दोस्तो, ये मेरी जिंदगी की पहली कहानी है, जो मैं आज आपके साथ बांट रहा हूँ। मुझे गंदी-गंदी बातें सुनना और चुदाई का खेल खेलना हमेशा से पसंद रहा है। खासकर जब बात किसी टाइट गांड को फाड़ने की आती है, तो मेरा लंड तुरंत तन जाता है। आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपने ऑफिस की सबसे बड़ी आग को उसके घर में चोदा और उसकी चूत और गांड का रस निकाला। तो चलिए, पूरी दास्तान शुरू से सुनाता हूँ।
इस कहानी की मालकिन का नाम है नेहा (नाम बदला हुआ)। वो हमारे ऑफिस की ऐसी लड़की थी, जिसे देखकर हर मर्द का लंड सलामी देता था। उसका फिगर था 34-28-38। जब वो टाइट जींस या स्कर्ट में अपनी गांड मटकाती हुई चलती थी, तो उसकी गोल-मटोल गांड देखकर हर किसी का दिल ललच जाता। उसकी चूचियां इतनी भरी-भरी थीं कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद बाहर निकलने को बेताब रहती थीं। उसकी आँखों में वो शरारत थी, जो किसी को भी दीवाना बना दे। मैं तो कई महीनों से उस पर नजर गड़ाए था। उसकी हर अदा मेरे दिल में आग लगाती थी।
एक दिन किस्मत ने मुझ पर मेहरबानी की। ऑफिस में सीट बदलने का मौका आया, और नेहा मेरे बगल वाली कुर्सी पर आकर बैठने लगी। बस, फिर क्या! मेरा तो जैसे सपना सच हो गया। मैंने तुरंत मौके का फायदा उठाया और उसके साथ फ्लर्टिंग शुरू कर दी। कभी उसकी स्माइल की तारीफ करता, तो कभी उसकी ड्रेस पर मजाक उड़ाता। वो भी मेरी बातों का जवाब हंसकर देती और मेरे साथ मस्ती करती। एक दिन ऑफिस की सीढ़ियों पर वो मेरे आगे-आगे चढ़ रही थी। मैं उसकी मोटी, रसीली गांड को ताड़ रहा था, जो हर कदम पर उछल रही थी। मेरा लंड तो पैंट में तंबू बन गया था। अचानक उसका पैर फिसला और वो गिरने वाली थी। मैंने झट से उसे पकड़ लिया। मेरा हाथ सीधा उसकी मुलायम गांड पर जा टिका। उफ्फ! वो गर्मी, वो नरमी! मेरा लंड और सख्त हो गया।
नेहा ने पलटकर मुझे एक शरारती स्माइल दी और बोली, “अरे, इतनी जल्दी हाथ लगाने की क्या जरूरत थी?” फिर वो हंसते हुए ऊपर चली गई। मैं समझ गया कि ये लड़की मेरे जाल में आ चुकी है। बस, अब उसे थोड़ा और लुभाना बाकी था। कुछ ही हफ्तों में हमारी बातें गहरी होने लगीं। रात-रात भर फोन पर चैट होती। कभी डबल मीनिंग जोक्स, तो कभी खुलकर शरारत। एक दिन हम दोनों ने एक-दूसरे को प्रपोज कर लिया। अब तो हमारा रिश्ता और करीब हो गया था।
एक रात मैंने हिम्मत करके उससे कह डाला, “नेहा, मैं तुम्हें बाहों में भरकर चूमना चाहता हूँ। तुम्हारी हर चीज को अपने हाथों से सहलाना चाहता हूँ।” वो हंस पड़ी और बोली, “अजय, मैं तो कब से इस बात का इंतजार कर रही थी। अगले हफ्ते मेरे घरवाले किसी शादी में जा रहे हैं। तुम मेरे घर आ जाना।” बस, फिर क्या! मेरा लंड तो उसी रात से बेकरार हो गया। मैंने पूरे हफ्ते उसी दिन का सपना देखा। हर रात उसकी चूचियों और गांड के ख्याल में मुठ मारी।
आखिर वो दिन आ गया। सुबह से ही मेरा लंड तना हुआ था, जैसे कह रहा हो, “आज तुझे जन्नत का रास्ता दिखाऊंगा!” दोपहर को मैं नेहा के घर पहुंचा। उसने दरवाजा खोला तो मैं उसे देखकर पागल हो गया। वो टाइट शॉर्ट्स और पतली सी टी-शर्ट में खड़ी थी, जिसमें से उसकी चूचियां साफ झांक रही थीं। बिना ब्रा के वो और भी कयामत लग रही थी। मैं अंदर गया तो वो बोली, “अरे, इतने फॉर्मल कपड़ों में क्यों आए? कुछ ढीला-ढाला पहन लेते!” मैंने हंसकर कहा, “ढीला करना तो अब तेरा काम है, जान!”
वो मेरे पास आई और बिना कुछ कहे मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका वो जंगली अंदाज देखकर मैं भी बेकाबू हो गया। मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया और जोर-जोर से चूमने लगा। मेरी जीभ उसके होंठों पर नाच रही थी, और उसकी जीभ मेरे मुँह में। हम दोनों एक-दूसरे को ऐसे चूस रहे थे जैसे बरसों की प्यास बुझ रही हो। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों को मसल रहा था। वो इतनी नरम थीं कि मेरे हाथों में समा नहीं रही थीं। मैंने उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाया, तो वो सिसकारी भरने लगी, “आह्ह… अजय… और जोर से दबा…” मेरा दूसरा हाथ उसकी शॉर्ट्स के अंदर घुस गया। उसकी चूत पहले से गीली थी। मैंने अपनी उंगलियां उसकी चूत में डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… उफ्फ… अजय… तू मुझे पागल कर देगा…”
उसकी सिसकारियां सुनकर मेरा लंड और तन गया। उसने झट से मेरी शर्ट फाड़ी और मेरी पैंट उतार दी। मैं सिर्फ अंडरवियर में खड़ा था, और मेरा लंड उसमें कैद होने को तड़प रहा था। वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गई और मेरे अंडरवियर को नीचे खींच दिया। मेरा लंड बाहर निकला तो वो बोली, “वाह, ये तो पहले से तैयार है!” उसने मेरा लंड अपने नरम हाथों में लिया और हल्के-हल्के सहलाने लगी। फिर उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे लंड के टोपे पर चाटने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर ऐसे फिसल रही थी जैसे कोई आइसक्रीम चाट रहा हो। मैं तो सातवें आसमान पर था। फिर उसने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। उसका मुँह इतना गर्म था कि मेरा लंड पिघलने लगा। वो मेरे लंड को गले तक ले रही थी, और उसकी जीभ मेरे टट्टों को भी चाट रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह में धक्के मारने लगा। कुछ ही मिनटों में मेरा माल उसके मुँह में छूट गया। उसने एक बूंद भी नहीं छोड़ी और सारा चाट लिया।
वो उठी और बोली, “अब मेरी बारी है।” हम दोनों बेड पर गिर पड़े और 69 की पोजीशन में आ गए। मैंने उसकी शॉर्ट्स और पैंटी उतार दी। उसकी चूत साफ थी, और उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने चमक रही थी। मैंने उसकी चूत को सूंघा तो उसकी खुशबू ने मुझे दीवाना कर दिया। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी और चाटने लगा। उसकी चूत का स्वाद नमकीन और मीठा था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाली और चूसने लगा। वो मेरे लंड को फिर से चूस रही थी। हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चाट रहे थे। मैंने उसकी चूत के दाने को अपने दांतों से हल्का सा काटा तो वो चिल्ला उठी, “आह्ह… अजय… चूस ले मेरी चूत को… और जोर से…” उसकी चूत से पानी निकलने लगा, और मैंने सारा चाट लिया। वो भी मेरे लंड को चूस-चूसकर फिर से सख्त कर चुकी थी।
पंद्रह मिनट तक हमने एक-दूसरे को चाटा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया। वो बोली, “रुक जा, आज मेरी गांड का उद्घाटन कर दे।” ये सुनकर मेरी आँखें चमक उठीं। उसने खुद ही पलटकर घोड़ी बन गई। उसकी मोटी, गोल गांड मेरे सामने थी, जो चुदने को बेताब थी। मैंने पास पड़ी तेल की बोतल उठाई और ढेर सारा तेल उसकी गांड के छेद पर डाला। मैंने अपनी उंगलियां उसकी गांड में डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। उसका छेद इतना टाइट था कि मेरी उंगलियां भी मुश्किल से जा रही थीं। मैंने और तेल डाला और उसकी गांड को चिकना कर दिया। फिर मैंने अपना लंड टिकाया। उसका टोपा उसकी गांड के छेद पर रगड़ रहा था। मैंने हल्का सा धक्का मारा तो वो चीख पड़ी, “आह्ह… हरामी, धीरे डाल… दर्द हो रहा है!”
उसकी गाली ने मुझे और जोश दिलाया। मैंने अगले धक्के में आधा लंड उसकी गांड में पेल दिया। वो बेड पर गिर पड़ी और चिल्लाने लगी, “आह्ह… उफ्फ… निकाल दे… बहुत दर्द हो रहा है…” लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसे कसकर पकड़ा और धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड दब सा रहा था। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां बढ़ रही थीं, “आह्ह… अजय… धीरे… उफ्फ… मेरी गांड फट जाएगी…” मैंने उसकी कमर पकड़ी और स्पीड बढ़ा दी। उसकी गांड अब मेरे लंड को आसानी से ले रही थी। मैंने एक हाथ से उसकी चूचियां मसलीं और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रखकर उसका दाना रगड़ने लगा। वो पागल हो रही थी, “आह्ह… चोद दे… फाड़ दे मेरी गांड… और जोर से…”
करीब पच्चीस मिनट तक मैंने उसकी गांड मारी। उसकी गांड की गर्मी और टाइटनेस ने मुझे दीवाना कर दिया था। मैंने उसके बाल खींचे और जोर-जोर से धक्के मारे। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… उफ्फ… अजय… तू तो जानवर है… और मार… मेरी गांड को रगड़ दे…” आखिरकार मैं उसकी गांड में ही झड़ गया। मेरा गर्म माल उसकी गांड में भर गया, और मैं उसके ऊपर ढेर हो गया। हम दोनों की सांसें फूल रही थीं। वो थोड़ी नाराज थी, बोली, “साले, इतना जोर से गांड मारते हैं? मेरी तो जान निकल गई!” फिर वो हंस पड़ी और मेरे आधे खड़े लंड को फिर से मुँह में लेकर चूसने लगी। इस बार वो हल्के-हल्के काट रही थी, जैसे मुझसे हिसाब बराबर कर रही हो।
उसका ये जंगली अंदाज मुझे और भा गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को अपनी चूत पर टिकाकर बैठ गई। उसने धीरे-धीरे लंड को अपनी चूत में लिया और उछलने लगी। उसकी चूचियां मेरे सामने हिल रही थीं। मैंने दोनों चूचियों को पकड़कर जोर-जोर से मसला। वो गालियां दे रही थी, “साले, चोद मुझे… मेरी चूत को फाड़ दे… और जोर से…” उसकी चूत पहले से चुद चुकी थी, लेकिन इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में रगड़ खा रहा था। मैंने उसे नीचे लिटाया और मिशनरी पोजीशन में उसकी चूत में लंड पेलना शुरू किया। मैंने उसकी टांगें अपने कंधों पर रखीं और गहरे-गहरे धक्के मारे। उसकी चूत से पानी निकल रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। पूरा कमरा उसकी चीखों से गूंज रहा था, “आह्ह… उफ्फ… अजय… चोद दे… मेरी चूत को रगड़ दे… साले, कुत्ते की तरह चोद मुझे…”
मैंने स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं। मैंने एक उंगली उसकी चूत के दाने पर रखी और रगड़ने लगा। वो पागल हो गई, “आह्ह… और जोर से… मैं झड़ने वाली हूँ…” कुछ ही मिनटों में वो झड़ गई। उसकी चूत से गर्म पानी निकला, जो मेरे लंड को भिगो रहा था। मैंने धक्के जारी रखे। फिर हमने पोजीशन बदली। मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा किया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। उसकी चूचियां दीवार पर रगड़ रही थीं, और मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… मार दे… मेरी चूत को फाड़ दे… और थप्पड़ मार…”
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया। इस बार मैंने उसकी चूत और गांड दोनों को बारी-बारी से चोदा। मैंने पहले उसकी चूत में लंड डाला और तेज-तेज धक्के मारे। फिर मैंने लंड निकाला और उसकी गांड में पेल दिया। उसकी गांड अब थोड़ी ढीली हो चुकी थी, लेकिन फिर भी इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में मजे ले रहा था। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और साथ-साथ उसकी गांड मारता रहा। वो पागलों की तरह चिल्ला रही थी, “आह्ह… अजय… तू तो जादूगर है… मेरी चूत और गांड दोनों को चोद दे… और जोर से…” करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत और गांड को रगड़ा। फिर मैं उसकी चूत में झड़ गया। मेरा माल उसकी चूत में भर गया, और वो भी एक बार फिर झड़ गई। हम दोनों बेड पर गिर पड़े, पसीने से तर और सांसें फूलती हुईं।
थोड़ी देर बाद वो फिर मेरे लंड को सहलाने लगी। उसने उसे मुँह में लिया और चूस-चूसकर फिर से सख्त कर दिया। इस बार हम बाथरूम में गए। शावर के नीचे मैंने उसे दीवार से सटाकर उसकी चूत में लंड डाला। पानी हम दोनों के जिस्म पर बह रहा था, और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था। वो मेरे कंधों को काट रही थी, “आह्ह… अजय… चोद दे… मेरी चूत को भिगो दे…” मैंने उसे गोद में उठाया और शावर के नीचे ही चोदने लगा। उसकी चूत पानी और मेरे माल से चिकनी हो चुकी थी। मैंने उसे किचन में ले जाकर काउंटर पर बिठाया और उसकी चूत को फिर से चाटा। उसका पानी मेरे मुँह में आ रहा था, और मैं हर बूंद चाट रहा था। फिर मैंने उसे काउंटर पर ही चोदा। उस दिन हमने घर के हर कोने में चुदाई की। कभी छत पर खुले आसमान के नीचे, तो कभी हॉल में सोफे पर। मैंने उसे सात बार चोदा, हर पENIX के साथ नई पोजीशन और नया मजा।
ये सिलसिला चार महीने तक चला। कभी वो मेरे घर आती, तो कभी मैं उसके। हमने दिल्ली की मेट्रो स्टेशन के बाथरूम में भी चुदाई की। कभी पार्क के कोने में, तो कभी कार में। हर फंतासी को हमने हकीकत में बदला। लेकिन फिर उसने ऑफिस छोड़ दिया और कहीं और चली गई। अब उसका कोई अता-पता नहीं है। मैं बस यही चाहता हूँ कि वो ये कहानी पढ़े और मुझे फिर से ढूंढ ले। उसकी चूत और गांड का स्वाद मैं कभी नहीं भूल सकता।
दोस्तो, ये थी मेरी कहानी। उम्मीद है, आपको ये सुनकर उतना ही मजा आया, जितना मुझे नेहा को चोदने में आया था।