मेरा नाम श्याम है और मैं सूरत, गुजरात से हूँ। हमारी सूरत में एक किराने की बड़ी दुकान है, जो आसपास के इलाके में मशहूर है। हमारा परिवार चार लोगों का है—मम्मी-पापा, मैं, और मेरी दीदी पद्मिनी। दीदी 20 साल की हैं और एकदम परी जैसी दिखती हैं। उनकी गोरी त्वचा, गुलाबी गाल, और भोली-सी मुस्कान किसी को भी दीवाना बना दे। उस वक्त उनका फिगर 34-28-36 होगा, हर अंग इतना मुलायम कि छूने का मन करे। हमारी दुकान पर एक बिहारी नौकर, मनीष, काम करता है। उसकी उम्र 42 के आसपास होगी, काला, हट्टा-कट्टा, और शरीर से एकदम ताकतवर। उसका परिवार बिहार में रहता है, और वो पिछले 2-3 साल से हमारी दुकान पर है।
पद्मिनी दीदी कभी-कभार ही दुकान पर आती थीं, लेकिन जब भी आतीं, मनीष की आँखें उन पर टिक जातीं। वो उन्हें घूरता, और कई बार अनजान बनकर छूने की कोशिश करता। दीदी का हर हिस्सा इतना कोमल था कि मनीष का मन डोलना लाजमी था। मैं और दीदी एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, और हमारा रिश्ता बहुत करीबी था। लेकिन ये कहानी उस वक्त की है, जब सब कुछ बदल गया।
कुछ महीने पहले दिल्ली में एक शादी थी। मेरे और दीदी के एग्जाम चल रहे थे, इसलिए मम्मी-पापा ने फैसला किया कि वो शादी में जाएँगे, और हम यहीं रुकेंगे। पापा ने मुझसे पूछा, “दुकान का क्या करें?” मैंने कहा, “पापा, मैं और मनीष मिलकर सब संभाल लेंगे। आप टेंशन मत लो।” उसी शाम मम्मी-पापा दिल्ली चले गए।
अगली सुबह मैं दुकान पर गया। मनीष पहले से वहाँ था, सामान सजा रहा था। लेकिन मुझे अचानक बुखार हो गया। दुकान के साथ एक छोटा-सा कमरा है, मैं वहाँ जाकर लेट गया। कमरा अंधेरा था, लेकिन वहाँ से दुकान साफ दिखती थी, क्योंकि बाहर की रोशनी सीधे दुकान पर पड़ रही थी। थोड़ी देर बाद पद्मिनी दीदी खाना लेकर दुकान पर आईं। उन्हें कॉलेज जाना था, लेकिन मेरी तबीयत देखकर वो रुक गईं।
दीदी काउंटर पर खड़ी थीं। उस दिन उन्होंने टाइट पर्पल पंजाबी सूट पहना था, जो उनके हर कर्व को उभार रहा था। उनके बूब्स एकदम कसे हुए, गाँड हल्की-सी बाहर को उभरी हुई—वो इतनी सेक्सी लग रही थीं कि कोई भी पागल हो जाए। मनीष सामान निकालकर कस्टमर्स को दे रहा था, लेकिन उसकी नजर बार-बार दीदी की गाँड पर जा रही थी। मैंने देखा, मनीष का पजामा आगे से तना हुआ था। उसका लंड बड़ा-सा लग रहा था, जैसे अब बस फटने को तैयार हो।
दीदी की हाइट ज्यादा नहीं, 5 फुट 1 इंच, और मनीष भी 5 फुट 8 इंच का होगा। तभी मनीष काउंटर की तरफ कुछ काम से गया। उसका हाथ हल्के से दीदी की गाँड को छू गया। बस हल्का-सा टच था, लेकिन मनीष का लंड एकदम तन गया। वो दीदी के पीछे खड़ा होकर कस्टमर्स से बात करने लगा। उसका लंड अब दीदी की गाँड के इतने करीब था कि बस एक इंच की दूरी होगी। तभी दीदी नीचे झुकीं, पैसे निकालने के लिए। उनकी मुलायम गाँड सीधे मनीष के सख्त लंड से जा टकराई। दीदी ने पलटकर देखा और मनीष से कहा, “सॉरी!” मनीष ने बस हल्की-सी स्माइल दी, और दीदी फिर अपने काम में लग गईं। लेकिन मनीष का हाल बुरा था—उसका लंड पजामे में तंबू बना रहा था।
तभी मनीष उस कमरे में आया, जहाँ मैं लेटा था। मैंने आँखें बंद कर लीं, ताकि उसे लगे कि मैं सो रहा हूँ। फिर जो हुआ, उसकी मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। मनीष ने अपना पजामा नीचे किया और अपना लंड बाहर निकाल लिया। क्या लंड था उसका—एकदम काला, मोटा, और 8-9 इंच लंबा। वो उसे ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। तभी दीदी ने दुकान से आवाज़ लगाई, “मनीष!” वो जल्दी से लंड अंदर करके दुकान पर चला गया।
मैंने देखा, दीदी की नजर बार-बार मनीष के पजामे पर जा रही थी, जहाँ उसका लंड तंबू बना रहा था। मनीष को ये बात समझ आ गई थी। वो बीच-बीच में अपने लंड को एडजस्ट करता, जैसे दीदी को और ललचाना चाहता हो। बाद में वो दीदी के पास बैठकर बातें करने लगा। दीदी की नजरें अब भी उसके तने हुए पजामे पर थीं। मैं बिस्तर से उठा और दीवार के पास जाकर उनकी बातें सुनने लगा।
दीदी ने मनीष से पूछा, “तुम्हारा पजामा इतना उभरा क्यों है?” शायद दीदी को सेक्स के बारे में ज्यादा पता नहीं था। मनीष ने कहा, “ये मेरा लंड है।” दीदी हैरानी से बोलीं, “लंड इतना बड़ा होता है?” मनीष ने हँसते हुए कहा, “हाँ, बड़ा लंड ज्यादा मज़ा देता है।” दीदी ने मासूमियत से पूछा, “वो कैसे? ये तो किसी औरत के अंदर जाएगा ही नहीं!” मनीष ने जवाब दिया, “लंड मुलायम होता है, वो अपने आप चूत में एडजस्ट हो जाता है।” दीदी की भोली बातें सुनकर मनीष उसे अपनी बातों में फँसाने लगा।
मनीष ने कहा, “तुम छूकर देखो, कितना मुलायम है।” पहले तो दीदी ने मना किया, लेकिन फिर मान गईं। मनीष ने दीदी का नाज़ुक, गोरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। दीदी ने तुरंत हाथ हटाया और बोलीं, “ये तो बहुत गर्म है!” मनीष ने फिर उनका हाथ अपने लंड पर रखा और कहा, “बेबी, ज़रा दबाकर देखो।” दीदी ने हल्के से दबाया और बोलीं, “ये तो बहुत सख्त है, लेकिन आगे से मुलायम क्यों?” मनीष ने पजामा नीचे सरकाया और अपना काला, मोटा लंड बाहर निकाल लिया। दीदी एकदम चौंक गईं। उनकी आँखें फट गईं, और वो बोलीं, “इतना बड़ा!”
मनीष ने दीदी का हाथ अपने लंड पर रखा और उसे आगे-पीछे करने लगा। दीदी गौर से उस काले, मोटे लंड को देख रही थीं। फिर मनीष ने अपना हाथ हटा लिया, और अब दीदी खुद ही लंड को मसल रही थीं। उनके गोरे, मुलायम हाथ में मनीष का काला लंड ऐसा लग रहा था, जैसे कोई कामुक चित्र। तभी मनीष का शरीर अकड़ने लगा। दीदी का नाज़ुक हाथ उसके लंड पर जादू कर रहा था। अचानक मनीष का माल निकल गया, और दीदी के हाथ पर गर्म, गाढ़ा वीर्य गिर गया। दीदी डर गईं और बोलीं, “ये क्या है?” मनीष ने कहा, “इसी से औरत माँ बनती है।” दीदी को अब धीरे-धीरे समझ आने लगा था।
तभी कुछ कस्टमर्स आ गए, और दोनों अलग हो गए। मैं फिर कमरे में लेट गया। उस दिन बाद में कुछ खास नहीं हुआ, लेकिन मनीष को जब भी मौका मिलता, वो दीदी को छू लेता।
शाम को हम घर आ गए। मनीष भी हमारे घर में ही सोता था, उसका कमरा घर के एक कोने में था। रात को मैं पानी पीने उठा, तो देखा दीदी का कमरा खुला था, लेकिन वो अंदर नहीं थीं। मुझे शक हुआ। मैं मनीष के कमरे की तरफ गया और खिड़की से झाँकने लगा।
मनीष नीचे से पूरी तरह नंगा था, बिस्तर पर बैठा था। दीदी ज़मीन पर उनके सामने बैठी थीं और उनका मोटा, काला लंड अपने गोरे हाथों से हिला रही थीं। दीदी के नाज़ुक हाथों में वो काला लंड इतना सेक्सी लग रहा था कि मेरा दिल धड़कने लगा। मनीष ने दीदी से कहा, “बेबी, इसे चूसो।” दीदी ने मना किया, लेकिन मनीष ने कहा, “बस एक किस कर दो।” दीदी मान गईं। उन्होंने अपने गुलाबी होंठों से मनीष के लंड के टोपे को चूमा। मनीष ये बर्दाश्त नहीं कर सका और दीदी के मुँह में ही झड़ गया। दीदी के सेक्सी, गुलाबी होंठों पर मनीष का गर्म माल गिर गया, और उनकी टी-शर्ट भी गंदी हो गई।
मनीष ने पूछा, “कैसा लगा इसका टेस्ट?” दीदी ने कहा, “अजीब-सा है, लेकिन बहुत गर्म है।” दीदी उठने लगीं, लेकिन मनीष उन्हें रोक रहा था। दीदी बोलीं, “टाइम बहुत हो गया। सुबह दुकान और कॉलेज भी जाना है।” मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया।
अगली सुबह हम कॉलेज गए, और मनीष दुकान पर रहा। शाम को घर लौटे, तो दीदी किचन में खाना बना रही थीं। मैं हॉल में टीवी देख रहा था। मनीष अपना खाना लेने किचन में गया। मैंने देखा, वो दीदी के पीछे खड़ा हो गया और उनकी गाँड दबाने लगा। दीदी उसे मना कर रही थीं, लेकिन मनीष नहीं रुका। फिर हम सबने खाना खाया और सो गए। लेकिन मुझे नींद कहाँ थी? मैं हॉल पर नजर रखे था।
थोड़ी देर बाद मैंने देखा, दीदी बाहर जा रही थीं। मैं उनके पीछे-पीछे गया। मनीष अपने कमरे में पूरी तरह नंगा बैठा था। उसका काला, ताकतवर शरीर चाँदनी में चमक रहा था। उसने दीदी को अपनी गोद में बिठा लिया और उनके 34 साइज़ के बूब्स ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फिर उसने दीदी की टी-शर्ट उतारी। दीदी काली ब्रा में थीं, उनका गोरा बदन और भी निखर रहा था। मनीष ने ब्रा का हुक खोला और उसे फेंक दिया। दीदी के गोरे, कसे हुए बूब्स अब आज़ाद थे।
मनीष उनके बूब्स पर टूट पड़ा। वो दीदी की गर्दन, कंधों, और गालों पर चूमने लगा। फिर उसने दीदी के गुलाबी होंठ अपने मुँह में ले लिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। उसका एक हाथ दीदी के बूब्स को मसल रहा था, और दूसरा उनकी गाँड को सहला रहा था। दीदी उसके नीचे दबी हुई थीं, एकदम नाज़ुक-सी लग रही थीं। फिर मनीष नीचे आया और दीदी के बाएँ बूब का निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा। दीदी की आँखें बंद थीं, और वो हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रही थीं—आह्ह… आह्ह…। मनीष ने उनके दोनों बूब्स को चूस-चूसकर लाल कर दिया।
फिर वो दीदी के पेट को चूमने लगा, उनकी नाभि में जीभ डालकर चाटने लगा। उसने दीदी की लेगिंग्स नीचे खींच दी। दीदी की चूत एकदम छोटी-सी थी, बस एक पतली-सी रेखा। मनीष उस पर टूट पड़ा। उसने अपनी जीभ से दीदी की चूत को चाटना शुरू किया, जैसे कोई भूखा शेर। उसकी जीभ चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और दीदी सिसकारियाँ ले रही थीं—आह्ह… उफ्फ…। मनीष ने अपनी एक उंगली दीदी की चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन चूत इतनी टाइट थी कि उंगली अंदर नहीं जा रही थी। थोड़ी-सी उंगली अंदर गई, और दीदी चीख पड़ीं। तभी दीदी का पानी निकल गया। मनीष ने अपनी जीभ से उनकी चूत को साफ किया।
फिर वो दीदी के ऊपर आ गया और अपना मोटा, काला लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा। दीदी बोलीं, “नहीं, हम सेक्स नहीं करेंगे। मुझे बाद में दिक्कत होगी।” मनीष ने कहा, “ठीक है, बेबी। मैं बस इसे चूत पर रगड़ूँगा।” वो अपने लंड को दीदी की चूत पर रगड़ने लगा। दीदी की आँखें बंद थीं, और वो सिसकारियाँ ले रही थीं। फिर मनीष ने दीदी को उल्टा किया। दीदी की गाँड इतनी गोरी और उभरी हुई थी कि मनीष पागल हो गया। वो दीदी के ऊपर लेट गया, उसका लंड उनकी गाँड की दरार में रगड़ रहा था। दीदी की मुलायम गाँड पर लंड रगड़ते हुए मनीष ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया और उनकी गाँड पर झड़ गया। दीदी उठीं और अपने कमरे में चली गईं। मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया।
अगली सुबह दीदी को बुखार था, तो वो कॉलेज नहीं गईं। मैं अकेले कॉलेज गया, और मनीष दुकान पर। लेकिन मेरा मन कॉलेज में नहीं लग रहा था। मैं बस दीदी और मनीष के बारे में सोच रहा था। मैंने दुकान पर जाने का फैसला किया। वहाँ पहुँचा, तो दुकान बंद थी। मुझे शक हुआ। मैं घर की तरफ गया। घर का दरवाज़ा बंद था। मैं पीछे के रास्ते से अंदर गया।
हॉल में जो देखा, उससे मेरे होश उड़ गए। मनीष सोफे पर पूरी तरह नंगा बैठा था, और दीदी उसका लंड चूस रही थीं। मनीष के लंड पर शहद लगा था, और पास में शहद की डिब्बी रखी थी। दीदी उस लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं, उनके गुलाबी होंठ उस काले लंड पर ऊपर-नीचे हो रहे थे। मनीष दीदी का सिर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। 10-15 मिनट तक चूसने के बाद मनीष दीदी के मुँह में झड़ गया। दीदी ने उसका सारा माल पी लिया। मैं हैरान था—दीदी अब इसमें माहिर हो रही थीं।
मनीष ने कपड़े पहने, और मैं वहाँ से चला गया। शाम को मैं घर लौटा, और मनीष भी दुकान से आ गया। तभी मम्मी-पापा का फोन आया कि वो सुबह दिल्ली से वापस आ जाएँगे। मैंने देखा, मनीष उदास था। शायद वो सोच रहा था कि कल से वो दीदी के साथ मज़े नहीं कर पाएगा। मैंने मन में सोचा, आज रात ज़रूर कुछ बड़ा होगा।
रात हुई। मैं अपने कमरे में था, लेकिन दीवार से लगकर हॉल पर नजर रखे था। तभी मैंने देखा, मनीष दीदी के कमरे से निकला। उसने दीदी को गोद में उठा रखा था, जैसे कोई बच्ची हो। वो दीदी को अपने कमरे में ले गया। मैं भी पीछे-पीछे गया और खिड़की से झाँकने लगा।
मनीष ने दीदी को नीचे उतारा और उन्हें ज़मीन पर बैठने को कहा। दीदी ने उसकी पैंट खोली, अंडरवेयर नीचे किया, और मनीष को पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका काला, मोटा लंड एकदम तना हुआ था। दीदी ने अपनी जीभ उस लंड पर फेरनी शुरू की, धीरे-धीरे उसे चूसने लगीं। उनके गोरे मुँह में वो काला लंड गज़ब ढा रहा था। मनीष ने दीदी का सिर पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से उनके मुँह में धक्के मारने लगा। दीदी को साँस लेने में तकलीफ हो रही थी, लेकिन मनीष 5 मिनट तक उनके मुँह को चोदता रहा। फिर वो दीदी के मुँह में झड़ गया। दीदी का चेहरा लाल हो गया था, और उनके मुँह से मनीष का माल टपक रहा था। शायद कुछ वो पी भी गई थीं।
फिर मनीष ने दीदी को बिस्तर पर लिटाया और खुद पूरी तरह नंगा हो गया। वो दीदी पर चढ़ गया और उनके कपड़े खोलने लगा। पहले उसने दीदी की टी-शर्ट उतारी, फिर ब्रा। दीदी के 34 साइज़ के बूब्स को वो ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। दीदी हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रही थीं—आह्ह… आह्ह…। मनीष ने उनके बूब्स को चूस-चूसकर लाल कर दिया। वो आज पूरे जोश में था, जैसे दीदी को खा ही जाएगा।
उसने दीदी को नीचे से नंगा किया। दीदी के पैरों को चूसने और काटने लगा। फिर वो उनकी चूत पर टूट पड़ा। अपनी जीभ को चूत के अंदर-बाहर करने लगा। दीदी पागल-सी हो रही थीं, उनका चेहरा लाल था, और आँखें बंद। मनीष ने अपनी एक उंगली मुँह में गीली की और दीदी की चूत में डालने लगा। दीदी ज़ोर से सिसकारीं—आह्ह… उफ्फ…। मनीष उंगली अंदर-बाहर करने लगा, और 2 मिनट बाद दीदी का पानी निकल गया।
मनीष दीदी के पास लेट गया और उनके चेहरे पर चूमने लगा। फिर उसने दीदी को अपने ऊपर लिटाया और उनकी 36 साइज़ की गाँड को अपने सख्त हाथों से मसलने लगा। उसका तना हुआ काला लंड दीदी की चूत को चुभ रहा था। फिर उसने दीदी को नीचे किया और अपना मोटा लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा।
मनीष ने पूछा, “बेबी, अंदर डालूँ?” दीदी ने कहा, “प्लीज़, थोड़ा-सा डाल दो।” मनीष की तो जैसे लॉटरी लग गई। उसने पास में रखी तेल की बोतल ली। लग रहा था, वो आज पूरी तैयारी में था। उसने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और दीदी की चूत को भी तेल से भर दिया। उसने चूत की मालिश की, ताकि वो गीली और तैयार हो जाए।
अब उसने अपना काला, मोटा लंड दीदी की गोरी, टाइट चूत पर रखा और रगड़ने लगा। उसने लंड का टोपा चूत पर सेट किया। दीदी की जाँघों को ज़ोर से पकड़कर उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा। उसका लंड फिसलता हुआ थोड़ा-सा चूत में समा गया। दीदी ज़ोर से चीख पड़ीं—उफ्फ… छोड़ दो! उनकी सील टूट चुकी थी, और चूत से थोड़ा-सा खून निकल रहा था। मनीष ने दीदी को कसकर पकड़ रखा था। 1-2 मिनट बाद दीदी थोड़ी शांत हुईं, तो मनीष ने एक और ज़ोरदार धक्का मारा। आधा लंड अब चूत में था। दीदी रोने लगीं, लेकिन मनीष को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
1-2 मिनट रुकने के बाद, जब दीदी थोड़ी नॉर्मल हुईं, मनीष ने लंड थोड़ा पीछे खींचा और एक और ज़ोरदार धक्का मारा। उसका मोटा लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया। दीदी जैसे बेहोश-सी हो गई थीं। मनीष का काला लंड अब उनकी गोरी चूत में पूरी तरह फँस गया था। वो 5 मिनट तक ऐसे ही रुका। दीदी धीरे-धीरे नॉर्मल हुईं, और फिर मनीष ने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया।
दीदी अब सिसकारियाँ ले रही थीं—आह्ह… उफ्फ… आह्ह…। मनीष ने अपनी स्पीड बढ़ाई। उसका मोटा लंड दीदी की टाइट चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ दीदी की चूत और खुल रही थी। मनीष के सख्त हाथ दीदी की गोरी जाँघों को पकड़े हुए थे, और वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। दीदी की सिसकारियाँ अब तेज़ हो गई थीं—आह्ह… मनीष… और ज़ोर से…। मनीष 10 मिनट तक दीदी को चोदता रहा। उसका पसीना दीदी के गोरे बदन पर टपक रहा था।
फिर उसने लंड बाहर निकाला। दीदी की चूत पूरी तरह खुल चुकी थी, और उसमें से खून और पानी मिलकर बह रहा था। मनीष ने दीदी को डॉगी स्टाइल में किया। उसने लंड फिर से चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। आधा लंड अंदर चला गया। दीदी हल्के से चीखीं, लेकिन अब मनीष नहीं रुका। वो दीदी को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। दीदी भी अब मस्ती में थीं—आह्ह… हाँ… और ज़ोर से…। मनीष का मोटा लंड दीदी की चूत को रगड़ रहा था, और हर धक्के के साथ दीदी की गाँड हिल रही थी।
5 मिनट चोदने के बाद मनीष दीदी की चूत में ही झड़ गया। उसका गर्म, गाढ़ा माल दीदी की चूत में भर गया। वो दीदी के ऊपर लेट गया, उसका पसीना दीदी के गोरे बदन पर मिल रहा था। कुछ देर बाद मनीष उठा और कपड़े पहनने लगा। दीदी अभी भी उल्टी लेटी थीं। उनकी चूत पूरी तरह खुली थी, और उसमें से मनीष का माल टपक रहा था। मनीष ने कपड़े से दीदी की चूत साफ की। दीदी उठ नहीं पा रही थीं। मनीष ने उन्हें उठाया, उनके कपड़े पहनाए, और गोद में उठाकर उनके कमरे में लिटा आया। मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया।