट में बाल मुलायम हो गए। मैंने शेविंग क्रीम लगाई, ब्रश से झाग बनाया, और लेडीज रेजर से धीरे-धीरे मुंडन शुरू किया।
रश्मिका की नींद खुल गई। वो तकिए को ऊँचा करके देखने लगी। सफेद झाग उसकी चूत पर फैला था, जो उसके गोरे रंग में और निखर रही थी। मैंने होंठों के आसपास के बाल साफ करने के लिए उंगली से होंठ अलग किए और सावधानी से रेजर चलाया। उत्तेजना से उसके रोंगटे खड़े हो गए। जब मुंडन पूरा हुआ, मैंने तौलिये से पोंछा, जानबूझकर उसकी भगनासा पर रगड़ा। उसकी चूत गर्म होकर फूल गई, रस से लबालब। आफ्टरशेव लोशन लगाया तो वो सिहर उठी। उसने जल्दी से चुदाई की माँग की, पर मैंने टैटू शॉप में गीली चूत ले जाना ठीक नहीं समझा।
दिन भर ऑफिस में मेरा मन चंचल रहा। रश्मिका से ज्यादा उत्साह मुझे था। रात को हमने किसी तरह खुद को एक-दूसरे में समाने से रोका। अगले दिन दो बजे का अपॉइंटमेंट था। सुबह मैंने आखिरी बार हेयर रिमूविंग क्रीम लगाई। गुदा के पास, जहाँ रेजर नहीं चल पाया था, वहाँ ढेर सारी क्रीम लगाई। साफ करने के बाद उसकी चूत छोटी बच्ची की तरह भोली और मुलायम लग रही थी। बीच में गहरी दरार, ऊपर तनी भगनासा, जैसे कोई कुमारी लड़की गुस्से में हो। मैंने हँसकर कहा, “बस, आज तुम्हारी अकड़ खत्म कर दूँगा। आज तुझे रिंग पहनाकर सदा की सुहागन बना दूँगा।”
मैंने कैमरा निकाला और उसकी चूत की तस्वीरें लीं। रश्मिका नहाकर तैयार हो गई। उसने पूछा, “क्या पहनूँ?” मैंने सुझाया, “पैंटी मत पहनना, शॉर्ट स्कर्ट डाल लो।” उसे लगा मैं मजाक कर रहा हूँ। उसने पतली शिफॉन की साड़ी चुनी और पैंटी नहीं पहनी। बोली, “जरूरत पड़ी तो साड़ी उतार दूँगी। साए में कराने में कोई दिक्कत तो नहीं?” औरत की जिद! हम समय से पहले टैटू शॉप पहुँच गए।
रश्मिका पार्लर की साफ-सफाई और सुविधाओं से प्रभावित हुई। माइकल से मिलकर उसकी आँखों में आश्चर्य और प्रशंसा थी। माइकल का लंबा-चौड़ा, गठीला शरीर और आकर्षक व्यक्तित्व उसे भा गया। माइकल ने उसे वह कमरा दिखाया जहाँ टैटू बनना था। एक छोटा, गोपनीय कमरा, जिसमें टैटू का सामान, एक छोटी स्टूल, और एक शानदार कुर्सी थी। माइकल ने कंप्यूटर पर सैकड़ों डिज़ाइन दिखाए। हमने मिलकर एक डिज़ाइन पसंद किया।
माइकल ने रश्मिका को बाथरूम से होकर आने को कहा। वहाँ बिडेट और सुगंधित साबुन थे। रश्मिका मुस्कुराती हुई लौटी। माइकल ने कुर्सी थपथपाकर उसे बैठने को कहा। रश्मिका ने मेरी ओर देखा, मैंने नजरों से हौसला बढ़ाया। कुर्सी डेंटिस्ट की तरह थी—चौड़ा बैकरेस्ट, गद्देदार हत्थे, और चमड़े के फीते। पाँवदानों में भी फीते थे। माइकल ने बताया कि ये रफ ट्रीटमेंट पसंद करने वालों के लिए हैं।
रश्मिका ने साड़ी खोल दी। माइकल ने पेटीकोट की ओर इशारा किया। शर्मिंदगी में उसके गाल लाल हो गए। बाथरूम से लौटकर वो ब्लाउज और तौलिये में थी। चोली में उसके स्तन भरे हुए थे, चूचुकों की नोक साफ दिख रही थी। माइकल ने उसे कुर्सी पर बिठाया, उसके पैर पाँवदानों पर और हाथ हत्थों पर टिकाए। पाँवदानों की ऊँचाई से उसके घुटने कंधों तक आए। तौलिया कमर पर जमा हो गया, और उसकी चूत सामने उभर आई। माइकल ने तौलिया खींचकर निकाला और चूतड़ों के नीचे छोटा, रोएँदार तौलिया बिछाया। रश्मिका शर्म से लाल थी, पर माइकल सामान्य था।
माइकल ने लाइटें जलाईं, रिफ्लेक्टर सेट किए, ताकि रोशनी रश्मिका की चूत पर पड़े। मैंने कैमरा स्टैंड पर सेट किया। उसकी चूत साफ, फूली हुई, प्लेबॉय मॉडल जैसी थी। मोटे होंठ, बीच में गहरी फाँक, और ऊपर झाँकती मूंगे-सी भगनासा। माइकल ने चुनी हुई आकृति उकेरनी शुरू की। रश्मिका सिहर रही थी। माइकल रुक-रुककर उसे शांत होने देता। कुछ देर में उसने फाँक के ऊपर खूबसूरत डिज़ाइन बना दिया। मैंने पास जाकर देखा, “एक्सलेंट!” मेरे मुँह से निकला।
माइकल ने रश्मिका को आइना दिया। उसे डिज़ाइन पसंद आया, पर उसने अपनी खुली चूत की गुलाबी आभा भी देखी। उसकी आँखें शरम से झुक गईं। माइकल ने रंग चढ़ाने वाली गन उठाई। उसने बताया कि रंग भरने में चुभन होगी, और उसे स्थिर रहना होगा। उसने सुझाया कि हाथ बांधने से मदद मिलेगी। रश्मिका ने हामी भरी। माइकल ने चमड़े की पट्टियों से उसके हाथ हत्थों से बांधे।
माइकल ने गन से रंग भरना शुरू किया। उसका हाथ भगनासा के पास टिकता, कभी उस पर फिरता। रश्मिका की चूत गीली होने लगी। अचानक माइकल ने उंगली छेद में सरका दी। रश्मिका चौंकी, मेरी ओर देखा। मैं मुस्कुराया और कैमरा चलाता रहा। माइकल की उंगली भीगकर चमक रही थी। औरत की उत्तेजना की गंध कमरे में फैल गई। माइकल भगनासा को रगड़ता, रश्मिका उछल पड़ती। वो उलझन में थी, पर उत्तेजना हावी हो गई। उसने नितंब ढीले छोड़े, और उसकी चूत रस छोड़ने लगी।
माइकल ने दूसरी उंगली डाली। रश्मिका की मुँह से “आह!” निकली। वो उसकी उंगलियों की गति से ताल मिलाने लगी। माइकल ने गन रख दी और सीधे भगनासा रगड़ने लगा। रश्मिका “आह… उह…” कर रही थी। मैं फिल्मा रहा था, मेरा लंड पैंट में तन गया था। रश्मिका ने फुसफुसाया, “lick me, please!” माइकल ने चूत को चूमा, जीभ अंदर डाली। रश्मिका नितंब उचकाकर उसके मुँह पर चूत ठेल रही थी। “More… more…” वो माँग रही थी। माइकल ने चूतड़ उठाकर चूसना शुरू किया। मैं कैमरे को पास ले गया, उसकी जीभ चूत में लपलपाती दिख रही थी।
रश्मिका की सिसकारियाँ बढ़ीं। “Don’t stop!” वो चिल्लाई। माइकल रुक गया। रश्मिका चीखी, “Please, don’t stop!” माइकल ने होंठ चाटे, “You have a good taste.” उसने फिर चूमा और उठ खड़ा हुआ। रश्मिका डर गई कि कहीं वो चुदाई करेगा। माइकल ने जींस खोली, उसका मोटा, गुलाबी लंड बाहर आया। रश्मिका दहल गई। माइकल ने उसे कुर्सी पर ठेला, “आज का दिन यादगार बनाना है।” उसने लंड को चूत पर रगड़ा। रश्मिका भय से देख रही थी। मैंने कैमरा रखा और उसका पैर पकड़ा। माइकल ने चमड़े के फीतों से बांध दिया। हमने दोनों पैर और बाँहें बांधीं। कुर्सी की पीठ से पट्टा कस दिया।
माइकल ने कुर्सी झुकाई, पाँवदान ऊपर किए। रश्मिका की चूत और गुदा खुल गए। माइकल ने कहा, “I’m going to fuck your wife.” मैंने कहा, “ठीक से करो।” रश्मिका चिल्लाई, “भाड़ में जाओ तुम दोनों!” माइकल ने लंड चूत पर रगड़ा और ठेल दिया। रश्मिका की चीख निकली। उसका मोटा लंड अंदर घुसा। “ओ गॉड!” रश्मिका सिहर गई। माइकल ने धीरे-धीरे धक्के लगाए। रश्मिका की चूत फैल रही थी। “आह… आह…” उसकी सिसकारियाँ गूँज रही थीं। माइकल तेज हुआ, “फच-फच” की आवाजें कमरे में फैलीं। रश्मिका धक्कों का जवाब देने लगी।
मैंने कैमरा पास किया। चूत की दीवारें लंड के साथ खिंच रही थीं। रश्मिका की आँखें बंद थीं, होंठ दाँतों तले दबे थे। माइकल ने गुदा पर ध्यान दिया। उसने अंगूठा रस में भिगोया और गुदा में डाला। रश्मिका चौंकी, “नहीं!” माइकल ने लंड चूत में डालकर धक्के दिए, फिर गुदा पर रखा। रश्मिका की चीख निकली। माइकल ने जोर लगाया, लंड का मुँह गुदा में घुसा। वो झड़ गया। रश्मिका हाँफ रही थी। माइकल ने लंड निकाला, वीर्य रिस रहा था।
मैंने कैमरा जूम किया। चूत गीली, गुदा लाल, वीर्य रिसता हुआ। माइकल ने तौलिया से पोंछा। रश्मिका सिकुड़ रही थी। माइकल ने फिर चूत चाटी। रश्मिका “आह… उह…” करने लगी। वो झड़ने के करीब थी, पर माइकल रुक गया। रश्मिका के आँसू निकल आए। माइकल ने भगनासा छेदने का सेट लिया। उसने स्पिरिट से पोंछा, चिमटी से भगनासा पकड़ा, और सुई से छेदा। रश्मिका “सी… सी…” कर रही थी। माइकल ने सोने की रिंग पहनाई और सोल्डरिंग से जोड़ा।
रिंग में किंगफिशर का टैटू शानदार था। हमने रश्मिका के फीते खोले। वो निढाल थी। मैंने माइकल को पैसे दिए और वीडियो की कॉपी देने का वादा किया। घर लौटते वक्त रश्मिका सो गई। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। अगले दिन वो बाथटब पर टैटू देख रही थी। मुस्कुराकर बोली, “माइकल ने अच्छा काम किया।” मैंने उसे गले लगाया।
उस दिन से हमारा यौन जीवन बदल गया। रश्मिका का उत्साह लौट आया। रिंग की रगड़ से वो हमेशा उत्तेजित रहती। ऑफिस में फोन करती, “मन हो रहा है, आ जाओ!” सेक्स में वो जल्दी झड़ने लगी। मैंने एक बार रिंग में झुमका डाला, पैंटी पहनने से मना किया। शाम को वो बेकरार थी। उस रात हमने जमकर चुदाई की। लेकिन अब रिंग की उत्तेजना उसे परेशान करने लगी। वो कहती, “हर वक्त मन करता है, ध्यान नहीं जमता।” मैंने धैर्य रखने को कहा, पर वो रिंग निकलवाने की बात करती। मेरे पाठकों, आप क्या सलाह देंगे? क्या रश्मिका को रिंग निकलवा देना चाहिए?
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