हाय दोस्तों! मैं हूँ सुमन। मेरी उम्र अब 30 साल की है, और मैं शादीशुदा हूँ। मेरा फिगर है 32-36-34, जो हर मर्द की नजर को अपनी ओर खींच लेता है। लेकिन आज मैं आपको उस वक्त की कहानी सुनाने जा रही हूँ, जब मैं 18 साल की थी, और मेरे जीवन में कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी दुनिया ही बदल दी। ये कहानी तब की है, जब हम अलीगढ़ में रहते थे। मेरे परिवार में मेरे पापा, मम्मी, बड़ी दीदी, बड़ा भाई, और छोटा भाई थे। पापा की उम्र उस वक्त करीब 42 साल थी, और वो बैंक में नौकरी करते थे। मम्मी, जिनकी उम्र 40 के आसपास थी, एक स्कूल में टीचर थीं। हमारा परिवार बड़ा खुशहाल था, और हम सब मिलजुल कर हँसी-खुशी जिंदगी जीते थे।
मैं आपको ज्यादा बोर नहीं करना चाहती, इसलिए सीधे कहानी पर आती हूँ। ये बात तब की है, जब मैं 12वीं कक्षा में थी, और मेरी उम्र 18 साल थी। मेरी बड़ी दीदी की सगाई हो चुकी थी, और वो शादी की तैयारियों में व्यस्त थीं। मेरा बड़ा भाई इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करता था, और छोटा भाई 11वीं में पढ़ता था। मम्मी और पापा सुबह अपनी नौकरी पर चले जाते थे, और घर पर सिर्फ दीदी रहती थीं। मैं और मेरा छोटा भाई स्कूल चले जाते थे। उस वक्त मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। बस, मेरी कुछ सहेलियों ने बताया था कि सेक्स करने में बहुत मजा आता है, और ये बात मेरे दिमाग में कहीं न कहीं बैठ गई थी।
हमारा घर डबल स्टोरी था। नीचे एक कमरे में मम्मी-पापा सोते थे, और उनके बगल वाला कमरा मेरा था। मम्मी-पापा के कमरे का बाथरूम मेरे कमरे से जुड़ा हुआ था। मेरे बगल वाले कमरे में छोटा भाई सोता था, और ऊपर एक कमरे में बड़ा भाई और एक में दीदी। बात दिसंबर की है, जब मेरे मामा जी की बेटी की शादी थी। ये शादी शुक्रवार को होने वाली थी। मम्मी ने बताया कि मामा जी हमें लेने आ रहे हैं, और ये सुनकर सब बहुत खुश हो गए। लेकिन मैं उदास हो गई, क्योंकि मेरे दो एग्जाम बाकी थे—एक मंगलवार को और दूसरा शादी से एक दिन पहले। मैं शादी में नहीं जा पा रही थी। छोटे भाई के एग्जाम खत्म हो चुके थे, तो वो जा सकता था।
पापा ने कहा, “मुझे भी बैंक से सिर्फ 2 दिन की छुट्टी मिलेगी। मैं और सुमन शादी से एक दिन पहले पहुँच जाएँगे। तुम सब लोग कल चले जाओ।” ये सुनकर सब खुश हो गए। मम्मी और पापा एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। मैंने उन्हें कभी झगड़ते नहीं देखा। उनकी मोहब्बत देखकर दिल खुश हो जाता था, लेकिन उस रात कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरे अंदर की जिज्ञासा को और बढ़ा दिया।
शुक्रवार की रात करीब 11 बजे मेरी नींद खुली। मैं बाथरूम जाने के लिए उठी। जब बाथरूम में गई, तो मुझे पापा के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने बिना कोई आवाज किए दरवाजे से कान लगाकर उनकी बातें सुननी शुरू कीं। पापा मम्मी से कह रहे थे, “तुम एक हफ्ते के लिए मुझसे दूर चली जाओगी। मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा? तुम्हें पता है, जब तक मैं तुम्हें एक बार चोद नहीं लेता, मुझे नींद ही नहीं आती।” उनकी ये बातें सुनकर मैं सन्न रह गई। मेरे दिमाग में एक तूफान सा उठ गया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पापा इतनी खुलकर ऐसी बातें करेंगे।
मम्मी बोलीं, “बस एक हफ्ते की तो बात है। फिर मैं आपके पास ही हूँ। आज मुझे जी भर के चोद लीजिए। पूरे हफ्ते की कसर निकाल लीजिए। लेकिन पहले ये देखकर आइए कि आपकी लाडली बेटी सुमन सो गई है या जाग रही है।” पापा ने कहा, “मैं अभी देखकर आया हूँ। वो सो रही है।” (अब मुझे समझ आया कि मेरी नींद दरवाजे की आहट से क्यों खुली थी।) मम्मी ने फिर कहा, “फिर भी एक बार देख लीजिए, नहीं तो मैं भी सोने लगी हूँ।” पापा बोले, “ठीक है, बाबा, देखता हूँ।” जैसे ही पापा बेड से उतरे, मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई और सोने का नाटक करने लगी।
लेकिन अब मुझे नींद कहाँ आने वाली थी? मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी—मैं पापा को मम्मी को चोदते हुए देखना चाहती थी। मैं जानना चाहती थी कि ये सब होता कैसे है। पापा के जाने के बाद मैं फिर से उठी और बाथरूम में आ गई। मैंने दरवाजे के की-होल से अंदर झाँका। कमरे में हल्की रोशनी थी, लेकिन जो नजारा मैंने देखा, उसे देखकर मेरी साँसें थम गईं। पापा और मम्मी बेड पर बिल्कुल नंगे बैठे थे। पापा मम्मी के चूचों को चूस रहे थे, और मम्मी पापा के लंड को पकड़कर हल्के-हल्के सहला रही थीं। पापा का लंड करीब 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा होगा। उसे देखकर मेरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई।
फिर पापा ने मम्मी को बेड पर लिटाया और उनकी चिकनी चूत को चाटने लगे। मम्मी के मुँह से “उह्ह्ह… आह्ह्ह…” की सिसकारियाँ निकल रही थीं। पापा अपनी पूरी जीभ मम्मी की चूत में घुसा रहे थे। ये सब देखकर मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया। मैं उसे सहलाने लगी। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। फिर मम्मी ने पापा के लंड को मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। अब पापा सिसक रहे थे, “आह्ह… मेरी जान, और चूसो।”
कुछ देर बाद पापा और मम्मी 69 की पोजीशन में आ गए। पापा मम्मी की चूत चाट रहे थे, और मम्मी पापा का लंड चूस रही थीं। फिर 5 मिनट बाद पापा ने अपना मोटा लंड मम्मी की चूत के दरवाजे पर रखा और एक ही झटके में अंदर घुसा दिया। पापा पूरी ताकत से धक्के मार रहे थे, और मम्मी नीचे चिल्ला रही थीं, “आह, मेरी जान… और जोर से… मेरी रानी की चूत को फाड़ दो… आह्ह… बहुत मजा आ रहा है… मारो और तेज… उह्ह… मैं मर गई।” करीब 15 मिनट बाद दोनों शांत हो गए। मुझे उस वक्त नहीं पता था कि इसे झड़ना कहते हैं।
मम्मी ने पापा से कहा, “आज आप बहुत जोर लगा रहे हो। क्या बात है?” पापा बोले, “तुम जानती हो, तुम्हारे बिना एक हफ्ता निकालना है। आज सारी कसर निकाल रहा हूँ। आज पूरी रात तुम्हें सोने नहीं दूँगा। ताकि जी भरकर तुमसे प्यार कर सकूँ।” मम्मी बोलीं, “मैं भी आज सोना नहीं चाहती। बस आपसे चुदवाना चाहती हूँ।” पापा ने हँसकर कहा, “सच में?” मम्मी बोलीं, “हाँ, मेरी जान, बिल्कुल सच।” फिर मैंने देखा कि मम्मी ने पापा के लंड को फिर से मुँह में लिया और चूसने लगीं। इस बार मम्मी ने करीब 20 मिनट तक लंड चूसा, और फिर उसमें से सफेद-सफेद पानी निकला, जिसे मम्मी ने पूरा पी लिया। मम्मी ने कहा, “आपका पानी बहुत स्वादिष्ट लगता है।” पापा बोले, “पी लो, मेरी जान, सारा पी लो।”
मैंने उस रात तीन बार उनकी चुदाई का नजारा देखा। हर बार मेरी हालत खराब हो रही थी। मेरी चूत गीली और गर्म हो चुकी थी। सुबह के 3 बज गए थे, लेकिन मैं बाथरूम से उठ ही नहीं पा रही थी। मेरी टाँगें जैसे सुन्न पड़ गई थीं। जैसे-तैसे मैं उठी और अपने बिस्तर पर आकर लेट गई। मैं सोचने लगी कि क्या सच में सेक्स करने से इतना मजा मिलता है? बार-बार मेरी आँखों के सामने पापा का तना हुआ लंड घूम रहा था। मेरी चूत इतनी गर्म थी कि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उसे कैसे शांत करूँ। बस, मैं उसे सहला रही थी। फिर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।
अगला दिन शनिवार था। जब मैं उठी, तो 12 बजने वाले थे। बाहर आई तो देखा कि मामा जी आ चुके थे। मम्मी, दीदी, और छोटा भाई उनके साथ जाने के लिए सामान पैक कर चुके थे। बड़ा भाई दो दिन के टूर पर था, और उसने कहा था कि वो सीधे शादी में पहुँच जाएगा। करीब 2 बजे मामा जी उन्हें लेकर चले गए। पापा भी शनिवार की वजह से जल्दी घर आ गए थे। मैंने उनके लिए चाय बनाई, और फिर उन्होंने मम्मी, मामा जी, और बाकियों के लिए रिक्शा मँगवाया। अब घर में सिर्फ मैं और पापा रह गए थे।
मैं अपने कमरे में चली गई, और पापा अपने कमरे में। मैंने सारी रात नहीं सोया था, तो मुझे नींद आ रही थी। जैसे ही मैंने आँखें बंद कीं, मेरी आँखों के सामने पापा का तना हुआ लंड घूमने लगा। मैंने सपना देखा कि मैं बेड पर नंगी लेटी हूँ, और पापा मेरी चूत चाट रहे हैं। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं सिसक रही थी। तभी मेरी आँख खुल गई। अब मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने रात का खाना बनाया, और खाना खाने के बाद पापा अपने कमरे में चले गए, और मैं अपने कमरे में।
रात को नींद नहीं आ रही थी। करीब 11 बजे मैं बाथरूम गई, तो देखा कि पापा के कमरे से हल्की रोशनी आ रही थी। मैंने की-होल से झाँका। पापा बेड पर नंगे बैठे थे और अपने लंड को सहला रहे थे। मैं समझ गई कि उन्हें मम्मी की याद आ रही है। पापा अपने लंड को ऊपर-नीचे कर रहे थे। मुझे उन पर बहुत तरस आ रहा था। मेरा मन कर रहा था कि मैं दौड़कर जाऊँ और उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगूँ। लेकिन मेरी टाँगें जैसे जाम हो गई थीं। फिर मैंने देखा कि पापा के लंड ने पानी छोड़ दिया। वो बेड से उतरने लगे, तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई।
सारी रात मैं करवटें बदलती रही। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि क्या मुझे पापा का लंड मिल सकता है? लेकिन कैसे? मैं चाहती थी कि किसी तरह पापा को पटा लूँ और उनसे चुदाई करवाऊँ, लेकिन कोई प्लान नहीं बन रहा था। सुबह करीब 3 बजे मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। मैंने सोचा कि अगर ये काम कर गया, तो बात बन जाएगी।
सुबह उठते ही मैंने पापा के लिए चाय बनाई और खुद भी पी ली। फिर घर की सफाई करने लगी। जब मैं पापा के कमरे में गई, तो मैंने मम्मी की नाइटी पहनी थी, और नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। मेरे चूचे उछल रहे थे, और नाइटी का गला बड़ा होने की वजह से जब मैं झुकती, तो मेरे चूचे साफ दिखाई दे जाते। पापा बेड पर बैठे थे। उन्होंने पजामा और बनियान पहना था। मैं जानबूझकर उनकी तरफ मुँह करके झुक रही थी, ताकि वो मेरे चूचे देख लें। लेकिन वो तो टीवी देखने में मस्त थे। फिर मैंने झुकते-झुकते ही बिना उनकी तरफ देखे कहा, “पापा, आज खाना क्या बनाऊँ?”
मैंने चोर नजर से देखा कि इस बार पापा ने मेरी तरफ देखा, और उनकी नजर मेरे चूचों पर चली गई। उन्होंने झट से मुँह दूसरी तरफ कर लिया। लेकिन अब वो बार-बार चोर नजर से मेरे नंगे चूचों को देखने लगे। मैं सीधी हुई, तो देखा कि वो अपने पजामे में तने हुए लंड को दबाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरे चूचे देखकर उनका लंड अकड़ने लगा है। मैं फिर झुककर उनके चूचों को दिखाने लगी और पोछा लगाने लगी। अब तो उनका लंड फुँफकार मारने लगा था। मैं सोच रही थी कि कैसे उनके लंड को अपने से टच करवाऊँ। फिर मैं बाहर आ गई और दरवाजे के पीछे छुपकर देखने लगी कि पापा क्या करते हैं। मैंने देखा कि वो अपने लंड को सहला रहे थे।
तभी मेरे दिमाग में एक और प्लान आया। मैंने सोचा, क्यों ना अब गर्म लोहे पर चोट की जाए? मैंने पापा से कहा, “पापा, आज छुट्टी है। खाना बाद में खाएँगे। चलिए, आप मुझे अभी स्कूटर सिखाइए।” मैं चाहती थी कि जब पापा पीछे बैठें, तो उनका लंड मेरे चूतड़ों को टच करे। अगर ऐसा हो गया, तो शायद पापा खुद पर कंट्रोल न रख पाएँ और मुझे चोद डालें। मैंने जल्दी से दूसरे कपड़े पहन लिए। पापा बोले, “बाद में सिखा दूँगा।” मैंने कहा, “नहीं, अभी चलिए।” वो बोले, “पैंट तो पहन लूँ।” मैंने कहा, “कुर्ता पहन लीजिए। पजामा तो पहना ही है। आपको बैंक थोड़े जाना है।” मैं नहीं चाहती थी कि पापा पैंट पहनें, क्योंकि पैंट में लंड उतना खुलकर नहीं हिलता, जितना पजामे में।
हमारे घर से थोड़ी दूरी पर एक ग्राउंड था, जहाँ लोग घूमने आते थे। लेकिन दिसंबर की वजह से 12 बजे से पहले वहाँ कोई नहीं आता था। अभी सुबह के 8 बजे थे। मैं और पापा वहाँ चले गए। पापा पीछे बैठ गए और मुझे आगे बैठने को कहा। मैं जानबूझकर उनसे चिपककर बैठ गई। मैंने देखा कि उनका लंड अभी शांत था। पापा ने मेरी दोनों बाँहों के नीचे से स्कूटर का हैंडल पकड़ा और मुझे भी हैंडल पकड़ने को कहा। फिर वो मुझे स्कूटर सिखाने लगे। मैं जानबूझकर अपनी बाँहें दबा देती थी, ताकि पापा की बाँहें मेरे चूचों को टच करें। ऐसा करने से मुझे लग रहा था कि पापा का लंड खड़ा होने लगा है। मुझे अपनी पीठ पर कुछ टच होता महसूस हो रहा था।
अब मैं पापा के लंड पर बैठना चाहती थी। मैंने बहाना ढूँढना शुरू किया। मैं थोड़ा-बहुत स्कूटर चला लेती थी, लेकिन ये पापा को नहीं पता था। मैंने अपनी चप्पल नीचे गिरा दी और स्कूटर रोककर कहा, “पापा, मैं चप्पल ले आती हूँ।” जब मैं चप्पल लेकर आई, तो मैंने चोर नजर से देखा कि पापा का लंड फुँफकार रहा है। मैं जानबूझकर उनके पेट से रगड़ती हुई बैठी, और इस बार उनका लंड मेरे चूतड़ों के नीचे दब गया। पापा बोले, “सुमन, कैसे बैठी हो? जरा आगे होकर बैठो।” मैंने कहा, “आगे तो थोड़ी सी जगह है।” और मैंने स्कूटर चालू कर दिया।
पापा का लंड मेरे चूतड़ों के नीचे दबा हुआ फुँफकार रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरी चूत गीली हो रही थी। लेकिन मैं अनजान बनी रही, जैसे मुझे कुछ पता ही न हो। मैंने पापा से कहा, “आप हैंडल छोड़ दीजिए, मैं चलाती हूँ।” मैं धीरे-धीरे स्कूटर चलाने लगी। पापा ने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली, और अनजाने में उनके हाथ मेरे चूचों से टच हो गए। मुझे लगा कि पापा अपना कंट्रोल खो रहे हैं, क्योंकि उनके हाथ मेरे चूचों को हल्का-हल्का मसल रहे थे। मैं तो यही चाहती थी। पापा का लंड मेरे चूतड़ों के नीचे फुँफकार रहा था। मैंने कहा, “पापा, एक मिनट हैंडल पकड़िए, मैं जरा ठीक होकर बैठ जाऊँ।” और मैं थोड़ा और पीछे खिसक गई, ताकि उनका लंड मेरे नीचे से निकल न पाए।
अब शायद पापा समझ गए थे कि मैं भी उनसे चुदवाना चाहती हूँ। उन्होंने डरते-डरते अपने हाथ मेरे चूचों पर रख दिए और मसलने लगे। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गई थी। लेकिन मैंने कहा, “पापा, ये क्या कर रहे हैं?” वो डर गए और अपने हाथ पीछे कर लिए। मेरा तो सारा मजा खराब हो गया। थोड़ी देर बाद हम घर आ गए। पापा सोफे पर बैठ गए, और मैं उनके लिए पानी लेने गई। मैं अपनी गाँड को इतना मटकाते हुए गई कि पापा का मन डोल जाए। फिर हम अपने-अपने कमरे में चले गए।
शाम को पापा सोफे पर बैठे थे। वो सोफा किचन के दरवाजे के ठीक सामने था। मैं किचन में खाना बना रही थी। मुझे पता था कि पापा सामने हैं, तो मैं जानबूझकर अपनी गाँड मटका रही थी। मैंने मम्मी की एक टाइट नाइटी पहनी थी, जो मेरे चूतड़ों को और उभार रही थी। मैं बार-बार झुक रही थी, ताकि पापा मेरी गाँड और चूचों को देखें। मैंने चोर नजर से देखा कि पापा मुझे घूर रहे थे, और उनका लंड उनके पजामे में तन रहा था।
आखिरकार पापा का सब्र टूट गया। वो उठे और मेरे पीछे आकर खड़े हो गए। मुझे महसूस हुआ कि उनका लंड मेरी पीठ को टच कर रहा है। मैंने कुछ नहीं कहा। पापा बोले, “आज मेरी सुमन क्या बना रही है?” मैंने कहा, “दाल-चावल, जो आपके फेवरेट हैं।” वो खुश हो गए और बोले, “वाह, मेरी फेवरेट चीज बन रही है।” मैंने कहा, “हाँ जी।” अब उन्होंने अपने लंड का हल्का सा दबाव मेरी पीठ पर डाला। मैंने कुछ नहीं कहा। उनकी हिम्मत बढ़ गई, और उन्होंने मेरे चूचों को पकड़ लिया और मसलने लगे।
मैंने हल्के गुस्से में कहा, “पापा, ये आप क्या कर रहे हैं?” उन्होंने झट से हाथ हटा लिए। मुझे डर लगा कि कहीं वो चले न जाएँ। मैंने अपनी गाँड को थोड़ा पीछे किया, ताकि उन्हें लगे कि मेरा गुस्सा नकली है। पापा समझ गए। उन्होंने अपने लंड का दबाव और बढ़ा दिया। मुझे मजा आ रहा था। मैं तो चुदने के लिए तैयार थी, बस नखरे दिखा रही थी। जब मैंने कुछ नहीं कहा, तो उन्होंने फिर से मेरे चूचों को मसलना शुरू कर दिया और मेरी गर्दन पर चूमने लगे। मुझे इतना आनंद आ रहा था कि मैं सिसकने लगी।
मैंने सिसकते हुए कहा, “आह्ह… पापा, लगता है आपको मम्मी की बहुत याद आ रही है।” वो बोले, “तुम्हें कैसे पता?” मैंने कहा, “तभी तो आप मुझे तंग कर रहे हैं।” वो बोले, “नहीं, मेरी जान, मुझे तुम पर प्यार आ रहा है।” फिर उन्होंने मुझे अपनी ओर घुमा लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। वो मेरे होंठों को चूसने लगे। उनका फुँफकारता हुआ लंड मेरी चूत से टच कर रहा था, जैसे कह रहा हो, “अब मैं इसमें घुस जाऊँ।” मेरी चूत तो बेताब थी उनके लंड को अंदर लेने के लिए।
करीब 10 मिनट तक मेरे होंठों का रसपान करने के बाद पापा ने कहा, “तुम बहुत अच्छी हो। मैं आज तुमसे प्यार करना चाहता हूँ।” उन्होंने गैस बंद कर दी और मुझे गोद में उठा लिया। वो मुझे अपने कमरे में ले गए और बेड पर लिटा दिया। मैंने कहा, “पापा, खाना तो बनाने दो।” वो बोले, “खाना बाद में बनाना। पहले मैं तुम्हें कुछ सिखाना चाहता हूँ।” मैंने कहा, “क्या?” वो बोले, “प्यार करना।” फिर उन्होंने मेरी नाइटी उतार दी। मैंने काली ब्रा और पैंटी पहनी थी। मैं शरमा गई। वो बोले, “शरमा क्यों रही हो? मैं कोई गैर नहीं हूँ। हाथ हटाओ और मुझे जी भरकर देखने दो।” फिर पापा ने अपना कुर्ता और पजामा उतार दिया। अब वो सिर्फ अंडरवियर में थे, और उसमें उनका फुँफकारता हुआ लंड साफ दिख रहा था।
पापा मेरे पास आए और मुझे चूमने लगे। मेरे पूरे बदन को चूमने लगे। फिर मेरे होंठों पर होंठ रखकर मेरा रसपान करने लगे। कभी-कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देते थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था। एक हाथ से वो मेरे चूचों को सहला रहे थे। फिर उन्होंने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे चूचों को चूसने लगे। मेरे निप्पल्स को हल्के से काट रहे थे, जिससे मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… पापा… उह्ह…” फिर उन्होंने मेरी पैंटी उतार दी। मैंने कोई विरोध नहीं किया। मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। मेरी चूत देखकर वो चहक उठे, “वाह, क्या मस्त चूत है तुम्हारी! तुम तो जवान हो गई हो। आज मैं तुम्हें जवानी का मजा देता हूँ।” वो एक हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगे।
मैंने भी हिम्मत की और अपना हाथ उनके अंडरवियर में डाल दिया। उनका लंड ऐसा था, जैसे मैंने किसी गर्म लोहे की रॉड को छू लिया हो। वो पूरा अकड़ा हुआ था और फुँफकार रहा था। मैंने उनका अंडरवियर उतार दिया और उनके लंड को आजाद कर दिया। उसे देखते ही मैं बोली, “पापा, आपका लंड तो बहुत बड़ा है।” वो बोले, “हाँ, मेरी जान, आज ये तुम्हें वो सुख देगा कि तुम रोज इसे लेना चाहोगी।” मैं तो यही चाहती थी। लेकिन मैंने डरते हुए कहा, “इससे आप क्या करेंगे?” वो बोले, “इसे तुम्हारी चूत में डालूँगा।” मैं डर गई और बोली, “पापा, इससे तो मेरी चूत फट जाएगी। मैं नहीं डलवाऊँगी।” वो बोले, “ठीक है, मत डलवाना।”
मैंने दोनों हाथों से उनके लंड को सहलाना शुरू किया। फिर मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी, जैसा मम्मी ने किया था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पापा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… मेरी जान, और जोर से चूसो… आह, क्या मजे से चूसती हो… लगता ही नहीं कि पहली बार लंड चूस रही हो… आह, पूरा अंदर ले लो… बहुत मजा आ रहा है।” करीब 10 मिनट तक मैंने उनका लंड चूसा। फिर पापा ने मुझे लिटाया और मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई, “आह्ह्ह…” वो मेरी चूत को चाटने लगे। अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर घुमाने लगे। मैं तो जन्नत में थी। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… पापा… हाय पापा… बहुत मजा आ रहा है… आह्ह… मेरी चूत को खा जाओ… उह्ह… मार गई मैं… आह्ह… और चूसो।”
फिर पापा मेरी क्लिट को मुँह में लेकर चूसने लगे। मेरी तो जान निकलने वाली थी। ऐसा आनंद मैंने पहले कभी नहीं लिया था। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… पापा… बहुत मजा आ रहा है… और चूसो… आह्ह… हाय पापा…” मेरी चूत पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। अब वो पापा के लंड को खाना चाहती थी। मैंने कहा, “आह्ह… पापा… अब नहीं जाता… आह्ह… अपने लंड को डाल दीजिए… मेरी चूत में… आह्ह…” वो बोले, “थोड़ा रुक जा, रानी, फिर डालूँगा।” मैंने कहा, “नहीं, अब बर्दाश्त नहीं होता… आह्ह… डाल दो अपने लंड को… मेरी चूत को फाड़ दो… मुझे मजा दे दो… आह्ह… अब और नहीं रुक सकती।”
पापा उठे और अपने तने हुए लंड पर और मेरी चूत पर थोड़ा तेल लगाया। फिर वो अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… अब किस बात का इंतजार है, पापा… प्लीज… डाल दीजिए… आह्ह…” लेकिन वो अपनी मस्ती में मेरी चूत पर लंड रगड़ रहे थे। फिर उन्होंने एक जोरदार झटका मारा, और उनके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में घुस गया। मेरी चीख निकल गई, “हाय… मार गई… मेरी चूत फट गई… आह्ह… मैं मर गई।” मैंने कहा, “पापा, इसे बाहर निकालिए… प्लीज…” लेकिन पापा नहीं रुके। उन्होंने एक और झटका मारा, और आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में घुस गया। दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “पापा, प्लीज, अपने लंड को बाहर निकाल लीजिए।”
लेकिन पापा मेरे चूचों को मसल रहे थे और बोले, “बस एक झटका और, फिर तुझे परम आनंद आएगा।” मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। फिर पापा ने एक और झटका मारा, और उनका पूरा लंड मेरी कुंवारी चूत में समा गया। मेरी सील टूट चुकी थी। मेरी चूत से खून रिस रहा था। मैं चीख रही थी, “हाय… पापा… इसे बाहर निकालो… मैं मर गई… कोई बचाओ… आह्ह…” लेकिन पापा ने धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। वो मेरे चूचों को चूस रहे थे। धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लगा। मेरी चीखें कम हो गईं। फिर मुझे मजा आने लगा। मेरे अंदर मस्ती भरने लगी। करीब 10 मिनट तक पापा धीरे-धीरे धक्के मारते रहे।
अब मुझे पूरा मजा आने लगा। पापा ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैं फिर से सिसकने लगी, “आह्ह… पापा… बहुत मजा आ रहा है… और जोर से… आह्ह… मेरी चूत को फाड़ दीजिए… पूरा लंड घुसा-घुसाकर चोदिए… आह्ह… हाय… मैं गई… आह्ह… मेरे प्यारे पापा… आज अपनी बेटी को अपनी पत्नी समझकर जी भरके चोदिए…” पापा पूरे जोश में मेरी चूत के परखच्चे उड़ा रहे थे। कमरे में चप-चप की आवाज गूँज रही थी। पापा का लंड मेरी चूत में तहलका मचा रहा था। लंड की रगड़ से मेरी चूत को जो आनंद मिल रहा था, उसे मैं बयान नहीं कर सकती।
पापा ने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं, ताकि उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जाए। हर धक्के के साथ मेरे चूचे उछल रहे थे। पापा उन्हें पकड़कर मसल रहे थे और मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… पापा… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ डालिए… आह्ह… हाय… मैं मर गई… उह्ह… और तेज… फाड़ दो मेरी चूत को…” पापा का लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। मेरी चूत उनके लंड को जकड़ रही थी। हर धक्के के साथ मेरा शरीर काँप रहा था।
करीब 20 मिनट चुदवाने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ। मेरे शरीर से जैसे जान निकल रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… पापा… मैं गई… हाय… मैं झड़ रही हूँ… आह्ह… उह्ह…” और मैं झड़ गई। मुझे लगा कि मेरा शरीर हल्का हो गया है। मेरी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। पापा ने मेरी चूत को चाटकर सारा पानी पी लिया। फिर चार-पाँच और झटके मारने के बाद पापा भी झड़ गए। उनका गर्म-गर्म पानी मेरी चूत में भर गया। वो मेरे ऊपर ही लेट गए।
करीब 15 मिनट बाद पापा उठे और अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला। वो खून से लाल हो गया था। उन्होंने बेड की चादर भी उठा दी, जो खून से रंग गई थी। पापा ने कहा, “कैसा लगा, मेरी जान?” मैंने कहा, “बहुत मजा आया, पापा। मैं आपसे प्यार करती हूँ। आपने मुझे इतना मजा दिया। आपको कैसा लगा?” वो बोले, “आज जो मजा मुझे आया, वो तुम्हारी मम्मी को चोदने के बाद भी नहीं आया। आज मैंने कुंवारी चूत फाड़ी है। ये दिन मैं कभी नहीं भूलूँगा।”
हम बाथरूम में गए और अपनी सफाई की। पापा बोले, “चलो, अब खाना बनाते हैं।” उन्होंने मुझे नंगी ही गोद में उठाया और किचन में ले आए। वो बोले, “सच में, तेरी मम्मी की कमी महसूस हो रही थी।” मैंने कहा, “अब कभी आपको मम्मी की कमी महसूस नहीं होगी। मैं हूँ ना।” वो बोले, “हाँ, मेरी जान, अब तो तेरी मम्मी से ज्यादा तुमसे मजा करने हैं।” मैंने गैस जलाया, और पापा नीचे बैठकर मेरी चूत चाटने लगे। मेरे अंदर फिर से मस्ती भरने लगी। मैंने गैस बंद कर दी। पापा मेरी चूत को मस्त चाट रहे थे। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… पापा… मार गई… और चूसो… आह्ह… हाय… उह्ह…” मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। पापा ने सारा पानी चाट लिया और बोले, “तुम्हारी चूत का पानी बहुत नमकीन और मजेदार है।”
फिर मैंने उनके लंड को चूसना शुरू किया। मैं मस्त होकर चूस रही थी। मैंने उनके लंड का पानी निकाल दिया और सारा पी लिया। उनका पानी बहुत स्वादिष्ट था। फिर मैंने खाना बनाया। खाना खाने के बाद हम पापा के कमरे में ही रहे और सारी रात मस्ती की।
अगले दिन पापा ने बैंक से छुट्टी ले ली और सारा दिन मेरी चुदाई की। अगले दिन मेरा एग्जाम था, लेकिन मैं सारी रात पापा से चुदवाने के चक्कर में पढ़ नहीं पाई। पापा बोले, “एग्जाम कैसे दोगी?” मैंने कहा, “देखा जाएगा।” सुबह 10 बजे मेरा एग्जाम था। पापा ने कहा कि वो मुझे छोड़ देंगे। मैंने कहा, “पापा, आप आज जल्दी घर आ जाना। मैं पूरा हफ्ता आपके लंड का पानी पीना चाहती हूँ। मैं एक भी पल आपके लंड के बिना नहीं गुजारना चाहती।” वो बोले, “घर पहुँचते ही फोन कर देना, मैं आ जाऊँगा।”
उस हफ्ते मैंने पापा को बैंक नहीं जाने दिया। सुबह से शाम और सारी रात उनके लंड से खेलती रही। उनके लंड ने मेरी ऐसी आग भड़काई कि अब लंड के बिना रहना मुश्किल था। मेरी चूत रोज लंड के लिए बेताब रहने लगी। एक दिन सुबह 9 बजे हम चलने को तैयार थे। मैंने पापा से कहा, “पापा, मेरा एक काम कर दीजिए।” वो बोले, “क्या?” मैंने कहा, “प्लीज, एक बार और चोदिए। नहीं तो मेरा एग्जाम अच्छा नहीं होगा।” वो बोले, “ये क्या बात है?” लेकिन मेरे बार-बार कहने पर उन्होंने मुझे चोदा। उस एग्जाम में मेरे सबसे ज्यादा नंबर आए। इस तरह उस हफ्ते मैंने और पापा ने खूब मजे किए। हर एग्जाम से पहले मैं पापा से चुदवाकर जाती थी।
एक हफ्ते बाद मैं और पापा शादी में गए। वापस आने के बाद जब भी पापा का मन मुझे चोदने का होता, वो मम्मी के दूध में नींद की गोली डाल देते थे। फिर बाथरूम से मेरे कमरे में आ जाते और मम्मी के उठने से पहले मुझे मस्त चोदकर वापस चले जाते।
तो दोस्तों, ये थी मेरी कहानी कि कैसे मैंने अपने पापा को पटा कर अपनी कुंवारी चूत की सील तुड़वाई। मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी।