पड़ोसी डॉक्टर की बीवी की ठुकाई

हेलो दोस्तों, मेरा नाम साहिल है और आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी का सबसे मस्त और हॉट सेक्स अनुभव सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें मैंने अपने पड़ोसी डॉक्टर की सेक्सी और हुस्न की मलिका बीवी को जमकर चोदा। मैं लखनऊ में रहता हूँ और दिखने में काफ़ी स्मार्ट और आकर्षक हूँ। मेरा बदन फिट है और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ और भाभियाँ अक्सर मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुरा देती हैं।

अब मैं सीधे उस वाकये पर आता हूँ, जिसे पढ़कर आपके होश उड़ जाएँगे और मज़ा आएगा। मेरे घर के ठीक बगल में एक छोटा-सा क्लिनिक है। नीचे क्लिनिक और ऊपर की मंज़िल पर डॉक्टर साहब रहते हैं। उनका नाम सलीम है, उम्र यही कोई 30-32 साल होगी। उनकी पहली शादी टूट चुकी थी, क्योंकि उनकी पहली बीवी से हर छोटी-बड़ी बात पर झगड़ा होता था। अब उनका तलाक़ हो चुका है और पिछले एक साल से उन्होंने दूसरी शादी की है, वो भी अपनी पसंद से। उनकी नई बीवी, नजमा, सच्ची में किसी अप्सरा से कम नहीं। उसका हुस्न ऐसा कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए। गोरा रंग, भरा हुआ जिस्म, और वो कातिलाना अदा, जो किसी का भी दिल चुरा ले।

नजमा का घर मेरे घर से बस कुछ कदम की दूरी पर है, इसलिए मैं उसे अक्सर देख लेता था। शादी के शुरुआती 4-6 महीनों तक तो वो घर से बाहर निकलती ही नहीं थी। लेकिन धीरे-धीरे वो बाहर आने लगी। उनके घर में बस वो, सलीम, और एक नौकरानी रहती थी, जो सुबह-शाम काम करके अपने घर चली जाती थी। इसके बाद सलीम और नजमा घर में अकेले रहते थे। चूँकि उनकी शादी को अभी ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ था, उनके कोई बच्चे भी नहीं थे।

सलीम भले ही डॉक्टर थे, लेकिन उनका बदन काफ़ी पतला-दुबला था। दूसरी तरफ़, नजमा का जिस्म भरा हुआ, रसीला और आकर्षक था। उसके बूब्स इतने उभरे हुए थे कि उसकी खूबसूरती को और निखार देते थे। चूँकि वो मेरे पड़ोस में रहती थी, मेरी उससे अक्सर छोटी-मोटी बातें होती रहती थीं। मैं उसे नजमा भाभी कहकर बुलाता था।

शादी के शुरुआती दिन तो उनके सब ठीक चला, लेकिन कुछ समय बाद उन दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़े शुरू हो गए। ये बात मुझे बाद में नजमा भाभी ने ख़ुद बताई।

दोस्तों, एक बात और बता दूँ। हमारी और उनकी छत बराबर में है, बस बीच में एक दीवार का फ़ासला। उनकी छत पर एक छोटा-सा कमरा भी बना हुआ है। ये बात तीन महीने पुरानी है, जब गर्मी अपने चरम पर थी। उस रात, मैं अपनी छत पर सोने गया। गर्मी की वजह से नींद नहीं आ रही थी। तभी मैंने देखा कि नजमा भाभी अपनी छत पर खड़ी थीं। वो किसी गहरी सोच में डूबी हुई थीं। उन्होंने एक हल्की, जालीदार मैक्सी पहनी थी, जिसमें से उनका गोरा जिस्म हल्का-हल्का दिख रहा था। रात की मद्धम रोशनी में वो और भी हसीन लग रही थीं। मैं हमेशा उनसे बात करने का मौक़ा ढूँढता रहता था, और उस रात भी मैंने यही किया।

मैंने दीवार के पास जाकर उनसे पूछा, “नजमा भाभी, आपने खाना खा लिया?”
उन्होंने जवाब दिया, “हाँ, खाना तो खा लिया। अब बस सोने की तैयारी कर रही हूँ।”
मैंने फिर पूछा, “क्या आप हर रात छत पर सोते हैं?”
वो बोलीं, “नहीं, लेकिन जब नीचे गर्मी ज़्यादा होती है, तो हम छत पर ही सो जाते हैं।”
मैंने पूछा, “सलीम भाई कहाँ हैं? नीचे हैं या कहीं बाहर गए हैं?”
नजमा ने बताया, “वो अपनी बहन के यहाँ गए हैं। कोई ज़रूरी काम था। कल सुबह तक आएँगे।”
मैंने तपाक से पूछ लिया, “तो आप आज रात घर में अकेली हैं?”
वो बोलीं, “हाँ।”
मैंने फिर पूछा, “इतने बड़े घर में अकेले डर नहीं लगता?”
वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं, “हाँ, नीचे तो डर लग रहा था। इसलिए छत पर आ गई। लेकिन अब नींद भी नहीं आ रही।”

मैंने कहा, “मुझे भी नींद नहीं आ रही।”
तब नजमा भाभी ने कहा, “तो एक काम करो। मेरी छत पर आ जाओ। हम थोड़ी देर बातें करेंगे, हंसी-मज़ाक करेंगे। जब नींद आएगी, तो तुम सोने चले जाना।”

मैं मन ही मन ख़ुश हो गया। दीवार फाँदकर उनकी छत पर चला गया। नजमा ने कमरे से एक छोटा-सा पलंग बाहर निकाला और बोलीं, “आओ, बैठ जाओ। अब बातें करते हैं।” मैं पलंग पर बैठ गया, और वो मेरे पास आकर बैठ गईं। उनकी मैक्सी का हल्का कपड़ा उनके जिस्म से चिपक रहा था, और उसमें से उनका गोरा बदन साफ़ झलक रहा था। हम दोनों ने पहले इधर-उधर की बातें शुरू कीं। मैं उनकी खूबसूरती में खोया हुआ था। इतने पास बैठकर उनसे बात करना मेरे लिए पहला मौक़ा था। उनकी साँसों की गर्मी और हल्की-सी ख़ुशबू मुझे पागल कर रही थी।

इसे भी पढ़ें   बेशर्म बाप ने बेटी से झांट छिलवाया

अचानक नजमा ने मुझसे पूछा, “साहिल, सच-सच बताओ, तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं?”
मैंने हँसते हुए कहा, “सच कहूँ तो एक भी नहीं।”
वो बोलीं, “तो इसका मतलब तुमने कभी मज़ा-मस्ती नहीं की?”
मैंने जवाब दिया, “नहीं, ऐसी बात नहीं। मज़े तो बहुत किए हैं।”
वो हँस पड़ीं और बोलीं, “कैसा मज़ा? ज़रा हमें भी तो बताओ। खुलकर बताओ, क्या-क्या मस्ती की है?”

उनके इस सवाल से मैं थोड़ा शरमा गया। मैंने सिर झुका लिया और सोचने लगा कि क्या जवाब दूँ। तभी नजमा ने मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, “अरे, मुझसे शरमाते हो? तुम तो मुझे भाभी कहते हो। फिर मुझसे कैसी शरम?” उनका हाथ धीरे-धीरे मेरे सिर से गालों पर आ गया। उनके मुलायम हाथों का स्पर्श मेरे बदन में सनसनी पैदा कर रहा था। मैं थोड़ा पीछे हट गया, लेकिन वो समझ गईं कि मैं शरमा रहा हूँ।

उन्होंने फिर पूछा, “बताओ, तुमने कभी किसी लड़की या औरत को नंगा देखा है?”
मैं उनके मुँह से ये सवाल सुनकर चौंक गया। मुझे यक़ीन नहीं हो रहा था कि नजमा भाभी मुझसे इतनी खुलकर बात कर सकती हैं। मेरे दिमाग़ में कई सवाल घूमने लगे, लेकिन मैंने सोचा, जब वो इतने खुलेपन से पूछ रही हैं, तो मैं क्यों शरमाऊँ? मैंने कहा, “हाँ, देखा तो है, लेकिन जी भरकर नहीं। वैसे ब्लू फ़िल्म में तो बहुत देख लेता हूँ, पर असल में देखने का मज़ा कुछ और है।”

वो हँसते हुए बोलीं, “बातें तो तुम बहुत अच्छी करते हो।”
मैंने कहा, “जब आपके जैसी ख़ूबसूरत भाभी सामने हो, तो बातें अपने आप अच्छी हो जाती हैं। और अगर आपको पसंद आएँ, तो मेरी तो किस्मत चमक जाए।”

बातें करते-करते उनका हाथ मेरे गालों से सरकता हुआ मेरी छाती पर आ गया। वो मेरी छाती पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “बताओ, तुमने कभी चुदाई की है?”

“चुदाई” शब्द सुनकर मैं एकदम सन्न रह गया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि नजमा भाभी इतनी जल्दी इतनी खुली बातें करेंगी। मैंने सिर झुका लिया। तभी वो मेरी जाँघों पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “साहिल, मैं बहुत दिनों से अकेली हूँ। क्या तुम मेरा साथ दोगे?”

मैंने पहली बार उनकी आँखों में देखा। उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो मुझसे कुछ चाह रही हों। मैं बिना कुछ बोले उनके चेहरे को अपने हाथों से खींचकर उनके गुलाबी होंठों पर किस करने लगा। उनके होंठ इतने नरम थे कि मैं खो गया। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने आपको पूरी तरह मेरे हवाले कर दिया। उनका जिस्म मेरी बाहों में झूलने लगा। मैं समझ गया कि आज रात मुझे वो सुख मिलने वाला है, जिसका मैंने हमेशा सपना देखा था। नजमा भाभी की चुदाई पक्की थी।

मैंने धीरे-धीरे उनके होंठों को चूसना शुरू किया। मेरे हाथ उनके सिल्की बालों में फिरने लगे। उनके होंठों का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। थोड़ी देर बाद नजमा ने अपनी आँखें खोलीं और अपनी जीभ मेरे मुँह में डालकर मेरे होंठों को और ज़ोर से चूसने लगीं। उनका एक हाथ मेरी जाँघों पर था, जो धीरे-धीरे मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहा था। उनकी मैक्सी इतनी पतली थी कि उनका भरा हुआ जिस्म साफ़ दिख रहा था। मैं उनके बूब्स को छूने के लिए बेकरार था। मैंने अपने हाथ उनके बालों से हटाकर उनके बूब्स पर रख दिए और उन्हें सहलाने लगा। वो हल्के से सिसकीं, “आह्ह्ह… साहिल… थोड़ा और ज़ोर से दबाओ… उफ्फ्फ…”

मैंने उनकी मैक्सी के ऊपर के दो बटन खोल दिए। उनकी काली ब्रा में उनके गोरे, बड़े बूब्स बाहर झाँक रहे थे। उनके गुलाबी निप्पल्स देखकर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। मैंने उनके बूब्स को अपने मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। पहले मैंने उनके निप्पल्स के साथ खेला, फिर उनके बूब्स को पूरा मुँह में लेकर उनका रस चूसने लगा। नजमा सिसक रही थीं, “आह्ह्ह… साहिल… और ज़ोर से… मेरे बूब्स का पूरा रस चूस लो… उफ्फ्फ… हाँ… ऐसे ही… आआह्ह्ह…” उनके बूब्स इतने मुलायम थे कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। मैंने उन्हें लंबे समय तक चूसा और दबाया।

इसे भी पढ़ें   चाचा ने बाथरूम में सेक्स की भूख मिटाई मेरी

मेरा एक हाथ उनकी चूत पर चला गया। उनकी पैंटी के ऊपर से मैंने उनकी चूत को सहलाना शुरू किया। थोड़ी देर में उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी मैक्सी पूरी तरह उतार दी। अब वो सिर्फ़ काली ब्रा और पैंटी में थीं। उनके गोरे बूब्स ब्रा से बाहर निकलने को बेताब थे। नजमा बोलीं, “यहाँ नहीं, साहिल। अंदर कमरे में चलो। अगर किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी।”

मैंने कहा, “हाँ, ठीक है।” मैंने उन्हें गोद में उठाया और कमरे में ले गया। वहाँ एक और पलंग था, जिसके पास एक टेबल पर कुछ किताबें रखी थीं। मैंने एक किताब उठाई, जिसमें नंगी चुदाई की तस्वीरें थीं। मैंने पूछा, “ये किताबें आपकी हैं?”
वो बोलीं, “नहीं, ये सलीम की हैं। उनका लंड जल्दी खड़ा नहीं होता, तो वो इन तस्वीरों को देखकर जोश में आते हैं। लेकिन दो मिनट में ही झड़ जाते हैं। उन्होंने मुझे कभी वो मज़ा नहीं दिया, जो मेरी चूत को चाहिए। मेरी चूत हमेशा तड़पती रहती है। अब तुम ही बताओ, मैं क्या करूँ?”

वो आगे बोलीं, “इसलिए मैं तुम्हारे साथ ये सब करना चाहती हूँ। मुझे यक़ीन है, तुम मेरी प्यास बुझा दोगे।”

मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनके बूब्स को फिर से चूसना शुरू किया। वो मेरे सिर को अपने बूब्स पर ज़ोर से दबा रही थीं और बड़बड़ा रही थीं, “आह्ह्ह… और ज़ोर से चूसो… मेरे बूब्स को पूरा चूस लो… उफ्फ्फ… हाँ… ऐसे ही…”

मैंने उनकी ब्रा उतार दी। उनके बड़े, गोरे बूब्स अब पूरी तरह मेरे सामने थे। मैंने उनके निप्पल्स को चूसा, फिर उनके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाया। वो सिसक रही थीं, “आह्ह्ह… साहिल… और ज़ोर से… उफ्फ्फ…”

मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाना शुरू किया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। मैंने उनकी पैंटी उतार दी। उनकी चूत गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खुली हुई थी, पूरी गीली और गर्म। मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाली। वो इतनी गीली थी कि उंगली आसानी से अंदर चली गई। फिर मैंने दो उंगलियाँ डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। नजमा सिसक रही थीं, “आह्ह्ह… साहिल… और तेज़… उफ्फ्फ…”

थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं समझ गया कि वो पूरी तरह गर्म हो चुकी हैं। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा और पहले चारों तरफ़ किस किया। फिर अपनी जीभ से उनकी चूत के दाने को टटोला। मैं उनकी चूत को चूसने लगा। वो मेरे सिर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा रही थीं और चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह… साहिल… और ज़ोर से चूसो… मेरी चूत का रस चूस लो… उफ्फ्फ… हाँ… ऐसे ही… आआह्ह्ह…”

मैंने उनकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चूसा। वो अपनी कमर उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। अचानक उनकी साँसें तेज़ हो गईं और वो ज़ोर से चिल्लाईं, “आह्ह्ह… साहिल… मैं… मैं… आआह्ह्ह…” उनकी चूत से रस निकलने लगा, जिसे मैंने पूरा चूस लिया। वो शांत होकर लेट गईं। मैंने अपना मुँह धोया और उनके पास वापस आकर लेट गया।

नजमा मेरी तरफ़ मुड़ीं और मेरी बनियान उतार दी। फिर उन्होंने मेरा पजामा भी उतार दिया। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा और आज़ाद था। उन्होंने मेरे लंड को हाथ में लिया और बोलीं, “वाह, साहिल… लंड हो तो ऐसा… इसे देखकर तो मज़ा आ गया।” वो मेरे लंड को हल्के-हल्के हिलाने लगीं। फिर मेरे ऊपर आकर मेरी छाती पर किस करने लगीं। मैं और गर्म हो गया। वो मेरे सीने से पेट, फिर जाँघों तक किस करती चली गईं। आख़िर में उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह के पास लाकर उस पर एक किस किया। उनके नरम होंठों का स्पर्श मेरे लंड पर पड़ते ही मैं पागल हो गया।

वो अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटने लगीं। मैं अपने काबू से बाहर हो रहा था। फिर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। पहले आधा लंड, फिर मैंने एक झटका मारा और मेरा पूरा लंड उनके मुँह में चला गया। वो गूं-गूं करने लगीं। मैंने थोड़ा लंड बाहर निकाला, तो वो फिर से जीभ से चूसने लगीं। मेरा कंट्रोल ख़त्म हो रहा था। तभी नजमा ने मेरा लंड मुँह से निकाला और बोलीं, “क्यों साहिल, मज़ा आ रहा है?”
मैंने कहा, “हाँ, बहुत मज़ा आ रहा है।”

इसे भी पढ़ें   सालियों की अदला बदली

मैंने उन्हें अपने ऊपर खींच लिया और उनके होंठों पर ज़ोर से किस करने लगा। फिर उन्हें नीचे लिटाकर उनके पैरों के बीच आ गया। मैंने उनके दोनों पैर उठाकर अपने कंधों पर रखे। उनकी चूत का छेद मेरे लंड के ठीक सामने था। मैंने पहले दो उंगलियाँ उनकी चूत में डालीं और अंदर-बाहर किया। फिर अपनी उंगलियाँ निकालकर मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक ज़ोर का धक्का मारा। मेरा 7 इंच का लंड उनकी चूत में फिसलता हुआ पूरा अंदर चला गया। नजमा चिल्ला उठीं, “आह्ह्ह… साहिल… मैं मर गई… उफ्फ्फ… आआह्ह्ह…”

मैं दो मिनट रुका, फिर एक और ज़ोर का धक्का मारा। वो सिसक रही थीं, “आह्ह्ह… साहिल… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दो… मैं दो महीने से प्यासी हूँ… आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो… आह्ह्ह…”

मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। नजमा भी अपनी कमर उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। उनकी चूत इतनी गीली थी कि हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज़ आ रही थी। वो चिल्ला रही थीं, “हाँ… साहिल… और ज़ोर से… मेरी चूत को चोदो… आह्ह्ह… उफ्फ्फ… फाड़ दो इसे… आआह्ह्ह…”

थोड़ी देर बाद उनकी कमर की स्पीड तेज़ हो गई और वो अचानक शांत हो गईं। मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी हैं। लेकिन मैं अभी नहीं झड़ा था। मैंने और ज़ोर से उनकी चूत में लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। “पच-पच… फच-फच…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। नजमा फिर से सिसकने लगीं, “आह्ह्ह… साहिल… और ज़ोर से… मेरी चूत को पूरा भर दो… उफ्फ्फ…”

मैं झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “नजमा, मैं झड़ने वाला हूँ। वीर्य कहाँ गिराऊँ?”
वो बोलीं, “मेरी चूत में ही गिरा दो… मुझे तुम्हारा गर्म वीर्य चाहिए… आह्ह्ह…”

मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे और उनकी चूत में झड़ गया। मेरा एक-एक बूंद उनकी चूत की गहराइयों में चला गया। मैं उनके ऊपर ही लेट गया। चार मिनट बाद मैं उठा और उनके पास लेट गया। नजमा ने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटकर साफ़ किया और बाथरूम चली गईं।

जब वो वापस आईं, मैंने कहा, “नजमा, मैं अपनी छत पर जा रहा हूँ।” घड़ी में रात के 3:30 बज रहे थे।
नजमा ने मुस्कुराते हुए पूछा, “तुम रोज़ छत पर सोते हो?”
मैंने कहा, “कभी-कभी।”
वो बोलीं, “कल फिर रात को छत पर आ जाना।”
मैंने कहा, “हाँ, ठीक है। लेकिन एक बात मानोगी?”
वो बोलीं, “क्या?”
मैंने कहा, “तुम्हारी चूत इतनी मस्त है, तो तुम्हारी गांड कैसी होगी? मैं तुम्हारी गांड भी मारना चाहता हूँ।”
वो हँसकर बोलीं, “बस इतनी-सी बात? ठीक है।”
मैंने पूछा, “सलीम भाई ने कभी तुम्हारी गांड मारी है?”
वो बोलीं, “अरे, वो तो मेरी चूत ही ठीक से नहीं चोद पाते। गांड क्या मारेंगे?” ये कहकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ़ खींचा और मेरे होंठों पर एक गहरा किस किया।

दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। अब आप बताइए, क्या आपको ये कहानी पसंद आई? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मज़ा लिया है? कमेंट में ज़रूर बताएँ।

padosi ki biwi, doctor ki wife, hinglish sex story, hot bhabhi chudai, sexy bhabhi ki chudai, neighbor wife sex, explicit adult story, incest, hot Indian bhabhi, chudai kahani, sexy neighbor story, adult comic content, Hinglish erotic story, neighbor wife affair, bhabhi ke sath sex

Related Posts

Report this post

1 thought on “पड़ोसी डॉक्टर की बीवी की ठुकाई”

Leave a Comment